स्तोत्र 90 – HCV & CCBT

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 90:1-17

चतुर्थ पुस्तक

स्तोत्र 90–106

स्तोत्र 90

परमेश्वर के प्रिय पात्र मोशेह की एक प्रार्थना

1प्रभु, समस्त पीढ़ियों में

आप हमारे आश्रय-स्थल बने रहे हैं.

2इसके पूर्व कि पर्वत अस्तित्व में आते

अथवा पृथ्वी तथा संसार की रचना की जाती,

अनादि से अनंत तक परमेश्वर आप ही हैं.

3आप मनुष्य को यह कहकर पुनः धूल में लौटा देते हैं,

“मानव-पुत्र, लौट जा.”

4आपके लिए एक हजार वर्ष वैसे ही होते हैं,

जैसे गत कल का दिन;

अथवा रात्रि का एक प्रहर.

5आप मनुष्यों को ऐसे समेट ले जाते हैं, जैसे बाढ़; वे स्वप्न मात्र होते हैं—

प्रातःकाल में बढ़ने वाली कोमल घास के समान:

6जो प्रातःकाल फूलती है, उसमें बढ़ती है,

किंतु संध्या होते-होते यह मुरझाती और सूख जाती है.

7आपका कोप हमें मिटा डालता है,

आपकी अप्रसन्‍नता हमें घबरा देती है.

8हमारे अपराध आपके सामने खुले हैं,

आपकी उपस्थिति में हमारे गुप्‍त पाप प्रकट हो जाते हैं.

9हमारे जीवन के दिन आपके क्रोध की छाया में ही व्यतीत होते हैं;

हम कराहते हुए ही अपने वर्ष पूर्ण करते हैं.

10हमारी जीवन अवधि सत्तर वर्ष है—संभवतः

अस्सी वर्ष, यदि हम बलिष्ठ हैं;

हमारी आयु का अधिकांश हम दुःख और कष्ट में व्यतीत करते हैं,

हां, ये तीव्र गति से समाप्‍त हो जाते हैं और हम कूच कर जाते हैं.

11आपके कोप की शक्ति की जानकारी कौन ले सका है!

आपका कोप उतना ही व्यापक है जितना कि लोगों के द्वारा आपका भय मानना.

12हमें जीवन की न्यूनता की धर्ममय विवेचना करने की अंतर्दृष्टि प्रदान कीजिए,

कि हमारा हृदय बुद्धिमान हो जाए.

13याहवेह! मृदु हो जाइए, और कितना विलंब?

कृपा कीजिए-अपने सेवकों पर.

14प्रातःकाल में ही हमें अपने करुणा-प्रेम90:14 करुणा-प्रेम मूल में ख़ेसेद इस हिब्री शब्द के अर्थ में अनुग्रह, दया, प्रेम, करुणा ये सब शामिल हैं से संतुष्ट कर दीजिए,

कि हम आजीवन उल्‍लसित एवं हर्षित रहें.

15हमारे उतने ही दिनों को आनंद से तृप्‍त कर दीजिए, जितने दिन आपने हमें ताड़ना दी थी,

उतने ही दिन, जितने वर्ष हमने दुर्दशा में व्यतीत किए हैं.

16आपके सेवकों के सामने आपके महाकार्य स्पष्ट हो जाएं

और उनकी संतान पर आपका वैभव.

17हम पर प्रभु, हमारे परमेश्वर की मनोहरता स्थिर रहे;

तथा हमारे लिए हमारे हाथों के परिश्रम को स्थायी कीजिए—

हां, हमारे हाथों का परिश्रम स्थायी रहे.

Chinese Contemporary Bible 2023 (Traditional)

詩篇 90:1-17

卷四:詩篇90—106

第90篇

上帝與世人

上帝的僕人摩西的祈禱。

1主啊,

你是我們世世代代的居所。

2群山尚未誕生,

大地和世界還未形成,

你就是上帝,直到永永遠遠。

3你叫人歸回塵土,

說:「世人啊,歸回塵土吧。」

4在你眼中,

千年如剛過的昨日,又如夜裡的一更。

5你像急流一般把世人沖走,

叫他們如夢消逝。

他們像清晨的嫩草,

6清晨還生機盎然,

傍晚就凋謝枯萎。

7我們被你的怒氣消滅,

你的憤怒使我們顫抖。

8你知道我們的罪惡,

我們隱秘的罪顯露在你面前。

9我們活在你的烈怒之下,

一生就像一聲歎息飛逝而去。

10我們一生七十歲,

強壯的可活八十歲,

但人生最美好的時光也充滿勞苦和愁煩,

生命轉瞬即逝,

我們便如飛而去。

11誰明白你憤怒的威力?

誰明白你的烈怒而給你當得的敬畏呢?

12求你教導我們明白人生有限,

使我們做有智慧的人。

13耶和華啊,我還要等候多久?

求你回轉,憐憫你的僕人。

14求你在清晨以慈愛來滿足我們,

使我們一生歡喜歌唱。

15你使我們先前經歷了多少苦難和不幸的歲月,

求你也賜給我們多少歡樂的歲月。

16求你讓僕人們看見你的作為,

讓我們的後代看見你的威榮。

17願主,我們的上帝恩待我們,

使我們所做的亨通,

使我們所做的亨通。