व्यवस्था 7 – HCV & NAV

Hindi Contemporary Version

व्यवस्था 7:1-26

मनोनीत राष्ट्र

1जब याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें उस देश में प्रवेश करा देंगे, तुम जिस देश पर अधिकार करने पर हो और याहवेह तुम्हारे परमेश्वर, तुम्हारे सामने से अमोरियों, कनानियों, हित्तियों, परिज्ज़ियों, हिव्वियों, यबूसियों तथा गिर्गाशियों जैसी अनेक जनताओं को, जो तुमसे अधिक मजबूत और गिनती में तुमसे अधिक हैं, वहां से निष्कासित कर देंगे, 2और जब याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर, उन्हें तुम्हें सौंपेंगे और तुम उन्हें हरा दोगे, तब तुम उन्हें पूरी तरह नाश कर दोगे. तुम उनके साथ किसी भी प्रकार की वाचा स्थापित नहीं करोगे, न उनके प्रति किसी प्रकार की सहानुभूति ही दिखाओगे. 3इसके अलावा, तुम उनके साथ वैवाहिक संबंध स्थापित नहीं करोगे; न उनके पुत्रों को अपनी पुत्रियां दोगे और न अपने पुत्रों के लिए उनकी पुत्रियों को अपनाओगे, 4क्योंकि वे तुम्हारे पुत्रों को मेरा अनुसरण करने से भटका देंगी, कि तुम पराए देवताओं की उपासना करने लगोगे. तब तो याहवेह का क्रोध तुम पर भड़क जाएगा, और वह बिना देरी के तुम्हें नाश कर देंगे. 5उनके विषय में तुम्हारी नीति यह होगी: तुम उनकी वेदियां ध्वस्त कर दोगे, उनके लिए पवित्र उनके खंभों को तोड़ दोगे, उनके लिए पवित्र अशेराह खंभों को काट डालोगे, और उनकी मूर्तियों को भस्म कर दोगे. 6क्योंकि तुम याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के लिए अलग की गई प्रजा हो, याहवेह तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें पृथ्वी के सारे राष्ट्रों में से अपनी निज प्रजा होने के लिया चुना है.

7याहवेह ने तुम्हें अपना प्रेम पात्र इसलिये नहीं बना लिया और तुम्हें इसलिये नहीं चुन लिया, कि तुम अन्य राष्ट्रों की तुलना में गिनती में अधिक थे, वस्तुतः तुम तो सभी राष्ट्रों की तुलना में बहुत कम ही थे. 8मगर यह इसलिये कि याहवेह ने तुमसे प्रेम किया और अपनी उस प्रतिज्ञा को पूरी की, जो उन्होंने तुम्हारे पूर्वजों से शपथपूर्वक की थी. याहवेह ने तुम्हें अपनी समर्थ भुजा के द्वारा निकाला था, दासत्व के जीवन से मुक्त किया; मिस्र के राजा फ़रोह के बंधन से. 9तब यह समझ लो, कि याहवेह तुम्हारे परमेश्वर ही, परमेश्वर हैं. वह विश्वासयोग्य परमेश्वर हैं, वह सहस्र पीढ़ी तक अपनी वाचा और अपार प्रेम उन पर स्थायी रखते हैं, जो उनसे प्रेम करते और उनके आदेशों का पालन करते हैं. 10लेकिन

वे उन लोगों को दंडित करने और उन्हें नष्ट करने में संकोच नहीं करेंगे, जो उनसे घृणा करते हैं;

वे उन लोगों से विलंब न करते हुए मुह तोड़ बदला लेंगे, जो उनसे नफरत करते हैं.

11फिर आज मैं तुम्हें जैसा आदेश दे रहा हूं, तुम उन आदेशों, नियमों और विधियों का पालन करोगे.

