مزمور 14 – NAV & HCV

New Arabic Version

مزمور 14:1-7

الْمَزْمُورُ الرَّابِعَ عَشَرَ

لِقَائِدِ الْمُنْشِدِينَ. مَزْمُورٌ لِدَاوُدَ

1قَالَ الْجَاهِلُ فِي قَلْبِهِ: لَا يُوجَدُ إِلَهٌ! قَدْ فَسَدَ الْبَشَرُ وَارْتَكَبُوا الْمُوبِقَاتِ، وَلَيْسَ بَيْنَهُمْ مَنْ يَعْمَلُ الصَّلاحَ. 2أَشْرَفَ الرَّبُّ عَلَى بَنِي آدَمَ لِيَرَى هَلْ هُنَاكَ أَيُّ فَاهِمٍ يَطْلُبُ اللهَ؟ 3فَإِذَا الْجَمِيعُ قَدْ ضَلُّوا عَلَى السَّوَاءِ. كُلُّهُمْ فَسَدُوا، وَلَيْسَ بَيْنَهُمْ مَنْ يَعْمَلُ الصَّلاحَ، وَلَا وَاحِدٌ.

4أَلَيْسَ لَدَى جَمِيعِ فَاعِلِي الإِثْمِ مَعْرِفَةٌ؟ أُولَئِكَ الَّذِينَ يَأْكُلُونَ شَعْبِي كَمَا يَأْكُلُونَ خُبْزاً، وَلَا يَطْلُبُونَ الرَّبَّ. 5هُنَاكَ اسْتَوْلَى عَلَيْهِمْ خَوْفٌ عَظِيمٌ، لأَنَّ اللهَ فِي جَمَاعَةِ الأَبْرَارِ. 6تُسَفِّهُونَ رَأْيَ الْمِسْكِينِ، لأَنَّهُ جَعَلَ اللهَ مَلْجَأَهُ. 7لَيْتَ مِنْ صِهْيَوْنَ خَلاصَ إِسْرَائِيلَ. عِنْدَمَا يَرُدُّ الرَّبُّ سَبْيَ شَعْبِهِ، يَبْتَهِجُ يَعْقُوبُ، وَيَفْرَحُ بَنُو إِسْرَائِيلَ.

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 14:1-7

स्तोत्र 14

संगीत निर्देशक के लिये. दावीद की रचना

1मूर्ख14:1 मूर्ख स्तोत्र संहिता के मुताबिक वह जिसमें नैतिकता की कमी है मन ही मन में कहते हैं,

“परमेश्वर है ही नहीं.”

वे सभी भ्रष्‍ट हैं और उनके काम घिनौने हैं;

ऐसा कोई भी नहीं, जो भलाई करता हो.

2स्वर्ग से याहवेह

मनुष्यों पर दृष्टि डालते हैं

इस आशा में कि कोई तो होगा, जो बुद्धिमान है,

जो परमेश्वर की खोज करता हो.

3सभी मनुष्य भटक गए हैं, सभी नैतिक रूप से भ्रष्‍ट हो चुके हैं;

कोई भी सत्कर्म परोपकार नहीं करता,

हां, एक भी नहीं.

4मेरी प्रजा के ये भक्षक, ये दुष्ट पुरुष, क्या ऐसे निर्बुद्धि हैं?

जो उसे ऐसे खा जाते हैं, जैसे रोटी को;

क्या उन्हें याहवेह की उपासना का कोई ध्यान नहीं?

5वहां वे अत्यंत घबरा गये हैं,

क्योंकि परमेश्वर धर्मी पीढ़ी के पक्ष में होते हैं.

6तुम दुःखित को लज्जित करने की युक्ति कर रहे हो,

किंतु उनका आश्रय याहवेह हैं.

7कैसा उत्तम होता यदि इस्राएल का उद्धार ज़ियोन से प्रगट होता!

याकोब के लिए वह हर्षोल्लास का अवसर होगा,

जब याहवेह अपनी प्रजा को दासत्व से लौटा लाएंगे, तब इस्राएल आनंदित हो जाएगा!