2 राजा 24 – HCV & NAV

Hindi Contemporary Version

2 राजा 24:1-20

1यहोइयाकिम के शासनकाल में बाबेल के राजा नबूकदनेज्ज़र ने देश पर हमला किया. फलस्वरूप उसे तीन साल तक नबूकदनेज्ज़र के अधीन रहना पड़ा. इसके बाद उसने नबूकदनेज्ज़र के विरुद्ध विद्रोह कर दिया. 2याहवेह ने उसके विरुद्ध कादी, अश्शूर, मोआबी और अम्मोनी लुटेरे दल भेज दिए, कि ये दल यहूदिया को नष्ट कर दें. यह याहवेह की उस भविष्यवाणी के अनुसार हुआ जो याहवेह ने अपने सेवकों, भविष्यवक्ताओं द्वारा की थी. 3यह तय था कि यहूदिया पर यह सब याहवेह के आदेश पर ही हुआ, कि वह उन्हें अपनी दृष्टि से दूर कर दें; मनश्शेह के पापों के कारण, उसके द्वारा किए गए कामों के अनुसार. 4साथ ही उसके द्वारा बहाए गए निर्दोषों के लहू के कारण; क्योंकि मनश्शेह ने येरूशलेम को निर्दोषों के लहू से भर दिया था, जिसे याहवेह ने क्षमा नहीं किया.

5यहोइयाकिम द्वारा किए गए अन्य कामों और उसकी उपलब्धियों का ब्यौरा यहूदिया के राजाओं की इतिहास की पुस्तक में दिया गया है. 6तब यहोइयाकिम हमेशा के लिए अपने पूर्वजों में जा मिला. उसके स्थान पर उसके पुत्र यहोइयाखिन ने शासन शुरू किया.

7मिस्र देश का राजा फिर कभी अपने देश से बाहर नहीं आया, क्योंकि बाबेल के राजा ने मिस्र देश के नाले से लेकर फरात नदी तक, मिस्र देश के राजा की सारी संपत्ति छीन ली थी.

यहूदिया पर यहोइयाखिन का शासन

8यहोइयाखिन ने जब शासन करना शुरू किया तब उसकी उम्र अठारह साल थी. येरूशलेम में उसने तीन महीने तक शासन किया. उसकी माता का नाम नेहुष्ता था. वह येरूशलेमवासी एल-नाथान की पुत्री थी. 9उसने अपने पूर्वजों के समान वही सब किया, जो याहवेह की दृष्टि में गलत है.

10उसके शासनकाल में बाबेल के राजा नबूकदनेज्ज़र के सेना के अधिकारियों ने येरूशलेम आकर उसे घेराबंदी कर लिया. 11जब उसके सेना के अधिकारी नगर को घेरे हुए ही थे, तब बाबेल का राजा नबूकदनेज्ज़र स्वयं नगर को आया. 12यहूदिया के राजा यहोइयाखिन ने बाबेल के राजा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया; स्वयं उसने, उसकी माता ने, उसके सेवकों ने, उसके सेना अधिकारियों ने, और उसके राजघराने के सेवकों ने.

यह उसके शासनकाल का आठवां साल था, जब बाबेल के राजा ने उसे बंदी बनाया. 13वहां से उसने याहवेह के मंदिर और राजघराने के सारे खजानों को निकालकर अपने साथ ले गया. उसने इस्राएल के राजा शलोमोन द्वारा याहवेह के मंदिर के लिए याहवेह के आदेश के अनुसार ढाले गए सारे सोने के बर्तनों को तोड़ डाला. यह सब याहवेह की भविष्यवाणी के अनुसार ही हुआ. 14वह अपने साथ सारे येरूशलेम, सारे अधिकारियों, सारे वीर योद्धाओं, सारे शिल्पियों और धातु शिल्पियों को अपने साथ बंधुआई में ले गया—कुल दस हज़ार बंदियों को. वहां कोई भी बचा न रह गया; सिवाय देश के कंगाल नागरिकों के.

15वह यहोइयाखिन को अपने साथ बंधुआई में बाबेल ले गया; उसके अलावा राजमाता, राजा की पत्नियों, उसके अधिकारियों और देश के बड़े-बड़े लोगों को भी वह येरूशलेम से बंधुआई में बाबेल ले गया. 16सभी सात हज़ार वीर योद्धा, एक हज़ार शिल्पी और धातु शिल्पी, जो सभी युद्ध के लिए सक्षम थे. जिन्हें बाबेल का राजा बंधुआई में बाबेल ले आया. 17बाबेल के राजा ने यहोइयाखिन के चाचा मत्तनियाह को उसके स्थान पर राजा ठहरा दिया और उसका नाम बदलकर सीदकियाहू रख दिया.

