مزمور 2 – NAV & HCV

New Arabic Version

مزمور 2:1-12

الْمَزْمُورُ الثَّانِي

1لِمَاذَا ضَجَّتِ الأُمَمُ؟ وَلِمَاذَا تَتَآمَرُ الشُّعُوبُ بَاطِلاً 2اجْتَمَعَ مُلُوكُ الأَرْضِ وَرُؤَسَاؤُهَا، وَتَحَالَفُوا لِيُقَاوِمُوا الرَّبَّ وَمَسِيحَهُ، قَائِلِينَ: 3«لِنُحَطِّمْ عَنَّا قُيُودَهُمَا، وَنَتَحَرَّرْ مِنْ نِيرِ عُبُودِيَّتِهِمَا». 4لَكِنَّ الْجَالِسَ عَلَى عَرْشِهِ فِي السَّمَاوَاتِ يَضْحَكُ. الرَّبُّ يَسْتَهْزِئُ بِهِمْ. 5عِنْدَئِذٍ يُنْذِرُهُمْ فِي حُمُوِّ غَضَبِهِ، وَيُرَوِّعُهُمْ بِشِدَّةِ سَخَطِهِ، 6قَائِلاً: «أَمَّا أَنَا فَقَدْ مَسَحْتُ مَلِكِي، وَأَجْلَسْتُهُ عَلَى صِهْيَوْنَ، جَبَلِي الْمُقَدَّسِ».

7وَهَا أَنَا أُعْلِنُ مَا قَضَى بِهِ الرَّبُّ: قَالَ لِيَ الرَّبُّ: «أَنْتَ ابْنِي، أَنَا اليَوْمَ وَلَدْتُكَ. 8اطْلُبْ مِنِّي فَأُعْطِيَكَ الأُمَمَ مِيرَاثاً، وَأَقَاصِيَ الأَرْضِ مُلْكاً لَكَ. 9فَتُكَسِّرَهُمْ بِقَضِيبٍ مِنْ حَدِيدٍ، وَتُحَطِّمَهُمْ كَآنِيَةِ الْفَخَّارِ».

10وَالآنَ تَعَقَّلُوا أَيُّهَا الْمُلُوكُ، وَاحْذَرُوا يَا حُكَّامَ الأَرْضِ. 11اعْبُدُوا الرَّبَّ بِخَوْفٍ، وَابْتَهِجُوا بِرِعْدَةٍ. 12قَبِّلُوا الابْنَ لِئَلّا يَغْضَبَ، فَتَهْلِكُوا فِي الطَّرِيقِ، لِئَلّا يَتَوَهَّجَ غَضَبُهُ سَرِيعاً. طُوبَى لِجَمِيعِ الْمُتَّكِلِينَ عَلَيْهِ.

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 2:1-12

स्तोत्र 2

1क्यों मचा रहे हैं राष्ट्र यह खलबली?

क्यों देश-देश जुटे हैं विफल षड़्‍यंत्र की रचना में?

2याहवेह तथा उनके अभिषिक्त के विरोध में

संसार के राजाओं ने एका किया है

एकजुट होकर शासक सम्मति कर रहे हैं:

3“चलो, तोड़ फेंकें उनके द्वारा डाली गई ये बेड़ियां,

उतार डालें उनके द्वारा बांधी गई ये रस्सियां.”

4वह, जो स्वर्गिक सिंहासन पर विराजमान हैं,

उन पर हंसते हैं, प्रभु उनका उपहास करते हैं.

5तब वह उन्हें अपने प्रकोप से डराकर अपने रोष में

उन्हें संबोधित करते हैं,

6“अपने पवित्र पर्वत ज़ियोन पर स्वयं

मैंने अपने राजा को बसा दिया है.”

7मैं याहवेह की राजाज्ञा की घोषणा करूंगा:

उन्होंने मुझसे कहा है, “तुम मेरे पुत्र हो;

आज मैं तुम्हारा जनक हो गया हूं.

8मुझसे मांगो,

तो मैं तुम्हें राष्ट्र दे दूंगा तथा संपूर्ण पृथ्वी को

तुम्हारी निज संपत्ति बना दूंगा.

9तुम उन्हें लोहे के छड़ से टुकड़े-टुकड़े कर डालोगे;

मिट्टी के पात्रों समान चूर-चूर कर दोगे.”

10तब राजाओ, बुद्धिमान बनो;

पृथ्वी के न्यायियों, सचेत हो जाओ.

11श्रद्धा भाव में याहवेह की आराधना करो;

थरथराते हुए आनंद मनाओ.

12पूर्ण सच्चाई में पुत्र को सम्मान दो, ऐसा न हो कि वह क्रोधित हो जाए

और तुम मार्ग में ही नष्ट हो जाओ,

क्योंकि उसका क्रोध शीघ्र भड़कता है.

धन्य होते हैं वे सभी, जो उनका आश्रय लेते हैं.