यहेजकेल 37 – HCV & NAV

Hindi Contemporary Version

यहेजकेल 37:1-28

सूखी हड्डियों की घाटी

1याहवेह का हाथ मुझ पर था, और वह मुझे याहवेह के आत्मा के द्वारा बाहर ले आया और एक घाटी के बीच में खड़ा कर दिया; वह घाटी हड्डियों से भरी पड़ी थी. 2उसने मुझे उनके बीच आने जाने में मेरी अगुवाई की, और मैंने घाटी की तल पर बहुत सारी हड्डियां देखी, जो बहुत सूखी थी. 3उसने मुझसे पूछा, “हे मनुष्य के पुत्र, क्या ये हड्डियां जीवित हो सकती हैं?”

मैंने कहा, “परम प्रधान याहवेह, यह तो आप ही जानते हैं.”

4तब उसने मुझसे कहा, “इन हड्डियों से भविष्यवाणी करके कहो, ‘हे सूखी हड्डियो, याहवेह की बात सुनो! 5परम प्रधान याहवेह का इन अस्थियों से यह कहना है: मैं तुममें सांस37:5 सांस हवा या आत्मा डाल दूंगा, और तुम जीवित हो जाओगे. 6मैं तुममें स्‍नायु-तंत्र जोड़कर तुम्हारे ऊपर मांस चढ़ा दूंगा और तुम्हें चमड़े से ढांप दूंगा; मैं तुममें सांस फूंक दूंगा, और तुम जीवित हो जाओगे. तब तुम जानोगे कि मैं याहवेह हूं.’ ”

7तब मैंने इस आज्ञा के अनुसार भविष्यवाणी की. और जब मैं भविष्यवाणी कर रहा था, तब वहां एक खड़खड़ाहट की आवाज हुई, और हड्डियां इकट्ठी हो गईं और एक हड्डी से दूसरी हड्डी जुड़ गई. 8तब मैंने देखा कि उनमें स्‍नायु-तंत्र और मांसपेशियां आ गईं और उनके ऊपर चमड़ा चढ़ गया, परंतु उनमें सांस नहीं थी.

9तब उसने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, सांस से भविष्यवाणी करो; भविष्यवाणी करो, और उसे कहो, ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: हे सांस, चारों दिशाओं से आओ और इन मारे गये लोगों में समा जाओ कि वे जीवित हो जाएं.’ ” 10याहवेह के इस आज्ञा के अनुसार मैंने भविष्यवाणी की, और सांस उनमें समा गयी; वे जीवित होकर अपने-अपने पांवों पर खड़े हो गए—एक बहुत बड़ी सेना.

11तब याहवेह ने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, ये हड्डियां इस्राएल के लोग हैं. वे कहते हैं, ‘हमारी हड्डियां सूख गई हैं और हमारी आशा जाती रही; हम अलग हो गये हैं.’ 12इसलिये भविष्यवाणी करके उनसे कहो: ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: हे मेरे लोगों, मैं तुम्हारी कब्रों को खोलने जा रहा हूं और वहां से तुम्हें बाहर निकालूंगा; मैं तुम्हें वापस इस्राएल देश में ले आऊंगा. 13तब हे मेरे लोगो, तुम जानोगे कि मैं याहवेह हूं, जब मैं तुम्हारी कब्रों को खोल दूंगा और तुम्हें बाहर निकालूंगा. 14मैं अपना आत्मा तुममें डालूंगा और तुम जीवित होंगे, और मैं तुम्हें तुम्हारे स्वयं के देश में बसाऊंगा. तब तुम जानोगे कि मैं याहवेह ने कहा है, और मैंने यह किया है, याहवेह की घोषणा है.’ ”

एक राजा के अधीन एक जाति

15याहवेह का वचन मेरे पास आया: 16“हे मनुष्य के पुत्र, लकड़ी की एक लाठी लो और उस पर यह लिखो, ‘यहूदिया और इस्राएल से संबंधित लोग उसके साथ जुड़ गये हैं.’ तब लकड़ी की एक और लाठी लेकर उस पर लिखो, ‘योसेफ़ (एफ्राईम) और सब इस्राएली उसके साथ जुड़ गये हैं.’ 17उन लाठियों को जोड़कर एक ही लाठी बना लो ताकि वे तुम्हारे हाथ में एक ही बन जाएं.

