व्यवस्था 11:1-32, व्यवस्था 12:1-32 HCV

व्यवस्था 11:1-32

आज्ञाकारिता का प्रतिफल

इसलिये ज़रूरी है कि तुम याहवेह, अपने परमेश्वर से प्रेम करो और हमेशा उनके निर्देशों, नियमों, अध्यादेशों का और आदेशों का पालन करो. आज यह भी समझ लो: मैं तुम्हारी संतानों से बातें नहीं करता हूं, जिन्होंने न तो याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के अनुशासन-शिक्षण को समझा है, न उन्होंने इसे देखा है न उन्होंने याहवेह की महानता को: उनके शक्तिशाली हाथ को, न उनकी बढ़ाई हुई भुजा को; उनके द्वारा दिखाए गए चिन्ह, उनके द्वारा किए अद्धुत काम, जो उन्होंने मिस्र देश में मिस्र के राजा फ़रोह के और मिस्र की सारी प्रजा के सामने किए; मिस्र की सेना के साथ, उसके घोड़ों और रथों के साथ, जब वे तुम्हारा पीछा करते चले जा रहे थे, कैसे याहवेह ने उन्हें लाल सागर के जल में डुबोकर पूरी तरह से नाश कर डाला था. और उन्होंने निर्जन प्रदेश में तुम्हारे साथ क्या-क्या किया था, जब तक तुम यहां न पहुंच गए, और याहवेह ने दाथान और अबीराम के साथ, जो एलियाब के पुत्र और रियूबेन के पोते थे, क्या किया था, जब धरती ने अपना मुख खोल उन्हें, सारे इस्राएल के बीच से, उनके घर-परिवारों को, उनके शिविरों को और उनके साथ आ रहे हर एक जीवधारी को कौर बना लिया. मगर तुम तो याहवेह द्वारा किए हर एक महान काम के गवाह हो.

फिर तुम आज मेरे द्वारा भेजे हर एक आदेश का पालन करोगे, कि तुम मजबूत हो जाओ और आगे बढ़कर उस देश पर अधिकार कर सको, जिसे पार करने के बाद तुम उस पर अधिकार करने पर हो, कि तुम उस देश में, जिसमें दूध और शहद की बहुतायत है, जिसे उन्हें और उनके वंशजों को देने की शपथ याहवेह ने तुम्हारे पूर्वजों से की थी, तुम लंबी उम्र के हो सको. क्योंकि जिस देश के अधिकार के लक्ष्य से तुम वहां प्रवेश करने पर हो, वह मिस्र देश समान नहीं है, तुम जहां से निकलकर यहां आ पहुंचे हो, जहां तुम बीज बोते और सब्जी के बगीचे के समान अपने पैरों का प्रयोग सिंचाई के लिए किया करते थे. वस्तुतः जिस देश पर अधिकार करने के उद्देश्य से तुम उसमें प्रवेश करने ही पर हो, वह पहाड़ियों और घाटियों का देश है, जो आकाश से हुई बारिश का जल जमा करता रहता है. यह एक ऐसा देश है, जिसकी देखभाल याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर करते हैं; इस देश पर याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर की दृष्टि सदैव लगी रहती है, साल के शुरू से लेकर साल के अंत होने तक.

यह तय है कि यदि तुम मेरे द्वारा आज दिए जा रहे इन आदेशों का पालन करोगे, अर्थात् याहवेह अपने परमेश्वर से प्रेम करोगे, और उन्हीं की सेवा अपने पूरा हृदय और अपने पूरा प्राणों से करोगे, तो वह उपयुक्त मौसम में तुम्हारी भूमि के लिए बारिश भेजेंगे, शुरुआती और अंतिम बारिश, ताकि तुम अपने अन्‍न, नई दाखमधु और अपना तेल इकट्ठा कर सको. वह तुम्हारे पशुओं के लिए मैदानों में घास उत्पन्‍न करते रहेंगे. तुम भरपूर खाकर तृप्‍त हो जाओगे.

