صموئيل الأول 21 – NAV & HCV

New Arabic Version

صموئيل الأول 21:1-15

داود في نوب

1وَقَدِمَ دَاوُدُ إِلَى أَخِيمَالِكَ الْكَاهِنِ فِي نُوبٍ، فَارْتَعَدَ أَخِيمَالِكُ عِنْدَ لِقَاءِ دَاوُدَ وَسَأَلَهُ: «مَالِي أَرَاكَ وَحْدَكَ وَلَيْسَ مَعَكَ أَحَدٌ؟». 2فَأَجَابَهُ دَاوُدُ: «كَلَّفَنِي الْمَلِكُ بِمُهِمَّةٍ وَأَمَرَنِي أَنْ أَكْتُمَ الأَمْرَ فَلا أُخْبِرَ بِهِ أَحَداً، وَأَمَّا رِجَالِي فَقَدِ اتَّفَقْتُ مَعَهُمْ عَلَى مُقَابَلَتِي فِي مَكَانٍ مُعَيَّنٍ. 3وَالآنَ مَاذَا عِنْدَكَ مِنَ الطَّعَامِ؟ أَعْطِنِي خَمْسَةَ أَرْغِفَةٍ أَوْ مَا يَتَوَافَرُ لَدَيْكَ». 4فَأَجَابَ الْكَاهِنُ: «لَيْسَ عِنْدِي خُبْزٌ عَادِيٌّ، وَإِنَّمَا خُبْزٌ مُقَدَّسٌ، يُمْكِنُ لِرِجَالِكَ أَنْ يَأْكُلُوا مِنْهُ شَرِيطَةَ أَنْ يَكُونُوا قَدْ حَفِظُوا أَنْفُسَهُمْ طَاهِرِينَ وَلاسِيَّمَا مِنَ النِّسَاءِ». 5فَقَالَ دَاوُدُ لِلْكَاهِنِ: «إِنَّ النِّسَاءَ قَدْ مُنِعْنَ عَنَّا مُنْذُ أَمْسِ وَمَا قَبْلُ، كَمَا هِي الْعَادَةُ عِنْدَ خُرُوجِي فِي مُهِمَّةٍ، أَمَّا أَمْتِعَتُهُمْ فَهِيَ دَائِماً طَاهِرَةٌ، حَتَّى فِي أَثْنَاءِ تَنْفِيذِ الْمُهِمَّاتِ الْعَادِيَّةِ. فَكَمْ بِالْحَرِيِّ إِنْ كَانَتِ الْمُهِمَّةُ مُقَدَّسَةً؟» 6فَأَعْطَاهُ الْكَاهِنُ الْخُبْزَ الْمُقَدَّسَ إِذْ لَمْ يَكُنْ لَدَيْهِ سِوَى خُبْزِ الْوُجُوهِ الْمَرْفُوعِ مِنْ أَمَامِ الرَّبِّ لِكَي يُسْتَبْدَلَ بِخُبْزٍ سَاخِنٍ فِي الْيَوْمِ الَّذِي يُرْفَعُ فِيهِ. 7وَكَانَ هُنَاكَ رَجُلٌ مِنْ خَدَمِ شَاوُلَ مُعْتَكِفاً فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ أَمَامَ الرَّبِّ، يُدْعَى دُوَاغَ الأَدُومِيَّ، رَئِيسَ رُعَاةِ شَاوُلَ.

8وَسَأَلَ دَاوُدُ أَخِيمَالِكَ: «أَلا يُوْجَدُ لَدَيْكَ رُمْحٌ أَوْ سَيْفٌ، لأَنَّنِي لَمْ أَتَقَلَّدْ سَيْفِي أَوْ أَحْمِلْ سِلاحِي، إِذْ إِنَّ أَمْرَ الْمَلِكِ كَانَ مُلِحّاً». 9فَأَجَابَ الْكَاهِنُ: «عِنْدِي سَيْفُ جُلْيَاتَ الْفِلِسْطِينِيِّ الَّذِي قَتَلْتَهُ فِي وَادِي الْبُطْمِ، وَهَا هُوَ مَلْفُوفٌ فِي ثَوْبٍ خَلْفَ الأَفُودِ. فَإِنْ شِئْتَ أَنْ تَأْخُذَهُ فَافْعَلْ، لأَنَّهُ لَيْسَ عِنْدِي سِوَاهُ هُنَا». فَقَالَ دَاوُدُ: «لَيْسَ لَهُ مَثِيلٌ، أَعْطِنِي إِيَّاهُ».

داود في جت

10فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ هَرَبَ دَاوُدُ مِنْ أَمَامِ شَاوُلَ وَلَجَأَ إِلَى أَخِيشَ مَلِكِ جَتَّ. 11فَقَالَ رِجَالُ حَاشِيَةِ أَخِيشَ لَهُ: «أَلَيْسَ هَذَا دَاوُدَ مَلِكَ بِلادِهِ؟ أَلَيْسَ هَذَا الَّذِي أَنْشَدَتْ لَهُ النِّسَاءُ رَاقِصَاتٍ قَائِلاتٍ: قَتَلَ شَاوُلُ أُلُوفاً وَقَتَلَ دَاوُدُ عَشَرَاتِ الأُلُوفِ؟» 12فَكَتَمَ دَاوُدُ هَذَا الْكَلامَ فِي نَفْسِهِ وَتَوَلّاهُ خَوْفٌ شَدِيدٌ مِنْ أَخِيشَ مَلِكِ جَتَّ، 13وَتَظَاهَرَ أَمَامَهُمْ أَنَّهُ مُصَابٌ بِعَقْلِهِ، وَرَاحَ يُخَرْبِشُ عَلَى الْبَابِ وَتَرَكَ لُعَابَهُ يَسِيلُ عَلَى لِحْيَتِهِ. 14فَقَالَ أَخِيشُ لِقَوْمِهِ: «أَلا تَرَوْنَ أَنَّ الرَّجُلَ مَجْنُونٌ، فَلِمَاذَا جِئْتُمْ بِهِ إِلَيَّ؟ 15أَلا يَكْفِينِي مَا عِنْدِي مِنْ مَجَانِينَ حَتَّى أَتَيْتُمْ بِهَذَا لِكَيْ يُظْهِرَ جُنُونَهُ عَلَيَّ؟ أَيَدْخُلُ هَذَا بَيْتِي؟».

