योहन 3 – HCV & CCBT

Hindi Contemporary Version

योहन 3:1-36

निकोदेमॉस और नया जन्म

1निकोदेमॉस नामक एक फ़रीसी, जो यहूदियों के प्रधानों में से एक थे, 2रात के समय मसीह येशु के पास आए और उनसे कहा, “रब्बी, हम जानते हैं कि आप परमेश्वर की ओर से भेजे गए गुरु हैं क्योंकि ये अद्भुत काम, जो आप करते हैं, कोई भी नहीं कर सकता यदि परमेश्वर उसके साथ न हों.”

3इस पर मसीह येशु ने कहा, “मैं आप पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूं: बिना नया जन्म प्राप्‍त किए परमेश्वर के राज्य का अनुभव असंभव है.”

4निकोदेमॉस ने उनसे पूछा, “वृद्ध मनुष्य का दोबारा जन्म लेना कैसे संभव है, क्या वह नया जन्म लेने के लिए पुनः अपनी माता के गर्भ में प्रवेश करे?”

5मसीह येशु ने स्पष्ट किया, “मैं आप पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूं: जब तक किसी का जन्म जल और आत्मा से नहीं होता, परमेश्वर के राज्य में उसका प्रवेश असंभव है, 6क्योंकि मानव शरीर में जन्म मात्र शारीरिक जन्म है, जबकि आत्मा से जन्म नया जन्म है. 7चकित न हों कि मैंने आपसे यह कहा कि मनुष्य का नया जन्म होना ज़रूरी है. 8जिस प्रकार वायु जिस ओर चाहती है, उस ओर बहती है. आप उसकी ध्वनि तो सुनते हैं किंतु यह नहीं बता सकते कि वह किस ओर से आती और किस ओर जाती है. आत्मा से पैदा व्यक्ति भी ऐसा ही है.”

9निकोदेमॉस ने पूछा, “यह सब कैसे संभव है?”

10मसीह येशु ने उत्तर दिया, “इस्राएल के शिक्षक,” होकर भी आप इन बातों को नहीं समझते! 11मैं आप पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूं: हम वही कहते हैं, जो हम जानते हैं और हम उसी की गवाही देते हैं, जिसे हमने देखा है, किंतु आप हमारी गवाही ग्रहण नहीं करते. 12जब मैं आपसे सांसारिक विषयों की बातें करता हूं, आप मेरा विश्वास नहीं करते तो यदि मैं स्वर्गीय विषयों की बातें करूं तो विश्वास कैसे करेंगे? 13मनुष्य के पुत्र के अलावा और कोई स्वर्ग नहीं गया क्योंकि वही पहले स्वर्ग से उतरा है. 14जिस प्रकार मोशेह ने बंजर भूमि में सांप को ऊंचा उठाया, उसी प्रकार ज़रूरी है कि मनुष्य का पुत्र भी ऊंचा उठाया जाए. 15कि हर एक मनुष्य उसमें विश्वास करे और अनंत जीवन प्राप्‍त करे.

16परमेश्वर ने संसार से अपने अपार प्रेम के कारण अपना एकलौता3:16 एकलौता मूल भाषा के इस शब्द का अर्थ: अतुल्य, अद्वितीय इत्यादि पुत्र बलिदान कर दिया कि हर एक ऐसा व्यक्ति, जो पुत्र में विश्वास करता है, उसका विनाश न हो परंतु वह अनंत जीवन प्राप्‍त करे. 17क्योंकि परमेश्वर ने अपने पुत्र को संसार पर दोष लगाने के लिए नहीं परंतु संसार के उद्धार के लिए भेजा. 18हर एक उस व्यक्ति पर, जो उनमें विश्वास करता है, उस पर कभी दोष नहीं लगाया जाता; जो विश्वास नहीं करता वह दोषी घोषित किया जा चुका है क्योंकि उसने परमेश्वर के एकलौते पुत्र में विश्वास नहीं किया. 19अंतिम निर्णय का आधार यह है: ज्योति के संसार में आ जाने पर भी मनुष्यों ने ज्योति की तुलना में अंधकार को प्रिय जाना क्योंकि उनके काम बुरे थे. 20कुकर्मों में लीन व्यक्ति ज्योति से घृणा करता और ज्योति में आने से कतराता है कि कहीं उसके काम प्रकट न हो जाएं; 21किंतु सच्चा व्यक्ति ज्योति के पास आता है, जिससे यह प्रकट हो जाए कि उसके काम परमेश्वर की ओर से किए गए काम हैं.

बपतिस्मा देनेवाले योहन द्वारा मसीह येशु की महिमा

22इसके बाद मसीह येशु और उनके शिष्य यहूदिया प्रदेश में आए, जहां वे उनके साथ रहकर बपतिस्मा देते रहे. 23योहन भी यरदन नदी में शालीम नगर के पास एनोन नामक स्थान में बपतिस्मा देते थे क्योंकि वहां जल बहुत मात्रा में था. 24इस समय तक योहन बंदीगृह में नहीं डाले गए थे. 25एक यहूदी ने योहन के शिष्यों से जल द्वारा शुद्धीकरण की विधि के विषय में स्पष्टीकरण चाहा. 26शिष्यों ने योहन के पास जाकर उनसे कहा, “रब्बी, देखिए, यरदन पार वह व्यक्ति, जो आपके साथ थे और आप जिनकी गवाही देते रहे हैं, सब लोग उन्हीं के पास जा रहे हैं और वह उन्हें बपतिस्मा भी दे रहे हैं.”

