यहेजकेल 38 – HCV & NAV

Hindi Contemporary Version

यहेजकेल 38:1-23

राष्ट्रों पर याहवेह की बड़ी जीत

1याहवेह का वचन मेरे पास आया: 2“हे मनुष्य के पुत्र, मागोग देश के गोग की ओर अपना मुंह करो, जो रोश, मेशेख और तूबल का मुख्य राजकुमार है; और उसके विरुद्ध भविष्यवाणी करो 3और कहो: ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: हे रोश, मेशेख और तूबल के मुख्य राजकुमार गोग, मैं तुम्हारे विरुद्ध हूं. 4मैं तुम्हें दूसरी तरफ मोड़ दूंगा और तुम्हारे जबड़ों में लोहे का कांटा डालकर तुम्हें तुम्हारी पूरी सेना समेत बाहर ले आऊंगा—तुम्हारे घोड़े, हथियार से सज्जित तुम्हारे घुड़सवार, छोटी तथा बड़ी ढाल लिये बड़ा उपद्रवी झुंड, और वे जो अपनी तलवार भांज रहे हैं, उन सभों को बाहर ले आऊंगा. 5फारस, कूश38:5 कूश नील नदी का ऊपरी क्षेत्र और पूट अपनी ढाल लिये और टोप पहने उनके साथ होंगे, 6गोमर अपनी पूरी सेना के साथ, दूर उत्तर दिशा से बेथ-तोगरमाह अपनी पूरी सेना के साथ—बहुत सारी जातियां तुम्हारे साथ बाहर ले आऊंगा.

7“ ‘तैयार हो जाओ, तैयार रहो, तुम और पूरा उपद्रवी झुंड, जो तुम्हारे पास इकट्‍ठे हुए हैं, और उनको अपने अधिकार में ले लो. 8बहुत दिनों के बाद तुम्हें बुलाया जाएगा. आनेवाले सालों में तुम एक देश पर आक्रमण करोगे, जो युद्ध के मार से उभर चुका होगा, जिसके लोग बहुत सी जनताओं से आकर इस्राएल के उन पर्वतों पर इकट्‍ठे हुए होंगे, जो बहुत समय से उजाड़ पड़ा था. उन्हें बहुत सी जातियों से बाहर लाया गया था, और अब वे सब सुरक्षा में निवास करते हैं. 9तुम और तुम्हारी सारी सेना और तुम्हारे साथ बहुत सी जनता आंधी की तरह आगे बढ़ती हुई आगे जाएगी; तुम उस बादल की तरह होंगे, जो देश के ऊपर छा जाता है.

10“ ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: उस दिन तुम्हारे मन में विचार उठेंगे और तुम एक बुरी युक्ति करोगे. 11तुम कहोगे, “मैं बिना दीवार वाले गांवों के एक देश पर आक्रमण करूंगा; मैं उन पर आक्रमण करूंगा, जो शांतिपूर्वक और निडर रहते हैं—उनमें से सब बिना किसी दीवार और बिना द्वार और बल्लियों के निवास कर रहे हैं. 12मैं उन्हें लूटूंगा और उनसे छीन लूंगा और मेरा हाथ फिर से बनाये गए खंडहरों और विभिन्‍न जातियों से इकट्‍ठे हुए उन लोगों के विरुद्ध उठेगा, जिनके पास बहुत सारे पशु और संपत्ति है और जो देश के बीच में रहते हैं.” 13शीबा और देदान के लोग और तरशीश के व्यापारी और इसके सब गांव तुमसे कहेंगे, “क्या तुम लूटने आये हो? क्या तुमने अपने उपद्रवी झुंड को लूटने, सोना और चांदी ले जाने, पशुओं तथा संपत्ति को ले जाने और लूट के सामान पर कब्जा करने के लिये इकट्ठा किया है?” ’

