स्तोत्र 74:10-17 HCV

स्तोत्र 74:10-17

परमेश्वर, शत्रु कब तक आपका उपहास करता रहेगा?

क्या शत्रु आपकी महिमा पर सदैव ही कीचड़ उछालता रहेगा?

आपने क्यों अपना हाथ रोके रखा है, आपका दायां हाथ?

अपने वस्त्रों में छिपे हाथ को बाहर निकालिए और कर दीजिए अपने शत्रुओं का अंत!

परमेश्वर, आप युग-युग से मेरे राजा रहे हैं;

पृथ्वी पर उद्धार के काम करनेवाले आप ही हैं.

आप ही ने अपनी सामर्थ्य से समुद्र को दो भागों में विभक्त किया था;

आप ही ने विकराल जल जंतु के सिर कुचल डाले.

लिवयाथान74:14 बड़ा मगरमच्छ हो सकता है के सिर भी आपने ही कुचले थे,

कि उसका मांस वन के पशुओं को खिला दिया जाए.

आपने ही झरने और धाराएं प्रवाहित की;

और आपने ही सदा बहने वाली नदियों को सुखा दिया.

दिन तो आपका है ही, साथ ही रात्रि भी आपकी ही है;

सूर्य, चंद्रमा की स्थापना भी आपके द्वारा की गई है.

पृथ्वी की समस्त सीमाएं आपके द्वारा निर्धारित की गई हैं;

ग्रीष्मऋतु एवं शरद ऋतु दोनों ही आपकी कृति हैं.

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