27इस पर योहन ने कहा, “कोई भी तब तक कुछ प्राप्‍त नहीं कर सकता, जब तक उसे स्वर्ग से न दिया जाए. 28तुम स्वयं मेरे गवाह हो कि मैंने कहा था, ‘मैं मसीह नहीं किंतु उनके लिए पहले भेजा गया दूत हूं’ 29वर वही है जिसके साथ वधू है किंतु वर के साथ उसका मित्र उसका शब्द सुन आनंद से अत्यंत प्रफुल्लित होता है. यही है मेरा आनंद, जो अब पूरा हुआ है. 30यह निश्चित है कि वह बढ़ते जाएं और मैं घटता जाऊं.”

31जिनका आगमन स्वर्ग से हुआ है वही सबसे बड़ा हैं, जो पृथ्वी से है, वह पृथ्वी का है और पृथ्वी ही से संबंधित विषयों की बातें करता है. वह, जो परमेश्वर से आए हैं, वह सबसे ऊपर हैं. 32जो उन्होंने देखा और सुना है वह उसी की गवाही देते हैं, फिर भी कोई उनकी गवाही ग्रहण नहीं करता. 33जिन्होंने उनकी गवाही ग्रहण की है, उन्होंने यह साबित किया है कि परमेश्वर सच्चा है. 34वह, जिन्हें परमेश्वर ने भेजा है परमेश्वर के वचनों का प्रचार करते हैं, क्योंकि परमेश्वर उन्हें बिना किसी माप के आत्मा देते हैं. 35पिता को पुत्र से प्रेम है और उन्होंने सब कुछ उसके हाथ में सौंप दिया है. 36वह, जो पुत्र में विश्वास करता है, अनंत काल के जीवन में प्रवेश कर चुका है किंतु जो पुत्र को नहीं मानता है, वह अनंत काल का जीवन प्राप्‍त नहीं करेगा परंतु परमेश्वर का क्रोध उस पर बना रहेगा.

Chinese Contemporary Bible 2023 (Traditional)

約翰福音 3:1-36

論重生

1有一個法利賽人名叫尼哥德慕,是猶太人的官。 2一天晚上,他來見耶穌,說:「老師,我們知道你是上帝差來教導人的,因為如果沒有上帝的同在,沒有人能行你所行的神蹟。」

3耶穌說:「我實實在在地告訴你,人若不重生3·3 「重生」或譯「生自上面」,7節同。,就不能看見上帝的國。」

4尼哥德慕說:「人老了,怎能重生呢?難道要再進母腹生一次嗎?」

5耶穌說:「我實實在在地告訴你,人若不是從水和聖靈生的,就不能進上帝的國。 6從肉體生的還是肉體,從靈生的才是靈。 7我說你們必須重生,你不要驚奇。 8風隨意吹動,你聽見它的聲音,卻不知道它從哪裡來、往哪裡去。凡從靈生的人也是這樣。」

9尼哥德慕又問:「這怎麼可能呢?」

10耶穌說:「你是以色列人的老師,還不明白這事嗎? 11我實實在在地告訴你,我們所說的是自己知道的,所見證的是自己見過的,可是你們不肯接受我們的見證。 12我對你們說地上的事,你們尚且不信,要是說天上的事,你們怎麼會信呢? 13除了從天上降下來的人子3·13 「從天上降下來的人子」有古卷作:「從天降下、仍舊在天的人子」。以外,沒有人到過天上。 14摩西在曠野怎樣舉起銅蛇,人子也必照樣被舉起來, 15叫一切信祂的人都得到永生。

16「因為上帝愛世人,甚至將祂獨一的兒子賜給他們,叫一切信祂的人不致滅亡,反得永生。 17上帝差祂的兒子到世上來,不是要定世人的罪,而是要藉著祂的兒子拯救世人。 18信祂的人不會被定罪,不信的人已經被定罪,因為他們不信上帝獨一的兒子。 19光來到世上,世人因為自己的行為邪惡而不愛光,反愛黑暗,這就是他們被定罪的原因。 20作惡的人恨光,不肯接近光,恐怕他們的罪行暴露出來。 21但遵行真理的人喜歡接近光,好顯明他們所做的是靠上帝做的。」

施洗者約翰論耶穌

22這事之後,耶穌和門徒前往猶太地區,在那裡住下,給人施洗。 23-24那時約翰還沒有入獄,他在靠近撒冷哀嫩也給人施洗。那裡水多,眾人都去受洗。 25約翰的門徒和一個猶太人為了潔淨的禮儀爭辯起來, 26於是他們來見約翰,說:「老師,你看,以前在約旦河東岸和你在一起、你為祂作見證的那位在給人施洗,眾人都去祂那裡了!」

27約翰回答說:「除非是從天上賜的,否則人什麼都得不到。 28你們自己可以為我作見證,我說過我不是基督,我只是奉差遣在祂前面預備道路。 29娶新娘的是新郎,伴郎聽見新郎的聲音,就會歡喜快樂。因此,我現在也心滿意足了。 30祂必興旺,我必衰微。

31「從上面來的超越萬物;從地上來的,屬於地,他所談論的也不外乎地上的事。從天上來的超越萬物。 32祂見證的是自己的所見所聞,只是沒有人接受祂的見證。 33接受祂見證的人印證了上帝是真實的。 34上帝所差來的,說的是上帝的話,因為上帝將聖靈無限量地賜給祂。 35父愛子,已把萬物交在祂手裡。 36信子的人有永生;不信子的人得不到永生,上帝的烈怒常在他身上。」