14“इसलिये हे मनुष्य के पुत्र, भविष्यवाणी करके गोग से कहो: ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: उस समय, जब मेरे इस्राएली लोग सुरक्षित रह रहे होंगे, तब क्या तुम्हारा ध्यान इस पर नहीं जाएगा? 15तुम बहुत दूर उत्तर में अपने स्थान से आओगे, तुम्हारे साथ बहुत सी जाति के लोग होंगे, वे सब घोड़ों पर सवार होंगे, अर्थात् एक बड़ा उपद्रवी झुंड, एक शक्तिशाली सेना होगी. 16तुम मेरे इस्राएली लोगों के विरुद्ध उस बादल की तरह आगे बढ़ोगे, जो देश पर छा जाता है. हे गोग, आनेवाले दिनों में, मैं तुम्हें मेरे ही देश के विरुद्ध आक्रमण करवाऊंगा, ताकि जब मैं तुम्हारे ज़रिए जाति-जाति के लोगों की आंखों के सामने पवित्र साबित होऊं, तब वे मुझे जानें.

17“ ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: तुम ही हो, जिससे मैंने पूर्व के दिनों में अपने सेवकों अर्थात् इस्राएल के भविष्यवक्ताओं के द्वारा बात किया. उस समय वे सालों तक भविष्यवाणी करते रहे कि मैं तुम्हें उनके विरुद्ध लाऊंगा. 18उस दिन यह होगा: जब गोग इस्राएल देश पर आक्रमण करेगा, तब मेरा गुस्सा बहुत भड़केगा, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है. 19अपने उत्साह और भयंकर कोप में, मैं घोषणा करता हूं कि उस समय इस्राएल देश में एक बड़ा भूकंप होगा. 20समुद्र की मछलियां, आकाश के पक्षी, मैदान के पशु, भूमि पर रेंगनेवाले सब जंतु, और पृथ्वी पर रहनेवाले सब लोग मेरी उपस्थिति से कांप उठेंगे. पर्वत गिरा दिये जाएंगे, सीधी चट्टानें टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगी और हर एक दीवार ज़मीन पर गिर जाएगी. 21मैं गोग के विरुद्ध अपने सब पर्वतों पर तलवार चलवाऊंगा, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है. हर एक व्यक्ति अपने ही भाई के विरुद्ध तलवार चलाएगा. 22मैं उस पर महामारी लाकर और रक्तपात करने के द्वारा न्याय करूंगा; मैं उस पर, उसकी सेना पर और उसके साथ की बहुत सी जातियों पर मूसलाधार बारिश करूंगा और उन पर ओला और जलता हुआ गंधक गिराऊंगा. 23और इस प्रकार मैं अपनी महानता और अपनी पवित्रता दिखाऊंगा, और मैं बहुत सी जाति के लोगों की दृष्टि में अपने आपको प्रगट करूंगा. तब वे जानेंगे कि मैं याहवेह हूं.’

