2 इतिहास 26:1-23, 2 इतिहास 27:1-9, 2 इतिहास 28:1-27 HCV

2 इतिहास 26:1-23

उत्सियाह यहूदिया का राजा

यहूदिया की सारी प्रजा ने सोलह साल के उज्जियाह को उसके पिता अमाज़्याह के स्थान पर राजा होने के लिए चुन लिया. उसने अपने पिता की मृत्यु के बाद एलाथ को बनवाकर उसे दोबारा यहूदिया में शामिल कर लिया.

उस समय उज्जियाह की उम्र सोलह साल थी. येरूशलेम में उसने बावन साल शासन किया. उसकी माता का नाम यकोलियाह था; वह येरूशलेमवासी थी. उज्जियाह ने अपने पिता अमाज़्याह समान वही किया, जो याहवेह की दृष्टि में सही है. ज़करयाह के जीवनकाल में परमेश्वर की खोज करता रहा. याहवेह के दर्शन के कारण ज़करयाह में समझ थी. जब तक वह याहवेह की खोज करता रहा, याहवेह उसे और बढ़ाते रहे.

उज्जियाह ने फिलिस्तीनियों पर हमला किया और गाथ, याबनेह और अशदोद की शहरपनाह गिरा दीं. अशदोद में और फिलिस्तीनियों के बीच उसने इस क्षेत्र में नगरों को बनाया. फिलिस्तीनियों और अरबियों के विरुद्ध जो गुर-बाल और मिऊनी में रहते थे, परमेश्वर ने उसकी सहायता की. अम्मोनवासी भी उज्जियाह को कर देते थे. उसका यश मिस्र की सीमा तक पहुंच गया था, क्योंकि वह बलवान हो चुका था.

इनके अलावा उज्जियाह ने येरूशलेम में कोने के फाटक और घाटी के फाटक पर पहरेदारों के लिए खंभों को बनवाया और किले की दीवारों को मजबूत बनाने के लिए उनमें गुम्मट बनवाए. बंजर भूमि में उसने पहरेदारों के खंभे खड़े किए और अनेक तालाबों को भी बनवाया, क्योंकि मैदानों में बड़ी संख्या में उसके पशु थे. पहाड़ी इलाके में उसके किसान और अंगूर के बगीचों के रखवाले थे. उसके अनेक उपजाऊ खेत भी थे, क्योंकि खेती उसे प्यारी थी.

इसके अलावा उसकी वीर सेना युद्ध के लिए तैयार रहती थी. इसको दलों के रूप में बांटा गया था. इनकी भर्ती और संगठन राजा के अधिकारी हननियाह की आज्ञा में सचिव येइएल और अधिकारी मआसेइयाह द्वारा की गई थी. हर एक गोत्र से चुने हुए बलवान वीर योद्धा थे, जिनकी कुल संख्या दो हज़ार छः सौ थी. इनके अधिकार में थी एक बड़ी सेना, जिसकी गिनती थी तीन लाख साढ़े सात हज़ार. ये राजा के विरुद्ध उठे किसी भी शत्रु पर बहुत बल से वार कर सकते थे. इसके अलावा उज्जियाह ने पूरी सेना के लिए ढालें, बर्छियों, टोप झिलम, धनुष और गोफन तैयार कर रखी थी. कुशल शिल्पियों द्वारा आविष्कार किए गए यंत्र और उपकरण उसने येरूशलेम में रखवा रखे थे. ये यंत्र पहरेदारों के मीनारों और शहरपनाह के कोनों पर बाण छोड़ने और बड़े-बड़े पत्थर फेंकने के लिए बनाए गए थे. इनके कारण उसकी ख्याति दूर-दूर तक पहुंच चुकी थी. जब तक उसमें शक्ति रही उसे अद्धुत रूप से सहायता मिलती रही.