यह ध्यान रहे कि तुम्हारे हृदय के साथ छल न कर दिया जाए, कि तुम पराए देवताओं की ओर होकर उनकी सेवा और उपासना न करने लगो. नहीं तो याहवेह का कोप तुम पर भड़क उठेगा. तब वह आकाश को इस प्रकार रोक देंगे, कि बारिश के अभाव में भूमि अपनी उपज न दे सकेगी; फलस्वरूप तुम याहवेह द्वारा उत्तम देश से शीघ्र ही नाश हो जाओगे. तुम मेरे ये आदेश हृदय में रखोगे, अपनी आत्मा में उतार लोगे; तुम इन्हें अपने हाथ पर चिन्ह के रूप में बांध लोगे, ये तुम्हारे माथे पर टीका होंगे. तुम ये आदेश अपनी संतान को सिखाया करना. जब तुम अपने घर में बैठे हुए हो, तब तुम इनका उल्लेख करोगे, जब तुम मार्ग में आगे बढ़ रहे हो और जब तुम विश्राम के लिए लेटोगे या जब तुम नींद से उठोगे. तुम उन्हें अपने घर की चौखटों पर और अपने द्वारों पर लिखोगे, कि उस देश में, जिसे देने की प्रतिज्ञा याहवेह ने शपथपूर्वक तुम्हारे पूर्वजों से की थी, आकाश और पृथ्वी के बने रहने तक तुम्हारी संतान गिनती में बढ़ती जाएं.

क्योंकि यदि तुम बड़ी सच्चाई से आदेशों का पालन करते रहोगे, जो मैं तुम्हें पालन करने का आदेश दे रहा हूं—याहवेह, अपने परमेश्वर से प्रेम करने का, उनकी पूरी नीतियों का पालन करने का और उनसे पूरी तरह सच्चा बने रहने का. तब याहवेह इन सभी राष्ट्रों को तुम्हारे सामने से खदेड़ देंगे और तुम ऐसे राष्ट्रों को उनके देश से दूर कर दोगे, जो गिनती में तुमसे अधिक और तुमसे अधिक शक्तिशाली हैं. ऐसा हर एक भूभाग, जिससे तुम्हारे पांवों के तलवे छुएंगे, तुम्हारी संपत्ति हो जाएगा. तुम्हारी सीमा निर्जन प्रदेश से लेकर लबानोन तक और उस नदी, यानी फरात से पश्चिम सागर11:24 पश्चिम सागर अर्थात् भूमध्य सागर तक. कोई भी व्यक्ति तुम्हारे सामने ठहर न सकेगा. याहवेह तुम्हारे परमेश्वर, अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप, उस पूरे देश पर, जिसे तुम्हारे पैर छुएंगे, तुम्हारा भय, तुम्हारा आतंक भर देंगे.

अब सुनो, आज मैं तुम्हारे सामने एक आशीर्वाद और एक शाप प्रस्तुत कर रहा हूं— आशीर्वाद उस स्थिति में, जब तुम याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के आदेशों का पालन करोगे, जिनका आदेश आज मैं तुम्हें दे रहा हूं; और शाप उस स्थिति में, जब तुम याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के आदेशों को ठुकराओगे, उस मार्ग से भटक जाओगे, जिसका आदेश मैं आज तुम्हें दे रहा हूं, और उन पराए देवताओं का अनुसरण शुरू कर दोगे, जिन्हें तुम जानते भी न थे. और तब उस समय, जब याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें उस देश में पहुंचा देंगे, जिस पर अधिकार करने के लिए तुम उसमें प्रवेश करने पर हो, तुम आशीर्वाद तो गेरिज़िम पर्वत पर से और शाप एबल पर्वत पर से घोषित करोगे. ये पर्वत यरदन नदी के पार हैं, पश्चिम दिशा में कुछ ही दूरी पर यह कनानियों का देश है, जो अराबाह में गिलगाल के सामने, मोरेह के बांज वृक्षों के निकट, निवास करते हैं. क्योंकि अब तुम इस यरदन नदी को पार कर उस देश पर अधिकार करने पर ही हो, जो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें प्रदान कर रहे हैं. तुम इस पर अधिकार करके इसमें निवास करने लगोगे. जो जो आदेश और विधान मैं आज तुम्हारे सामने स्पष्ट कर रहा हूं, तुम उनको पूरा करने में सावधान रहोगे.

