येरेमियाह 6:1-30, येरेमियाह 7:1-29 HCV

येरेमियाह 6:1-30

येरूशलेम की घेराबंदी

“बिन्यामिन के वंशजों,

अपनी सुरक्षा के लिए, येरूशलेम में से पलायन करो!

तकोआ नगर में नरसिंगा नाद किया जाए!

तथा बेथ-हक्‍केरेम में संकेत प्रसारित किया जाए!

उत्तर दिशा से संकट बड़ा है,

घोर विनाश.

ज़ियोन की सुंदर एवं सुरुचिपूर्ण,

पुत्री को मैं नष्ट कर दूंगा.

चरवाहे एवं उनकी भेड़-बकरियां उसके निकट आएंगे;

वे अपने तंबू उसके चारों ओर खड़े कर देंगे,

उनमें से हर एक अपने-अपने स्थान पर पशुओं को चराएगा.”

“उसके विरुद्ध युद्ध की तैयारी की जाए!

उठो, हम मध्याह्न के अवसर पर आक्रमण करेंगे!

धिक्कार है हम पर! दिन ढल चला है,

क्योंकि संध्या के कारण छाया लंबी होती जा रही है.

उठो, अब हम रात्रि में आक्रमण करेंगे

और हम उसके महलों को ध्वस्त कर देंगे!”

क्योंकि सेनाओं के याहवेह का यह आदेश है:

“काट डालो उसके वृक्ष

और येरूशलेम की घेराबंदी करो.

आवश्यक है कि इस नगर को दंड दिया जाए;

जिसके मध्य अत्याचार ही अत्याचार भरा है.

जिस प्रकार कुंआ अपने पानी को ढालता रहता है,

उसी प्रकार वह भी अपनी बुराई को निकालती रहती है.

उसकी सीमाओं के भीतर हिंसा तथा विध्वंस का ही उल्लेख होता रहता है;

मुझे वहां बीमारी और घाव ही दिखाई देते रहते हैं.

येरूशलेम, चेत जाओ,

ऐसा न हो कि तुम मेरे हृदय से उतर जाओ

तथा मैं तुम्हें उजाड़ स्थान बना डालूं

जहां किसी भी मनुष्य का निवास न होगा.”

यह सेनाओं के याहवेह की वाणी है:

“जैसे गिरी हुई द्राक्षा भूमि पर से एकत्र की जाती है

वैसे ही वे चुन-चुनकर इस्राएल के लोगों को एकत्र कर लेंगे;

तब द्राक्ष तोड़नेवाले के सदृश द्राक्षलता की शाखाएं टटोल लो,

कि शेष रह गई द्राक्षा को एकत्र कर सको.”

मैं किसे संबोधित करूं,

किसे यह चेतावनी सुनाऊं कि वे इस पर ध्यान दें?

आप ही देखिए उनके कान तो बंद हैं,

सुनना उनके लिए असंभव है.

यह भी देख लीजिए याहवेह का संदेश उनके लिए घृणास्पद बन चुका है;

इसमें उनको थोड़ा भी उल्लास नहीं है.

मुझमें याहवेह का कोप समाया हुआ है,

इसे नियंत्रित रखना मेरे लिए मुश्किल हुआ जा रहा है.

“अपना यह कोप गली के बालकों पर उंडेल दो

और उन एकत्र हो रहे जवानों की सभा पर;

क्योंकि पति-पत्नी दोनों ही ले जा लिए जाएंगे,

प्रौढ़ तथा अत्यंत वृद्ध भी.

उनके आवास अपरिचितों को दे दिए जाएंगे,

यहां तक कि उनकी पत्नियां एवं खेत भी,

क्योंकि मैं अपना हाथ देशवासियों के

विरुद्ध बढ़ाऊंगा,”

यह याहवेह की वाणी है.

“क्योंकि उनमें छोटे से लेकर बड़े तक,

हर एक लाभ के लिए लोभी है;

यहां तक कि भविष्यद्वक्ता से लेकर पुरोहित तक भी,

हर एक अपने व्यवहार में झूठे हैं.

उन्होंने मेरी प्रजा के घावों को

मात्र गलत उपचार किया है.

वे दावा करते रहे, ‘शांति है, शांति है,’

किंतु शांति वहां थी ही नहीं.

