स्तोत्र 89:46-52 HCV

स्तोत्र 89:46-52

और कब तक, याहवेह? क्या आपने स्वयं को सदा के लिए छिपा लिया है?

कब तक आपका कोप अग्नि-सा दहकता रहेगा?

मेरे जीवन की क्षणभंगुरता का स्मरण कीजिए,

किस व्यर्थता के लिए आपने समस्त मनुष्यों की रचना की!

ऐसा कौन सा मनुष्य है जो सदा जीवित रहे, और मृत्यु को न देखे?

ऐसा कौन है, अपने प्राणों को अधोलोक के अधिकार से मुक्त कर सकता है?

प्रभु, अब आपका वह करुणा-प्रेम कहां गया,

जिसकी शपथ आपने अपनी सच्चाई में दावीद से ली थी?

प्रभु, स्मरण कीजिए, कितना अपमान हुआ है आपके सेवक का,

कैसे मैं समस्त राष्ट्रों द्वारा किए गए अपमान अपने हृदय में लिए हुए जी रहा हूं.

याहवेह, ये सभी अपमान, जो मेरे शत्रु मुझ पर करते रहे,

इनका प्रहार आपके अभिषिक्त के हर एक कदम पर किया गया.

याहवेह का स्तवन सदा-सर्वदा होता रहे!

आमेन और आमेन.

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