स्तोत्र 119:121-128 HCV

स्तोत्र 119:121-128

मैंने वही किया है, जो न्याय संगत तथा धर्ममय है;

मुझे सतानेवालों के सामने न छोड़ दीजिएगा.

अपने सेवक का हित निश्चित कर दीजिए;

अहंकारियों को मुझ पर अत्याचार न करने दीजिए.

आपके उद्धार की प्रतीक्षा में,

आपकी निष्ठ प्रतिज्ञाओं की प्रतीक्षा में मेरी आंखें थक चुकी हैं.

अपने करुणा-प्रेम के अनुरूप अपने सेवक से व्यवहार कीजिए

और मुझे अपने अधिनियमों की शिक्षा दीजिए.

मैं आपका सेवक हूं, मुझे समझ प्रदान कीजिए,

कि मैं आपकी विधियों को समझ सकूं.

याहवेह, आपके नियम तोड़े जा रहे हैं;

समय आ गया है कि आप अपना कार्य करें.

इसलिये कि मुझे आपके आदेश स्वर्ण से अधिक प्रिय हैं,

शुद्ध कुन्दन से अधिक,

मैं आपके उपदेशों को धर्ममय मानता हूं,

तब मुझे हर एक गलत मार्ग से घृणा है.

פ पे

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