أخبار الأيام الثاني 28 – NAV & HCV

New Arabic Version

أخبار الأيام الثاني 28:1-27

آحاز يملك على يهوذا

1كَانَ آحَازُ فِي الْعِشْرِينَ مِنْ عُمْرِهِ حِينَ تَوَلَّى الْمُلْكَ، وَدَامَ حُكْمُهُ سِتَّ عَشْرَةَ سَنَةً فِي أُورُشَلِيمَ. وَارْتَكَبَ الشَّرَّ أَمَامَ الرَّبِّ، بِعَكْسِ جَدِّهِ دَاوُدَ.

2وَسَلَكَ فِي طُرُقِ مُلُوكِ إِسْرَائِيلَ، وَسَبَكَ تَمَاثِيلَ لِعِبَادَةِ الْبَعْلِيمِ. 3وَأَوْقَدَ فِي وَادِي ابْنِ هِنُّومَ، وَأَحْرَقَ أَبْنَاءَهُ بِالنَّارِ، عَلَى حَسَبِ رَجَاسَاتِ الأُمَمِ الَّذِينَ طَرَدَهُمُ الرَّبُّ مِنْ أَمَامِ بَنِي إِسْرَائِيلَ. 4كَمَا قَرَّبَ مُحْرَقَاتٍ وَأَوْقَدَ عَلَى الْمُرْتَفَعَاتِ وَالتِّلالِ، وَتَحْتَ كُلِّ شَجَرَةٍ خَضْرَاءَ.

5فَأَسْلَمَهُ الرَّبُّ لِيَدِ مَلِكِ أَرَامَ، فَأَلْحَقَ بِهِ هَزِيمَةً نَكْرَاءَ، وَأَسَرُوا كَثِيرِينَ مِنْ يَهُوذَا نَقَلُوهُمْ إِلَى دِمَشْقَ. كَمَا أَسْلَمَهُ الرَّبُّ لِيَدِ مَلِكِ إِسْرَائِيلَ، فَكَسَرَهُ شَرَّ كَسْرَةٍ. 6وَقَتَلَ فَقَحُ بْنُ رَمَلْيَا مِئَةً وَعِشْرِينَ أَلْفاً مِنْ يَهُوذَا فِي يَوْمٍ وَاحِدٍ، وَكُلُّهُمْ مِنَ الْمُحَارِبِينَ الأَشِدَّاءِ، عِقَاباً لَهُمْ، لأَنَّهُمْ تَرَكُوا الرَّبَّ إِلَهَ آبَائِهِمْ. 7وَقَضَى زِكْرِي بَطَلُ أَفْرَايِمَ عَلَى مَعَسِيَا ابْنِ الْمَلِكِ وَعَزْرِيقَامَ مُدِيرِ شُؤُونِ الْقَصْرِ الْملَكِيِّ، وَأَلْقَانَةَ التَّالِي لِلْمَلِكِ فِي الْمَقَامِ.

8وَسَبَى بَنُو إِسْرَائِيلَ مِنْ أَقْرِبَائِهِمْ بَنِي يَهُوذَا مِئَتَيْ أَلْفٍ مِنَ النِّسَاءِ وَالأَبْنَاءِ وَالْبَنَاتِ، وَنَهَبُوا مِنْهُمْ أَسْلاباً وَافِرَةً حَمَلُوهَا إِلَى السَّامِرَةِ. 9غَيْرَ أَنَّ نَبِيًّا لِلرَّبِّ يُدْعَى عُودِيدَ خَرَجَ لِلِقَاءِ الْجَيْشِ الرَّاجِعِ إِلَى السَّامِرَةِ وَقَالَ لَهُمْ: «لَقَدْ نَصَرَكُمُ الرَّبُّ إِلَهُ آبَائِكُمْ عَلَى يَهُوذَا لأَنَّهُ غَضِبَ عَلَيْهِمْ، وَهَا أَنْتُمْ قَدْ قَتَلْتُمُوهُمْ بِقَسْوَةٍ أَغْضَبَتِ السَّمَاءَ. 10وَالآنَ أَنْتُمْ مُزْمِعُونَ عَلَى اسْتِعْبَادِ بَنِي يَهُوذَا وَأُورُشَلِيمَ وَاتِّخَاذِهِمْ لَكُمْ عَبِيداً وَإِمَاءً. أَلَمْ تَأْثَمُوا أَنْتُمْ أَيْضاً مِثْلَهُمْ فِي حَقِّ الرَّبِّ إِلَهِكُمْ؟ 11فَاسْمَعُوا لِي الآنَ، وَرُدُّوا الأَسْرَى أَقْرِبَاءَكُمْ، لأَنَّ غَضَبَ الرَّبِّ مُحْتَدِمٌ عَلَيْكُمْ».

