حزقيال 45 – NAV & HCV

New Arabic Version

حزقيال 45:1-25

استرداد إسرائيل كاملة

1وَحِينَ تَقْسِمُونَ الأَرْضَ مِيرَاثاً تُخَصِّصُونَ مِنْهَا تَقْدِمَةً مُقَدَّسَةً لِلرَّبِّ، طُولُهَا خَمْسَةٌ وَعِشْرُونَ أَلْفَ ذِرَاعٍ (نَحْوَ اثْنَيْ عَشَرَ كِيلُومِتْراً وَنِصْفٍ)، وَعَرْضُهَا عَشْرَةُ آلافِ ذِرَاعٍ (نَحْوَ خَمْسَةِ كِيلُومِتْرَاتٍ) فَتَكُونُ مُقَدَّسَةً عَلَى امْتِدَادِ طُولِ تُخُومِهَا. 2وَتَفْرِزُونَ مِنْ هَذِهِ الأَرْضِ قِطْعَةً مُرَبَّعَةً طُولُهَا خَمْسُ مِئَةِ ذِرَاعٍ (نَحْوَ مِئَتَيْنِ وَخَمْسِينَ مِتْراً)، وَكَذَلِكَ عَرْضُهَا، فَتَكُونُ لِبِنَاءِ الْمَقْدِسِ. كَمَا تُخَصِّصُونَ لِلسَّاحَةِ الْمَكْشُوفَةِ الْمُحِيطَةِ بِهِ قِطْعَةً أُخْرَى يَبْلُغُ عَرْضُهَا مِنْ كُلِّ جَانِبٍ خَمْسِينَ ذِرَاعاً (نَحْوَ خَمْسَةٍ وَعِشْرِينَ مِتْراً). 3وَيَكُونُ الْمَقْدِسُ، قُدْسُ الأَقْدَاسِ ضِمْنَ قِطْعَةِ أَرْضٍ يَبْلُغُ طُولُهَا خَمْسَةً وَعِشْرِينَ أَلْفَ ذِرَاعٍ (نَحْوَ اثْنَيْ عَشَرَ كِيلُومِتْراً وَنِصْفٍ)، وَعَرْضُهَا عَشَرَةَ آلافِ ذِرَاعٍ (نَحْوَ خَمْسَةِ كِيلُومِتْرَاتٍ). 4وَتَكُونُ قِطْعَةٌ مُخَصَّصَةً مُقَدَّسَةً لِلْكَهَنَةِ خُدَّامِ الْمَقْدِسِ الْمُقْتَرِبِينَ لِخِدْمَةِ الرَّبِّ، وَمَوْقِعاً لإِقَامَةِ مَنَازِلِهِمْ وَمَوْضِعاً لِبِنَاءِ الْمَقْدِسِ. 5وَتَفْرِزُ قِطْعَةً أُخْرَى لِلّاوِيِّينَ طُولُهَا خَمْسَةٌ وَعِشْرُونَ أَلْفَ ذِرَاعٍ (نَحْوَ اثْنَيْ عَشَرَ كِيلُومِتْراً وَنِصْفٍ) وَعَرْضُهَا عَشَرَةُ آلافِ ذِرَاعٍ (نَحْوَ خَمْسَةِ كِيلُومِتْرَاتٍ)، تَكُونُ مِلْكاً لَهُمْ يُقِيمُونَ عَلَيْهَا مَنَازِلَهُمْ.

6وَتُقْسِطُونَ لِلْمَدِينَةِ قِطْعَةَ أَرْضٍ عَرْضُهَا خَمْسَةُ آلافِ ذِرَاعٍ (نَحْوَ كِيلُو مِتْرَيْنِ وَنِصْفِ الْكِيلُومِتْرِ)، وَطُولُهَا خَمْسَةٌ وَعِشْرُونَ أَلْفَ ذِرَاعٍ (نَحْوَ اثْنَيْ عَشَرَ كِيلُومِتْراً وَنِصْفٍ)، مُوَازِيَةً لِلتَّقْدِمَةِ الْمُقَدَّسَةِ، فَتَكُونُ لِكُلِّ شَعْبِ إِسْرَائِيلَ.

