اللاويين 16 – NAV & HCV

New Arabic Version

اللاويين 16:1-34

يوم الكفارة

1وَقَالَ الرَّبُّ لِمُوسَى بَعْدَ وَفَاةِ ابْنَيْ هَرُونَ، عِنْدَمَا اقْتَرَبَا أَمَامَ الرَّبِّ فَمَاتَا: 2«كَلِّمْ أَخَاكَ هَرُونَ وَحَذِّرْهُ مِنَ الدُّخُولِ فِي كُلِّ وَقْتٍ إِلَى قُدْسِ الأَقْدَاسِ، وَرَاءَ الْحِجَابِ أَمَامَ غِطَاءِ التَّابُوتِ، لِئَلّا يَمُوتَ، لأَنَّنِي أَتَجَلَّى فِي السَّحَابِ عَلَى الْغِطَاءِ. 3بِهَذَا يَدْخُلُ هَرُونُ إِلَى الْقُدْسِ: يَأْتِي بِثَوْرٍ لِذَبِيحَةِ خَطِيئَةٍ وَكَبْشٍ لِمُحْرَقَةٍ، 4وَعَلَيْهِ أَنْ يَلْبَسَ قَمِيصَ كَتَّانٍ مُقَدَّساً، وَيَرْتَدِيَ فَوْقَ جَسَدِهِ سَرَاوِيلَ كَتَّانٍ، وَيَتَنَطَّقَ بِحِزَامِ كَتَّانٍ، وَيَتَعَمَّمَ بِعِمَامَةِ كَتَّانٍ، بَعْدَ أَنْ يَغْتَسِلَ بِمَاءٍ. إِنَّهَا ثِيَابٌ مُقَدَّسَةٌ. 5يَأْخُذُ مِنْ شَعْبِ إِسْرَائِيلَ تَيْسَيْنِ مِنَ الْمَعْزِ لِذَبِيحَةِ الْخَطِيئَةِ، وَكَبْشاً وَاحِداً لِيَكُونَ مُحْرَقَةً، 6فَيُقَرِّبُ هَرُونُ ثَوْرَ الْخَطِيئَةِ تَكْفِيراً عَنْ نَفْسِهِ وَعَنْ أُسْرَتِهِ، 7ثُمَّ يَأْخُذُ التَّيْسَيْنِ وَيُقَدِّمُهُمَا أَمَامَ الرَّبِّ عِنْدَ مَدْخَلِ خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ، 8وَيُلْقِي عَلَيْهِمَا قُرْعَتَيْنِ: قُرْعَةً لِلرَّبِّ وَقُرْعَةً لِعَزَازِيلَ (كَبْشِ الْفِدَاءِ). 9وَيُقَرِّبُ هَرُونُ التَّيْسَ الَّذِي وَقَعَتْ عَلَيْهِ قُرْعَةُ الرَّبِّ وَيُصْعِدُهُ ذَبِيحَةَ خَطِيئَةٍ، 10وَأَمَّا التَّيْسُ الَّذِي وَقَعَتْ عَلَيْهِ قُرْعَةُ عَزَازِيلَ، فَيُوْقِفُهُ حَيًّا أَمَامَ الرَّبِّ لِيُكَفِّرَ عَنْهُ، ثُمَّ يُطْلِقُهُ إِلَى الصَّحْرَاءِ، فَهُوَ كَبْشُ فِدَاءٍ.

11وَبَعْدَ أَنْ يُقَدِّمَ هَرُونُ ثَوْرَ الْخَطِيئَةِ تَكْفِيراً عَنْ نَفْسِهِ وَعَنْ أُسْرَتِهِ وَيَذْبَحَهُ، 12يَمْلأُ الْمِجْمَرَةَ بِجَمْرِ نَارٍ مِنْ عَلَى الْمَذْبَحِ مِنْ أَمَامِ الرَّبِّ، وَيَأْخُذُ مِلْءَ قَبْضَتِهِ مِنَ الْبَخُورِ الْعَطِرِ الدَّقِيقِ وَيَدْخُلُ بِهِمَا إِلَى مَا وَرَاءِ الْحِجَابِ. 13وَيَضَعُ الْبَخُورَ عَلَى النَّارِ فِي حَضْرَةِ الرَّبِّ، فَتُغَشِّي سَحَابَةُ الْبَخُورِ غِطَاءَ التَّابُوتِ، فَلا يَمُوتُ. 14ثُمَّ يَأْخُذُ بَعْضَ دَمِ الثَّوْرِ وَيَرُشُّ بِإِصْبَعِهِ عَلَى وَجْهِ الْجُزْءِ الشَّرْقِيِّ مِنْ غِطَاءِ التَّابُوتِ، كَمَا يَرُشُّ مِنَ الدَّمِ بِإِصْبَعِهِ سَبْعَ مَرَّاتٍ أَمَامَ الْغِطَاءِ.