18“जब तुम्हारे लोग तुमसे पूछे, ‘क्या तुम हमें नहीं बताओगे कि इनका क्या मतलब है?’ 19तब उनसे कहो, ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: मैं योसेफ़ की लाठी को ले लूंगा—जो एफ्राईम के हाथ में है—और इस्राएल के जो गोत्र उसके साथ जुड़े हुए हैं, उन्हें लेकर मैं यहूदिया की लाठी से जोड़ दूंगा. मैं उन्हें लकड़ी की एक लाठी बना दूंगा, और वे मेरे हाथ में एक हो जाएंगे.’ 20जिन लाठियों पर तुमने लिखा है, उन्हें उनके सामने पकड़ो 21और उनसे कहो, ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: मैं इस्राएलियों को उन राष्ट्रों से बाहर निकाल लूंगा, जहां वे गये हैं, मैं उन्हें चारों ओर से इकट्ठा करूंगा और उन्हें उनके स्वयं के देश में ले आऊंगा. 22मैं उन्हें देश में इस्राएल के पर्वतों पर एक राष्ट्र बनाऊंगा. उन सबके ऊपर एक ही राजा होगा और वे फिर कभी दो जातियों में नहीं होंगे या दो राज्यों में नहीं बंटेंगे. 23वे फिर अपने मूर्तियों और निकम्मे प्रतिमाओं या अपने किसी बुरे कार्यों के द्वारा अपने आपको अशुद्ध नहीं करेंगे, क्योंकि मैं उन्हें उनके पहले के सब पापमय कामों से बचाऊंगा, और मैं उन्हें शुद्ध करूंगा. वे मेरे लोग होंगे, और मैं उनका परमेश्वर ठहरूंगा.

24“ ‘मेरा सेवक दावीद उनका राजा होगा, और उन सबका एक चरवाहा होगा. वे मेरे कानूनों के पीछे चलेंगे और मेरे नियमों का पालन करने में सावधानी बरतेंगे. 25वे उस देश में रहेंगे, जिसे मैंने अपने सेवक याकोब को दिया था, वह देश जहां तुम्हारे पूर्वज रहा करते थे. वे और उनके बच्‍चे और उनके बच्चों के बच्‍चे सदाकाल के लिये वहां रहेंगे, और मेरा सेवक दावीद सदाकाल के लिये उनका राजकुमार होगा. 26मैं उनके साथ शांति की एक वाचा बांधूंगा; यह चिरकाल तक बनी रहनेवाली वाचा होगी. मैं उन्हें बसाऊंगा और उनकी संख्या को बढ़ाऊंगा, और मैं अपने पवित्र स्थान को उनके बीच सदाकाल के लिये बनाये रखूंगा. 27मेरा निवास स्थान उनके साथ होगा; मैं उनका परमेश्वर ठहरूंगा और वे मेरे लोग होंगे. 28जब मेरा पवित्र स्थान सदा के लिये उनके बीच होगा, तब सब राष्ट्रों के लोग जानेंगे कि मैं याहवेह इस्राएल को पवित्र करता हूं.’ ”

New Arabic Version

حزقيال 37:1-28

وادي العظام الجافة

1وَكَانَتْ يَدُ الرَّبِّ عَلَيَّ فَأَحْضَرَنِي بِالرُّوحِ إِلَى وَسَطِ وَادٍ مَلِيءٍ بِعِظَامٍ، 2وَجَعَلَنِي أَجْتَازُ بَيْنَهَا وَحَوْلَهَا، وَإذَا بِها كَثِيرَةٌ جِدّاً، تُغَطِّي سَطْحَ أَرْضِ الْوَادِي، كَمَا كَانَتْ شَدِيدَةَ الْيُبُوسَةِ. 3فَقَالَ لِي «يَا ابْنَ آدَمَ، أَيُمْكِنُ أَنْ تَحْيَا هَذِهِ الْعِظَامُ؟» فَأَجَبْتُ: «يَا سَيِّدُ الرَّبُّ، أَنْتَ أَعْلَمُ». 4فَقَالَ لِي: «تَنَبَّأْ عَلَى هَذِهِ الْعِظَامِ وَقُلْ لَهَا: اسْمَعِي أَيَّتُهَا الْعِظَامُ الْيَابِسَةُ كَلِمَةَ الرَّبِّ: 5هَا أَنَا أَجْعَلُ رُوحاً يَدْخُلُ فِيكِ فَتَحْيَيْنِ. 6وَأَكْسُوكِ بِالْعَصَبِ وَاللَّحْمِ، وَأَبْسُطُ عَلَيْكِ جِلْداً وَأَجْعَلُ فِيكِ رُوحاً فَتَحْيَيْنِ وَتُدْرِكِينَ أَنِّي أَنَا الرَّبُّ».

