येरेमियाह 23 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

येरेमियाह 23:1-40

एक धर्ममय शाखा

1“धिक्कार है उन चरवाहों पर जो मेरी चराई की भेड़ों को तितर-बितर कर रहे तथा उन्हें नष्ट कर रहे हैं!” यह याहवेह की वाणी है. 2इसलिये उन चरवाहों के विषय में, जो याहवेह की भेड़ों के रखवाले हैं, याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर का संदेश यह है: “तुमने मेरी भेड़ों को तितर-बितर कर दिया है, उन्हें खदेड़ दिया है तथा उनकी देखभाल नहीं की है, इसलिये यह समझ लो कि मैं तुम्हारे अधर्म का प्रतिफल देने ही पर हूं.” यह याहवेह की वाणी है. 3“तत्पश्चात स्वयं मैं अपनी भेड़-बकरियों के बचे हुए लोगों को उन सारे देशों से एकत्र करूंगा, जहां मैंने उन्हें खदेड़ दिया था, मैं उन्हें उन्हीं के चराइयों में लौटा ले आऊंगा जहां वे सम्पन्‍न होते और संख्या में बढ़ते जाएंगे. 4मैं उनके लिए चरवाहे भी तैयार करूंगा वे उनकी देखभाल करेंगे, तब उनके समक्ष किसी भी प्रकार का भय न रहेगा, उनमें से कोई भी न तो व्याकुल होगा और न ही कोई उनमें से खो जाएगा,” यह याहवेह की वाणी है.

5“यह देख लेना कि ऐसे दिन आ रहे हैं,” यह याहवेह की वाणी है,

“जब मैं दावीद के लिए एक धार्मिकतापूर्ण शाखा उत्पन्‍न करूंगा,

वह राजा सदृश राज्य-काल करेगा

तथा उसके निर्णय विद्वत्तापूर्ण होंगे उस देश में न्याय एवं धार्मिकतापूर्ण होगा.

6तब उन दिनों में यहूदिया संरक्षित रखा जाएगा

तथा इस्राएल सुरक्षा में निवास करेगा.

उन दिनों उसकी पहचान होगी:

‘याहवेह हमारी धार्मिकता.’

7इसलिये यह देखना, ऐसे दिन आ रहे हैं,” यह याहवेह की वाणी है, “जब वे ऐसा कहना छोड़ देंगे, ‘जीवित याहवेह की शपथ, जिन्होंने इस्राएल वंशजों का मिस्र देश से निकास किया,’ 8बल्कि वे यह कहने लगेंगे, ‘जीवित याहवेह की शपथ, जो इस्राएल के परिवार के वंशजों को उस देश से जो उत्तर में है तथा उन सभी देशों में से जहां मैंने उन्हें खदेड़ दिया था, निकास कर लौटा ले आया हूं.’ तब वे अपनी मातृभूमि पर निवास करने लगेंगे.”

झूठे नबियों को फटकार

9भविष्यवक्ताओं के विषय में मैं यह कहूंगा:

भीतर ही भीतर मेरा हृदय टूट चुका है;

मेरी सारी अस्थियां थरथरा रही हैं.

मेरी स्थिति मतवाले व्यक्ति के सदृश हो चुकी है,

उस व्यक्ति के सदृश जो दाखमधु से अचंभित हो चुका है,

इस स्थिति का कारण हैं याहवेह

और उनके पवित्र वचन.

10देश व्यभिचारियों से परिपूर्ण हो चुका है;

शाप के कारण देश विलाप में डूबा हुआ है,

निर्जन प्रदेश के चराई शुष्क हो चुके हैं.

उनकी जीवनशैली संकटमय है

तथा उनका बल का उपयोग अन्याय के कामों में होता है.

11“क्योंकि दोनों ही श्रद्धाहीन हैं, भविष्यद्वक्ता एवं पुरोहित;

मेरे ही भवन में मैंने उनका अधर्म देखा है,”

यह याहवेह की वाणी है.

12“इसलिये उनका मार्ग उनके लिए अंधकार में फिसलन सदृश हो जाएगा;

वे अंधकार में धकेल दिए जाएंगे

जहां उनका गिर जाना निश्चित है.

क्योंकि मैं उन पर विपत्ति ले आऊंगा,

जो उनके दंड का वर्ष होगा,”

यह याहवेह की वाणी है.

13“मुझे शमरिया के भविष्यवक्ताओं में

एक घृणास्पद संस्कार दिखाई दिया है:

उन्होंने बाल से उत्प्रेरित हो भविष्यवाणी की है

तथा मेरी प्रजा इस्राएल को रास्ते से भटका दिया है.

