स्तोत्र 38:12-22 HCV

स्तोत्र 38:12-22

मेरे प्राणों के प्यासे लोगों ने मेरे लिए जाल बिछाया है,

जिन्हें मेरी दुर्गति की कामना है; मेरे विनाश की योजना बना रहे हैं,

वे सारे दिन छल की बुरी युक्ति रचते रहते हैं.

मैं बधिर मनुष्य जैसा हो चुका हूं, जिसे कुछ सुनाई नहीं देता,

मैं मूक पुरुष-समान हो चुका हूं, जो बातें नहीं कर सकता;

हां, मैं उस पुरुष-सा हो चुका हूं, जिसकी सुनने की शक्ति जाती रही,

जिसका मुख बोलने के योग्य नहीं रह गया.

याहवेह, मैंने आप पर ही भरोसा किया है;

कि प्रभु मेरे परमेश्वर उत्तर आपसे ही प्राप्‍त होगा.

मैंने आपसे अनुरोध किया था, “यदि मेरे पैर फिसलें,

तो उन्हें मुझ पर हंसने और प्रबल होने का सुख न देना.”

अब मुझे मेरा अंत निकट आता दिख रहा है,

मेरी पीड़ा सतत मेरे सामने बनी रहती है.

मैं अपना अपराध स्वीकार कर रहा हूं;

मेरे पाप ने मुझे अत्यंत व्याकुल कर रखा है.

मेरे शत्रु प्रबल, सशक्त तथा अनेक हैं;

जो अकारण ही मुझसे घृणा करते हैं.

वे मेरे उपकारों का प्रतिफल अपकार में देते हैं;

जब मैं उपकार करना चाहता हूं,

वे मेरा विरोध करते हैं.

याहवेह, मेरा परित्याग न कीजिए;

मेरे परमेश्वर, मुझसे दूर न रहिए.

तुरंत मेरी सहायता कीजिए,

मेरे प्रभु, मेरे उद्धारकर्ता.

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