2 कोरिंथ 5 – HCV & NAV

Hindi Contemporary Version

2 कोरिंथ 5:1-21

हमारा स्वर्गीय घर

1हमें यह मालूम है कि जब हमारे सांसारिक तंबू—हमारी देह—को, जिसमें हम रहते हैं, गिरा दिया जाएगा तो हमारे लिए परमेश्वर की ओर से एक ऐसा घर तय किया गया है, जो मनुष्य के हाथ का बनाया हुआ नहीं परंतु स्वर्गीय और अनंत काल का है. 2यह एक सच्चाई है कि हम कराहते हुए वर्तमान घर में उस स्वर्गीय घर को धारण करने की लालसा करते रहते हैं 3क्योंकि उसे धारण करने के बाद हम नंगे न रह जाएंगे. 4सच यह है कि इस घर में रहते हुए हम बोझ में दबे हुए कराहते रहते हैं क्योंकि हम चाहते हैं कि हम नंगे न रहें परंतु वस्त्र धारण करें कि जो कुछ शारीरिक है, वह जीवन का निवाला बन जाए. 5जिन्होंने हमें इस उद्देश्य के लिए तैयार किया है, वह परमेश्वर हैं, जिन्होंने अपना आत्मा हमें बयाने के रूप में दे दिया.

6यही अहसास हमें हमेशा प्रोत्साहित करता रहता है कि जब तक हम अपनी शारीरिक देह के इस घर में हैं, हम प्रभु—अपने घर—से दूर हैं 7क्योंकि हम रूप को देखकर नहीं, विश्वास से जीवित हैं. 8हम पूरी तरह आश्वस्त हैं तथा हमारी इच्छा है कि हम शरीर से अलग हो प्रभु के साथ खुशी5:8 मूल में अपने घर के समान में निवास करें. 9हमारी बड़ी इच्छा भी यही है कि चाहे हम घर में हों या उससे दूर, हम प्रभु को भाते रहें 10क्योंकि यह अवश्य है कि हम सब मसीह के न्यायासन के सामने उपस्थित हों कि हर एक को शारीरिक देह में किए गए उचित या अनुचित के अनुसार फल प्राप्‍त हो.

मेल-मिलाप-सेवकाई

11हमें यह अहसास है कि प्रभु का भय क्या है, इसलिये हम सभी को समझाने का प्रयत्न करते हैं. परमेश्वर के सामने यह स्पष्ट है कि हम क्या हैं और मैं आशा करता हूं कि तुम्हारे विवेक ने भी इसे पहचान लिया है. 12यह तुम्हारे सामने अपनी आत्मप्रशंसा नहीं परंतु यह तुम्हारे लिए एक ऐसा सुअवसर है कि तुम हम पर गर्व करो कि तुम उन्हें इसका उत्तर दे सको, जो अपने मन की बजाय बाहरी रूप का गर्व करते हैं. 13यदि हम बेसुध प्रतीत होते हैं, तो यह परमेश्वर के लिए है और यदि कोमल, तो तुम्हारे लिए. 14अपने लिए मसीह के प्रेम का यह अहसास हमें परिपूर्ण कर देता है कि सबके लिए एक की मृत्यु हुई इसलिये सभी की मृत्यु हो गई; 15और वह, जिनकी मृत्यु सभी के लिए हुई कि वे, जो जीवित हैं, मात्र अपने लिए नहीं परंतु उनके लिए जिए, जिन्होंने प्राणों का त्याग कर दिया तथा मरे हुओं में से सभी के लिए जीवित किए गए.