14इसके सिवाय येरूशलेम के भविष्यवक्ताओं में भी

मैंने एक भयानक बात देखी है:

मेरे प्रति उनके संबंध में वैसा ही विश्वासघात हुआ है जैसा दाम्पत्य में व्यभिचार से होता है.

वे बुराइयों के हाथों को सशक्त करने में लगे हुए हैं,

परिणामस्वरूप कोई भी बुराई का परित्याग नहीं कर रहा.

मेरी दृष्टि में वे सभी सोदोमवासियों सदृश हो चुके हैं;

वहां के निवासी अमोराह सदृश हो गए हैं.”

15इसलिये भविष्यवक्ताओं के संबंध में याहवेह की वाणी है:

“यह देख लेना कि मैं उन्हें नागदौन23:15 नागदौन एक कड़वा फल खिलाऊंगा

तथा उन्हें पेय स्वरूप विष से भरा जल पिलाऊंगा,

क्योंकि येरूशलेम के भविष्यवक्ताओं से ही

श्रद्धाहीनता संपूर्ण देश में व्याप्‍त हो गई है.”

16यह सेनाओं के याहवेह का आदेश है:

“मत सुनो भविष्यवक्ताओं के वचन जो तुम्हारे लिए भविष्यवाणी कर रहे हैं;

वे तुम्हें व्यर्थ की ओर ले जा रहे है.

वे अपनी ही कल्पना के दर्शन का उल्लेख करते हैं,

न कि याहवेह के मुख से उद्‍भूत संदेश को.

17जिन्हें मुझसे घृणा है वे यह आश्वासन देते रहते हैं,

‘याहवेह ने यह कहा है: तुम्हारे मध्य शांति व्याप्‍त रहेगी.’

तब तुम सभी के विषय में जो अपने हृदय के हठ में आचरण करते हो,

मुझे यह कहना है: वे कहते तो हैं, ‘तुम पर विपत्ति के आने की कोई संभावना ही नहीं हैं.’

18कौन याहवेह की संसद में उपस्थित हुआ है,

कि याहवेह को देखे तथा उनका स्वर सुने?

19ध्यान दो, कि याहवेह का प्रकोप

आंधी सदृश प्रभावी हो चुका है,

हां, बवंडर सदृश

यह दुष्टों के सिरों पर भंवर सदृश उतर पड़ेगा.

20याहवेह के कोप का बुझना उस समय तक नहीं होता

जब तक वह अपने हृदय की बातें कार्यान्वयन की

निष्पत्ति नहीं कर लेते.

भावी अंतिम दिनों में

तुम यह स्पष्ट समझ लोगे.

21जब मैंने इन भविष्यवक्ताओं को भेजा ही नहीं था,

वे दौड़ पड़े थे;

उनसे तो मैंने बात ही नहीं की थी,

किंतु वे भविष्यवाणी करने लगे.

22यदि वे मेरी संसद में उपस्थित हुए होते,

तो वे निश्चयतः मेरी प्रजा के समक्ष मेरा संदेश भेजा करते,

वे मेरी प्रजा को कुमार्ग से लौटा ले आते

और वे अपने दुराचरण का परित्याग कर देते.

23“क्या मैं परमेश्वर तब होता हूं, जब मैं तुम्हारे निकट हूं?”

यह याहवेह की वाणी है,

“क्या मैं तब परमेश्वर नहीं हूं, जब मैं तुमसे दूर होता हूं?

24क्या कोई व्यक्ति स्वयं को किसी छिपने के स्थान पर ऐसे छिपा सकता है,

कि मैं उसे देख न सकूं?”

यह याहवेह का प्रश्न है.

“क्या आकाश और पृथ्वी मुझसे पूर्ण नहीं हैं?”

यह याहवेह का प्रश्न है.

