स्तोत्र 42:7-11 HCV

स्तोत्र 42:7-11

आपके झरने की गर्जना के ऊपर से

सागर सागर का आह्वान करता है;

सागर की लहरें तथा तट पर टकराती लहरें

मुझ पर होती हुई निकल गईं.

दिन के समय याहवेह अपना करुणा-प्रेम प्रगट करते हैं,

रात्रि में उनका गीत जो मेरे जीवन के लिए परमेश्वर को संबोधित

एक प्रार्थना है, उसे मैं गाया करूंगा.

परमेश्वर, मेरी चट्टान42:9 अर्थात् आश्रय से मैं प्रश्न करूंगा,

“आप मुझे क्यों भूल गए?

मेरे शत्रुओं द्वारा दी जा रही यातनाओं के कारण,

क्यों मुझे शोकित होना पड़ रहा है?”

जब सारे दिन मेरे दुश्मन

यह कहते हुए मुझ पर ताना मारते हैं,

“कहां है तुम्हारा परमेश्वर?”

तब मेरी हड्डियां मृत्यु वेदना सह रहीं हैं.

मेरे प्राण, तुम ऐसे खिन्‍न क्यों हो?

क्यों मेरे हृदय में तुम ऐसे व्याकुल हो गए हो?

परमेश्वर पर भरोसा रखो,

क्योंकि यह सब होते हुए भी

मैं याहवेह का स्तवन करूंगा.

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