12ثُمَّ قَامَ رِجَالٌ مِنْ زُعَمَاءِ بَنِي أَفْرَايِمَ هُمْ: عَزَرْيَا بْنُ يَهُوحَانَانَ، وَبَرَخْيَا بْنُ مَشُلِّيمُوتَ، وَيَحَزْقِيَّا بْنُ شَلُّومَ، وَعَمَاسَا بْنُ حِدْلايَ، وَاعْتَرَضُوا سَبِيلَ الْمُقْبِلِينَ مِنَ الْجَيْشِ. 13وَقَالُوا لَهُمْ: «لا تَدْخُلُوا بِالأَسْرَى إِلَى هُنَا، إِذْ يَكْفِينَا مَا عَلَيْنَا مِنْ آثَامٍ فِي حَقِّ الرَّبِّ، وَأَنْتُمْ مُزْمِعُونَ أَنْ تُضِيفُوا إِلَى خَطَايَانَا وَآثَامِنَا، فذُنُوبُنَا بِحَدِّ ذَاتِهَا كَثِيرَةٌ، وَغَضَبُ الرَّبِّ مُحْتَدِمٌ عَلَى إِسْرَائِيلَ». 14فَتَخَلَّى الْمُحَارِبُونَ عَنِ الأَسْرَى وَالْغَنَائِمِ أَمَامَ الْقَادَةِ وَكُلِّ زُعَمَاءِ الْجَمَاعَةِ. 15وَنَهَضَ بَعْضُ الرِّجَالِ الَّذِينَ تَمَّ تَعْيِينُهُمْ بِأَسْمَائِهِمْ وَأَخَذُوا الأَسْرَى وَوَزَّعُوا عَلَيْهِمْ مِنَ الْغَنِيمَةِ مَلابِسَ وَأَحْذِيَةً وَطَعَاماً وخَمْراً، وَعَالَجُوا جِرَاحَهُمْ بالدُّهُونِ وَأَرْكَبُوا الْمُعْيِينَ فِيهِمْ عَلَى حَمِيرٍ. وَأَعَادُوهُمْ إِلَى أَرِيحَا مَدِينَةِ النَّخْلِ حَيْثُ أَسْلَمُوهُمْ إِلَى أَهَالِيهِمْ، ثُمَّ رَجَعُوا إِلَى السَّامِرَةِ.

16فِي ذَلِكَ الْحِينِ اسْتَنْجَدَ الْمَلِكُ آحَازُ بِمُلُوكِ أَشُورَ، 17لأَنَّ الأَدُومِيِّينَ زَحَفُوا عَلَى يَهُوذَا وَهَاجَمُوهُمْ وَأَخَذُوا مِنْهُمْ أَسْرَى. 18وَاقْتَحَمَ الْفِلِسْطِينِيُّونَ مُدُنَ السَّوَاحِلِ وَجَنُوبِيَّ يَهُوذَا وَاسْتَوْلَوْا عَلَى بَيْتِ شَمْسٍ وَأَيَّلُونَ وَجَدِيرُوتَ وَسُوكُو وَضِيَاعِهَا وَتِمْنَةَ وَضِيَاعِهَا وَجِمْزُو وَضِيَاعِهَا، وَاسْتَوْطَنُوا فِيهَا، 19لأَنَّ الرَّبَّ أَذَلَّ يَهُوذَا بِسَبَبِ شُرُورِ آحَازَ مَلِكِ يَهُوذَا الَّذِي أَضَلَّ شَعْبَهُ وَخَانَ الرَّبَّ. 20وَلَكِنَّ تَغْلَثْ فَلْنَاسَرَ مَلِكَ أَشُورَ ضَايَقَ آحَازَ بَدَلاً مِنْ نَجْدَتِهِ 21وَكَانَ آحَازُ قَدْ أَخَذَ قِسْماً مِنْ ذَهَبِ الْهَيْكَلِ وَمِنْ قَصْرِ الْمَلِكِ وَمِنْ رُؤَسَاءِ الْبِلادِ، وَقَدَّمَهُ لِمَلِكِ أَشُّورَ، وَلَكِنَّ هَذَا لَمْ يُنْجِدْهُ.