क्या अपने घृणास्पद कार्य के लिए उनमें थोड़ी भी लज्जा देखी गई?

निश्चयतः थोड़ी भी नहीं;

उन्हें तो लज्जा में गिर जाना आता ही नहीं.

तब उनकी नियति वही होगी जो समावेश किए जा रहे व्यक्तियों की नियति है;

जब मैं उन्हें दंड दूंगा,

घोर होगा उनका पतन,”

यह याहवेह की वाणी है.

याहवेह का संदेश यह है:

“चौराहों पर जाकर ठहरो, वहां ठहर कर अवलोकन करो;

और वहां प्राचीन काल मार्गों के विषय में ज्ञात करो,

यह पूछ लो कि कौन सा है वह सर्वोत्तम मार्ग, और उसी पर चलो,

तब तुम्हारे प्राण को चैन का अनुभव होगा.

किंतु उन्होंने कहा, ‘हम उस पथ पर नहीं चलेंगे.’

तब मैंने इस विचार से तुम पर प्रहरी नियुक्त किए,

‘नरसिंगा नाद सुनो!’

किंतु उन्होंने हठ किया, ‘हम नहीं सुनेंगे.’

इसलिये राष्ट्रों, सुनो और यह जान लो;

एकत्र जनसमूह,

तुम भी यह समझ लो कि उनकी नियति क्या होगी.

पृथ्वी, तुम सुन लो:

कि तुम इन लोगों पर लाया गया विनाश देखोगी,

यह उन्हीं के द्वारा गढ़ी गई युक्तियों का परिणाम है,

क्योंकि उन्होंने मेरे आदेश की अवज्ञा की है

तथा उन्होंने मेरे नियमों को भी ठुकरा दिया है.

क्या लाभ है उस लोहबान का जो मेरे लिए शीबा देश से लाया जाता है,

तथा दूर देश से लाए गए सुगंध द्रव्य का?

तुम्हारे बलियों से मैं खुश नहीं हूं,

न तुम्हारे अर्पण से मैं प्रसन्‍न!”

इसलिये याहवेह की यह वाणी है:

“यह देख लो कि मैं इन लोगों के पथ में ठोकर के लिए लक्षित पत्थर रख रहा हूं.

उन्हें इन पत्थरों से ठोकर लगेगी, पिता और पुत्र दोनों ही;

उनके पड़ोसी एवं उनके मित्र नष्ट हो जाएंगे.”

यह याहवेह की वाणी है:

“यह देखना, कि उत्तरी देश से

एक जनसमूह आ रहा है;

पृथ्वी के दूर क्षेत्रों में

एक सशक्त राष्ट्र तैयार हो रहा है.

वे धनुष एवं भाला छीन रहे हैं;

वे क्रूर एवं सर्वथा कृपाहीन हैं.

उनका स्वर सागर गर्जन सदृश है,

तथा वे युद्ध के लिए तैयार घुड़सवारों के सदृश आ रहे हैं.

ज़ियोन की पुत्री, तुम हो उनका लक्ष्य.”

इसकी सूचना हमें प्राप्‍त हो चुकी है,

हमारे हाथ ढीले पड़ चुके हैं.

प्रसव पीड़ा ने हमें अपने अधीन कर रखा है,

वैसी ही पीड़ा जैसी प्रसूता की होती है.

न तो बाहर खेत में जाना

न ही मार्ग पर निकल पड़ना,

क्योंकि शत्रु तलवार लिए हुए है,

सर्वत्र आतंक छाया हुआ है.

अतः मेरी पुत्री, मेरी प्रजा, शोक-वस्त्र धारण करो,

भस्म में लोटो;

तुम्हारा शोक वैसा ही हो जैसा उसका होता है

जिसने अपना एकमात्र पुत्र खो दिया है, अत्यंत गहन शोक,

क्योंकि हम पर विनाशक का आक्रमण

सहसा ही होगा.

“मैंने तुम्हें अपनी प्रजा के लिए परखने

तथा जानने के लिए पारखी नियुक्त किया है,

कि तुम उनकी जीवनशैली को

परखकर जान लो.

वे सब हठी और विद्रोही हैं,

बदनाम करते फिरते हैं.