यहूदिया पर सीदकियाहू का शासन

18जब सीदकियाहू ने शासन शुरू किया उसकी उम्र इक्कीस साल थी. येरूशलेम में उसने ग्यारह साल शासन किया. उसकी माता का नाम हामुतल था. वह लिबनाहवासी येरेमियाह की पुत्री थी. 19उसने वह किया, जो याहवेह की दृष्टि में बुरा था—वही सब, जो यहोइयाकिम ने किया था. 20वस्तुतः येरूशलेम और यहूदिया ने याहवेह को इस सीमा तक क्रोधित कर दिया था, कि याहवेह ने उन्हें अपनी नज़रों से ही दूर कर दिया.

येरूशलेम का पतन

सीदकियाहू ने बाबेल के राजा के विरुद्ध विद्रोह कर दिया.

New Arabic Version

ملوك الثاني 24:1-20

1وَفِي غُضُونِ حُكْمِهِ هَاجَمَ نَبُوخَذْنَصَّرُ مَلِكُ بَابِلَ مَمْلَكَةَ يَهُوذَا، فَخَضَعَ لَهُ يَهُويَاقِيمُ طَوَالَ ثَلاثِ سَنَوَاتٍ، ثُمَّ تَمَرَّدَ عَلَيْهِ. 2فَأَرْسَلَ الرَّبُّ غُزَاةً مِنْ كَلْدَانِيِّينَ وَأَرَامِيِّينَ وَمُوآبِيِّينَ وَعَمُّونِيِّينَ لِلإِغَارَةِ عَلَى مَمْلَكَةِ يَهُوذَا وَإِبَادَتِهَا، بِمُوْجِبِ مَا قَضَى بِهِ الرَّبُّ عَلَى لِسَانِ عَبِيدِهِ الأَنْبِيَاءِ. 3وَقَدْ قَضَى الرَّبُّ بِذَلِكَ لِيَسْتَأْصِلَ إِسْرَائِيلَ مِنْ أَمَامِهِ بِسَبَبِ مَا ارْتَكَبَهُ مَنَسَّى مِنْ آثَامٍ، 4وَانْتِقَاماً لِلدَّمِ الْبَرِيءِ الَّذِي سَفَكَهُ، إِذْ إِنَّهُ مَلأَ أُورُشَلِيمَ بِدِمَاءِ الأَبْرِيَاءِ، فَلَمْ يَشَإِ الرَّبُّ أَنْ يَصْفَحَ عَنْهُ. 5أَمَّا بَقِيَّةُ أَخْبَارِ يَهُويَاقِيمَ وَأَعْمَالُهُ أَلَيْسَتْ هِيَ مُدوَّنَةً فِي كِتَابِ أَخْبَارِ أَيَّامِ مُلُوكِ يَهُوذَا؟ 6ثُمَّ مَاتَ يَهُويَاقِيمُ، وَخَلَفَهُ ابْنُهُ يَهُويَاكِينُ. 7وَلَمْ يَعُدْ مَلِكُ مِصْرَ يَخْرُجُ مِنْ دِيَارِهِ، لأَنَّ مَلِكَ بَابِلَ اسْتَوْلَى عَلَى كُلِّ الأَرَاضِي الْوَاقِعَةِ مِنْ حُدُودِ مِصْرَ الشِّمَالِيَّةِ إِلَى نَهْرِ الْفُرَاتِ، وَالَّتِي كَانَتْ مِصْرُ تَحْتَلُّهَا.

يهوياكين يملك على يهوذا

8وَكَانَ يَهُويَاكِينُ فِي الثَّامِنَةِ عَشْرَةَ مِنْ عُمْرِهِ حِينَ مَلَكَ، وَدَامَ حُكْمُهُ ثَلاثَةَ أَشْهُرٍ فِي أُورُشَلِيمَ، وَاسْمُ أُمِّهِ نَحُوشْتَا بِنْتُ أَلِنَاثَانَ مِنْ أُورُشَلِيمَ. 9وَارْتَكَبَ الشَّرَّ فِي عَيْنَيِ الرَّبِّ عَلَى غِرَارِ مَا فَعَلَ أَبُوهُ.