22وَفِي أَثْنَاءِ ضِيقِهِ ازْدَادَ الْمَلِكُ آحَازُ خِيَانَةً لِلرَّبِّ. 23وَقَدَّمَ ذَبَائِحَ لأَوْثَانِ الأَرَامِيِّينَ الَّذِينَ هَزَمُوهُ قَائِلاً: «إِنَّ آلِهَةَ مُلُوكِ أَرَامَ تُسَاعِدُهُمْ، فَلأَذْبَحَنَّ لَهُمْ فَيُسَاعِدُونِي». إلّا أَنَّهُمْ كَانُوا سَبَباً فِي دَمَارِهِ وَفِي انْهِيَارِ كُلِّ إِسْرَائِيلَ. 24وَجَمَعَ آحَازُ آنِيَةَ بَيْتِ اللهِ وَحَطَّمَهَا وَأَغْلَقَ أَبْوَابَ الْهَيْكَلِ، وَبَنَى لِنَفْسِهِ مَذَابِحَ فِي كُلِّ زَاوِيَةٍ فِي أُورُشَلِيمَ، 25وَأَقَامَ فِي كُلِّ مَدِينَةٍ مِنْ مُدُنِ يَهُوذَا مُرْتَفَعَاتٍ لِيُوْقِدَ عَلَيْهَا لآلِهَةٍ أُخْرَى، فَأَغَاظَ الرَّبَّ إِلَهَ آبَائِهِ.

26أَمَّا بَقِيَّةُ أَخْبَارِ آحَازَ وَأَعْمَالُهُ مِنْ بِدَايَتِهَا إِلَى نِهَايَتِهَا فَهِيَ مُدَوَّنَةٌ فِي كِتَابِ تَارِيخِ مُلُوكِ يَهُوذَا وَإِسْرَائِيلَ. 27ثُمَّ مَاتَ آحَازُ فَدَفَنُوهُ فِي مَدِينَةِ أُورُشَلِيمَ، لأَنَّهُمْ لَمْ يُوَارُوهُ فِي مَقَابِرِ مُلُوكِ إِسْرَائِيلَ، وَخَلَفَهُ ابْنُهُ حَزَقِيَّا عَلَى الْمُلْكِ.

Hindi Contemporary Version

2 इतिहास 28:1-27

आहाज़ यहूदिया का राजा

1शासन शुरू करते समय आहाज़ की उम्र बीस साल थी. येरूशलेम में उसने सोलह साल शासन किया. उसने वह नहीं किया जो याहवेह की दृष्टि में सही था, जैसा उसके पूर्वज दावीद ने किया था. 2वह इस्राएल के राजाओं की नीति का पालन करता रहा. उसने बाल देवताओं की मूर्तियां बनाईं. 3इनके अलावा; वह बेन-हिन्‍नोम घाटी में धूप जलाता था और उसने अपने पुत्रों की अग्निबलि चढ़ाई. यह उन जनताओं की घृणित प्रथाएं थी, जिन्हें याहवेह ने इस्राएल वंशजों के सामने से दूर भगाया था. 4वह पूजा स्थलों पर, पहाड़ियों पर और हर एक हरे वृक्ष के नीचे धूप जलाकर बलि चढ़ाता रहा.

5तब याहवेह उसके परमेश्वर ने उसे अराम के राजा के अधीन कर दिया. उन्होंने उसे हरा दिया और उनमें से बड़ी संख्या में बंदी बनाए और उन्हें दमेशेक ले गए.

उसे इस्राएल के राजा के अधीन भी कर दिया गया. उसने उसे बुरी तरह से हराया. 6इसलिये कि उन्होंने अपने पूर्वजों के परमेश्वर याहवेह को त्याग दिया था, रेमालियाह के पुत्र पेकाह ने एक ही दिन में यहूदिया के सभी एक लाख बीस हज़ार योद्धाओं को मार गिराया. 7एफ्राईमी ज़ीकरी ने राजपुत्र मआसेइयाह और गृह प्रशासक अज़रीकाम का वध कर दिया और राजा के बाद के सर्वोच्च अधिकारी एलकाना का भी. 8इस्राएली अपने ही भाइयों के राज्य में से दो लाख पत्नियां, पुत्र और पुत्रियां बंदी बनाकर अपने साथ ले गए. इनके अलावा वे वहां से बड़ी लूट इकट्ठा कर शमरिया ले गए.

9मगर वहां याहवेह का एक भविष्यद्वक्ता था-ओदेद-वह शमरिया आई हुई सेना से भेंट करने चल पड़ा. उसने उन्हें कहा, “यह समझ लो: क्योंकि याहवेह, तुम्हारे पूर्वजों के परमेश्वर यहूदिया से गुस्सा थे, उन्होंने ही इन्हें तुम्हारे अधीन कर दिया है. तुमने क्रोध में उनका संहार ऐसी क्रूरता में किया है, कि यह बात परमेश्वर के ध्यान में आ गई है. 10अब तुम यह विचार कर रहे हो, कि इनका दमन कर यहूदिया और येरूशलेम वासियों के पुरुष और स्त्री को दास बनाओ, क्या यह सच नहीं कि तुम भी याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के सामने अपराधी हो? 11इसलिये अब मेरी सुनो और इन बंदियों को, जिन्हें तुम अपने ही भाइयों में से पकड़कर ले आए हो, लौट जाने दो; क्योंकि अब याहवेह का तेज क्रोध तुम्हारे विरुद्ध भड़क रहा है.”