7وَتُخَصَّصُ لِلرَّئِيسِ قِطْعَتَا أَرْضٍ عَلَى جَانِبَيْ تَقْدِمَةِ الْقُدْسِ وَأَمْلاكِ الْمَدِينَةِ مِنَ الشَّرْقِ وَمِنَ الْغَرْبِ، وَيَكُونُ طُولُهَا مُوَازِياً لِطُولِ تُخُومِ تَقْدِمَةِ الْقُدْسِ وَأَمْلاكِ الْمَدِينَةِ فِي الْجِهَتَيْنِ. 8فَتَكُونُ هَذِهِ الأَرْضُ مِلْكاً لَهُ، فَلا يَعُودُ رُؤَسَائِي يَغْتَصِبُونَ أَمْلاكَ شَعْبِي، بَلْ يُعْطُونَ سَائِرَ الأَرْضِ لِشَعْبِ إِسْرَائِيلَ بِحَسَبِ أَسْبَاطِهِمْ.

9وَهَذَا مَا يُعْلِنُهُ السَّيِّدُ الرَّبُّ، حَسْبُكُمْ يَا رُؤَسَاءَ إِسْرَائِيلَ، تَوَقَّفُوا عَنِ الظُّلْمِ وَالاغْتِصَابِ، وَاحْكُمُوا بِالْحَقِّ وَالإِنْصَافِ، وَكُفُّوا عَنْ ظُلْمِ شَعْبِي يَقُولُ السَّيِّدُ الرَّبُّ.

10لِتَكُنْ لَكُمْ مَوَازِينُ عَادِلَةٌ وَإِيفَةُ حَقٍّ وَبَثُّ حَقٍّ. 11فَتَكُونُ الإِيفَةُ وَالْبَثُّ مُتَسَاوِيَتَيْنِ فِي الْمِقْدَارِ، وَتَسَعُ كُلٌّ مِنْهُمَا عُشْرَ الْحُومَرِ. وَيَكُونُ الْحُومَرُ هُوَ الْمِكْيَالُ الْمُعْتَمَدُ. 12وَيَكُونُ الشَّاقِلُ مُعَادِلاً لِعِشْرِينَ جِيَرَةً، فَتَكُونُ قِيمَةُ الْخَمْسَةِ الشَّوَاقِلِ خَمْسَةَ شَوَاقِلَ، وَقِيمَةُ الْعَشَرَةِ الشَّوَاقِلِ عَشَرَةَ شَوَاقِلَ، وَقِيمَةُ الْمَنِّ خَمْسِينَ شَاقِلاً.