12फिर इसका परिणाम यह होगा कि जब तुमने इन विधियों के प्रति सावधानी रखी और उनका पालन करते रहे हो, तो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर भी तुम्हारे साथ अपनी वाचा का पालन करेंगे, अपना अपार प्रेम तुम पर बनाए रखेंगे, जैसे उन्होंने तुम्हारे पूर्वजों से प्रतिज्ञा की थी. 13याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुमसे प्रेम करेंगे, तुम्हें समृद्धि देंगे और तुम्हारी गिनती में बढ़ौत्तरी करेंगे. वह तुम्हारे गर्भ के फल को, तुम्हारी भूमि की उपज—तुम्हारे नए अंगूरों के रस और तुम्हारे जैतून के तेल—को आशीषित करेंगे. उस देश में जिसकी प्रतिज्ञा उन्होंने तुम्हारे पूर्वजों से की थी, तुम्हारे पशुओं में वृद्धि होती रहेगी और तुम्हारी भेड़-बकरियों के मेमनों में भी वृद्धि होगी. 14तुम सभी राष्ट्रों की तुलना में अधिक समृद्ध होओगे. तुममें अथवा तुम्हारे पशुओं में कोई भी नर अथवा मादा बांझ न होगी. 15याहवेह तुम्हारे बीच से सभी रोगों को निरस्त कर देंगे. वह तुम पर मिस्र देश की कोई भी भयंकर बीमारी हावी न होने देंगे, जो तुमने मिस्र देश में देखी थी; मगर वह इन रोगों को उन पर प्रभावी कर देंगे, जो तुमसे घृणा करते हैं. 16तुम उन सभी राष्ट्रों को मिटा डालोगे, जिन्हें याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें सौंपने पर हैं. तुम्हारी आंखों में उनके प्रति ज़रा भी कृपा न आएगी और न तुम उनके देवताओं की उपासना करोगे; क्योंकि यही तुम्हारे लिए फंदा हो जाएगा.

17यदि तुम्हारे मन में यह विचार आए, “ये जनता तो हमसे अधिक मजबूत हैं. हम कैसे उन्हें यहां से निकालेंगे?” 18तब तुम उनसे भयभीत न होओगे. सही होगा कि तुम यह याद करो कि याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर ने फ़रोह और सारे मिस्र के साथ क्या किया था. 19खुद तुम्हारे द्वारा देखी गईं वे भयानक विपत्तियां, वे चिन्ह, चमत्कार और मजबूत भुजा और बढ़ाए हुए हाथ, जिसके द्वारा याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें निकाल लिया. याहवेह तुम्हारे परमेश्वर उन सभी राष्ट्रों के साथ, जो आज तुम्हारे लिए भय का विषय हैं, वही सब करेंगे. 20इसके अलावा याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर उनका मन कच्चा कर देंगे, जिससे कि वे, जो बचे हैं और तुमसे छिपे हुए हैं, नाश हो ही जाएंगे. 21तुम उनसे भयभीत न होओगे, क्योंकि याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हारे बीच में हैं, वह, जो सर्वशक्तिमान और भय-योग्य परमेश्वर हैं. 22याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हारे सामने से इन सारी जनताओं को धीरे धीरे खदेड़ते चले जाएंगे. तुम्हारे लिए उन्हें शीघ्रतापूर्वक समाप्‍त करना असंभव होगा, क्योंकि उस स्थिति में वन्य पशुओं की गिनती बहुत बढ़ जाएगी. 23मगर याहवेह तुम्हारे परमेश्वर उन्हें तुम्हें सौंपते जाएंगे और उनको बहुत व्याकुल कर देंगे, जिससे वे नाश हो जाएंगे. 24याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर, उनके राजाओं को तुम्हारे हाथों में सौंप देंगे, कि तुम पृथ्वी पर से उनका अस्तित्व ही मिटा दो. कोई भी इस योग्य न पाया जाएगा कि तुम्हारा सामना कर सके और तुम उन्हें नाश कर दोगे. 25तुम उनकी ढली हुई मूर्तियों को दाह कर दोगे. तुम उन मूर्तियों के चांदी और सोने का लालच नहीं करोगे और न इन्हें अपने पास रख लोगे, नहीं तो यह तुम्हारे लिए फंदा सिद्ध होगा, क्योंकि यह याहवेह तुम्हारे परमेश्वर की दृष्टि में घृणित है. 26तुम कोई भी घृणित वस्तु अपने घर में लेकर न आओगे, नहीं तो तुम खुद उसके समान ही विनाश के योग्य हो जाओगे. तुम इससे पूरी तरह घृणा करोगे, क्योंकि यह वह वस्तु है, जो अशुद्ध है.

