स्तोत्र 37:32-40
दुष्ट, जो धर्मी के प्राणों का प्यासा है,
उसकी घात लगाए बैठा रहता है;
किंतु याहवेह धर्मी को दुष्ट के अधिकार में जाने नहीं देंगे
और न ही न्यायालय में उसे दोषी प्रमाणित होने देंगे.
याहवेह की सहायता की प्रतीक्षा करो
और उन्हीं के सन्मार्ग पर चलते रहो.
वही तुमको ऐसा ऊंचा करेंगे, कि तुम्हें उस भूमि का अधिकारी कर दें;
दुष्टों की हत्या तुम स्वयं अपनी आंखों से देखोगे.
मैंने एक दुष्ट एवं क्रूर पुरुष को देखा है
जो उपजाऊ भूमि के हरे वृक्ष के समान ऊंचा था,
किंतु शीघ्र ही उसका अस्तित्व समाप्त हो गया;
खोजने पर भी मैं उसे न पा सका.
निर्दोष की ओर देखो, खरे को देखते रहो;
उज्जवल होता है शांत पुरुष का भविष्य.
किंतु समस्त अपराधी नाश ही होंगे;
दुष्टों की सन्तति ही मिटा दी जाएगी.
याहवेह धर्मियों के उद्धार का उगम स्थान हैं;
वही विपत्ति के अवसर पर उनके आश्रय होते हैं.
याहवेह उनकी सहायता करते हुए उनको बचाते हैं;
इसलिये कि धर्मी याहवेह का आश्रय लेते हैं,
याहवेह दुष्ट से उनकी रक्षा करते हुए उनको बचाते हैं.