الخروج 15 – NAV & HCV

New Arabic Version

الخروج 15:1-27

ترنيمة موسى ومريم

1عِنْدَئِذٍ شَدَا مُوسَى وَبَنُو إِسْرَائِيلَ بِهَذِهِ التَّسْبِحَةِ لِلرَّبِّ قَائِلِينَ: «أُرَنِّمُ لِلرَّبِّ لأَنَّهُ تَمَجَّدَ جِدّاً، الْفَرَسَ وَرَاكِبَهُ قَدْ طَرَحَهُمَا فِي الْبَحْرِ. 2الرَّبُّ قُوَّتِي وَنَشِيدِي وَقَدْ صَارَ خَلاصِي، هَذَا هُوَ إِلَهِي فَأُسَبِّحُهُ. وَإِلَهُ أَبِي فَأُعَظِّمُهُ. 3الرَّبُّ مُحَارِبٌ، ’الرَّبُّ‘ اسْمُهُ. 4طَرَحَ فِرْعَوْنَ وَجَيْشَهُ فِي الْبَحْرِ، وَأَغْرَقَ خِيرَةَ قَادَةِ فِرْعَوْنَ فِي الْبَحْرِ الأَحْمَرِ. 5غَمَرَتْهُمُ اللُّجَجُ فَغَاصُوا إِلَى الأَعْمَاقِ كَالْحِجَارَةِ. 6يَمِينُكَ يَا رَبُّ مَجِيدَةٌ فِي قُوَّتِهَا. بِيَمِينِكَ يَا رَبُّ تَسْحَقُ الْعَدُوَّ. 7بِعَظَمَةِ جَلالِكَ تَصْرَعُ مُقَاوِمِيكَ. تُرْسِلُ غَضَبَكَ فَتَأْكُلُهُمْ كَالقَشِّ. 8بِرِيحِكَ الْعَاصِفَةِ تَكَوَّمَتِ الْمِيَاهُ، وَانْتَصَبَتِ اللُّجَجُ فِي قَلْبِ الْبَحْرِ. 9قَالَ الْعَدُوُّ: أَسْعَى وَرَاءَهُمْ فَأُدْرِكُهُمْ. أُقَسِّمُ أَسْلابَهُمْ وَتَشْتَفِي مِنْهُمْ نَفْسِي. أَسْتَلُّ سَيْفِي بِيَدِي وَأُهْلِكُهُمْ. 10لَكِنَّكَ أَطْلَقْتَ رِيحَكَ فَغَشِيَهُمُ الْبَحْرُ، فَغَرِقُوا كَالرَّصَاصِ فِي اللُّجَجِ الْعَمِيقَةِ 11فَمَنْ مِثْلُكَ يَا رَبُّ بَيْنَ كُلِّ الآلِهَةِ؟ مَنْ مِثْلُكَ جَلِيلٌ فِي الْقَدَاسَةِ مَهِيبٌ فِي الْمَجْدِ، صَانِعٌ عَجَائِبَ! 12بَسَطْتَ يَمِينَكَ فَابْتَلَعَتْهُمُ الأَرْضُ. 13قُدْتَ بِرَحْمَتِكَ الشَّعْبَ الَّذِي افْتَدَيْتَهُ، وَبِقُدْرَتِكَ هَدَيْتَهُ إِلَى مَسْكَنِكَ الْمُقَدَّسِ. 14فَتَسْمَعُ الشُّعُوبُ وَتَرْتَعِبُ، وَتَسْتَوْلِي الرَّعْدَةُ عَلَى أَهْلِ فِلِسْطِينَ. 15آنَئِذٍ يَنْدَهِشُ أُمَرَاءُ أَدُومَ، جَبَابِرَةُ مُوآبَ تَأْخُذُهُمُ الرَّجْفَةُ، وَيَذُوبُ حُكَّامُ كَنْعَانَ هَلَعاً. 16يَسُودُهُمُ الْخَوْفُ والرَّعْدَةُ وَبِقُدْرَةِ ذِرَاعِكَ يَجْمُدُونَ كَالْحِجَارَةِ حَتَّى يَعْبُرَ شَعْبُكَ يَا رَبُّ، حَتَّى يَعْبُرَ شَعْبُكَ الَّذِي اشْتَرَيْتَهُ. 17تَأْتِي بِهِمْ وَتَغْرِسُهُمْ فِي جَبَلِ مِيرَاثِكَ، الْمَوْضِعِ الَّذِي جَعَلْتَهُ يَا رَبُّ لِسُكْنَاكَ، الْمَقْدِسِ الَّذِي أَعَدَّتْهُ يَا رَبُّ يَدَاكَ. 18الرَّبُّ يَمْلِكُ إِلَى الدَّهْرِ وَالأَبَدِ. 19وَعِنْدَمَا دَخَلَتْ خُيُولُ فِرْعَوْنَ وَمَرْكَبَاتُهُ وَفُرْسَانُهُ إِلَى الْبَحْرِ رَدَّ عَلَيْهِمْ مِيَاهَ الْبَحْرِ، أَمَّا بَنُو إِسْرَائِيلَ فَمَشَوْا عَلَى الْيَابِسَةِ فِي وَسْطِ الْبَحْرِ».