7وَفِيمَا كُنْتُ أَتَنَبَّأُ كَمَا أُمِرْتُ، حَدَثَ صَوْتُ جَلَبَةٍ وَزَلْزَلَةٍ، فَتَقَارَبَتِ الْعِظَامُ كُلُّ عَظْمٍ إِلَى عَظْمِهِ، 8وَاكْتَسَتْ بِالْعَصَبِ وَاللَّحْمِ وَبُسِطَ عَلَيْهَا الْجِلْدُ. إِنَّمَا لَمْ يَكُنْ فِيهَا رُوحٌ 9فَقَالَ لِي: «تَنَبَّأْ لِلرُّوحِ يَا ابْنَ آدَمَ، وَقُلْ: هَذَا مَا يَأْمُرُ بِهِ السَّيِّدُ الرَّبُّ: هَيَّا يَا رُوحُ أَقْبِلْ مِنَ الرِّيَاحِ الأَرْبَعِ وَهُبَّ عَلَى هَؤُلاءِ الْقَتْلَى لِيَحْيَوْا». 10فَتَنَبَّأْتُ كَمَا أَمَرَنِي الرَّبُّ، فَدَخَلَ فِيهِمِ الرُّوحُ فَدَبَّتْ فِيهِمِ الْحَيَاةُ، وَانْتَصَبُوا عَلَى أَقْدَامِهِمْ جَيْشاً عَظِيماً جِدّاً جِدّاً.

11ثُمَّ قَالَ لِي: «يَا ابْنَ آدَمَ، هَذِهِ الْعِظَامُ هِيَ جُمْلَةُ شَعْبِ إِسْرَائِيلَ. هَا هُمْ يَقُولُونَ قَدْ يَبِسَتْ عِظَامُنَا وَمَاتَ رَجَاؤُنَا وَانْقَطَعْنَا. 12لِذَلِكَ تَنَبَّأْ وَقْلُ لَهُمْ هَذَا مَا يُعْلِنُهُ السَّيِّدُ الرَّبُّ: هَا أَنَا أَفْتَحُ قُبُورَكُمْ وَأُخْرِجُكُمْ مِنْهَا يَا شَعْبِي وَأُحْضِرُكُمْ إِلَى أَرْضِ إِسْرَائِيلَ، 13فَتُدْرِكُونَ أَنِّي أَنَا الرَّبُّ حِينَ أَفْتَحُ قُبُورَكُمْ وَأُخْرِجُكُمْ مِنْهَا يَا شَعْبِي. 14وَأَضَعُ رُوحِي فِيكُمْ فَتَحْيَوْنَ، وَأَرُدُّكُمْ إِلَى أَرْضِكُمْ فَتُدْرِكُونَ أَنِّي أَنَا الرَّبُّ قَدْ تَكَلَّمْتُ وَأَنْجَزْتُ مَا وَعَدْتُ بِهِ، يَقُولُ الرَّبُّ».