10وَفِي أَيَّامِهِ زَحَفَ قَادَةُ نَبُوخَذْنَصَّرَ مَلِكِ بَابِلَ عَلَى أُورُشَلِيمَ وَحَاصَرُوا الْمَدِينَةَ. 11ثُمَّ جَاءَ نَبُوخَذْنَصَّرُ مَلِكُ بَابِلَ بِنَفْسِهِ فِي أَثْنَاءِ حِصَارِ الْمَدِينَةِ وَتَسَلَّمَ زِمَامَ الْقِيَادَةِ، 12فَاسْتَسْلَمَ يَهُويَاكِينُ مَلِكُ يَهُوذَا وَأُمُّهُ وَرِجَالُهُ وَقَادَتُهُ وَخِصْيَانُهُ إِلَى مَلِكِ بَابِلَ، فَقَبَضَ عَلَيْهِ نَبُوخَذْنَصَّرُ. وَكَانَ ذَلِكَ فِي السَّنَةِ الثَّامِنَةِ لِمُلْكِهِ. 13وَاسْتَوْلَى عَلَى جَمِيعِ مَا فِي خَزَائِنِ الْهَيْكَلِ وَخَزَائِنِ الْقَصْرِ، وَحَطَّمَ كُلَّ آنِيَةِ الذَّهَبِ الَّتِي صَنَعَهَا سُلَيْمَانُ مَلِكُ إِسْرَائِيلَ لِهَيْكَلِ الرَّبِّ، تَمَاماً كَمَا قَضَى الرَّبُّ. 14وَسَبَى نَبُوخَذْنَصَّرُ أَهْلَ أُورُشَلِيمَ، وَكُلَّ الرُّؤَسَاءِ، وَجَمِيعَ رِجَالِ الْحَرْبِ الأَشِدَّاءِ، وَالْخِصْيَانِ. فَكَانَتْ جُمْلَةُ الْمَسْبِيِّينَ عَشَرَةَ آلافِ مَسْبِيٍّ، كَمَا أَخَذَ الصُّنَّاعَ وَالْحَدَّادِينَ، وَلَمْ يَتْرُكْ فِي يَهُوذَا سِوَى فُقَرَاءِ الشَّعْبِ الْمَسَاكِينِ. 15وَسَبَى يَهُويَاكِينَ وَأُمَّ الْمَلِكِ وَنِسَاءَهُ وَخِصْيَانَهُ وَعُظَمَاءَ الْبِلادِ مِنْ أُورُشَلِيمَ إِلَى بَابِلَ. 16كَمَا سَاقَ سَبْعَةَ آلافٍ مِنَ الْمُحَارِبِينَ الأَشِدَّاءِ وَأَلْفاً مِنَ الصُّنَّاعِ وَالْحَدَّادِينَ إِلَى بَابِلَ، 17وَوَلَّى مَلِكُ بَابِلَ مَتَّنِيَّا عَمَّ يَهُويَاكِينَ خَلَفاً لَهُ، بَعْدَ أَنْ غَيَّرَ اسْمَهُ إِلَى صِدْقِيَّا.

صدقيا يملك على يهوذا

18وَكَانَ صِدْقِيَّا فِي الْحَادِيَةِ وَالْعِشْرِينَ مِنْ عُمْرِهِ حِينَ مَلَكَ، وَدَامَ حُكْمُهُ إِحْدَى عَشْرَةَ سَنَةً فِي أُورُشَلِيمَ، وَاسْمُ أُمِّهِ حَمِّيطَلُ بِنْتُ إِرْمِيَا مِنْ لِبْنَةَ. 19وَارْتَكَبَ الشَّرَّ فِي عَيْنَيِ الرَّبِّ، عَلَى غِرَارِ مَا فَعَلَ يَهُويَاقِيمُ. 20وَلَمْ يَكُنْ مَا أَصَابَ أُورُشَلِيمَ وَيَهُوذَا إِلّا نَتِيجَةً لِغَضَبِ الرَّبِّ، الَّذِي نَبَذَهُمْ أَخِيراً مِنْ حَضْرَتِهِ. وَمَا لَبِثَ صِدْقِيَّا أَنْ تَمَرَّدَ عَلَى مَلِكِ بَابِلَ.