20عِنْدَئِذٍ أَخَذَتْ مَرْيَمُ النَّبِيَّةُ أُخْتُ هَرُونَ، الدُّفَّ بِيَدِهَا، فَتَبِعَهَا جَمِيعُ النِّسَاءِ بالدُّفِّ وَالرَّقْصِ. 21فَكَانَتْ مَرْيَمُ تُجَاوِبُهُنَّ: «رَنِّمُوا لِلرَّبِّ لأَنَّهُ قَدْ تَمَجَّدَ جِدّاً. الْفَرَسَ وَرَاكِبَهُ قَدْ طَرَحَهُمَا فِي الْبَحْرِ».

ماء مارة وإيليم

22ثُمَّ ارْتَحَلَ مُوسَى بِإِسْرَائِيلَ مِنَ الْبَحْرِ الأَحْمَرِ، وَتَوَجَّهُوا نَحْوَ صَحْرَاءِ شُورٍ، وَظَلُّوا يَجُوبُونَ الصَّحْرَاءَ ثَلاثَةَ أَيَّامٍ مِنْ غَيْرِ أَنْ يَجِدُوا مَاءً. 23وَعِنْدَمَا وَصَلُوا إِلَى مَارَّةَ لَمْ يَقْدِرُوا أَنْ يَشْرَبُوا مَاءَهَا لِمَرَارَتِهِ، لِذَلِكَ سُمِّيَتْ «مَارَّةَ». 24فَتَذَمَّرَ الشَّعْبُ عَلَى مُوسَى قَائِلِينَ: «مَاذَا نَشْرَبُ؟» 25فَاسْتَغَاثَ بِالرَّبِّ، فَأَرَاهُ الرَّبُّ شَجَرَةً فَأَلْقَاهَا إِلَى الْمَاءِ، فَصَارَ عَذْباً. وَهُنَاكَ أَيْضاً وَضَعَ الرَّبُّ لِلشَّعْبِ فَرِيضَةً وَشَرِيعَةً، وَامْتَحَنَهُ، 26وَقَالَ: «إِنْ كُنْتَ تَحْرِصُ عَلَى سَمَاعِ صَوْتِ الرَّبِّ إِلَهِكَ، وَتَفْعَلُ مَا هُوَ حَقٌّ أَمَامَهُ، وَتُطِيعُ وَصَايَاهُ وَتُحَافِظُ عَلَى جَمِيعِ فَرَائِضِهِ، فَلَنْ أَدَعَكَ تُقَاسِي مِنْ أَيِّ مَرَضٍ مِنَ الأَمْرَاضِ الَّتِي ابْتَلَيْتُ بِها الْمِصْرِيِّينَ، فَإِنِّي أَنَا الرَّبُّ شَافِيكَ».

27ثُمَّ بَلَغُوا إِيلِيمَ حَيْثُ كَانَتِ اثْنَتَا عَشْرَةَ عَيْنَ مَاءٍ وَسَبْعُونَ نَخْلَةً. فَخَيَّمُوا إِلَى جُوَارِ عُيُونِ الْمَاءِ.

Hindi Contemporary Version

निर्गमन 15:1-27

मोशेह तथा इस्राएल का विजय गान

1तब मोशेह तथा इस्राएलियों ने याहवेह के लिए यह गीत गाया:

“मैं याहवेह के लिए गीत गाऊंगा,

क्योंकि वे अति महान परमेश्वर हैं.

घोड़ों एवं चालकों को

उन्होंने समुद्र में डाल दिया.

2“याहवेह मेरा बल और मेरा गीत हैं,

वही मेरा उद्धार बना हैं.

यही हैं मेरे परमेश्वर, मैं उनकी स्तुति करूंगा;

मेरे पिता के परमेश्वर, उनकी मैं प्रशंसा करूंगा,

3याहवेह योद्धा हैं

और उनका नाम याहवेह है.

4याहवेह ने फ़रोह के रथों एवं उसकी सेना को

समुद्र में फेंक दिया;

उसके सभी अधिकारी

लाल सागर में डूब गए,

5वे पत्थर के समान गहराइयों में डूब गये,

और गहरा पानी ने उन्हें ढंक दिया.

6हे याहवेह, आपका दायां हाथ

सामर्थ्य से भरा है.

और आपका बायां हाथ

शत्रु को चूर-चूर कर देता है.