أمة واحدة وملك واحد

15وَأَوْحَى إِلَيَّ الرَّبُّ بِكَلِمَتِهِ قَائِلاً: 16«وَأَنْتَ يَا ابْنَ آدَمَ، خُذْ لَكَ قَضِيباً وَاحِداً وَاكْتُبْ عَلَيْهِ: هَذَا لِيَهُوذَا وَلأَبْنَاءِ إِسْرَائِيلَ رِفَاقِهِ، ثُمَّ خُذْ قَضِيباً آخَرَ وَاكْتُبْ عَلَيْهِ: هَذَا لِيُوسُفَ، قَضِيبُ أَفْرَايِمَ وَكُلِّ شَعْبِ إِسْرَائِيلَ رِفَاقِهِ. 17وَضُمَّهُمَا مَعاً كَقَضِيبٍ وَاحِدٍ فَيُصْبِحَا فِي يَدِكَ قَضِيباً وَاحِداً. 18وَإذَا سَأَلَكَ أَبْنَاءُ شَعْبِكَ: أَلا تُخْبِرُنَا مَا مَعْنَى هَذَا؟ 19فَقُلْ لَهُمْ: هَذَا مَا يُعْلِنُهُ السَّيِّدُ الرَّبُّ: هَا أَنَا أَتَنَاوَلُ قَضِيبَ يُوسُفَ الَّذِي فِي حَوْزَةِ أَفْرَايِمَ وَأَسْبَاطِ إِسْرَائِيلَ رِفَاقِهِ، وَأَضُمُّ إِلَيْهِ قَضِيبَ يَهُوذَا، وَأَجْعَلُهُمْ جَمِيعاً قَضِيباً وَاحِداً فَيُصْبِحُونَ وَاحِداً فِي يَدِي. 20وَيَكُونُ فِي يَدِكَ، عَلَى مَشْهَدٍ مِنْهُمُ الْقَضِيبَانِ اللَّذَانِ كَتَبْتَ عَلَيْهِمَا. 21وَهَا أَنَا أَحْشِدُ أَبْنَاءَ إِسْرَائِيلَ مِنْ بَيْنِ الأُمَمِ الَّتِي تَفَرَّقُوا فِيهَا وَأَجْمَعُهُمْ مِنْ كُلِّ جِهَةٍ وَأُحْضِرُهُمْ إِلَى أَرْضِهِمْ. 22وَأَجْعَلُهُمْ أُمَّةً وَاحِدَةً فِي الأَرْضِ وَعَلَى الْجِبَالِ، تَحْتَ رِيَاسَةِ مَلِكٍ وَاحِدٍ، فَلا يَكُونُونَ بَعْدُ أُمَّتَيْنِ، وَلا يَنْقَسِمُونَ إِلَى مَمْلَكَتَيْنِ. 23وَلا يَتَدَنَّسُونَ بَعْدُ بِأَصْنَامِهِمْ وَرَجَاسَاتِهِمْ وَلا بِأَيٍّ مِنْ مَعَاصِيهِمْ، بَلْ أُخَلِّصُهُمْ مِنْ مَوَاطِنِ إِثْمِهِمْ، وَأُطَهِّرُهُمْ فَيَكُونُونَ لِي شَعْباً وَأَنَا أَكُونُ لَهُمْ إِلَهاً. 24وَيُصْبِحُ دَاوُدُ عَبْدِي مَلِكاً عَلَيْهِمْ، فَيَكُونُ لَهُمْ جَمِيعاً رَاعٍ وَاحِدٌ فَيُمَارِسُونَ أَحْكَامِي وَيُطِيعُونَ فَرَائِضِي عَامِلِينَ بِها. 25وَيُقِيمُونَ فِي الأَرْضِ الَّتِي وَهَبْتُهَا لِعَبْدِي يَعْقُوبَ الَّتِي سَكَنَ فِيهَا آبَاؤُكُمْ، فَيَسْكُنُونَ فِيهَا هُمْ وَأَبْنَاؤُهُمْ وَأَحْفَادُهُمْ إِلَى الأَبَدِ. وَيَكُونُ عَبْدِي دَاوُدُ رَئِيساً عَلَيْهِمْ مَدَى الدَّهْرِ. 26وَأُبْرِمُ مَعَهُمْ مِيثَاقَ سَلامٍ، فَيَكُونُ مَعَهُمْ عَهْداً أَبَدِيًّا، وَأُوَطِّنُهُمْ وَأُكَثِّرُهُمْ وَأُقِيمُ مَقْدِسِي فِي وَسَطِهِمْ إِلَى الأَبَدِ. 27وَيَكُونُ مَسْكَنِي مَعَهُمْ، فَأَكُونُ لَهُمْ إِلَهاً وَيَكُونُونَ لِي شَعْباً. 28فَتُدْرِكُ الأُمَمُ أَنِّي أَنَا الرَّبُّ مُقَدِّسُ إِسْرَائِيلَ، حِينَ يَكُونُ مَقْدِسِي قَائِماً فِي وَسَطِهِمْ إِلَى الأَبَدِ».