New Arabic Version

التثنية 7:1-26

طرد الأمم

1وَمَتَى أَدْخَلَكُمُ الرَّبُّ إِلَهُكُمْ إِلَى الأَرْضِ الَّتِي أَنْتُمْ مَاضُونَ إِلَيْهَا لِتَرِثُوهَا، وَطَرَدَ مِنْ أَمَامِكُمْ سَبْعَ أُمَمٍ، أَكْثَرَ وَأَعْظَمَ مِنْكُمْ، وَهُمُ الْحِثِّيُّونَ وَالْجِرْجَاشِيُّونَ وَالأَمُورِيُّونَ وَالْكَنْعَانِيُّونَ وَالْفِرِزِّيُّونَ وَالْحِوِّيُّونَ وَالْيَبُوسِيُّونَ. 2وَأَسْلَمَهُمُ الرَّبُّ إِلَيْكُمْ وَهَزَمْتُمُوهُمْ، فَإِنَّكُمْ تُحَرِّمُونَهُمْ. لَا تَقْطَعُوا لَهُمْ عَهْداً، وَلا تَرْفُقُوا بِهِمْ، 3وَلا تُصَاهِرُوهُمْ. فَلا تُزَوِّجُوا بَنَاتِكُمْ مِنْ أَبْنَائِهِمْ، وَلا أَبْنَاءَكُمْ مِنْ بَنَاتِهِمْ، 4إِذْ يُغْوُونَ أَبْنَاءَكُمْ عَنْ عِبَادَتِي لِيَعْبُدُوا آلِهَةً أُخْرَى، فَيَحْتَدِمُ غَضَبُ الرَّبِّ عَلَيْكُمْ وَيُهْلِكُكُمْ سَرِيعاً. 5وَلَكِنْ هَذَا مَا تَفْعَلُونَهُ بِهِمْ: اهْدِمُوا مَذَابِحَهُمْ وَحَطِّمُوا أَصْنَامَهُمْ وَقَطِّعُوا سَوَارِيَهُمْ وَأَحْرِقُوا تَمَاثِيلَهُمْ.

6لأَنَّكُمْ شَعْبٌ مُقَدَّسٌ لِلرَّبِّ إِلَهِكُمْ. فَإِيَّاكُمْ قَدِ اخْتَارَ الرَّبُّ إِلَهُكُمْ مِنْ بَيْنِ جَمِيعِ شُعُوبِ الأَرْضِ لِتَكُونُوا شَعْبَهُ الْخَاصَّ. 7وَلَمْ يُفَضِّلْكُمُ الرَّبُّ وَيَتَخَيَّرْكُمْ لأَنَّكُمْ أَكْثَرُ عَدَداً مِنْ سَائِرِ الشُّعُوبِ، فَأَنْتُمْ أَقَلُّ الأُمَمِ عَدَداً. 8بَلْ مِنْ مَحَبَّتِهِ، وَحِفَاظاً عَلَى الْقَسَمِ الَّذِي أَقْسَمَ بِهِ لِآبَائِكُمْ، أَخْرَجَكُمْ بِقُوَّةٍ فَائِقَةٍ، وَفَدَاكُمْ مِنْ نِيرِ عُبُودِيَّةِ فِرْعَوْنَ مَلِكِ مِصْرَ. 9فَاعْلَمُوا أَنَّ الرَّبَّ إِلَهَكُمْ هُوَ اللهُ، الإِلَهُ الأَمِينُ الْوَفِيُّ بِالْعَهْدِ وَالإِحْسَانِ لِمُحِبِّيهِ وَحَافِظِي وَصَايَاهُ إِلَى أَلْفِ جِيلٍ. 10وَهُوَ يُجَازِي مُبْغِضِيهِ عَلَناً، فَيَسْتَأْصِلُهُمْ وَلا يَتَمَهَّلُ، بَلْ يُسْرِعُ فِي مُعَاقَبَةِ مَنْ يُبْغِضُهُ. 11فَأَطِيعُوا الْوَصَايَا وَالْفَرَائِضَ وَالأَحْكَامَ الَّتِي أُوْصِيكُمْ بِها الْيَوْمَ لِتُمَارِسُوهَا.

12فَإِنِ اسْتَمَعْتُمْ إِلَى هَذِهِ الأَحْكَامِ وَأَطَعْتُمُوهَا وَعَمِلْتُمْ بِها، فَإِنَّ الرَّبَّ إِلَهَكُمْ يُحَافِظُ لَكُمْ عَلَى الْعَهْدِ وَالإِحْسَانِ كَمَا حَلَفَ لِآبَائِكُمْ. 13وَيُحِبُّكُمْ وَيُبَارِكُكُمْ وَيُكَثِّرُكُمْ، وَيُبَارِكُ ثَمَرَةَ أَحْشَائِكُمْ وَغَلَّةَ أَرْضِكُمْ مِنْ قَمْحٍ وَخَمْرٍ وَزَيْتٍ، وَيَزِيدُ مِنْ إِنْتَاجِ بَقَرِكُمْ وَنِعَاجِكُمْ عَلَى الأَرْضِ الَّتِي أَقْسَمَ لِآبَائِكُمْ أَنْ يَهَبَهَا لَكُمْ. 14وَتَكُونُونَ مُبَارَكِينَ أَكْثَرَ مِنْ جَمِيعِ الشُّعُوبِ، فَلا يُوْجَدُ عَقِيمٌ وَلا عَاقِرٌ فِيكُمْ وَلا فِي بَهَائِمِكُمْ. 15وَيَقِيكُمُ الرَّبُّ مِنْ كُلِّ عِلَّةٍ، وَكُلِّ أَمْرَاضِ مِصْرَ الْخَبِيثَةِ الَّتِي عَايَنْتُمُوهَا، وَلا يُصِيبُكُمْ بِها، بَلْ يَجْعَلُهَا عَلَى مُبْغِضِيكُمْ. 16وَتَسْتَأْصِلُونَ جَمِيعَ الشُّعُوبِ الَّذِينَ يُسْلِمُهُمُ الرَّبُّ إِلَيْكُمْ، فَلا تُشْفِقُوا عَلَيْهِمْ وَلا تَعْبُدُوا آلِهَتَهُمْ لأَنَّ ذَلِكَ شَرَكٌ لَكُمْ.