7“शत्रुओं को अपने बड़े पराक्रम से

आप पराजित कर देते हैं,

जो आपके विरुद्ध सिर उठाते हैं; आप उन पर अपना क्रोध प्रकट करते हैं.

और उन्हें भूसे के समान जला देते है.

8आपके नथुनों की सांस से समुद्र का जल इकट्ठा हो गया

और जल का बहाव रुक जाता है.

बढ़ता पानी दीवार की तरह उठ खड़ा हुआ,

समुद्र के हृदय में गहरा जल जमा हो गया!

9शत्रु ने कहा था,

‘मैं पीछा करूंगा, मैं उन्हें पकड़ लूंगा

और लूटकर चीज़ों को बांट लूंगा

तब मुझे तसल्ली मिलेगी,

मैं तलवार निकालूंगा

और अपने हाथ से उन्हें नष्ट कर दूंगा.’

10आपने अपना सांस फूंका

तब सागर ने उन्हें ढंक लिया.

वे महा समुद्र में

सीसे के समान डूब गए.

11हे याहवेह,

देवताओं में आपके तुल्य कौन है?

कौन है आपके समान,

पवित्रता में सर्वोपरि,

स्तुति के योग्य

और अनोखे काम करनेवाले?

12“आपने अपना दायां हाथ बढ़ाया

और पृथ्वी ने उन्हें निगल लिया.

13आपने अपनी कृपा से

छुड़ाए हुए लोगों को चलाया,

आप अपने सामर्थ्य से

उन्हें अपनी पवित्रता के स्थान में ले गए.

14देश-देश के लोग यह सब सुनकर घबरा जाएंगे;

फिलिस्तीनियों पर डर छा जाएगा,

15एदोम के प्रधान निराश हो जायेंगे;

मोआब के ताकतवर कांपने लगेंगे;

कनान के निवासी उदास हो जाएंगे.

16याहवेह, जब तक आपकी प्रजा वहां से निकल न जाए,

जब तक आपके द्वारा बचाये हुए

लोग वहां से आ न जाए

तब तक उनमें डर बना रहेगा;

आपके बाहों की ताकत से वे अब पत्थर समान बन जाएंगे;

17आप उन्हें लाकर अपने पहाड़ पर बसाएंगे.

उस स्थान पर,

हे याहवेह, जो आपने अपने लिए अलग किया है;

वही पवित्र स्थान, जिसे आपने अपने हाथों से बनाया है.

18“याहवेह का राज्य

सदा-सर्वदा स्थिर रहेगा.”

19जब फ़रोह के घोड़े, उसके रथों तथा चालकों के साथ सब समुद्र में डूब गए और याहवेह समुद्र के जल को उनके ऊपर ले आए—लेकिन इस्राएली समुद्र के बीच से सूखी भूमि पर चलते हुए निकल गए. 20तब अहरोन की बहन मिरियम ने, जो नबिया थी, खंजरी उठाई और उसके साथ सभी स्त्रियां अपने-अपने हाथों में खंजरी लेकर नाचने लगीं. 21मिरियम खुशी से गाने लगी,

“याहवेह का गीत गाओ,

क्योंकि वे अति महान हैं;

उन्होंने तो घोड़ों को चालकों

सहित समुद्र में डूबा दिया.”

याहवेह द्वारा जल आपूर्ति

22फिर मोशेह इस्राएलियों को लाल सागर से शूर के निर्जन देश में ले गए. वे तीन दिन पानी ढूंढ़ते रहे, किंतु उन्हें कहीं भी पानी का सोता नहीं दिखा. 23वे माराह नामक स्थान पर पहुंचे, किंतु माराह का पानी कड़वा था; इस कारण इस स्थान का नाम माराह पड़ा; 24इसलिये लोग मोशेह पर बड़बड़ाने लगे. वे कहने लगे, “हम क्या पिएंगे?”

25मोशेह ने याहवेह को पुकारा और याहवेह ने उन्हें एक लकड़ी का टुकड़ा दिखाया. जब मोशेह ने उस पेड़ को पानी में डाला, पानी मीठा बन गया.

उसी जगह याहवेह ने उनके लिए एक नियम और विधि बनाई. 26याहवेह ने उनसे कहा, “यदि तुम याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के वचन को पूरे मन से मानोगे और सही काम करोगे, उनकी बातों पर ध्यान दोगे तथा उनके सब नियमों को मानोगे तो मिस्रियों के साथ घटित, ऐसी कोई परेशानी तुम पर नहीं आने दूंगा; क्योंकि मैं याहवेह राफ़ा हूं, अर्थात् चंगा करनेवाला हूं.”

27तब वे एलिम नामक स्थान पर पहुंचे, जहां बारह झरने तथा सत्तर खजूर के पेड़ थे. इस्राएलियों ने जल के स्रोतों के पास ही अपना पड़ाव डाला.