15وَيَذْبَحُ تَيْسَ الْخَطِيئَةِ الْمُقَدَّمَ مِنَ الشَّعْبِ، وَيَدْخُلُ بِدَمِهِ إِلَى مَا وَرَاءَ الْحِجَابِ، وَيَرُشُّ مِنْ دَمِهِ كَمَا رَشَّ مِنْ دَمِ الثَّوْرِ عَلَى الْغِطَاءِ وَأَمَامَهُ، 16فَيُكَفِّرُ عَنِ الْقُدْسِ مِنْ نَجَاسَاتِ بَنِي إِسْرَائِيلَ وَسَيِّئَاتِهِمْ وَسَائِرِ خَطَايَاهُمْ. وَمِثْلَ ذَلِكَ يَفْعَلُ لِخَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ الْقَائِمَةِ فِي وَسَطِهِمْ، مُحَاطَةٍ بِنَجَاسَاتِهِمْ. 17وَلا يَكُنْ أَحَدٌ فِي خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ عِنْدَ دُخُولِ هَرُونَ إِلَى قُدْسِ الأَقْدَاسِ لِلتَّكْفِيرِ عَنْ نَفْسِهِ وَعَنْ أُسْرَتِهِ وَعَنْ كُلِّ جَمَاعَةِ إِسْرَائِيلَ، وَإِلَى وَقْتِ خُرُوجِهِ. 18ثُمَّ يَأْتِي إِلَى الْمَذْبَحِ الْقَائِمِ فِي حَضْرَةِ الرَّبِّ وَيُكَفِّرُ عَنْهُ، فَيَأْخُذُ مِنْ دَمِ الثَّوْرِ وَمِنْ دَمِ التَّيْسِ، وَيَضَعُ مِنْهُمَا عَلَى قُرُونِ جَوَانِبِ الْمَذْبَحِ. 19وَيَرُشُّ عَلَيْهِ مِنَ الدَّمِ بِإِصْبَعِهِ سَبْعَ مَرَّاتٍ وَيُطَهِّرُهُ وَيُقَدِّسُهُ مِنْ نَجَاسَاتِ بَنِي إِسْرَائِيلَ.

20وَعِنْدَمَا يَنْتَهِي مِنَ التَّكْفِيرِ عَنْ قُدْسِ الأَقْدَاسِ، وَعَنْ خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ، وَعَنِ الْمَذْبَحِ، يَأْتِي بِالتَّيْسِ الْحَيِّ، 21وَيَضَعُ هَرُونُ يَدَيْهِ عَلَى رَأْسِهِ، وَيَعْتَرِفُ بِجَمِيعِ خَطَايَا بَنِي إِسْرَائِيلَ وَسَيِّئَاتِهِمْ وَذُنُوبِهِمْ، وَيُحَمِّلُهَا عَلَى رَأْسِ التَّيْسِ، ثُمَّ يُطْلِقُهُ إِلَى الصَّحْرَاءِ مَعَ شَخْصٍ تَمَّ اخْتِيَارُهُ لِذَلِكَ. 22فَيَحْمِلُ التَّيْسُ ذُنُوبَ الشَّعْبِ كُلَّهَا إِلَى أَرْضٍ مُقْفِرَةٍ، وَهُنَاكَ يُطْلِقُهُ فِي الصَّحْرَاءِ. 23ثُمَّ يَدْخُلُ هَرُونُ إِلَى خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ، حَيْثُ يَخْلَعُ الْمَلابِسَ الْكَتَّانِيَّةَ الَّتِي ارْتَدَاهَا عِنْدَ دُخُولِهِ إِلَى قُدْسِ الأَقْدَاسِ وَيَضَعُهَا هُنَاكَ، 24وَيَسْتَحِمُّ بِمَاءٍ فِي مَكَانٍ مُقَدَّسٍ، ثُمَّ يَرْتَدِي ثِيَابَهُ وَيَخْرُجُ لِيُصْعِدَ مُحْرَقَتَهُ وَمُحْرَقَةَ الشَّعْبِ، وَيُكَفِّرَ عَنْ نَفْسِهِ وَعَنِ الشَّعْبِ، 25وَيُحْرِقَ شَحْمَ ذَبِيحَةِ الْخَطِيئَةِ عَلَى الْمَذْبَحِ، 26وَيَغْسِلَ ثِيَابَهُ وَيَسْتَحِمَّ بِمَاءٍ، وَبَعْدَ ذَلِكَ يَدْخُلُ إِلَى الْمُخَيَّمِ. 27ثُمَّ يُخْرِجُ هَرُونُ ثَوْرَ الْخَطِيئَةِ وَتَيْسَ الْخَطِيئَةِ اللَّذَيْنِ كَفَّرَ بِدَمِهِمَا فِي قُدْسِ الأَقْدَاسِ إِلَى خَارِجِ الْمُخَيَّمِ، وَتُحْرِقُونَهُمَا بِالنَّارِ: جِلْدَيْهِمَا وَلَحْمَهُمَا وَرَوْثَهُمَا، 28وَعَلَى مَنْ يُحْرِقُهُمَا أَنْ يَغْسِلَ ثِيَابَهُ وَيَسْتَحِمَّ بِمَاءٍ، وَبَعْدَ ذَلِكَ يَدْخُلُ إِلَى الْمُخَيَّمِ.

