स्तोत्र 42:1-6 HCV

स्तोत्र 42:1-6

द्वितीय पुस्तक

स्तोत्र 42–72

स्तोत्र 42

संगीत निर्देशक के लिये. कोराह के पुत्रों की मसकील42:0 शीर्षक: शायद साहित्यिक या संगीत संबंधित एक शब्द गीत रचना.

जैसे हिरणी को बहते झरनों की उत्कट लालसा होती है,

वैसे ही परमेश्वर, मेरे प्राण को आपकी लालसा रहती है.

मेरा प्राण परमेश्वर के लिए, हां, जीवन्त परमेश्वर के लिए प्यासा है.

मैं कब जाकर परमेश्वर से भेंट कर सकूंगा?

दिन और रात,

मेरे आंसू ही मेरा आहार बन गए हैं.

सारे दिन लोग मुझसे एक ही प्रश्न कर रहे हैं,

“कहां है तुम्हारा परमेश्वर?”

जब मैं अपने प्राण आपके सम्मुख उंडेल रहा हूं,

मुझे उन सारी घटनाओं का स्मरण आ रहा है;

क्योंकि मैं ही परमेश्वर के भवन की ओर अग्रगामी,

विशाल जनसमूह की शोभायात्रा का अधिनायक हुआ करता था.

उस समय उत्सव के वातावरण में जय जयकार

तथा धन्यवाद की ध्वनि गूंज रही होती थी.

मेरे प्राण, तुम ऐसे खिन्‍न क्यों हो?

क्यों मेरे हृदय में तुम ऐसे व्याकुल हो गए हो?

परमेश्वर पर भरोसा रखो,

क्योंकि यह सब होने पर मैं पुनः उनकी उपस्थिति

के आश्वासन के लिए उनका स्तवन करूंगा.

मेरे परमेश्वर! मेरे अंदर खिन्‍न है मेरा प्राण;

तब मैं यरदन प्रदेश से तथा हरमोन,

मित्सार पर्वत से

आपका स्मरण करूंगा.

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