16इसलिये हमने मनुष्य की दृष्टि से किसी को भी समझना छोड़ दिया है. हां, एक समय था, जब हमने मसीह का अनुमान मनुष्य की दृष्टि से लगाया था—अब नहीं. अब हम उन्हें जान गए हैं. 17यदि कोई मसीह में है, तो वह नई सृष्टि है. पुराना बीत गया. देख लो: सब बातें नई हो गई हैं! 18यह सब परमेश्वर की ओर से है, जिन्होंने मसीह के द्वारा स्वयं से हमारा मेल-मिलाप किया और हमें मेल-मिलाप की सेवकाई सौंपी है. 19दूसरे शब्दों में, परमेश्वर ने संसार के खुद से मेल-मिलाप की स्थापना की प्रक्रिया में मसीह में मनुष्य के अपराधों का हिसाब न रखा. अब उन्होंने हमें मेल-मिलाप की सेवकाई सौंप दी है. 20इसलिये हम मसीह के राजदूत हैं. परमेश्वर हमारे द्वारा तुमसे विनती कर रहे हैं. मसीह की ओर से तुमसे हमारी विनती है: परमेश्वर से मेल-मिलाप कर लो. 21वह, जो निष्पाप थे, उन्हें परमेश्वर ने हमारे लिए पाप5:21 या पापार्पण बना दिया कि हम उनमें परमेश्वर की धार्मिकता बन जाएं.

New Arabic Version

كورنثوس الثانية 5:1-21

مسكننا السماوي

1فَإِنَّنَا نَعْلَمُ أَنَّهُ مَتَى تَهَدَّمَتْ خَيْمَتُنَا الأَرْضِيَّةُ الَّتِي نَسْكُنُهَا الآنَ، يَكُونُ لَنَا بِنَاءٌ مِنَ اللهِ: بَيْتٌ لَمْ تَصْنَعْهُ أَيْدِي الْبَشَرِ، أَبَدِيٌّ فِي السَّمَاوَاتِ. 2فَالْوَاقِعُ أَنَّنَا، وَنَحْنُ فِي هَذَا الْمَسْكِنِ، نَئِنُّ مُتَشَوِّقِينَ أَنْ نَلْبَسَ فَوْقَهُ بَيْتَنَا السَّمَاوِيَّ، 3حَتَّى إِذَا لَبِسْنَاهُ لَا نُوجَدُ عُرَاةً. 4ذَلِكَ أَنَّنَا، نَحْنُ السَّاكِنِينَ فِي هذِهِ الْخَيْمَةِ، نَئِنُّ كَمَنْ يَحْمِلُ ثِقْلاً، فَنَحْنُ لَا نُرِيدُ أَنْ نَخْلَعَهَا، بَلْ أَنْ نَلْبَسَ فَوْقَهَا مَسْكَنَنَا السَّمَاوِيَّ، فَتَبْتَلِعَ الْحَيَاةُ مَا هُوَ مَائِتٌ فِينَا. 5وَالَّذِي أَعَدَّنَا لِهَذَا الأَمْرِ بِعَيْنِهِ هُوَ اللهُ، وَقَدْ أَعْطَانَا الرُّوحَ عُرْبُوناً أَيْضاً. 6لِذَلِكَ نَحْنُ وَاثِقُونَ دَائِماً، وَعَالِمُونَ أَنَّنَا مَادُمْنَا مُقِيمِينَ فِي الْجَسَدِ، نَبْقَى مُغْتَرِبِينَ عَنِ الرَّبِّ، 7لأَنَّنَا نَسْلُكُ بِالإِيمَانِ لَا بِالْعِيَانِ. 8فَنَحْنُ وَاثِقُونَ إِذَنْ، وَرَاضُونَ بِالأَحْرَى أَنْ نَكُونَ مُغْتَرِبِينَ عَنِ الْجَسَدِ وَمُقِيمِينَ عِنْدَ الرَّبِّ. 9وَلِذَلِكَ أَيْضاً نَحْرِصُ أَنْ نُرْضِيَهُ، سَوَاءٌ أَكُنَّا مُقِيمِينَ أَمْ مُغْتَرِبِينَ. 10إِذْ لابُدَّ أَنْ نَقِفَ جَمِيعاً مَكْشُوفِينَ أَمَامَ كُرْسِيِّ الْمَسِيحِ، لِيَنَالَ كُلُّ وَاحِدٍ مِنَّا اسْتِحْقَاقَ مَا عَمِلَهُ حِينَ كَانَ فِي الْجَسَدِ، صَالِحاً كَانَ أَمْ رَدِيئاً!