25“मैंने वह सुन लिया है जो झूठे भविष्यवक्ताओं ने मेरा नाम लेकर इस प्रकार भविष्यवाणी करते हैं: ‘मुझे एक स्वप्न आया था! सुना तुमने, मुझे एक स्वप्न आया था!’ 26और कब तक? क्या उन भविष्यवक्ताओं के हृदय में जो झूठी भविष्यवाणी करते रहते हैं, कुछ सार्थक है, हां, वे भविष्यद्वक्ता जो अपने ही हृदय के भ्रम की भविष्यवाणी करते रहते हैं. 27जिनका एकमात्र लक्ष्य होता है उनके उन स्वप्नों के द्वारा, जिनका उल्लेख वे परस्पर करते रहते हैं, मेरी प्रजा मेरा नाम ही भूलना पसंद कर दे, ठीक जिस प्रकार बाल के कारण उनके पूर्वजों ने मेरा नाम भूलना पसंद कर रखा था. 28जिस भविष्यद्वक्ता ने स्वप्न देखा है वह अपने स्वप्न का उल्लेख करता रहे, किंतु जिस किसी को मेरा संदेश सौंपा गया है वह पूर्ण निष्ठा से मेरा संदेश प्रगट करे. भला भूसी तथा अन्‍न में कोई साम्य होता है?” यह याहवेह की वाणी है. 29“क्या मेरा संदेश अग्नि-सदृश नहीं?” यह याहवेह का प्रश्न है, “और क्या एक हथौड़े सदृश नहीं जो चट्टान को चूर्ण कर देता है?

30“इसलिये यह समझ लो, मैं उन भविष्यवक्ताओं से रुष्ट हूं,” यह याहवेह की वाणी है, “जो एक दूसरे से मेरा संदेश छीनते रहते हैं. 31यह समझ लो, मैं उन भविष्यवक्ताओं से रुष्ट हूं,” यह याहवेह की वाणी है, “जो अपनी जीभ का प्रयोग कर यह वाणी कहते हैं, ‘यह प्रभु की वाणी है.’ 32यह समझ लो, मैं उन सभी से रुष्ट हूं जिन्होंने झूठे स्वप्नों को भविष्यवाणी का स्वरूप दे दिया है,” यह याहवेह की वाणी है. “तथा इन स्वप्नों को मेरी प्रजा के समक्ष प्रस्तुत करके अपने लापरवाह झूठों तथा दुस्साहसमय गर्वोक्ति द्वारा उन्हें भरमाते है. मैंने न तो उन्हें कोई आदेश दिया है और न ही उन्हें भेजा है. मेरी प्रजा को इनसे थोड़ा भी लाभ नहीं हुआ है,” यह याहवेह की वाणी है.

झूठी भविष्यवाणी

33“अब यदि ऐसी स्थिति आए, जब जनसाधारण अथवा भविष्यद्वक्ता अथवा पुरोहित तुमसे यह प्रश्न करें, ‘क्या है याहवेह का प्रकाशन?’ तब तुम्हें उन्हें उत्तर देना होगा, ‘कौन सा प्रकाशन?’ याहवेह की वाणी है, मैं तुम्हारा परित्याग कर दूंगा. 34तब उस भविष्यद्वक्ता अथवा पुरोहित अथवा उन लोगों के विषय में जो यह कहते हैं, ‘याहवेह का सारगर्भित प्रकाशन,’ उस पर मेरी ओर से दंड प्रभावी हो जाएगा उस पर तथा उसके परिवार पर. 35तुममें से हर एक अपने-अपने पड़ोसी एवं अपने बंधु से यह पूछेगा: ‘क्या था याहवेह का प्रत्युत्तर?’ अथवा, ‘क्या प्रकट किया है याहवेह ने?’ या 36‘क्योंकि याहवेह का प्रकाशन तुम्हें स्मरण न रह जाएगा,’ क्योंकि हर एक व्यक्ति के अपने ही वचन प्रकाशन हो जाएंगे. तुमने जीवन्त परमेश्वर, सेनाओं के याहवेह हमारे परमेश्वर के संदेश को तोड़ मरोड़ दिया है. 37उस भविष्यद्वक्ता से तुम यह प्रश्न करोगे: ‘क्या उत्तर दिया है याहवेह ने तुम्हें?’ तथा ‘याहवेह ने क्या कहा है?’ 38क्योंकि यदि तुम कहोगे, ‘याहवेह का वह प्रकाशन,’ निश्चयतः यह याहवेह की बात है: इसलिये कि तुमने इस प्रकार कहा है, ‘याहवेह का वह प्रकाशन,’ मैंने भी तुम्हें यह संदेश भेजा है तुम यह नहीं कहोगे, ‘यह याहवेह का वह प्रकाशन है.’ 39इसलिये ध्यान से सुनो, मैं निश्चयतः तुम्हें भूलना पसंद करके तुम्हें अपनी उपस्थिति से दूर कर दूंगा, इस नगर को भी जो मैंने तुम्हें एवं तुम्हारे पूर्वजों को प्रदान किया था. 40मैं तुम्हारे साथ ऐसी चिरस्थायी लज्जा, ऐसी चिरस्थायी निंदा सम्बद्ध कर दूंगा जो अविस्मरणीय हो जाएगी.”