الْمَزْمُورُ السَّابِعُ وَالثَّمَانُونَ
مَزْمُورٌ لِبَنِي قُورَحَ. تَسْبِيحَةٌ
1أَسَّسَ اللهُ الْمَدِينَةَ عَلَى الْجِبَالِ الْمُقَدَّسَةِ. 2أَحَبَّ الرَّبُّ أَبْوَابَ صِهْيَوْنَ أَكْثَرَ مِنْ جَمِيعِ مَسَاكِنِ بَنِي يَعْقُوبَ. 3يَتَحَدَّثُونَ عَنْكِ بِأُمُورٍ مَجِيدَةٍ يَا مَدِينَةَ اللهِ.
4أَذْكُرُ مِصْرَ وَبَابِلَ بَيْنَ الَّذِينَ يَعْرِفُونَنِي، وَكَذَلِكَ فَلَسْطِينَ وَصُورَ مَعَ الْحَبَشَةِ، فَيَقُولُونَ: هَذَا وُلِدَ فِي صِهْيَوْنَ. 5حَقّاً عَنْ صِهْيَوْنَ يَقُولُونَ: «هَذَا الإِنْسَانُ وَهَذَا الإِنْسَانُ وُلِدَ فِيهَا، وَالْعَلِيُّ يُثَبِّتُهَا». 6يُدَوِّنُ الرَّبُّ فِي سِجِلِّ إِحْصَاءِ الشُّعُوبِ أَنَّ هَذَا وُلِدَ هُنَاكَ. 7الْمُرَنِّمُونَ وَالْعَازِفُونَ عَلَى السَّوَاءِ يَقُولُونَ: «فِيكِ كُلُّ يَنَابِيعِ سُرُورِي».
स्तोत्र 87
कोराह के पुत्रों की रचना. एक स्तोत्र. एक गीत.
1पवित्र पर्वत पर उन्होंने अपनी नींव डाली है;
2याकोब के समस्त आवासों की अपेक्षा,
याहवेह को ज़ियोन के द्वार कहीं अधिक प्रिय हैं.
3परमेश्वर के नगर,
तुम्हारे विषय में यशस्वी बातें लिखी गई हैं,
4“अपने परिचितों के मध्य मैं
राहाब87:4 राहाब मिस्र देश के लिए एक काव्य नाम और बाबेल का लेखा करूंगा,
साथ ही फिलिस्तिया, सोर और कूश87:4 कूश यानी इथियोपिया का भी,
और फिर मैं कहूंगा, ‘यही है वह, जिसकी उत्पत्ति ज़ियोन में हुई है.’ ”
5ज़ियोन के विषय में यही घोषणा की जाएगी,
“इसका भी जन्म ज़ियोन में हुआ और उसका भी,
सर्वोच्च परमेश्वर ही ने ज़ियोन को बसाया है.”
6याहवेह अपनी प्रजा की गणना करते समय लिखेगा:
“इसका जन्म ज़ियोन में हुआ था.”
7संगीत की संगत पर वे गाएंगे,
“तुम्हीं में मेरे आनंद का समस्त उगम हैं.”