1 शमुएल 31 – HCV & NAV

Hindi Contemporary Version

1 शमुएल 31:1-13

शाऊल की मृत्यु

1फिलिस्तीनियों ने इस्राएल पर हमला कर दिया. इस्राएली सैनिक फिलिस्तीनियों के सामने टिक न सके. अनेक गिलबोआ पर्वत पर मारे गए. 2फिलिस्तीनियों ने शाऊल और उनके पुत्रों को जा पकड़ा, और उन्होंने शाऊल के पुत्रों योनातन, अबीनादाब तथा मालखी-शुआ की हत्या कर दी. 3शाऊल के आस-पास युद्ध बहुत ही उग्र था. धनुर्धारियों ने उन्हें देख लिया और उन्हें बहुत ही गंभीर रूप घायल कर दिया.

4शाऊल ने अपने शस्त्रवाहक को आदेश दिया, “इसके पहले कि ये अख़तनित आकर मेरी दुर्गति करके मुझ पर तलवार का प्रहार करें, तुम अपनी तलवार से मुझ पर प्रहार कर दो.”

मगर उस भयभीत शस्त्रवाहक ने यह विनती अस्वीकार कर दी. तब स्वयं शाऊल ने अपनी तलवार निकाली और उस पर गिर पड़े. 5जब उनके शस्त्रवाहक ने देखा कि शाऊल की मृत्यु हो गई है, वह स्वयं अपनी तलवार पर गिर गया, और उसकी भी मृत्यु शाऊल के ही साथ हो गई. 6इस प्रकार शाऊल, उनके तीन पुत्र, उनका शस्त्रवाहक तथा उनके सभी सैनिकों की मृत्यु एक ही दिन हो गई.

7जब घाटी के और यरदन पार के इस्राएलियों ने देखा कि इस्राएली सेना पीठ दिखाकर भाग रही है, शाऊल और उनके पुत्र युद्ध में मारे गए हैं, वे नगर छोड़-छोड़कर भागने लगे. तब फिलिस्तीनी आए और नगरों में निवास करने लगे.

8अगले दिन, जब फिलिस्तीनी आए कि शवों से जो मिल सके, अपने लिए उठा ले जाएं. उन्हें गिलबोआ पर्वत पर शाऊल और उसके तीन पुत्रों के शव दिखाई दिए. 9उन्होंने शाऊल का सिर काटा, उनके हथियार उनकी शव से उतार लिए, और अपने देवताओं के मंदिर तथा सारा फिलिस्तिया देश के लोगों को यह संदेश अपने दूतों द्वारा भेज दिया. 10उन्होंने शाऊल के शस्त्र ले जाकर अश्तोरेथ के मंदिर में सजा दिया तथा उनके शव को बेथ-शान नगर की दीवार पर जड़ दिया.

11जब याबेश-गिलआदवासियों तक यह समाचार पहुंचा कि शाऊल के साथ फिलिस्तीनियों ने कैसा व्यवहार किया है, 12वहां के सारे योद्धा इकट्ठा हुए, सारी रात यात्रा की, और शाऊल के तथा उनके पुत्रों के शवों को नगर बेथ-शान प्राचीर से उतारकर याबेश नामक स्थान को ले गए. वहां उन्होंने शवों को जला दिया. 13फिर उन्होंने उनकी अस्थियां लेकर उन्हें याबेश के झाऊ वृक्ष के नीचे गाड़ दिया. उसके बाद उन्होंने सात दिन उपवास रखा.