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व्यवस्था 12:1-32

पवित्र स्थान संबंधी विधान

उस देश में, जो याहवेह तुम्हारे पूर्वजों के परमेश्वर ने तुम्हें अधिकार करने के लिए दे दिया है, ये नियम और विधि तुम आजीवन—जब तक तुम इस पृथ्वी पर जीवित रहोगे, बड़ी सावधानीपूर्वक पालन करते रहोगे. तुम उन सारे स्थानों को पूरी तरह ध्वस्त कर दोगे, जहां तुम्हारे द्वारा उन राष्ट्रों से छीने गए, उन स्थानों पर वे राष्ट्र अपने देवताओं की उपासना किया करते थे; पर्वत शिखरों पर, टीलों पर और हर एक हरे वृक्ष की छाया में. तुम उनकी वेदियों को ध्वस्त कर दोगे, उनके पूज्य खंभों को चूर-चूर कर दोगे, उनकी अशेराओं का दाह कर दोगे, उनके देवताओं की उकेरी हुई मूर्तियों को काट डालोगे और उस स्थान से उनका नाम ही मिटा दोगे.

तुम, याहवेह तुम्हारे परमेश्वर के संदर्भ में इनकी रीति के अनुसार कभी कुछ न करोगे. मगर ज़रूरी है कि तुम याहवेह की वंदना उसी स्थान पर करोगे, जो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर तुम्हारे समस्त गोत्रों को ठहराए हुए स्थानों में से चुनेंगे, कि वह वहां अपने घर के लिए अपनी प्रतिष्ठा की स्थापना करें, तुम उसी स्थान को जाओगे; तुम उसी स्थान पर अपनी होमबलि, अपनी बलियां अपने दसवां अंश, अपने कामों के दान, मन्‍नत्तों की भेंटें, स्वैच्छिक भेंटे और पशुओं और भेड़ों के पहिलौठे लेकर आओगे. वही होगा वह स्थान, जहां तुम और तुम्हारा परिवार याहवेह तुम्हारे परमेश्वर की उपस्थिति में भोजन करोगे. वहीं तुम अपनी सारी उपलब्धियों के लिए, जो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर द्वारा पूरी हुईं हैं, उल्लास करोगे.

वहां तुम ऐसा कुछ भी नहीं करोगे, जो तुम आज यहां कर रहे हो. अब तक तो तुममें से हर एक को जैसा भी सही लगता था करता जाता था, क्योंकि अब तक तुम अपने स्थायी घर, उस मीरास तक नहीं पहुंचे हो, जो याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें प्रदान कर रहे हैं, जहां तुम्हें विश्राम प्राप्‍त हो सकेगा. जब तुम यरदन नदी को पार करके उस देश में निवास करने लगो, जो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें मीरास के लिए प्रदान कर रहे हैं, जहां वह तुम्हारे सारे निकटवर्ती शत्रुओं से तुम्हें सुरक्षा प्रदान करेंगे, कि तुम्हें इस ओर से शांति प्राप्‍त हो जाए. तब वह स्थान, जो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर अपनी प्रतिष्ठा के लिए चुनेंगे—तुम वहीं वह सब लेकर आओगे, जिसका मैं तुम्हें आदेश दे चुका हूं: होमबलियां, तुम्हारी शेष बलियां, तुम्हारे दसवां अंश, तुम्हारे हाथों के अनुदान, मन्‍नतों की भेंटें और स्वैच्छिक भेंटें. तुम याहवेह अपने परमेश्वर की उपस्थिति में उल्लास करोगे; तुम, तुम्हारे पुत्र-पुत्रियां, तुम्हारे सेवक-सेविकाएं और तुम्हारे नगर की सीमा में रह रहे लेवीगोत्रज, क्योंकि तुम्हारे साथ उन्हें कुछ भी अंश अथवा मीरास बांटी नहीं गई है. सावधान रहना कि तुम अपनी इच्छा से किसी भी स्थान पर होमबलि न करने लगो; मगर तुम होमबलि उसी स्थान पर चढ़ाओगे, जो स्थान याहवेह तुममें से किसी एक गोत्र के स्थान में चुनेंगे और तुम वहीं वह सब करोगे, जिसका आदेश मैं तुम्हें दे रहा हूं.