29وَإِلَيْكُمْ هَذِهِ الشَّرِيعَةَ الدَّائِمَةَ: إِنَّكُمْ فِي الْيَوْمِ الْعَاشِرِ مِنَ الشَّهْرِ السَّابِعِ (أَيْ شَهْرِ أَيْلُولَ – سِبْتَمْبَر) تَتَذَلَّلُونَ وَلا تَقُومُونَ بِأَيِّ عَمَلٍ. الْمُوَاطِنُ وَالْغَرِيبُ النَّازِلُ فِي وَسَطِكُمْ عَلَى حَدٍّ سَوَاءٍ، 30لأَنَّهُ فِي هَذَا الْيَوْمِ يَجْرِي التَّكْفِيرُ عَنْكُمْ، فَتَطْهُرُونَ مِنْ جَمِيعِ خَطَايَاكُمْ أَمَامَ الرَّبِّ. 31إِنَّهُ يَوْمُ رَاحَةٍ مُقَدَّسَةٍ لَكُمْ تَتَذَلَّلُونَ فِيهِ، فَرِيضَةً دَائِمَةً. 32وَيَقُومُ الْكَاهِنُ الْمَمْسُوحُ وَالْمُكَرَّسُ الَّذِي يَخْلِفُ وَالِدَهُ عَلَى رَئَاسَةِ الْكَهَنَةِ بِفَرَائِضِ التَّكْفِيرِ وَهُوَ لابِسٌ ثِيَابَ الْكَتَّانِ الْمُقَدَّسَةَ، 33فَيُكَفِّرُ عَنْ قُدْسِ الأَقْدَاسِ، وَعَنْ خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ، وَالْمَذْبَحِ، وَيُكَفِّرُ أَيْضاً عَنِ الْكَهَنَةِ وَعَنْ كُلِّ شَعْبِ إِسْرَائِيلَ. 34وَتَكُونُ هَذِهِ لَكُمْ فَرِيضَةً دَائِمَةً لِلتَّكْفِيرِ عَنْ جَمِيعِ خَطَايَا بَنِي إِسْرَائِيلَ، مَرَّةً فِي السَّنَةِ». فَنَفَّذَ هَرُونُ مَا أَمَرَ بِهِ مُوسَى.

Hindi Contemporary Version

लेवी 16:1-34

प्रायश्चित के लिए व्यवस्था विधि

1जब अहरोन के दोनों पुत्रों की मृत्यु के बाद, उनके याहवेह की उपस्थिति में प्रवेश के कारण उनकी मृत्यु हो गई थी, तब मोशेह को याहवेह का यह संदेश प्राप्‍त हुआ. 2याहवेह ने मोशेह से कहा, “अपने भाई अहरोन को चेता दो कि वह पर्दे के भीतर परम पवित्र स्थान में संदूक के ऊपर के करुणासन16:2 करुणासन संदूक का ढकना जिसे मूल भाषा में प्रायश्चित का ढकना अर्थात् पापों को ढांपने का स्थान भी कहलाता था के सामने कभी भी अपनी इच्छा से प्रवेश न करे; नहीं तो उसकी मृत्यु हो जाएगी; क्योंकि मैं करुणासन पर बादलों में प्रकट हुआ करूंगा.

