स्तोत्र 68:15-20 HCV

स्तोत्र 68:15-20

ओ देवताओं का68:15 देवताओं का परमेश्वर का पर्वत ऐसे भी अर्थ है पर्वत, बाशान पर्वत,

ओ अनेक शिखरयुक्त पर्वत, बाशान पर्वत,

ओ अनेक शिखरयुक्त पर्वत, तुम उस पर्वत की ओर डाह की दृष्टि क्यों डाल रहे हो,

जिसे परमेश्वर ने अपना आवास बनाना चाहा है,

निश्चयतः वहां याहवेह सदा-सर्वदा निवास करेंगे?

परमेश्वर के रथ दस दस हजार,

और हजारों हजार हैं;

प्रभु अपनी पवित्रता में उनके मध्य हैं, जैसे सीनायी पर्वत पर.

जब आप ऊंचाइयों पर चढ़ गए,

और आप अपने साथ बड़ी संख्या में युद्धबन्दी ले गए;

आपने मनुष्यों से, हां,

हठीले मनुष्यों से भी भेंट स्वीकार की,

कि आप, याहवेह परमेश्वर वहां निवास करें.

परमेश्वर, हमारे प्रभु, हमारे उद्धारक का स्तवन हो,

जो प्रतिदिन के जीवन में हमारे सहायक हैं.

हमारे परमेश्वर वह परमेश्वर हैं, जो हमें उद्धार प्रदान करते हैं;

मृत्यु से उद्धार सर्वसत्ताधारी अधिराज याहवेह से ही होता है.

Read More of स्तोत्र 68