जब वह इस प्रकार मजबूत होता गया, घमण्ड़ ने उसे आ घेरा. वह याहवेह उसके परमेश्वर के लिए सच्चा भी न रह गया. वह याहवेह के मंदिर में चला गया कि वह धूप वेदी पर धूप जलाए. इस पर पुरोहित अज़रियाह उसके पीछे-पीछे गया और उसके साथ याहवेह के अस्सी बलवान पुरोहित भी थे. उन्होंने राजा उज्जियाह को मना करते हुए कहा, “उज्जियाह, याहवेह के लिए धूप जलाना आपका काम नहीं है, यह केवल पुरोहितों के लिए ही ठहराया गया है, जो अहरोन के वंशज और धूप जलाने के लिए अलग किए हुए हैं. आप पवित्र स्थान से बाहर चले जाइए, क्योंकि आप याहवेह परमेश्वर के प्रति सच्चे नहीं रहे हैं, इसलिये आपको उनकी ओर से कोई आदर न मिलेगा.”

उज्जियाह यह सुनकर बहुत गुस्सा हो गया. धूप जलाने के लिए उसके हाथ में धूपदान था. जब वह पुरोहितों पर गुस्सा हो ही रहा था, याहवेह के भवन में धूप वेदी के निकट पुरोहितों के देखते-देखते उसके माथे पर कुष्ठ रोग हो गया. प्रमुख पुरोहित अज़रियाह और दूसरे सभी पुरोहित उसकी ओर देख रहे थे. वह माथे पर कोढ़ी हो चुका था. उन्होंने उसे बिना देर किए बाहर निकाला-वास्तव में वह खुद वहां से निकलने के लिए आतुर था, क्योंकि वह जान गया था कि उस पर याहवेह का प्रहार था.

मृत्यु तक राजा उज्जियाह कुष्ठरोगी रहा. वह एक अलग घर में रहने लगा, क्योंकि वह कुष्ठरोगी था. याहवेह के भवन में उसका जाना मना हो गया. उसका पुत्र योथाम अब राजमहल पर अधिकारी हो प्रजा का न्याय करने लगा.

शुरू से अंत तक, उज्जियाह द्वारा किए गए बाकी कामों का ब्यौरा आमोज़ के पुत्र भविष्यद्वक्ता यशायाह द्वारा किया गया है. तब उज्जियाह हमेशा के लिए अपने पूर्वजों से जा मिला. उन्होंने उसे राजाओं के लिए ठहराई गई की कब्र में गाड़ दिया, क्योंकि उन्होंने कहा वह तो कुष्ठरोगी है. उसका पुत्र योथाम उसके स्थान पर राजा हो गया.

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2 इतिहास 27:1-9

योथाम यहूदिया का राजा

जब योथाम शासन करने लगा तब उसकी उम्र पच्चीस साल थी. उसने येरूशलेम में सोलह साल शासन किया. उसकी माता का नाम येरूशा था, वह सादोक की पुत्री थी. उसने वह किया, जो याहवेह की दृष्टि में सही था, जैसा उसके पिता उज्जियाह ने किया था. हां, उसने याहवेह के मंदिर में प्रवेश नहीं किया. मगर प्रजा में भ्रष्टाचार फैला था. उसने याहवेह के भवन के ऊपरी द्वार को बनवाया. उसने शहरपनाह के उस भाग को बनवाया, जिसे ओफेल कहा जाता था. इसके अलावा उसने यहूदिया के पहाड़ी क्षेत्र में नगरों को बनवाया. उसने जंगली पहाड़ियों पर गढ़ और पहरेदारों के मीनारों को बनवाया.

उसने अम्मोनी राजा से युद्ध किया और उन पर विजयी हुआ. फलस्वरूप अम्मोनियों ने उसे उस साल साढ़े तीन हज़ार किलो चांदी, 1,800 टन गेहूं और 1,800 टन जौ भेंट और कर के रूप में दिया. यही सब अम्मोनियों ने उसे दूसरे और तीसरे साल में भी दिया.

तब योथाम बलवान हो गया क्योंकि उसने अपनी नीतियां याहवेह अपने परमेश्वर की खुशी के अनुसार बनाई थी.