3“इन निर्देशों का पूरी तरह से पालन करने के बाद ही अहरोन परम पवित्र स्थान में प्रवेश करेगा: पापबलि के लिए एक बछड़ा और होमबलि के लिए एक मेढ़ा लाना है. 4वह मलमल का पवित्र अंगरखा पहने, अपनी देह पर मलमल की जांघिया पहने, मलमल का कमरबंध कसे और मलमल की पगड़ी बांधे. ये पवित्र वस्त्र हैं. पुरोहित इन्हें पूर्ण स्‍नान के बाद ही पहने. 5वह इस्राएली सभा से पापबलि के लिए दो बकरे और होमबलि के लिए एक मेढ़ा ले.

6“इसके बाद अहरोन उस बछड़े को पापबलि के लिए भेंट करे, जो उसके स्वयं के लिए तय की गई है कि इसके द्वारा वह स्वयं के लिए तथा अपने परिवार के लिए प्रायश्चित पूरा करे. 7इसके बाद वह दो बकरे ले, और उन्हें मिलनवाले तंबू के प्रवेश पर याहवेह के सामने प्रस्तुत करे. 8अहरोन उन दोनों बकरों के लिए पासे फेंके, एक पासा तो याहवेह के लिए तथा दूसरा अज़ाज़ेल16:8 अज़ाज़ेल हो सकता है कि यह पाप और दोष का अपनी छावनी से संपूर्ण निवारण का एक प्रतीक बकरे के लिए. 9फिर अहरोन उस बकरे को, जिस पर याहवेह के लिए पासा पड़ा था पापबलि के रूप में भेंट कर दे. 10किंतु वह बकरा, जिस पर अज़ाज़ेल बकरे के लिए पासा पड़ा, वह याहवेह के सामने जीवित लाया जाए कि उस पर प्रायश्चित पूरा करके उसे निर्जन प्रदेश में अज़ाज़ेल के लिए छोड़ दिया जाए.

11“फिर अहरोन पापबलि के बछड़े को, जो स्वयं उसके लिए तय है, भेंट करे और वह स्वयं के लिए एवं अपने परिवार के लिए प्रायश्चित पूरा करे. वह पापबलि के इस बछड़े का वध करे, जो स्वयं उसके लिए तय है. 12वह याहवेह के सामने वेदी पर से कोयलों से भरा हुआ धूपदान और दो मुट्ठी भर बहुत ही महीन पीसा हुआ सुगंधधूप पर्दे के अंदर लेकर आए. 13वह इस धूप को याहवेह के सामने आग पर डाल दे कि धुएं का बादल करुणासन को ढांक ले, जो साक्षी पट्टिया की संदूक पर है, नहीं तो उसकी मृत्यु हो जाएगी. 14इसके अलावा वह इस बैल का लहू लेकर उसे पूर्व दिशा की ओर करुणासन के सामने अपनी उंगली से छिड़क दे; हां, करुणासन के समक्ष इसके कुछ रक्त को अपनी उंगली से सात बार छिड़क दे.

15“फिर अहरोन पापबलि के उस बकरे की बलि करे, जो प्रजा के लिए है और इसके लहू को पर्दे के भीतर लाकर इसके साथ वैसा ही करे, जैसा उसने बछड़े के लहू के साथ किया था; इसे करुणासन के सामने लाकर करुणासन पर छिड़क दे. 16वह परम पवित्र स्थान के लिए इस्राएल वंशजों की अशुद्धता तथा उनके सारे पापों के संबंध में किए गए अपराध के लिए प्रायश्चित पूरा करे, और इसी प्रकार वह मिलनवाले तंबू के लिए भी करे, जो उनकी अशुद्धताओं के बीच उनके साथ रहता है. 17जब वह प्रायश्चित पूरा करने के लिए परम पवित्र स्थान में जाता है, तब तक मिलनवाले तंबू में कोई भी व्यक्ति न रहने पाए, जब तक वह बाहर न आ जाए कि वह अपने लिए, अपने परिवार तथा इस्राएल की सारी सभा के लिए प्रायश्चित पूरा कर सके.