Hindi Contemporary Version

1 शमुएल 21:1-15

दावीद नोब नगर में

1वहां से दावीद नोब नगर में पुरोहित अहीमेलेख से भेंटकरने पहुंचे, बहुत ही भयभीत अहीमेलेख कांपते हुए दावीद से भेंटकरने आए और उनसे प्रश्न किया, “आप अकेले! और कोई नहीं है आपके साथ?”

2दावीद ने पुरोहित अहीमेलेख को उत्तर दिया, “राजा ने मुझे एक विशेष काम सौंपा है, और उनका ही आदेश है, ‘जिस काम के लिए तुम भेजे जा रहे हो, और जो निर्देश तुम्हें दिए जा रहे हैं, उनके विषय में किसी को कुछ ज्ञात न होने पाए’ मैंने सैनिकों को विशेष स्थान पर मिलने के आदेश दे दिए हैं. 3अब बताइए, आपके पास भोज्य क्या-क्या है? मुझे कम से कम पांच रोटियां चाहिए, या जो कुछ इस समय आपके पास है.”

4पुरोहित ने दावीद को उत्तर दिया, “साधारण रोटी तो इस समय मेरे पास है नहीं—हां, आप वेदी पर समर्पित रोटियां अवश्य ले सकते हैं, यदि आपके सैनिक ठहराए गए समय से स्त्री संबंध से दूर रहे हैं.”

5दावीद ने पुरोहित को आश्वासन दिया, “निःसंदेह! जब कभी मैं अभियान पर निकलता हूं, स्त्रियां हमसे दूर ही रखी जाती हैं. साधारण काम के लिए जाते समय भी सैनिकों की देह पवित्र रखी जाती है, यह तो एक विशेष अभियान है!” 6तब पुरोहित ने उन्हें समर्पित पवित्र रोटियां दे दीं, क्योंकि वहां समर्पित रोटियों के अलावा और कोई रोटी थी ही नहीं. इन रोटियों को याहवेह के सामने से हटा लिया जाता है, जिस समय गर्म नयी रोटियां वेदी पर भेंट की जाती हैं.

7उस समय शाऊल का एक सेवक उसी स्थान पर उपस्थित था, जिसे याहवेह के सामने रोका गया था; वह एदोमवासी था तथा उसका नाम दोएग था, वह शाऊल के चरवाहों का प्रधान था.

8तब दावीद ने अहीमेलेख से प्रश्न किया, “क्या आपके पास यहां कोई तलवार या बर्छी है? इस समय मेरे पास न तो अपनी तलवार है और न ही कोई दूसरा हथियार क्योंकि राजा के निर्देश कुछ ऐसे थे.”

9पुरोहित ने उत्तर दिया, “एफ़ोद के पीछे कपड़े में लिपटी हुई फिलिस्तीनी गोलियथ की तलवार रखी हुई है. यह वही गोलियथ है, जिसका आपने एलाह की घाटी में संहार किया था. आप चाहें तो इसे ले सकते हैं.”

दावीद ने उनसे कहा, “उससे अच्छा हथियार भला, क्या हो सकता है; यह मुझे दे दीजिए.”

दावीद का गाथ में प्रवेश

10और दावीद वहां से भी चले गए. शाऊल से दूर भागते हुए वह गाथ के राजा आकीश के यहां जा पहुंचे. 11आकीश के अधिकारियों में कौतुहल उत्पन्‍न हो गया था: “क्या यह दावीद, अपने ही देश का राजा नहीं है? यही तो वह व्यक्ति है, जिसके विषय में स्त्रियों ने नृत्य करते हुए प्रशंसागीत गाया था:

“ ‘शाऊल ने हज़ार शत्रुओं का संहार किया,

मगर दावीद ने दस हज़ारों का’?”

12उनके इन शब्दों पर गंभीरता पूर्वक विचार करने पर दावीद गाथ के राजा आकीश से बहुत ही डर गए. 13तब उनकी उपस्थिति में दावीद ने पागल व्यक्ति का नाटक करना शुरू कर दिया, क्योंकि इस समय वह उनके राज्य की सीमा में थे. वह द्वार की लकड़ी खरोंचने लगे और अपनी लार को दाढ़ी पर बह जाने दिया.

14यह देख आकीश ने अपने सेवकों से कहा, “देख रहे हो कि यह व्यक्ति पागल है! क्यों इसे यहां आने दिया गया है? 15क्या मेरे पास पागलों की कमी हो गई है, कि मेरे पास इस पागल को ले आए हो? क्या इसे मेरे पास इसलिये ले आए हो कि मैं इसे अपना मेहमान बना लूं?”