12तब एफ्राईम के वंशजों में के कुछ प्रमुख—येहोहानन का पुत्र अज़रियाह, मेशिल्लेमोथ का पुत्र बेरेखियाह, शल्लूम का पुत्र येहिज़किय्याह और हादलाई का पुत्र अमासा-उनके विरुद्ध हो गए, जो युद्ध से लौट रहे थे. 13इन्होंने उनसे कहा, “सही नहीं कि तुम बंदियों को यहां लाओ. इसके द्वारा तुम याहवेह के विरुद्ध हमारे पापों को बढ़ाना चाह रहे हो. हमारा दोष इतना बड़ा है कि इस्राएल के विरुद्ध याहवेह का क्रोध दहक रहा है.”

14तब योद्धाओं ने लूट की सामग्री और बंदियों को अधिकारियों और सारी सभा के सामने लाकर छोड़ दिया. 15तब वे लोग, जिन्हें चुना गया था, उठे, नंगे बंदियों को लूट सामग्री से निकालकर कपड़े पहनाए उन्हें जूतियां दी, उन्हें वस्त्र पहनाकर उन्हें भोजन और पानी दिया, तेल से उनका अभिषेक किया, उनके दुर्बलों को गधों पर चढ़ाया और उन्हें खजूर नगर यानी येरीख़ो तक उनके भाइयों के पास छोड़ आए फिर वे शमरिया लौट गए.

16तब राजा आहाज़ ने अश्शूर के राजा से सहायता की विनती की. 17एक बार फिर एदोमियों ने यहूदिया पर हमला किया और बहुतों को बंदी बना लिया. 18फिलिस्तीनियों ने भी तराई और यहूदिया के नेगेव पर चढ़ाई करके बेथ-शेमेश, अय्जालोन, गदेरोथ और सोकोह का उसके आस-पास के गांवों सहित, तिमनाह को उसके गांवों सहित और गिमज़ो को उसके गांवों सहित कब्जे में कर लिया और वे वहीं बस भी गए. 19याहवेह द्वारा यहूदिया को इस दयनीय स्थिति में डाले जाने के पीछे कारण थे यहूदिया के राजा आहाज़ की याहवेह के प्रति बड़ी विश्वासहीनता और उसके द्वारा यहूदिया में लाई गई दुष्टता. 20तब अश्शूर का राजा तिगलथ-पलेसेर वहां आया ज़रूर, मगर उसने आहाज़ की सहायता करने की बजाय उसे सताया. 21यद्यपि आहाज़ ने याहवेह के भवन से, राजघराने से और प्रशासकों से धन लेकर अश्शूर के राजा को दे दी थी, इसका कोई लाभ न हुआ.

22अपनी इस विपत्ति की स्थिति में यही राजा आहाज़ ने कई और बुरे पाप किये और याहवेह का और अधिक अविश्वासयोग्य बन गया. 23क्योंकि अब वह दमेशेक के देवताओं को बलि चढ़ाने लगा था, जो वास्तव में उसकी हार के कारण थे. वह यह विचार करने लगा, “जब ये देवता अराम के राजा की सहायता कर सकते हैं तो, वे मेरी भी सहायता करेंगे.” मगर ये ही इस्राएल के पतन का कारण ठहरे.

24इसके अलावा, आहाज़ ने परमेश्वर के भवन के सब बर्तनों को इकट्ठा करके उन पात्रों के टुकड़े-टुकड़े कर दिये और याहवेह के भवन का द्वार बंद करवा दिए. उसने येरूशलेम के कोने-कोने में अपने लिए वेदियां बनवा लीं. 25उसने यहूदिया के हर एक नगर में वेदियों को बनवाया, कि इन पर अन्य देवताओं के लिए धूप जलाई जा सके. इसके द्वारा उसने अपने पूर्वजों के परमेश्वर, याहवेह के क्रोध को भड़का दिया.

26आहाज़ के बाकी कामों और उसकी सारी नीतियों का वर्णन शुरू से अंत तक, यहूदिया और इस्राएल के राजा की पुस्तक में किया गया है. 27तब आहाज़ हमेशा के लिए अपने पूर्वजों से जा मिला. उन्होंने उसे येरूशलेम नगर में ही गाड़ दिया. उन्होंने उसे इस्राएल के राजाओं के लिए ठहराई गई कब्रों में जगह नहीं दी. उसके स्थान पर उसका पुत्र हिज़किय्याह राजा हुआ.