خدمة المصالحة

11فَبِدَافِعِ وَعْيِنَا لِرَهْبَةِ الرَّبِّ، نُحَاوِلُ إِقْنَاعَ النَّاسِ. وَلَكِنَّنَا ظَاهِرُونَ أَمَامَ اللهِ، وَأَرْجُو أَنْ نَكُونَ ظَاهِرِينَ أَيْضاً فِي ضَمَائِرِكُمْ. 12لَيْسَ أَنَّنَا عُدْنَا إِلَى مَدْحِ أَنْفُسِنَا أَمَامَكُمْ؛ بَلْ إِنَّمَا نُقَدِّمُ لَكُمْ مُبَرِّراً لِلافْتِخَارِ بِنَا، لِيَكُونَ لَكُمْ حُجَّةٌ تَرُدُّونَ بِها عَلَى الَّذِينَ يَفْتَخِرُونَ بِالْمَظَاهِرِ لَا بِمَا فِي الْقَلْبِ. 13أَتُرَانَا فَقَدْنَا صَوَابَنَا؟ إِنَّ ذَلِكَ لأَجْلِ اللهِ. أَمْ تُرَانَا مُتَعَقِّلِينَ؟ إِنَّ ذلِكَ لأَجْلِكُمْ. 14فَإِنَّ مَحَبَّةَ الْمَسِيحِ تُسَيْطِرُ عَلَيْنَا، وَقَدْ حَكَمْنَا بِهَذَا: مَادَامَ وَاحِدٌ قَدْ مَاتَ عِوَضاً عَنِ الْجَمِيعِ، فَمَعْنَى ذَلِكَ أَنَّ الْجَمِيعَ مَاتُوا؛ 15وَهُوَ قَدْ مَاتَ عِوَضاً عَنِ الْجَمِيعِ حَتَّى لَا يَعِيشَ الأَحْيَاءُ فِيمَا بَعْدُ لأَنْفُسِهِمْ بَلْ لِلَّذِي مَاتَ عِوَضاً عَنْهُمْ ثُمَّ قَامَ.

16إِذَنْ، نَحْنُ مُنْذُ الآنَ لَا نَعْرِفُ أَحَداً مَعْرِفَةً بَشَرِيَّةً. وَلَكِنْ إِنْ كُنَّا قَدْ عَرَفْنَا الْمَسِيحَ مَعْرِفَةً بَشَرِيَّةً، فَنَحْنُ الآنَ لَا نَعْرِفُهُ هكَذَا بَعْدُ. 17فَإِنَّهُ إِذَا كَانَ أَحَدٌ فِي الْمَسِيحِ، فَهُوَ خَلِيقَةٌ جَدِيدَةٌ: إِنَّ الأَشْيَاءَ الْقَدِيمَةَ قَدْ زَالَتْ، وَهَا كُلُّ شَيْءٍ قَدْ صَارَ جَدِيداً. 18وَكُلُّ شَيْءٍ هُوَ مِنْ عِنْدِ اللهِ الَّذِي صَالَحَنَا مَعَ نَفْسِهِ بِالْمَسِيحِ، ثُمَّ سَلَّمَنَا خِدْمَةَ هَذِهِ الْمُصَالَحَةِ. 19ذَلِكَ أَنَّ اللهَ كَانَ فِي الْمَسِيحِ مُصَالِحاً الْعَالَمَ مَعَ نَفْسِهِ، غَيْرَ حَاسِبٍ عَلَيْهِمْ خَطَايَاهُمْ، وَقَدْ وَضَعَ بَيْنَ أَيْدِينَا رِسَالَةَ هَذِهِ الْمُصَالَحَةِ. 20فَنَحْنُ إِذَنْ سُفَرَاءُ الْمَسِيحِ، وَكَأَنَّ اللهَ يَعِظُ بِنَا نُنَادِي عَنِ الْمَسِيحِ: «تَصَالَحُوا مَعَ اللهِ!» 21فَإِنَّ الَّذِي لَمْ يَعْرِفْ خَطِيئَةً، جَعَلَهُ اللهُ خَطِيئَةً لأَجْلِنَا، لِنَصِيرَ نَحْنُ بِرَّ اللهِ فِيهِ.