New Arabic Version

حزقيال 38:1-23

نبوءة على جوج

1وَأَوْحَى إِلَيَّ الرَّبُّ بِكَلِمَتِهِ قَائِلاً: 2«يَا ابْنَ آدَمَ، الْتَفِتْ بِوَجْهِكَ نَحْوَ جُوجٍ، أَرْضِ مَاجُوجَ رَئِيسِ رُوشٍ مَاشِكَ وَتُوبَالَ وَتَنَبَّأْ عَلَيْهِ، 3وَقُلْ، هَذَا مَا يُعْلِنُهُ السَّيِّدُ الرَّبُّ: هَا أَنَا أَنْقَلِبُ عَلَيْكَ يَا جُوجُ رَئِيسُ رُوشٍ مَاشِكَ وَتُوبَالَ، 4وَأَقْهَرُكَ وَأَضَعُ شَكَائِمَ فِي فَكَّيْكَ، وَأَطْرُدُكَ أَنْتَ وَكُلَّ جَيْشِكَ، خَيْلاً وَفُرْسَاناً وَجَمِيعُهُمْ مُرْتَدُونَ أَفْخَرَ ثِيَابٍ، جُمْهُوراً غَفِيراً كُلُّهُمْ حَمَلَةُ أَتْرَاسٍ وَمَجَانَّ مِنْ كُلِّ قَابِضِ سَيْفٍ. 5وَمِنْ جُمْلَتِهِمْ رِجَالُ فَارِسَ وَكُوشَ وَفُوطَ يَحْمِلُ كُلُّ وَاحِدٍ مِجَنّاً وَخُوذَةً، 6وَأَيْضاً جُومَرُ وَكُلُّ جُيُوشِهِ، وَبَيْتُ تُوجَرْمَةَ مِنْ أَقَاصِي الشِّمَالِ مَعَ كُلِّ جَيْشِهِ. جَمِيعُهُمْ جُيُوشٌ غَفِيرَةٌ اجْتَمَعَتْ إِلَيْكَ. 7تَأَهَّبْ وَاسْتَعِدَّ أَنْتَ وَجَمِيعُ الْجُيُوشِ الْمُنْضَمَّةِ إِلَيْكَ، لأَنَّكَ أَصْبَحْتَ لَهُمْ قَائِداً، 8إِذْ بَعْدَ أَيَّامٍ كَثِيرَةٍ تُسْتَدْعَى لِلْقِتَالِ، فَتُقْبِلُ فِي السِّنِينَ الأَخِيرَةِ إِلَى الأَرْضِ النَّاجِيَةِ مِنَ السَّيْفِ الَّتِي تَمَّ جَمْعُ أَهْلِهَا مِنْ بَيْنِ شُعُوبٍ كَثِيرَةٍ، فَأَقَامُوا مُطْمَئِنِّينَ عَلَى جِبَالِ إِسْرَائِيلَ الَّتِي كَانَتْ دَائِماً مُقْفِرَةً فِي نَظَرِ الَّذِينَ لُمَّ شَتَاتُهُمْ مِنْ بَيْنِ الأُمَمِ، 9فَتَأْتِي مُنْدَفِعاً كَزَوْبَعَةٍ، وَتَكُونُ كَسَحَابَةٍ تُغَطِّي الأَرْضَ أَنْتَ وَجُيُوشُكَ وَكُلُّ مَنْ مَعَكَ مِنْ شُعُوبٍ كَثِيرَةٍ. 10وَيَحْدُثُ فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ أَنَّ أَفْكَارَ سُوءٍ تُرَاوِدُكَ 11فَتَقُولُ: أَزْحَفُ عَلَى أَرْضٍ عَرَاءٍ مَكْشُوفَةٍ وَأُهَاجِمُ الْمُطْمَئِنِّينَ السَّاكِنِينَ فِي أَمْنٍ، الْمُقِيمِينَ كُلَّهُمْ مِنْ غَيْرِ سُورٍ يَقِيهِمْ، وَلَيْسَ لَدَيْهِمْ مَزَالِيجُ وَلا مَصَارِيعُ، 12لِلاسْتِيلاءِ عَلَى الأَسْلابِ وَنَهْبِ الْغَنَائِمِ وَمُهَاجَمَةِ الْخَرَائِبِ الَّتِي أَصْبَحَتْ آهِلَةً، وَلِمُحَارَبَةِ الشَّعْبِ الْمُجْتَمِعِ مِنْ بَيْنِ الأُمَمِ، الْمُقْتَنِي مَاشِيَةً وَأَمْلاكاً، السَّاكِنِ فِي مَرْكَزِ الأَرْضِ. 13وَيَسْأَلُكَ أَهْلُ شَبَا وَرُودُسَ وَتُجَّارُ تَرْشِيشَ وَكُلُّ قُرَاهَا؛ أَقَادِمٌ أَنْتَ لِلاِسْتِيلاءِ عَلَى الأَسْلابِ؟ هَلْ حَشَدْتَ جُيُوشَكَ لِنَهْبِ الْغَنَائِمِ وَلِحَمْلِ الْفِضَّةِ وَالذَّهَبِ وَأَخْذِ الْمَاشِيَةِ وَالْمُقْتَنَيَاتِ وَلِلسَّلْبِ الْعَظِيمِ؟