योथाम के बाकी काम, उसके युद्ध, उसके दूसरे काम इस्राएल और यहूदिया के राजा नामक पुस्तक में लिखे हैं. शासन शुरू करते समय उसकी उम्र पच्चीस साल थी. उसने येरूशलेम में सोलह साल शासन किया. योथाम हमेशा के लिए अपने पूर्वजों से जा मिला. उन्होंने उसे दावीद के नगर में गाड़ दिया. उसके स्थान पर उसका पुत्र आहाज़ राजा बना.

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2 इतिहास 28:1-27

आहाज़ यहूदिया का राजा

शासन शुरू करते समय आहाज़ की उम्र बीस साल थी. येरूशलेम में उसने सोलह साल शासन किया. उसने वह नहीं किया जो याहवेह की दृष्टि में सही था, जैसा उसके पूर्वज दावीद ने किया था. वह इस्राएल के राजाओं की नीति का पालन करता रहा. उसने बाल देवताओं की मूर्तियां बनाईं. इनके अलावा; वह बेन-हिन्‍नोम घाटी में धूप जलाता था और उसने अपने पुत्रों की अग्निबलि चढ़ाई. यह उन जनताओं की घृणित प्रथाएं थी, जिन्हें याहवेह ने इस्राएल वंशजों के सामने से दूर भगाया था. वह पूजा स्थलों पर, पहाड़ियों पर और हर एक हरे वृक्ष के नीचे धूप जलाकर बलि चढ़ाता रहा.

तब याहवेह उसके परमेश्वर ने उसे अराम के राजा के अधीन कर दिया. उन्होंने उसे हरा दिया और उनमें से बड़ी संख्या में बंदी बनाए और उन्हें दमेशेक ले गए.

उसे इस्राएल के राजा के अधीन भी कर दिया गया. उसने उसे बुरी तरह से हराया. इसलिये कि उन्होंने अपने पूर्वजों के परमेश्वर याहवेह को त्याग दिया था, रेमालियाह के पुत्र पेकाह ने एक ही दिन में यहूदिया के सभी एक लाख बीस हज़ार योद्धाओं को मार गिराया. एफ्राईमी ज़ीकरी ने राजपुत्र मआसेइयाह और गृह प्रशासक अज़रीकाम का वध कर दिया और राजा के बाद के सर्वोच्च अधिकारी एलकाना का भी. इस्राएली अपने ही भाइयों के राज्य में से दो लाख पत्नियां, पुत्र और पुत्रियां बंदी बनाकर अपने साथ ले गए. इनके अलावा वे वहां से बड़ी लूट इकट्ठा कर शमरिया ले गए.

मगर वहां याहवेह का एक भविष्यद्वक्ता था-ओदेद-वह शमरिया आई हुई सेना से भेंट करने चल पड़ा. उसने उन्हें कहा, “यह समझ लो: क्योंकि याहवेह, तुम्हारे पूर्वजों के परमेश्वर यहूदिया से गुस्सा थे, उन्होंने ही इन्हें तुम्हारे अधीन कर दिया है. तुमने क्रोध में उनका संहार ऐसी क्रूरता में किया है, कि यह बात परमेश्वर के ध्यान में आ गई है. अब तुम यह विचार कर रहे हो, कि इनका दमन कर यहूदिया और येरूशलेम वासियों के पुरुष और स्त्री को दास बनाओ, क्या यह सच नहीं कि तुम भी याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के सामने अपराधी हो? इसलिये अब मेरी सुनो और इन बंदियों को, जिन्हें तुम अपने ही भाइयों में से पकड़कर ले आए हो, लौट जाने दो; क्योंकि अब याहवेह का तेज क्रोध तुम्हारे विरुद्ध भड़क रहा है.”