التقدمات والأعياد

13وَهَذِهِ هِيَ التَّقْدِمَةُ الَّتِي تُقَدِّمُونَهَا: سُدْسُ الإِيفَةِ مِنَ الحِنْطَةِ (نَحْوَ ثَلاثَةِ لِتْرَاتٍ وَثُلْثَيِّ اللِّتْرِ) لِقَاءَ كُلِّ حُومَرِ حِنْطَةٍ وَسُدْسُ الإِيفَةِ مِنَ الشَّعِيرِ لِقَاءَ كُلِّ حُومَرِ شَعِيرٍ 14أَمَّا فَرِيضَةُ الزَّيْتِ فَتُقَدِّمُونَ بَثّاً لِقَاءَ كُلِّ كُرٍّ، وَالْكُرُّ يُسَاوِي حُومَراً، وَهُوَ يُعَادِلُ عَشَرَةَ أَبْثَاثٍ أَيْضاً. 15وَشَاةً وَاحِدَةً مِنَ الضَّأْنِ مِنْ كُلِّ قَطِيعٍ فِيهِ مِئَتَانِ مِنَ الضَّأْنِ مُنْتَجَةٍ مِنْ مَرَاعِي إِسْرَائِيلَ الْخَصِيبَةِ. هَذِهِ هِيَ تَقْدِمَةُ الْحُبُوبِ وَالْمُحْرَقَةِ وَذَبَائِحِ السَّلامِ لِلتَّكْفِيرِ عَنْهُمْ يَقُولُ السَّيِّدُ الرَّبُّ. 16أَمَّا تَقْدِمَةُ الرَّئِيسِ مِنَ الْحُبُوبِ فِي إِسْرَائِيلَ فَهِيَ فَرِيضَةٌ عَلَى كُلِّ شَعْبِ الأَرْضِ. 17وَعَلَى الرَّئِيسِ تَكُونُ قَرَابِينُ الْمُحْرَقَاتِ وَتَقْدِمَاتُ الدَّقِيقِ وَسَكِيبُ الْخَمْرِ فِي الأَعْيَادِ وَرُؤُوسِ الشُّهُورِ وَأَيَّامِ السُّبُوتِ، وَفِي كُلِّ مَوَاسِمِ احْتِفَالاتِ شَعْبِ إِسْرَائِيلَ، إِذْ عَلَيْهِ أَنْ يُقَدِّمَ ذَبِيحَةَ الْخَطِيئَةِ وَتَقْدِمَةَ الدَّقِيقِ وَذَبِيحَةَ الْمُحْرَقَةِ وَذَبَائِحَ السَّلامِ لِلتَّكْفِيرِ عَنْ شَعْبِ إِسْرَائِيلَ.

18وَهَذَا مَا يُعْلِنُهُ السَّيِّدُ الرَّبُّ: فِي الْيَوْمِ الأَوَّلِ مِنَ الشَّهْرِ الأَوَّلِ تَأْخُذُ ثَوْراً سَلِيماً وَتُطَهِّرُ الْمَقْدِسَ بِدَمِهِ. 19وَيَتَنَاوَلُ الْكَاهِنُ مِنْ دَمِ ذَبِيحَةِ الْخَطِيئَةِ، وَيَضَعُ مِنْهُ عَلَى قَوَائِمِ الْهَيْكَلِ وَعَلَى أَرْبَعِ زَوَايَا رَفِّ الْمَذْبَحِ، وَعَلَى قَوَائِمِ بَابِ السَّاحَةِ الدَّاخِلِيَّةِ. 20وَتَقُومُ بِمِثْلِ ذَلِكَ أَيْضاً فِي الْيَوْمِ السَّابِعِ مِنَ الشَّهْرِ، عَنْ كُلِّ مَنْ ضَلَّ سَهْواً أَوْ جَهْلاً، فَتُكَفِّرُونَ عَنِ الْهَيْكَلِ. 21وَفِي الْيَوْمِ الرَّابِعَ عَشَرَ مِنَ الشَّهْرِ الأَوَّلِ تَحْتَفِلُونَ بِالْفِصْحِ، فَتَأْكُلُونَ فَطِيراً لِمُدَّةِ سَبْعَةِ أَيَّامٍ. 22وَيُقَرِّبُ الرَّئِيسُ فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ عَنْ نَفْسِهِ وَعَنْ سَائِرِ شَعْبِ الأَرْضِ ثَوْراً لِيَكُونَ ذَبِيحَةَ خَطِيئَةٍ، 23كَمَا يُقَرِّبُ فِي كُلِّ يَوْمٍ مِنْ سَبْعَةِ أَيَّامِ الْعِيدِ مُحْرَقَةً لِلرَّبِّ مِنْ سَبْعَةِ ثِيرَانٍ وَسَبْعَةِ كِبَاشٍ سَلِيمَةٍ، وَتَيْسٍ مِنَ الْمَعْزِ لِيَكُونَ ذَبِيحَةَ خَطِيئَةٍ. 24أَمَّا تَقْدِمَةُ الدَّقِيقِ الَّتِي يُقَرِّبُهَا فَتَكُونُ إِيفَةً (نَحْوَ اثْنَيْنِ وَعِشْرِينَ لِتْراً) عَنْ كُلِّ ثَوْرٍ، وَأَيْضاً عَنْ كُلِّ كَبْشٍ، وَهِيناً (نَحْوَ أَرْبَعَةِ لِتْرَاتٍ) مِنَ الزَّيْتِ عَنْ كُلِّ إِيفَةٍ (نَحْوَ اثْنَيْنِ وَعِشْرِينَ لِتْراً). 25وَفِي الْيَوْمِ الْخَامِسَ عَشَرَ مِنَ الشَّهْرِ السَّابِعِ يَقُومُ الرَّئِيسُ بِتَقْرِيبِ مِثْلِ هَذِهِ فِي سَبْعَةِ أَيَّامِ الْعِيدِ كَذَبِيحَةِ خَطِيئَةٍ وَمُحْرَقَةٍ وَتَقْدِمَةِ الدَّقِيقِ وَتَقْدِمَةِ الزَّيْتِ.

