प्रकाशन 22 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

प्रकाशन 22:1-21

जीवन की नदी

1इसके बाद उस स्वर्गदूत ने मुझे जीवन के जल की नदी दिखाई, जो स्फटिक के समान निर्मल-पारदर्शी थी, जो परमेश्वर तथा मेमने के सिंहासन से बहती थी. 2यह नदी नगर के प्रधान मार्ग से होती हुई बह रही है. नदी के दोनों ओर जीवन के पेड़ है, जिसमें बारह प्रकार के फल उत्पन्‍न होते हैं. यह पेड़ हर महीने फल देता है. इस पेड़ की पत्तियों में राष्ट्रों को चंगा करने की क्षमता है. 3अब से वहां श्रापित कुछ भी न रहेगा. परमेश्वर और मेमने का सिंहासन उस नगर में होगा, उनके दास उनकी आराधना करेंगे. 4वे उनका चेहरा निहारेंगे तथा उनका ही नाम उनके माथे पर लिखा होगा. 5वहां अब से रात होगी ही नहीं. न तो उन्हें दीपक के प्रकाश की ज़रूरत होगी और न ही सूर्य के प्रकाश की क्योंकि स्वयं प्रभु परमेश्वर उनका उजियाला होगे. वह हमेशा शासन करेंगे.

मसीह येशु का निकट आता आगमन

6तब स्वर्गदूत ने मुझसे कहा, “जो कुछ अब तक कहा गया है, वह सच और विश्वासयोग्य है. प्रभु ने जो भविष्यद्वक्ताओं को आत्माओं के परमेश्वर है, अपने स्वर्गदूत को अपने दासों के पास वह सब प्रकट करने को भेजा है, जिनका जल्द पूरा होना ज़रूरी है.”

7“देखों, मैं जल्द आने पर हूं. धन्य है वह, जो इस अभिलेख की भविष्यवाणी के अनुसार चालचलन करता है.”

8मैं, योहन वही हूं, जिसने स्वयं यह सब सुना और देखा है. यह सब सुनने और देखने पर मैं उस स्वर्गदूत को दंडवत करने उसके चरणों पर गिर पड़ा, जिसने मुझे यह सब दिखाया था, 9किंतु स्वर्गदूत ने मुझसे कहा, “देख ऐसा मत करो! मैं तो तुम्हारे, तुम्हारे भाई भविष्यद्वक्ताओं तथा इस अभिलेख के पालन करनेवालों के समान ही परमेश्वर का दास हूं. दंडवत परमेश्वर को करो.”

10तब उसने आगे कहा, “इस अभिलेख की भविष्यवाणी को मोहर नहीं लगाना, क्योंकि इसके पूरा होने का समय निकट है. 11जो दुराचारी है, वह दुराचार में लीन रहे; जो पापी है, वह पापी बना रहे; जो धर्मी है, वह धार्मिकता का स्वभाव करे तथा जो पवित्र है, वह पवित्र बना रहे.”

उपसंहार: निमंत्रण और चेतावनी

12“देखों! मैं जल्द आने पर हूं! हर एक मनुष्य को उसके कामों के अनुसार जो बदला दिया जाएगा, वह मैं अपने साथ ला रहा हूं. 13मैं ही अल्फ़ा और ओमेगा हूं, पहला तथा अंतिम, आदि तथा अंत.

14“धन्य हैं वे, जिन्होंने अपने वस्त्र धो लिए हैं कि वे द्वार से नगर में प्रवेश कर सकें और जीवन के पेड़ का फल प्राप्‍त कर सकें. 15कुत्ते, टोन्हे, व्यभिचारी, हत्यारे, मूर्तिपूजक तथा झूठ के समर्थक या वे, जो झूठ गढ़ते हैं, बाहर ही रह जाएंगे.

16“मैं, येशु, मैंने कलीसियाओं के हित में अपने स्वर्गदूत को इस घटनाक्रम के प्रकाशन के लिए तुम सबके पास गवाह के रूप में भेजा है. मैं ही दावीद का वंशमूल और वंशज हूं, और भोर का चमकता हुआ तारा.”

17आत्मा तथा वधू, दोनों ही की विनती है, “आइए!” जो सुन रहा है, वह भी कहे, “आइए!” वह, जो प्यासा है, आए; कोई भी, जो अभिलाषी है, जीवन का जल मुफ़्त में पिए.

18मैं हर एक को, जो इस अभिलेख की भविष्यवाणी को सुनता है, चेतावनी देता हूं: यदि कोई इसमें कुछ भी जोड़ता है, तो परमेश्वर उसकी विपत्तियों को, जिनका वर्णन इस अभिलेख में है, बढ़ा देंगे. 19यदि कोई भविष्यवाणी के इस अभिलेख में से कुछ भी निकालता है तो परमेश्वर जीवन के पेड़ तथा पवित्र नगर में से, जिनका वर्णन इस अभिलेख में है, उसके भाग से उसे दूर कर देंगे.

20वह, जो इस घटनाक्रम के प्रत्यक्षदर्शी हैं, कहते हैं, “निश्चित ही मैं शीघ्र आने पर हूं.”

आमेन! आइए, प्रभु येशु!

21प्रभु येशु का अनुग्रह सब पर बना रहे. आमेन.