वे ऐसे कठोर हैं जैसे कांस्य एवं लौह;

वे सबके सब भ्रष्‍ट हो चुके हैं.

धौंकनियों ने भट्टी को अत्यंत गर्म कर रखा है,

अग्नि ने सीसे को भस्म कर दिया है,

शुद्ध करने की प्रक्रिया व्यर्थ ही की जा रही है;

जिससे बुरे लोगों को अलग नहीं किया जा सका!

उन्हें खोटी चांदी कहा गया है,

क्योंकि उन्हें याहवेह ने त्याग दिया है.”

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येरेमियाह 7:1-29

झूठी आराधना की व्यर्थता

वह संदेश जो याहवेह द्वारा येरेमियाह के लिए प्रगट किया गया: “याहवेह के भवन के द्वार पर खड़े हो जाओ और वहां यह संदेश घोषित करो:

“ ‘संपूर्ण यहूदिया याहवेह का यह संदेश सुनो, तुम जो याहवेह की आराधना करने इस द्वार से प्रवेश किया करते हो. इस्राएल के परमेश्वर, स्वर्गीय याहवेह का आदेश यह है: अपने आचार-व्यवहार तथा अपने कार्यों की सुधारना करो, तब मैं तुम्हें इस स्थान पर निवास करने दूंगा. इस झूठे आश्वासन के धोखे में न रहना, “यह तो याहवेह का मंदिर है, याहवेह का मंदिर है, याहवेह का मंदिर है!” यदि तुम वास्तव में अपने आचारों को तथा कार्यों को सुधारोगे, यदि तुम एक दूसरे के साथ न्याय में व्यवहार करोगे, यदि तुम परदेशी, पितृहीन तथा विधवा पर अत्याचार न करोगे, इस स्थान पर निःसहायक का रक्तपात न करोगे और परकीय देवताओं का अनुसरण न करोगे, जो तुम्हारे अपने ही विनाश का कारण है, तब मैं तुम्हें इस स्थान पर निवास करने दूंगा, इस देश में, जो मैंने तुम्हारे पूर्वजों को सदा-सर्वदा के लिए प्रदान किया है. इस विषय पर ध्यान दो, कि तुम निरर्थक ही झूठे आश्वासनों के भरोसे पर बैठे हुए हो.

“ ‘क्या तुम चोरी, हत्या, व्यभिचार करके ओर झूठी साक्ष्य देकर, बाल को बलि अर्पित करके तथा उन परकीय देवताओं का अनुसरण करने के बाद जिन्हें तुम जानते ही नहीं, इस भवन में, जो मेरे नाम से प्रख्यात है, आकर मेरे समक्ष इसलिये खड़े होकर यह कहते, “अब हम सुरक्षित हैं”—कि तुम इन घृणित कार्यों में स्थिर बने रह सको? क्या तुम्हारी दृष्टि में यह भवन, जो मेरे नाम से प्रख्यात है, डाकुओं की गुफा बन गया है? सुनो, मैंने, हां, मैंने सब देखा है! यह याहवेह की वाणी है.

“ ‘किंतु अब तुम शीलो जाओ जो इसके पूर्व मेरी आराधना के लिए निर्धारित स्थल था, और देखो कि मैंने अपनी प्रजा इस्राएल की बुराई के कारण उसकी स्थिति कैसी बना दी है. और अब इसलिये कि तुमने ये सारे कुकृत्य किए हैं, यह याहवेह की वाणी है, मैंने तुमसे तुरंत उठकर बात की, किंतु तुमने मेरी ओर ध्यान ही न दिया; मैंने तुम्हारा आह्वान भी किया, किंतु तुमने प्रत्युत्तर ही न दिया. इसलिये मैं उस भवन के साथ जो मेरे नाम से प्रख्यात है, जिस पर तुमने अपनी आस्था रखी है तथा जो स्थान मैंने तुम्हें तथा तुम्हारे पूर्वजों को प्रदान किया है, वही करूंगा जो मैंने शीलो के साथ किया था. मैं तुम्हें अपनी दृष्टि से दूर कर दूंगा, जैसा मैंने तुम्हारे भाइयों को अपनी दृष्टि से दूर कर दिया है, अर्थात् एफ्राईम के सारे वंशजों को.’