फिर भी, तुम अपने नगर की सीमा के भीतर पशु का वध कर सकते हो, और उसके मांस का उपभोग कर सकते हो; अपनी इच्छा अनुसार, जैसा भी याहवेह तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें समर्थ बनाएं, जैसा कि उनका आशीर्वाद तुम्हारे साथ है ही; तुम चाहे सांस्कारिक रीति से शुद्ध हो अथवा अशुद्ध, तुम उसका उपभोग कर सकते हो, चाहे वह हिरण हो अथवा छोटा मृग. सिर्फ यह ध्यान रहे कि तुम इनका रक्त न खाओगे, रक्त को भूमि पर जल की तरह बहा दिया जाना ज़रूरी है. तुम्हारे अन्‍न, अंगूर के रस, तेल का दसवां अंश, भेड़-बकरी अथवा पशुओं के पहिलौठे, मन्नत की भेंट, तुम्हारी स्वैच्छिक भेंट और तुम्हारी हस्तकृति के अनुदान का उपभोग, तुम्हारी नगर सीमा के भीतर करना अनुमति नहीं है. इनका उपभोग तुम याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के सामने उसी स्थान पर करोगे, जो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर नामित करेंगे. तुम, तुम्हारी संतान, तुम्हारे सेवक-सेविकाएं और तुम्हारे नगर में निवास कर रहा लेवीगोत्रज और तुम याहवेह अपने परमेश्वर के सामने अपने सारे कामों में खुश होओगे. सावधान रहना कि तुम आजीवन अपने देश में उस लेवी को भुला न दो.

जब याहवेह तुम्हारे परमेश्वर, तुमसे की गई अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप तुम्हारी सीमा का आवर्धन करें, वहां तुम मन में इच्छा करो, “मुझे तो मांस का भोजन करना है,” तब तुम अपनी इच्छा अनुसार ऐसा भोजन अवश्य कर सकते हो. यदि वह स्थान, जिसे याहवेह तुम्हारे परमेश्वर ने अपनी प्रतिष्ठा-स्थापना के लिए चुना है, तुम्हारे लिए बहुत दूर है, तब तो तुम अपने भेड़-बकरी या पशु में से, जो तुम्हें याहवेह द्वारा ही प्रदान किया गया है. मेरे आदेश के अनुसार पशु का वध कर सकते हो, और उसका उपभोग अपने नगर की सीमा के भीतर किसी भी स्थान पर कर सकते हो. सिर्फ यह ध्यान रखना कि तुम लहू का उपभोग न करोगे, क्योंकि लहू ही जीवन है. तुम मांस के साथ जीवन को नहीं खा सकते. तुम लहू का उपभोग नहीं करोगे; तुम इसे भूमि पर जल के समान उंडेल दोगे. खुद अपने ही कल्याण के निमित्त और तुम्हारे बाद तुम्हारी संतान के लिए तुम लहू को नहीं खाओगे. यह करके तुम वह करोगे, जो याहवेह की दृष्टि में सही है.

तुम याहवेह द्वारा नामित उस स्थान पर तुम सिर्फ वे वस्तुएं लेकर जाओगे, जो तुम्हारे लिए पवित्र हैं और तुम्हारी मन्‍नत्तों से संबंधित भेंटें भी. तुम याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर की वेदी पर होमबलि, मांस और रक्त अर्पित करोगे. तुम्हारी बलियों का रक्त याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर की वेदी पर उंडेल दिया जाएगा और तुम मांस का उपभोग कर लोगे. बड़ी सावधानीपूर्वक मेरे इन आदेशों को सुनो, कि तुम्हारा और तुम्हारी संतान का भला हमेशा के लिए हो; क्योंकि ऐसा करने के द्वारा तुम वही कर रहे होगे, जो याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर की दृष्टि में सही है.

जब याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हारे सामने उन राष्ट्रों को नाश कर देंगे, जिन्हें तुम दूर करने जा रहे हो और उन्हें वंचित कर तुम उनके देश में बस जाने पर हो, सावधान रहना कि तुम्हारे सामने विनाश होने के बाद तुम उनका अनुसरण करने में उलझ न जाओ, कि उनके देवताओं के विषय में इस प्रकार पूछताछ न करने लगो, “ये राष्ट्र अपने देवताओं की उपासना किस प्रकार किया करते थे? हम भी वैसा ही करना चाहेंगे.” तुम याहवेह, अपने परमेश्वर के प्रति यह बिलकुल न करोगे, क्योंकि उन्होंने तो अपने देवताओं के लिए वह सब किया है, जो याहवेह की दृष्टि में घृणित है. वे तो अपने पुत्र-पुत्रियों तक को उन देवताओं के लिए दाह कर देते हैं.

तुम सावधानीपूर्वक इन आदेशों का पालन करना, जो मैं तुम्हें दे रहा हूं; इनमें न तो तुम कुछ भी संलग्न करोगे और न ही इसमें से कुछ निकालोगे.

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