स्तोत्र 135:1-12 HCV

स्तोत्र 135:1-12

स्तोत्र 135

याहवेह का स्तवन करो.

याहवेह की महिमा का स्तवन करो;

तुम, जो याहवेह के सेवक हो, उनका स्तवन करो.

तुम, जो याहवेह के आवास में सेवारत हो,

जो परमेश्वर के आवास के आंगनों में सेवारत हो.

याहवेह का स्तवन करो क्योंकि याहवेह धन्य हैं;

उनकी महिमा का गुणगान करो, क्योंकि यह सुखद है.

याहवेह को यह उपयुक्त लगा, कि वह याकोब को अपना बना लें,

इस्राएल को अपनी अमूल्य संपत्ति के लिये चुन लिया है.

मैं यह जानता हूं कि याहवेह सर्वश्रेष्ठ हैं,

हमारे परमेश्वर समस्त देवताओं से महान हैं.

याहवेह वही करते हैं जो उनकी दृष्टि में उपयुक्त होता है,

स्वर्ग में तथा पृथ्वी पर,

समुद्रों में तथा उनकी गहराइयों में.

पृथ्वी के छोर से उन्हीं के द्वारा बादल उठाए जाते हैं;

वही वृष्टि के साथ बिजलियां उत्पन्‍न करते हैं

तथा अपने भण्डार-गृहों से हवा को प्रवाहित कर देते हैं.

उन्होंने मिस्र के पहिलौठों की हत्या की,

मनुष्यों तथा पशुओं के पहिलौठों की.

उन्हीं ने, हे मिस्र, तुम्हारे मध्य अपने आश्चर्य कार्य एवं चमत्कार प्रदर्शित किए,

जो फ़रोह और उसके सभी सेवकों के विरुद्ध थे.

उन्हीं ने अनेक जनताओं की हत्या की

और अनेक शक्तिशाली राजाओं का वध भी किया.

अमोरियों के राजा सीहोन का,

बाशान के राजा ओग का

तथा कनान देश के समस्त राजाओं का.

तत्पश्चात उन्होंने इन सब की भूमि निज भाग स्वरूप दे दी,

अपनी प्रजा इस्राएल को, निज भाग स्वरूप.

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