以斯帖记 2 – CCB & HCV

Chinese Contemporary Bible 2022 (Simplified)

以斯帖记 2:1-23

以斯帖被立为王后

1这事之后,亚哈随鲁王的怒气平息下来,就想起瓦实提和她的所作所为,并怎样降旨惩罚她的事。 2王的侍臣说:“让人为王物色一些年轻貌美的处女吧。 3请王在国中各省委派专使把所有年轻漂亮的处女选入书珊城的女宫,交给管理女子的太监希该,供给她们美容用品。 4哪个女子讨王欢心,便立她为王后,代替瓦实提。”王觉得这个建议很好,就采纳了。

5当时,书珊城中有个犹太人,名叫末底改,是便雅悯基士的曾孙、示每的孙子、雅珥的儿子。 6巴比伦尼布甲尼撒曾从耶路撒冷掳走犹大耶哥尼雅和百姓,末底改也在其中。 7末底改收养了叔叔的女儿哈大沙,又名以斯帖,把她认作自己的女儿,因为她父母双亡。这女子体态优美,容貌动人。 8王的谕旨一下,许多年轻的女子被召到书珊城中,交给管理女子的希该照管。以斯帖也被送到王宫中交给希该9希该喜欢以斯帖,就恩待她,急忙给她需用的美容用品和膳食,又从王宫为她挑选七名宫女,让她和她的宫女搬进女宫上好的房屋。 10以斯帖没有向人透露过自己的种族和身世,因为末底改吩咐她不要透露。 11末底改天天在女宫的庭院前徘徊,好打听以斯帖的消息,了解她的情况。

12每个女子依次晋见亚哈随鲁王之前,都要照规矩洁净十二个月:六个月用没药油,六个月用香料和洁身用品。 13每个女子从女宫到王宫晋见王时,她所要求的一切都要给她。 14她晚上进去,次日被带到另一个女宫,交给管理妃嫔的太监沙甲。除非王喜欢她,提名召见她,否则她不会再见到王。

15以斯帖末底改的叔叔亚比孩的女儿,后来被末底改收养。轮到她晋见王时,除了管理女子的太监希该给她的东西外,她没有别的要求。凡看见她的人都喜欢她。 16亚哈随鲁王执政第七年十月,即提别月,以斯帖被带进宫中见王。 17王爱以斯帖胜过爱其他所有女子,她比其他处女更得王的恩宠。于是,王把后冠戴在她头上,立她为王后,代替瓦实提18王为以斯帖大摆宴席招待文武百官,又宣布各省休假2:18 “休假”或译“免去赋税”。,并厚赐礼物。

末底改救王的性命

19第二次召集处女时,末底改已坐在宫门供职。 20以斯帖依照末底改的吩咐,没有向人透露自己的身世和籍贯,因为她像幼年时一样听从末底改的话。

21一天,末底改正在宫门供职,两个守门的太监辟探提列恼恨亚哈随鲁王,想要下手害他。 22末底改知道后,便通知以斯帖王后,以斯帖就以末底改的名义禀告王。 23王查明确有此事后,便命人把二人吊死在木架上,并将这事当着他的面写入史书。

Hindi Contemporary Version

एस्तेर 2:1-23

वश्ती के बदले में एस्तेर रानी बनायी गयी

1जब यह सब पूरा हो चुका, राजा अहषवेरोष का क्रोध ठंडा हो गया, उसने वश्ती के उस आचरण का स्मरण किया तथा यह भी, कि वश्ती के विरुद्ध कैसी राजाज्ञा प्रभावी की जा चुकी थी. 2राजा के अधिकारियों ने राजा के सामने प्रस्ताव रखा, “राजा के लिए रूपवान, युवा कुंवारियों की खोज की जाएं. 3साम्राज्य के हर एक राज्य में राजा मुखियाओं को नियुक्त करें, कि वे राजधानी शूशन में हर एक रूपवान, युवा, कुंवारियों को एकत्र करें. उन्हें राजा के खोजा हेगाइ के संरक्षण निवास में रखा जाए, जो समस्त स्त्रियों के लिए प्रबंधक था. इन सभी कुंवारियों को सुंदर बनाने वाली वस्तुएं दी जाएं. 4तब वह युवती, जो राजा को उत्तम लगे, वह वश्ती के स्थान पर रानी हो जाए.” राजा को यह प्रस्ताव अच्छा लगा और उसने यही किया.

5शूशन गढ़नगर में एक यहूदी निवास करता था, जिसका नाम था, मोरदकय, वह बिन्यामिन का वंश का था वह याईर का पुत्र था, जो शिमेई का, जो कीश का पुत्र था. 6वह यहूदिया के राजा यकोनियाह के साथ येरूशलेम से अन्य बंदियों के साथ बंधुआई में गया हुआ था, जिन्हें बाबेल के राजा नबूकदनेज्ज़र ने बंदी बनाकर ले गया था. 7मोरदकय हदास्साह का पालन पोषण कर रहा था. हदास्साह एस्तेर नाम से भी जानी जाती थी. वह मोरदकय के चाचा की पुत्री थी उसके माता-पिता जीवित नहीं थे. यह युवती सुंदर और रूपवती थी. जब उसके माता-पिता की मृत्यु हुई, मोरदिकय ने उसे अपनी ही पुत्री सदृश अपना लिया था.

