सूक्ति संग्रह 26:3-12
जैसे घोड़े के लिए चाबुक और गधे के लिए लगाम,
वैसे ही मूर्ख की पीठ के लिए छड़ी निर्धारित है.
मूर्ख को उसकी मूर्खता के अनुरूप उत्तर न दो,
कहीं तुम स्वयं मूर्ख सिद्ध न हो जाओ.
मूर्खों को उनकी मूर्खता के उपयुक्त उत्तर दो,
अन्यथा वे अपनी दृष्टि में विद्वान हो जाएंगे.
किसी मूर्ख के द्वारा संदेश भेजना वैसा ही होता है,
जैसा अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार लेना अथवा विषपान कर लेना.
मूर्ख के मुख द्वारा निकला नीति सूत्र वैसा ही होता है,
जैसा अपंग के लटकते निर्जीव पैर.
किसी मूर्ख को सम्मानित करना वैसा ही होगा,
जैसे पत्थर को गोफन में बांध देना.
मूर्ख व्यक्ति द्वारा कहा गया नीतिवचन वैसा ही लगता है,
जैसे मद्यपि के हाथों में चुभा हुआ कांटा.
जो अनजान मूर्ख यात्री अथवा मदोन्मत्त व्यक्ति को काम पर लगाता है,
वह उस धनुर्धारी के समान है, जो बिना किसी लक्ष्य के, लोगों को घायल करता है.
अपनी मूर्खता को दोहराता हुआ व्यक्ति उस कुत्ते के समान है,
जो बार-बार अपने उल्टी की ओर लौटता है.
क्या तुमने किसी ऐसे व्यक्ति को देखा है, जो स्वयं को बुद्धिमान समझता है?
उसकी अपेक्षा एक मूर्ख से कहीं अधिक अपेक्षा संभव है.