New Arabic Version

صموئيل الأول 31:1-13

شاول ينهي حياته

1وَحَارَبَ الْفِلِسْطِينِيُّونَ بَنِي إِسْرَائِيلَ عَلَى جَبَلِ جِلْبُوعَ، فَقُتِلَ مِنْهُمْ جَمْعٌ غَفِيرٌ وَهَرَبَ الْبَاقُونَ. 2وَتَعَقَّبَ الْفِلِسْطِينِيُّونَ شَاوُلَ وَأَبْنَاءَهُ، فَقَتَلُوا مِنْهُمْ يُونَاثَانَ وَأَبِينَادَابَ وَمَلْكِيشُوعَ. 3وَاشْتَدَّتِ الْمَعْرَكَةُ حَوْلَ شَاوُلَ، وَأَثْخَنَ رُمَاةُ السِّهَامِ شَاوُلَ بِالْجِرَاحِ. 4فَقَالَ شَاوُلُ لِحَامِلِ سِلاحِهِ: «اسْتَلَّ سَيْفَكَ وَاقْتُلْنِي بِهِ، لِئَلّا يَأْتِيَ هَؤُلاءِ الْغُلْفُ وَيَطْعَنُونِي وَيُشَوِّهُونِي». فَأَبَى حَامِلُ سِلاحِهِ الانْصِيَاعَ لِطَلَبِ سَيِّدِهِ خَوْفاً، فَأَخَذَ شَاوُلُ السَّيْفَ وَوَقَعَ عَلَيْهِ. 5وَعِنْدَمَا شَاهَدَ حَامِلُ سِلاحِهِ أَنَّ شَاوُلَ قَدْ مَاتَ، وَقَعَ هُوَ أَيْضاً عَلَى سَيْفِهِ وَمَاتَ. 6وَهَكَذَا مَاتَ فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ شَاوُلُ وَأَبْنَاؤُهُ الثَّلاثَةُ وَحَامِلُ سِلاحِهِ وَجَمِيعُ رِجَالِهِ مَعاً. 7وَحِينَ رَأَى رِجَالُ إِسْرَائِيلَ الْمُقِيمِينَ عَلَى مُحَاذَاةِ الْوَادِي وَعَبْرِ الأُرْدُنِّ أَنَّ جَيْشَ إِسْرَائِيلَ قَدْ هَرَبَ، وَأَنَّ شَاوُلَ وَأَبْنَاءَهُ قَدْ مَاتُوا، هَجَرُوا الْمُدُنَ وَفَرُّوا. فَأَتَى الْفِلِسْطِينِيُّونَ وَسَكَنُوا فِيهَا.

8وَعِنْدَمَا جَاءَ الْفِلِسْطِينِيُّونَ فِي الْيَوْمِ التَّالِي لِيَسْلُبُوا الْقَتْلَى عَثَرُوا عَلَى شَاوُلَ وَعَلَى أَبْنَائِهِ الثَّلاثَةِ صَرْعَى فِي جَبَلِ جِلْبُوعَ، 9فَقَطَعُوا رَأْسَ شَاوُلَ وَنَزَعُوا سِلاحَهُ، وَبَعَثُوا يُبَشِّرُونَ فِي جَمِيعِ أَرْجَاءِ بِلادِ الْفِلِسْطِينِيِّينَ وَفِي مَعَابِدِهِمْ وَبَيْنَ قَوْمِهِمْ. 10وَوَضَعُوا سِلاحَهُ فِي مَعْبَدِ عَشْتَارُوثَ، وَسَمَّرُوا جَسَدَهُ عَلَى سُورِ بَيْتِ شَانَ. 11وَحِينَ بَلَغَ أَهْلَ يَابِيشَ جِلْعَادَ مَا فَعَلَهُ الْفِلِسْطِينِيُّونَ بِجُثَّةِ شَاوُلَ، 12هَبَّ كُلُّ الْمُحَارِبِينَ الصَّنَادِيدِ وَسَارُوا اللَّيْلَ كُلَّهُ، وَأَنْزَلُوا جُثَّةَ شَاوُلَ وَجُثَثَ أَبْنَائِهِ عَنْ سُورِ بَيْتِ شَانَ، وَنَقَلُوهَا إِلَى يَابِيشَ وَأَحْرَقُوهَا هُنَاكَ. 13ثُمَّ جَمَعُوا عِظَامَهُمْ وَدَفَنُوهَا تَحْتَ الأَثْلَةِ فِي يَابِيشَ، وَصَامُوا سَبْعَةَ أَيَّامٍ.