14لِذَلِكَ تَنَبَّأْ يَا ابْنَ آدَمَ، وَقُلْ لِجُوجَ: هَذَا مَا يُعْلِنُهُ السَّيِّدُ الرَّبُّ: فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ عِنْدَمَا يَسْكُنُ شَعْبِي إِسْرَائِيلُ آمِناً، أَلا تَعْلَمُ ذَلِكَ؟ 15وَتُقْبِلُ أَنْتَ مِنْ مَقَرِّكَ فِي أَقَاصِي الشِّمَالِ مَعَ جُيُوشٍ غَفِيرَةٍ، تُغَشِّي الأَرْضَ؛ كُلُّهُمْ رَاكِبُو خَيْلٍ وَجَمْعٌ عَظِيمٌ وَجَيْشٌ كَثِيرٌ. 16وَتَزْحَفُ عَلَى شَعْبِي إِسْرَائِيلَ كَسَحَابَةٍ تُغَطِّي الأَرْضَ، أَنِّي فِي الأَيَّامِ الأَخِيرَةِ آتِي بِكَ إِلَى أَرْضِي لِكَيْ تَعْرِفَنِي الشُّعُوبُ عِنْدَمَا تَتَجَلَّى قَدَاسَتِي حِينَ أُدَمِّرُكَ يَا جُوجُ أَمَامَ عُيُونِهِمْ.

هَذَا مَا يَقُولُهُ السَّيِّدُ الرَّبُّ: 17أَلَسْتَ أَنْتَ الَّذِي تَحَدَّثْتُ عَنْهُ فِي الأَيَّامِ الْغَابِرَةِ عَلَى أَلْسِنَةِ عَبِيدِي أَنْبِيَاءِ إِسْرَائِيلَ الَّذِينَ تَنَبَّأُوا فِي تِلْكَ الأَيَّامِ لِسِنِينَ كَثِيرَةٍ بِأَنِّي سَآتِي بِكَ عَلَيْهِمْ؟ 18وَيَقُولُ السَّيِّدُ الرَّبُّ: فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ عِنْدَمَا يَزْحَفُ جُوجُ عَلَى أَرْضِ إِسْرَائِيلَ يَحْتَدِمُ غَضَبِي فِي وَجْهِي. 19وَفِي خِضَمِّ غَيْرَتِي وَاتِّقَادِ سَخَطِي أَقُولُ إِنَّهُ فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ تَحْدُثُ هَزَّةٌ عَظِيمَةٌ فِي أَرْضِ إِسْرَائِيلَ، 20فَيَرْتَعِشُ مِنْ حَضْرَتِي سَمَكُ الْبَحْرِ وَطُيُورُ السَّمَاءِ وَوُحُوشُ الْبَرِّيَّةِ وَجَمِيعُ الْحَيَوَانَاتِ الدَّابَّةِ عَلَى الأَرْضِ، وَكُلُّ النَّاسِ الَّذِينَ عَلَى وَجْهِ الْمَسْكُونَةِ، وَتَنْدَكُّ الْجِبَالُ وَتَسْقُطُ الْمَعَاقِلُ وَتَنْهَارُ كُلُّ الأَسْوَارِ إِلَى الأَرْضِ. 21وَأُسَلِّطُ عَلَيْهِ السَّيْفَ فِي كُلِّ جِبَالِي يَقُولُ السَّيِّدُ الرَّبُّ، فَيَكُونُ سَيْفُ كُلِّ رَجُلٍ ضِدَّ أَخِيهِ. 22وَأَدِينُهُ بِالْوَبَاءِ وَبِالدَّمِ، وَأُمْطِرُ عَلَيْهِ وَعَلَى جُيُوشِهِ وَعَلَى جُمُوعِ حُلَفَائِهِ الْغَفِيرَةِ مَطَراً جَارِفاً وَبَرَداً عَظِيماً وَنَاراً وَكِبْرِيتاً. 23فَأُعَظِّمُ نَفْسِي وَأُقَدِّسُهَا، وَأُعْلِنُ ذَاتِي عَلَى مَرْأَى مِنْ كُلِّ الأُمَمِ، فَيُدْرِكُونَ أَنِّي أَنَا الرَّبُّ».