18“फिर वह बाहर उस वेदी के पास जाए, जो याहवेह के सामने है, और इसके लिए प्रायश्चित पूरा करे. वह बछड़े का कुछ लहू और बकरे का कुछ लहू लेकर इसे वेदी के सभी सींगों पर लगा दे, 19तथा अपनी उंगली से इस पर सात बार लहू को छिड़क कर इसको पवित्र करे, और इस प्रकार वह इस्राएल वंशजों की अशुद्धियों की स्थिति में से इसे पवित्र करे.

20“वह परम पवित्र स्थान, मिलनवाले तंबू तथा वेदी के लिए प्रायश्चित पूरा करने के बाद, एक जीवित बकरे को भेंट करे. 21अहरोन उस जीवित बकरे के सिर पर अपने दोनों हाथ रखकर इस्राएल वंशजों के सारे अधर्म के कामों और उनके सारे अपराधों, और पापों को स्वीकार करे और इन्हें इस बकरे के सिर पर लादकर इसे इस कार्य के लिए नियुक्त व्यक्ति के द्वारा निर्जन प्रदेश में छोड़ दे. 22यह बकरा बीहड़ जगह में उनके सारे अधर्म के कामों को उठा लेगा; वह व्यक्ति उस बकरे को निर्जन प्रदेश में छोड़कर आए.

23“इसके बाद अहरोन मिलनवाले तंबू में आकर उन मलमल के कपड़ों को उतार दे, जो उसने परम पवित्र स्थान में प्रवेश करने के पहले पहने थे, वह उन वस्त्रों को वहीं छोड़ दे. 24वह पवित्र स्थान में ही स्‍नान कर अपने वस्त्र पहन ले और पवित्र स्थान से बाहर आकर अपने लिए तय होमबलि और प्रजा के लिए तय होमबलि चढ़ाकर स्वयं के लिए तथा प्रजा के लिए प्रायश्चित पूरा करे. 25फिर वह पापबलि की चर्बी को वेदी पर आग में जलाकर भेंट कर दे.

26“वह व्यक्ति, जो अज़ाज़ेल को छोड़कर आया था, अपने वस्त्रों को धो डाले, स्‍नान करे; इसके बाद वह छावनी में प्रवेश करे. 27ज़रूरी है कि पापबलि के बैल को तथा पापबलि के बकरे को, जिनका लहू परम पवित्र स्थान में प्रायश्चित पूरा करने के लिए लाया गया था, छावनी से बाहर ले जाए. वे उनकी खाल, उनके मांस और उनके गोबर को आग में जला दें. 28वह व्यक्ति, जो उनको जलाता है, अपने वस्त्रों को धो डाले, स्‍नान करे; इसके बाद ही छावनी में प्रवेश करे.

29“तुम्हारे लिए सदा की विधि यह होगी: सातवें महीने में, उस महीने के दसवें दिन अपने-अपने जीव को दुःख देने के अंतर्गत तुम—स्वदेशी अथवा विदेशी जो तुम्हारे बीच में रहते हैं—कोई भी कार्य न करना; 30क्योंकि यही वह दिन है, जिस दिन तुम्हारे शुद्ध करने के लिए प्रायश्चित पूरा किया जाएगा, और तुम याहवेह के सामने अपने सारे पापों से शुद्ध हो जाओगे. 31यह तुम्हारे लिए एक विशेष विश्राम शब्बाथ16:31 शब्बाथ सातवां दिन जो पवित्र दिन है होगा कि तुम अपने-अपने जीव को दुःख दो; यह एक सदा की विधि है. 32मलमल के पवित्र वस्त्र पहनकर प्रायश्चित प्रक्रिया वह पुरोहित पूरा करेगा, जिसे उसके पिता के स्थान पर पुरोहित सेवा के लिए संस्कृत तथा अभिषिक्त किया गया है. 33वह परम पवित्र स्थान के लिए, मिलनवाले तंबू के लिए और वेदी के लिए प्रायश्चित पूरा करेगा. वही पुरोहित, सभी पुरोहितों और सभा की सारी प्रजा के लिए भी प्रायश्चित पूरा करेगा.

34“यह तुम्हारे लिए सदा की विधि होगी कि इस्राएली प्रजा के लिए उसके सभी पापों के कारण वर्ष में एक बार प्रायश्चित पूरा किया जाए.”

मोशेह ने ठीक वैसा ही किया, जैसा याहवेह ने आदेश दिया था.