Hindi Contemporary Version

यहेजकेल 45:1-25

इस्राएल की पूरी तरह पुनःस्थापना

1“ ‘जब तुम उत्तराधिकार के रूप में भूमि का विभाजन करो, तब तुम भूमि का एक भाग याहवेह को समर्पित करना, जो लगभग तेरह किलोमीटर लंबा और ग्यारह किलोमीटर चौड़ा हो; यह पूरा क्षेत्र पवित्र होगा. 2इसी भूभाग में लगभग दो सौ बासठ मीटर का एक वर्गाकार भाग पवित्र स्थान के लिए हो, और इसके चारों ओर लगभग छब्बीस मीटर खुली भूमि हो. 3इस पवित्र भूभाग में लगभग तेरह किलोमीटर लंबा और लगभग पांच किलोमीटर चौड़ा क्षेत्र नाप लेना. इसमें पवित्र स्थान अर्थात् परम पवित्र स्थान होगा. 4यह उन पुरोहितों के लिये भूमि का पवित्र भाग होगा, जो पवित्र स्थान में सेवा करते हैं और जो याहवेह के सामने उनकी सेवा के लिये आते हैं. यह वह जगह है, जहां पुरोहितों के आवास होंगे और साथ ही साथ वहां एक पवित्र जगह पवित्र स्थान के लिये होगी. 5यह लगभग तेरह किलोमीटर लंबा तथा लगभग पांच किलोमीटर चौड़ा भूभाग उन लेवियों के लिए होगा, जो मंदिर में सेवा करते हैं, इस पर उनका स्वामित्व होगा, जिसमें उनके रहने के लिये नगर होंगे.

6“ ‘तुम इसकी संपत्ति के रूप में पवित्र भाग से लगा हुआ लगभग तेरह किलोमीटर लंबा और ढाई किलोमीटर चौड़ा क्षेत्र शहर के लिये देना; यह क्षेत्र पूरे इस्राएल का होगा.

7“ ‘राजकुमार की भूमि पवित्र भाग के क्षेत्र और शहर के क्षेत्र की सीमा से लगी होगी. इसका विस्तार पश्चिम में पश्चिम की ओर तथा पूर्व में पूर्व की ओर होगा, जो लंबाई में पश्चिम से लेकर पूर्वी सीमा तक जाती भागों में से एक के समानांतर होगी. 8इस्राएल में इस भूमि पर उसका स्वामित्व होगा. और मेरे राजकुमार मेरे लोगों को फिर नहीं सताएंगे, पर वे इस्राएल के लोगों को उनके गोत्र के अनुसार भूमि को उनके अधिकार में देंगे.