“जहां तक तुम्हारा प्रश्न है तुम इन लोगों के लिए प्रार्थना न करो; न उनके लिए गिड़गिड़ाने दो, न प्रार्थना में मुझसे उनकी मध्यस्थता ही करो, क्योंकि मैं तुम्हारी नहीं सुनूंगा. क्या तुम्हें यह नहीं दिख रहा कि वे यहूदिया के नगरों में तथा येरूशलेम की गलियों में क्या-क्या कर रहे हैं? बालक लकड़ियां एकत्र करते हैं और पितागण आग जलाते हैं, स्त्रियां आटा गूंधती हैं कि वे स्वर्ग की रानी के लिए मिष्ठान्‍न तैयार करें. वे परकीय देवताओं को पेय बलि भी अर्पित करते हैं कि वे मेरे कोप को उकसाएं. क्या वे इसके द्वारा मेरे प्रति अपना क्रोध व्यक्त कर रहे हैं? यह याहवेह की वाणी है. यह तो वे स्वयं अपनी ही लज्जा के लिए कर रहे हैं, अपनी ही लज्जा के लिए?

“ ‘इसलिये प्रभु याहवेह का संदेश यह है: तुम देख लेना कि मेरा कोप और मेरा आक्रोश इस स्थान पर उंडेला जाएगा, चाहे मनुष्य हो अथवा पशु, मैदान के वृक्ष हों अथवा भूमि के फल, यह प्रज्वलित रहेगा तथा यह बूझ न सकेगा.

“ ‘इस्राएल के परमेश्वर, सेनाओं के याहवेह का यह आदेश है: अपनी होमबलियों के साथ अन्य बलियों को भी सम्मिलित कर लो और तुम ही उस मांस को सेवन भी कर लो! क्योंकि मिस्र देश से तुम्हारे पूर्वजों को निराश करने के अवसर पर मैंने उनसे न तो होमबलियों का और न हनन बलियों का उल्लेख किया था और न ही इनके लिए आदेश ही दिया था, किंतु मैंने उन्हें आदेश यह दिया था: मेरे आदेशों का पालन करो, तो मैं तुम्हारा परमेश्वर बना रहूंगा तथा तुम मेरी प्रजा बनी रहोगी. मेरी नीतियों का आचरण करो जिनका मैंने तुम्हें आदेश दिया है, कि तुम्हारा कल्याण हो. फिर भी उन्होंने न तो मेरे आदेशों का पालन किया, न उनकी ओर ध्यान ही दिया. उन्होंने अपने बुरे दिलों की जिद्दी इच्छा का पालन किया. तब वे आगे बढ़ने की अपेक्षा में पीछे ही हटते चले गए. जिस दिन से तुम्हारे पूर्वज मिस्र देश से निराश हुए तब से आज तक, मैंने अपने सेवक अर्थात् भविष्यवक्ताओं को दिन-प्रतिदिन तुम्हारे लिए भेजा है. फिर भी न तो उन्होंने मेरी सुनी और न ही मेरे संदेश की ओर ध्यान ही दिया. बल्कि उन्होंने अपनी गर्दन और भी अधिक कठोर बना ली, उन्होंने तो अपने पूर्वजों से भी अधिक बुरे कार्य किए.’

“अनिवार्य है कि तुम मेरा संपूर्ण वचन उनके समक्ष दोहराओ, हां, वे तुम्हारी सुनेंगे नहीं; तुम उनको आह्वान तो करोगे, किंतु वे इसका प्रत्युत्तर कदापि न देंगे. तुम्हें उनसे यह कहना होगा, ‘यह वह राष्ट्र है जिसने न तो याहवेह अपने परमेश्वर के आदेशों का पालन किया और न ही उनके द्वारा किए जा रहे आदेश को स्वीकार किया. सत्यता नष्ट हो चुकी और उनके मुख से दूर की जा चुकी है.

“ ‘अपने केश काट डालो और उन्हें फेंक दो; वनस्पतिहीन पर्वतों पर जाकर विलाप करो, क्योंकि याहवेह ने उस पीढ़ी को अस्वीकार करके उसका परित्याग कर दिया है और जिसने उनका कोप भड़काया है.

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