17وَإِنْ تَسَاءَلْتُمْ فِي قُلُوبِكُمْ: إِنَّ هَذِهِ الشُّعُوبَ أَكْثَرُ مِنَّا عَدَداً، فَكَيْفَ نَقْدِرُ أَنْ نَطْرُدَهُمْ؟ 18لَا تَخَافُوا مِنْهُمْ بَلِ اذْكُرُوا مَا صَنَعَهُ الرَّبُّ إِلَهُكُمْ بِفِرْعَوْنَ وَسَائِرِ الْمِصْرِيِّينَ. 19اذْكُرُوا الْوَيْلاتِ الْعَظِيمَةَ الَّتِي شَهِدَتْهَا أَعْيُنُكُمْ وَالْمُعْجِزَاتِ وَالْعَجَائِبَ وَالْقُوَّةَ الشَّدِيدَةَ وَالْقُدْرَةَ الْفَائِقَةَ الَّتِي أَخْرَجَكُمْ بِها الرَّبُّ إِلَهُكُمْ، فَهَكَذَا يَفْعَلُ الرَّبُّ إِلَهُكُمْ بِجَمِيعِ الأُمَمِ الَّتِي تَخْشَوْنَهَا.

20وَيُرْسِلُ عَلَيْهِمِ الرَّبُّ إِلَهُكُمْ الزَّنَابِيرَ وَيُبِيدُ الْبَاقِينَ الْمُحْتَجِبِينَ مِنْ وَجْهِكُمْ. 21لَا تَرْهَبُوهُمْ، لأَنَّ الرَّبَّ إِلَهَكُمُ الْحَالَّ بَيْنَكُمْ إِلَهٌ عَظِيمٌ وَمَرْهُوبٌ. 22غَيْرَ أَنَّ الرَّبَّ إِلَهَكُمْ سَيَطْرُدُ تِلْكَ الأُمَمَ مِنْ أَمَامِكُمْ تَدْرِيجِيًّا، لِئَلّا تَتَكَاثَرَ عَلَيْكُمْ وُحُوشُ الْبَرِّيَّةِ إِنْ أَسْرَعْتُمْ بِالْقَضَاءِ عَلَيْهِمْ دَفْعَةً وَاحِدَةً. 23إِنَّ الرَّبَّ إِلَهَكُمْ يُسْلِمُهُمْ إِلَيْكُمْ مُوْقِعاً بِهِمِ الاضْطِرَابَ الْعَظِيمَ حَتَّى يَنْقَرِضُوا، 24وَيَجْعَلُ مُلُوكَهُمْ يَقَعُونَ فِي أَسْرِكُمْ فَتَمْحُونَ اسْمَهُمْ مِنَ الأَرْضِ. وَلَنْ يَقْدِرَ أَحَدٌ أَنْ يُجَابِهَكُمْ، فَإِنَّكُمْ تُفْنُونَهُمْ. 25أَحْرِقُوا تَمَاثِيلَ آلِهَتِهِمْ وَلا تَشْتَهُوا مَا عَلَيْهَا مِنْ فِضَّةٍ وَذَهَبٍ فَتَغْنَمُوهَا لأَنْفُسِكُمْ، لِئَلّا تَقْتَنِصَكُمْ، لأَنَّهَا رِجْسٌ عِنْدَ الرَّبِّ إِلَهِكُمْ. 26لَا تُدْخِلُوا شَيْئاً رِجْساً إِلَى بُيُوتِكُمْ لِئَلّا تُصْبِحُوا أَهْلاً لِلدَّمَارِ مِثْلَهُ، بَلْ عَلَيْكُمْ أَنْ تَسْتَقْبِحُوهُ وَتَمْقُتُوهُ، لأَنَّ مَآلَهُ الدَّمَارُ.