तब एफ्राईम के वंशजों में के कुछ प्रमुख—येहोहानन का पुत्र अज़रियाह, मेशिल्लेमोथ का पुत्र बेरेखियाह, शल्लूम का पुत्र येहिज़किय्याह और हादलाई का पुत्र अमासा-उनके विरुद्ध हो गए, जो युद्ध से लौट रहे थे. इन्होंने उनसे कहा, “सही नहीं कि तुम बंदियों को यहां लाओ. इसके द्वारा तुम याहवेह के विरुद्ध हमारे पापों को बढ़ाना चाह रहे हो. हमारा दोष इतना बड़ा है कि इस्राएल के विरुद्ध याहवेह का क्रोध दहक रहा है.”

तब योद्धाओं ने लूट की सामग्री और बंदियों को अधिकारियों और सारी सभा के सामने लाकर छोड़ दिया. तब वे लोग, जिन्हें चुना गया था, उठे, नंगे बंदियों को लूट सामग्री से निकालकर कपड़े पहनाए उन्हें जूतियां दी, उन्हें वस्त्र पहनाकर उन्हें भोजन और पानी दिया, तेल से उनका अभिषेक किया, उनके दुर्बलों को गधों पर चढ़ाया और उन्हें खजूर नगर यानी येरीख़ो तक उनके भाइयों के पास छोड़ आए फिर वे शमरिया लौट गए.

तब राजा आहाज़ ने अश्शूर के राजा से सहायता की विनती की. एक बार फिर एदोमियों ने यहूदिया पर हमला किया और बहुतों को बंदी बना लिया. फिलिस्तीनियों ने भी तराई और यहूदिया के नेगेव पर चढ़ाई करके बेथ-शेमेश, अय्जालोन, गदेरोथ और सोकोह का उसके आस-पास के गांवों सहित, तिमनाह को उसके गांवों सहित और गिमज़ो को उसके गांवों सहित कब्जे में कर लिया और वे वहीं बस भी गए. याहवेह द्वारा यहूदिया को इस दयनीय स्थिति में डाले जाने के पीछे कारण थे यहूदिया के राजा आहाज़ की याहवेह के प्रति बड़ी विश्वासहीनता और उसके द्वारा यहूदिया में लाई गई दुष्टता. तब अश्शूर का राजा तिगलथ-पलेसेर वहां आया ज़रूर, मगर उसने आहाज़ की सहायता करने की बजाय उसे सताया. यद्यपि आहाज़ ने याहवेह के भवन से, राजघराने से और प्रशासकों से धन लेकर अश्शूर के राजा को दे दी थी, इसका कोई लाभ न हुआ.

अपनी इस विपत्ति की स्थिति में यही राजा आहाज़ ने कई और बुरे पाप किये और याहवेह का और अधिक अविश्वासयोग्य बन गया. क्योंकि अब वह दमेशेक के देवताओं को बलि चढ़ाने लगा था, जो वास्तव में उसकी हार के कारण थे. वह यह विचार करने लगा, “जब ये देवता अराम के राजा की सहायता कर सकते हैं तो, वे मेरी भी सहायता करेंगे.” मगर ये ही इस्राएल के पतन का कारण ठहरे.

इसके अलावा, आहाज़ ने परमेश्वर के भवन के सब बर्तनों को इकट्ठा करके उन पात्रों के टुकड़े-टुकड़े कर दिये और याहवेह के भवन का द्वार बंद करवा दिए. उसने येरूशलेम के कोने-कोने में अपने लिए वेदियां बनवा लीं. उसने यहूदिया के हर एक नगर में वेदियों को बनवाया, कि इन पर अन्य देवताओं के लिए धूप जलाई जा सके. इसके द्वारा उसने अपने पूर्वजों के परमेश्वर, याहवेह के क्रोध को भड़का दिया.

आहाज़ के बाकी कामों और उसकी सारी नीतियों का वर्णन शुरू से अंत तक, यहूदिया और इस्राएल के राजा की पुस्तक में किया गया है. तब आहाज़ हमेशा के लिए अपने पूर्वजों से जा मिला. उन्होंने उसे येरूशलेम नगर में ही गाड़ दिया. उन्होंने उसे इस्राएल के राजाओं के लिए ठहराई गई कब्रों में जगह नहीं दी. उसके स्थान पर उसका पुत्र हिज़किय्याह राजा हुआ.

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