योहन 19:1-27 HCV

योहन 19:1-27

मसीह येशु का क्रूस-मृत्युदंड

इसलिये पिलातॉस ने मसीह येशु को भीतर ले जाकर उन्हें कोड़े लगवाए. सैनिकों ने कांटों का एक मुकुट गूंथकर उनके सिर पर रखा और उनके ऊपर एक बैंगनी वस्त्र डाल दिया और वे एक-एक कर उनके सामने आकर उनके मुख पर प्रहार करते हुए कहने लगे, “यहूदियों के राजा की जय!”

पिलातॉस ने दोबारा आकर भीड़ से कहा, “देखो, मैं उसे तुम्हारे लिए बाहर ला रहा हूं कि तुम जान लो कि मुझे उसमें कोई दोष नहीं मिला.” तब कांटों का मुकुट व बैंगनी वस्त्र धारण किए हुए मसीह येशु को बाहर लाया गया और पिलातॉस ने लोगों से कहा, “देखो, इसे!”

जब प्रधान पुरोहितों और सेवकों ने मसीह येशु को देखा तो चिल्लाकर कहने लगे, “क्रूसदंड! क्रूसदंड!”

पिलातॉस ने उनसे कहा, “इसे ले जाओ और तुम ही दो इसे मृत्यु दंड क्योंकि मुझे तो इसमें कोई दोष नहीं मिला.”

यहूदी अगुओं ने उत्तर दिया, “हमारा एक नियम है. उस नियम के अनुसार इस व्यक्ति को मृत्यु दंड ही मिलना चाहिए क्योंकि यह स्वयं को परमेश्वर का पुत्र बताता है.”

जब पिलातॉस ने यह सुना तो वह और अधिक भयभीत हो गया. तब उसने दोबारा राजमहल में जाकर मसीह येशु से पूछा, “तुम कहां के हो?” किंतु मसीह येशु ने उसे कोई उत्तर नहीं दिया. इसलिये पिलातॉस ने उनसे कहा, “तुम बोलते क्यों नहीं? क्या तुम नहीं जानते कि मुझे यह अधिकार है कि मैं तुम्हें मुक्त कर दूं और यह भी कि तुम्हें मृत्यु दंड दूं?”

मसीह येशु ने उत्तर दिया, “आपका मुझ पर कोई अधिकार न होता यदि वह आपको ऊपर से न दिया गया होता. अत्यंत नीच है उसका पाप, जिसने मुझे आपके हाथ सौंपा है.”

परिणामस्वरूप पिलातॉस ने उन्हें मुक्त करने के यत्न किए किंतु यहूदी अगुओं ने चिल्ला-चिल्लाकर कहा, “यदि आपने इस व्यक्ति को मुक्त किया तो आप कयसर के मित्र नहीं हैं. हर एक, जो स्वयं को राजा दर्शाता है, वह कयसर का विरोधी है.”

ये सब सुनकर पिलातॉस मसीह येशु को बाहर लाया और न्याय आसन पर बैठ गया, जो उस स्थान पर था, (जिसे इब्री भाषा में गब्बथा अर्थात् चबूतरा कहा जाता है). यह फ़सह की तैयारी के दिन का छठा घंटा19:14 दोपहर 12 बजे था. पिलातॉस ने यहूदी अगुओं से कहा.

“यह लो, तुम्हारा राजा.”

इस पर वे चिल्लाने लगे, “इसे यहां से ले जाओ! ले जाओ इसे यहां से और मृत्यु दंड दो!”

पिलातॉस ने उनसे पूछा, “क्या मैं तुम्हारे राजा को मृत्यु दंड दूं?”

प्रधान पुरोहितों ने कहा, “कयसर के अतिरिक्त हमारा कोई राजा नहीं है.”

तब पिलातॉस ने क्रूस-मृत्युदंड के लिए मसीह येशु को उनके हाथ सौंप दिया.

क्रूस-मार्ग पर मसीह येशु

तब सैनिक मसीह येशु को उस स्थान से ले गए. मसीह येशु अपना क्रूस स्वयं उठाए हुए, उस जगह गये जो इब्री भाषा में गोलगोथा कहलाता है, जिसका अर्थ है खोपड़ी का स्थान. वहां उन्होंने मसीह येशु को अन्य दो व्यक्तियों के साथ उनके मध्य क्रूस पर चढ़ाया.

पिलातॉस ने एक पटल पर लिखकर क्रूस पर लगवा दिया.

नाज़रेथ का येशु, यहूदियों का राजा.

यह अनेक यहूदियों ने पढ़ा क्योंकि मसीह येशु को क्रूस पर चढ़ाए जाने का स्थान नगर के समीप ही था. यह इब्री, लातीनी और यूनानी भाषाओं में लिखा था. इस पर यहूदियों के प्रधान पुरोहितों ने पिलातॉस से कहा, “यहूदियों का राजा मत लिखिए परंतु वह लिखिए, जो उसने कहा था: ‘मैं यहूदियों का राजा हूं.’ ”

पिलातॉस ने उत्तर दिया, “अब मैंने जो लिख दिया, वह लिख दिया.”

सैनिकों ने मसीह येशु को क्रूसित करने के बाद उनके बाहरी कपड़े लेकर चार भाग किए और आपस में बांट लिए. उनके अंदर का वस्त्र जोड़ रहित ऊपर से नीचे तक बुना हुआ था.

इसलिये सैनिकों ने विचार किया, “इसे फाड़ें नहीं परंतु इस पर पासा फेंककर निर्णय कर लें कि यह किसको मिलेगा.”

सैनिकों ने जो किया उससे पवित्र शास्त्र का इस लेख पूरा हो गया:

“उन्होंने मेरा बाहरी कपड़ा आपस में बांट लिया,

और मेरे अंदर के वस्त्र के लिए पासा फेंका.”19:24 स्तोत्र 22:18

मसीह येशु के क्रूस के समीप उनकी माता, उनकी माता की बहन, क्लोपस की पत्नी मरियम और मगदालावासी मरियम खड़ी हुई थी. जब मसीह येशु ने अपनी माता और उस शिष्य को, जो उनका प्रियजन था, वहां खड़े देखा तो अपनी माता से बोले, “हे स्त्री! यह आपका पुत्र है.” और उस शिष्य से बोले, “यह तुम्हारी माता है.” उस दिन से वह शिष्य मरियम का रखवाला बन गया.

Read More of योहन 19