8उसके बाद का घटनाक्रम इस प्रकार है: जब राजा की राजाज्ञा सर्वत्र सुना दी गयी, अनेक युवतियां गढ़नगर शूशन हेगाइ के संरक्षण एकत्र कर दी गई थी. एस्तेर को भी राजमहल में हेगाइ के संरक्षण में दिया गया, जो युवतियों का प्रभारी था. 9हेगाइ को एस्तेर प्रिय लगी और उसे हेगाइ की कृपा प्राप्‍त हो गयी. हेगाइ ने तुरंत एस्तेर की सौंदर्य प्रसाधन एवं भोजन वस्तु का प्रबंध कर दिया. इसके अलावा उसने एस्तेर के लिए राजमहल की सात सर्वोत्तम परिचारिकाएं रखी. एस्तेर एवं इन दासियों को निवास स्थान के सर्वोत्तम क्षेत्र में रख दिया.

10एस्तेर ने मोरदकय के संदेश के अनुसार अपनी जाति एवं पृष्ठभूमि की बातें गुप्‍त रखी थी. 11प्रतिदिन मोरदकय रानी महल के आंगन के सामने आया जाया करता था कि उसे एस्तेर की गतिविधियों की जानकारी रहें.

12स्त्रियों के लिए निर्धारित नियम के अनुसार जब हर एक नवयुवती राजा अहषवेरोष के सामने जाने के लिए बारह महीनों का निर्धारित काल पूर्ण कर लेती—हर एक की सुंदरता को संवारने के क्रम में छः माह गन्धरस का तेल लगाया जाता था और छः महीने उबटन लगाया जाता था, तब हर एक को बारी-बारी से राजा के सामने लाया जाता था. 13नवयुवतियां इस प्रक्रिया से राजा के सामने प्रस्तुत की जाती थी: रानी निवास में से राजमहल में ले जाने के लिए कोई भी उपयुक्त वस्तु दे दी जाती थी. 14सायंकाल में नवयुवतियां कक्ष में प्रवेश करती थी तथा प्रातःकाल में वह एक अन्य रानी निवास में पहुंच जाती थी. यह शाअसगाज़ के संरक्षण में हो जातीं थी. यदि राजा उससे प्रसन्‍न न होता, तो वह लड़की फिर कभी राजा के पास न जाती, और यदि राजा उससे प्रसन्‍न होता तो उसे राजा नाम लेकर वापस बुलाता था.

15जब मोरदकय के चाचा अबीहाइल की पुत्री एस्तेर की बारी आई, जिसका मोरदकय ने अपनी ही पुत्री सदृश पालन पोषण किया था, वह राजा की उपस्थिति में प्रस्तुत हुई. उसने राजा के खोजा हेगाइ द्वारा, जो स्त्रियों का प्रभारी था, दिये परामर्श के अतिरिक्त अपने लिए कुछ भी याचना नहीं की. जिस किसी ने एस्तेर को देखा, हर एक को वह सुंदर लगी. 16तब दसवें माह में, अर्थात् तेबिथ माह में राजा अहषवेरोष के शासन के सातवें वर्ष में एस्तेर को राजा अहषवेरोष के राजमहल में लाया गया.

17एस्तेर सभी अन्य युवतियों की अपेक्षा में राजा को प्रिय लगी, उसे अन्य सभी कुंवारियों की अपेक्षा राजा की अधिक कृपा एवं अनुग्रह प्राप्‍त हो गया, इतना, कि राजा ने उसके सिर पर राजकीय मुकुट रखकर उसे वश्ती के स्थान पर रानी घोषित कर दिया. 18इस अवसर पर राजा ने एक भव्य भोज आयोजित किया, जिसे नाम दिया गया एस्तेर का भोज, इसमें उसके सभी शासक एवं अधिकारी आमंत्रित थे. इसके अतिरिक्त समस्त साम्राज्य में अवकाश घोषित किया तथा राजा के कोष में से उपहार भी वितरित किए गए.

मोरदकय द्वारा राजा की जान बचाना

19जब कुंवारी नवयुवतियां फिर से एकत्रित हो गई, मोरदकय उस समय राजमहल परिसर के फाटक पर ही बैठा हुआ था. 20अब तक एस्तेर ने अपनी जाति एवं कुल के बारे में पृष्ठभूमि प्रकट नहीं की थी, जैसा मोरदकय ने उसे आदेश दिया था, क्योंकि एस्तेर वही करती थी, जो मोरदकाय उसे आदेश देता था. ठीक जैसा वह उस समय करती थी, जब वह उसके संरक्षण में थी.

21उन्हीं दिनों में जब मोरदकय राजमहल परिसर के द्वार पर बैठा करता था, राजा के द्वारपालों में से दो, बिगथान तथा तेरेश किसी कारण राजा अहषवेरोष पर नाराज हो गए और उसकी हत्या की युक्ति करने लगे. 22इस षड़्‍यंत्र के बारे में मोरदकय को मालूम हो गया. इसकी सूचना उसने रानी एस्तेर को दे दी और मोरदकय की ओर से एस्तेर ने राजा को सूचित किया. 23जब इस षड़्‍यंत्र की खोजबीन की गई और इस बात का पता चला, उन दोनों को मृत्यु दंड पर लटका दिया गया. इसका उल्लेख राजा के सामने ही इतिहास ग्रंथ में लिख लिया.