9“ ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: हे इस्राएल के राजकुमारो, तुम बहुत दूर जा चुके हो! हिंसा और सतावा को छोड़ दो और वही करो, जो न्याय और सही है. मेरे लोगों को बेदखल करना बंद करो, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है. 10तुम सही नाप का उपयोग करो, सही एफाह45:10 एफाह सूखा नाप था जिसकी धारिता लगभग 22 लीटर थी और सही बत45:10 बत लगभग 22 लीटर की क्षमता वाला एक सूखा माप था का उपयोग करो. 11एफाह और बत एक ही नाप के हों, बत में होमेर का दसवां अंश समाए और एफाह में भी होमेर का दसवां अंश समाए; होमेर ही दोनों की प्रामाणिक नाप हो. 12एक शेकेल45:12 शेकेल लगभग 12 ग्राम में बीस गेराह आता हो. बीस शेकेल और पच्चीस शेकेल और पन्द्रह शेकेल बराबर एक मीना हो.

13“ ‘यह विशेष भेंट है, जिसे तुम्हें चढ़ाना है: गेहूं के हर होमेर में से एक एफाह का छठवां अंश और जौ के हर होमेर में से एक एफाह का छठवां अंश45:13 एफाह का छठवां अंश लगभग ढाई किलोग्राम. 14बत से नापा हुआ, जैतून तेल का निर्धारित अंश, जो हर कोर में से एक बत का दसवां अंश45:14 बत का दसवां अंश लगभग 2.2 लीटर है (कोर में दस बत या एक होमेर समाता है, क्योंकि दस बत बराबर एक होमेर होता है). 15इस्राएल के अच्छे पानी वाले चरागाह से हर दो सौ भेड़ों वाले झुंड से एक-एक भेड़ ली जाए. इनका उपयोग लोगों के प्रायश्चित करने हेतु अन्‍नबलि, होमबलिदान और मेल बलिदान के रूप में किया जाए, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है. 16देश के सब लोग इस्राएल में राजकुमार को यह विशेष भेंट देंगे. 17यह राजकुमार का कर्तव्य होगा कि वह त्योहारों, नये चांद के दिनों और विश्राम दिनों होमबलिदान, अन्‍नबलि और पेय बलिदान दे—अर्थात् इस्राएल के ठहराए सब त्योहारों पर. वह इस्राएलियों के लिये पश्चात्ताप करने हेतु पाप बलिदान,45:17 शुद्ध करने का बलिदान, पद 19, 22, 23 और 25 में भी अन्‍नबलि, होमबलिदान और मेल बलिदान देगा.

18“ ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: पहले माह के पहले दिन तुम एक निर्दोष बछड़ा लेना और पवित्र स्थान को शुद्ध करना. 19पुरोहित पाप बलिदान में से कुछ खून ले और उसे मंदिर के दरवाजों के चौखटों पर, वेदी के ऊपरी निकले हुए भाग के चारों कोनों पर और भीतरी आंगन के द्वार के चौखटों पर लगाए. 20तुम्हें महीने के सातवें दिन हर उस व्यक्ति के लिये ऐसा ही करना है, जो अनजाने में या अज्ञानता में पाप करता है; इस प्रकार तुम्हें मंदिर के लिये प्रायश्चित करना है.

21“ ‘पहले माह के चौदहवें दिन फ़सह का उत्सव हो, यह त्योहार सात दिनों का हो, और इस दौरान खमीर रहित रोटी खाई जाए. 22उस दिन राजकुमार अपने लिये और देश के सब लोगों के लिये पाप बलिदान के रूप में एक बछड़ा दे. 23त्योहार के उन सात दिनों के दौरान प्रतिदिन वह याहवेह को होमबलिदान के रूप में सात निर्दोष बछड़े और सात निर्दोष मेढ़े दे, और पाप बलिदान के लिये प्रतिदिन एक-एक बकरा दे. 24वह हर बछड़े के लिए अन्‍नबलि के रूप में एक एफाह और हर मेढ़े के लिये एक एफाह दे, साथ में हर एफाह के लिये एक हीन45:24 एक हीन लगभग साढ़े तीन लीटर जैतून तेल भी दे.

25“ ‘त्योहार के सात दिनों के दौरान, जो सातवें माह के पन्द्रहवें दिन शुरू होता है, हर दिन वह पाप बलिदान, होमबलिदान, अन्‍नबलि और तेल का ऐसा ही प्रबंध करे.