मार्कास 1 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

मार्कास 1:1-45

बपतिस्मा देनेवाले योहन का उपदेश

1परमेश्वर के पुत्र1:1 कुछ हस्तलेखों में परमेश्वर के पुत्र शब्द नहीं पाए जाते. मला 3:1 येशु मसीह के सुसमाचार का आरंभ: 2भविष्यवक्ता यशायाह के अभिलेख के अनुसार,

“तुम्हारे पूर्व मैं अपना एक दूत भेज रहा हूं,

जो तुम्हारा मार्ग तैयार करेगा”1:2 मला 3:1;

3“बंजर भूमि में पुकारनेवाले की आवाज है,

‘प्रभु का रास्ता सीधा करो, उनका मार्ग सरल बनाओ.’ ”

4बपतिस्मा1:4 बपतिस्मा जल-संस्कार एक व्यक्ति को पानी में डुबोने की धार्मिक विधि देनेवाले योहन बंजर भूमि में पाप क्षमा के लिए पश्चाताप के बपतिस्मा का प्रचार करते हुए आए. 5यहूदिया प्रदेश के क्षेत्रों से सारी भीड़ तथा येरूशलेम नगर के सभी लोग उनसे भेंट करने जाने लगे. ये सब पाप स्वीकार करते हुए यरदन नदी में योहन से बपतिस्मा ले रहे थे. 6योहन का परिधान, ऊंट के रोम से निर्मित वस्त्र और उसके ऊपर चमड़े का कमरबंध था1:6 2 राजा 1:8 देखें और उनका भोजन था टिड्डियां तथा जंगलीमधु. 7वह प्रचार कर कहते थे, “मेरे बाद एक ऐसा व्यक्ति आएगा, जो मुझसे अधिक शक्तिमान हैं—मैं तो इस योग्य भी नहीं हूं कि उनके सामने झुककर उनकी जूतियों के बंध खोलनेवाला एक गुलाम बन सकूं. 8मैं बपतिस्मा जल में देता हूं; वह तुम्हें पवित्र आत्मा में बपतिस्मा देंगे.”

मसीह येशु का बपतिस्मा

9उसी समय मसीह येशु गलील प्रदेश के नाज़रेथ नगर से आए और उन्हें योहन द्वारा यरदन नदी में बपतिस्मा दिया गया. 10जब मसीह येशु जल से बाहर आ रहे थे, उसी क्षण उन्होंने आकाश को खुलते तथा आत्मा को, जो कबूतर के समान था, अपने ऊपर उतरते हुए देखा 11और स्वर्ग से निकला एक शब्द भी सुनाई दिया: “तुम मेरे पुत्र हो—मेरे प्रिय—तुमसे मैं अतिप्रसन्‍न हूं.”

12उसी समय पवित्र आत्मा ने उन्हें बंजर भूमि में भेज दिया. 13बंजर भूमि में वह चालीस दिन शैतान के द्वारा परखे जाते रहे. वह वहां जंगली पशुओं के साथ रहे और स्वर्गदूतों ने उनकी सेवा की.

प्रचार का प्रारंभ गलील प्रदेश से

14योहन के बंदी बना लिए जाने के बाद येशु, परमेश्वर के सुसमाचार का प्रचार करते हुए गलील प्रदेश आए. 15उनका संदेश था, “समय पूरा हो चुका है, परमेश्वर का राज्य पास आ गया है. मन फिराओ तथा सुसमाचार में विश्वास करो.”

पहले चार शिष्यों का बुलाया जाना

16गलील झील के पास से जाते हुए मसीह येशु ने शिमओन तथा उनके भाई आन्द्रेयास को देखा, जो झील में जाल डाल रहे थे. वे मछुआरे थे. 17येशु ने उनसे कहा, “मेरा अनुसरण करो—मैं तुम्हें मनुष्यों के मछुआरे बनाऊंगा.1:17 अर्थात् जो सुसमाचार का प्रचार करके बहुतों को येशु के अनुयायी बनानेवाले18वे उसी क्षण अपने जाल छोड़कर येशु का अनुसरण करने लगे.

19आगे जाने पर उन्होंने ज़ेबेदियॉस के पुत्र याकोब तथा उनके भाई योहन को देखा. वे भी नाव में थे और अपने जाल सुधार रहे थे. 20उन्हें देखते ही मसीह येशु ने उनको बुलाया. वे अपने पिता ज़ेबेदियॉस को मज़दूरों के साथ नाव में ही छोड़कर उनके साथ चल दिए.

मसीह येशु की अधिकार भरी शिक्षा

21वे सब कफ़रनहूम नगर आए. शब्बाथ पर मसीह येशु स्थानीय यहूदी सभागृह में जाकर शिक्षा देने लगे. 22लोग उनकी शिक्षा से आश्चर्यचकित रह गए क्योंकि वह शास्त्रियों के समान नहीं परंतु इस प्रकार शिक्षा दे रहे थे कि उन्हें इसका अधिकार है. 23उसी समय सभागृह में एक व्यक्ति, जो दुष्टात्मा से पीड़ित था, चिल्ला उठा, 24“नाज़रेथवासी येशु! क्या चाहते हैं आप? क्या आप हमें नाश करने आए हैं? मैं जानता हूं कि आप कौन हैं; परमेश्वर के पवित्र जन!”

25“चुप!” उसे फटकारते हुए मसीह येशु ने कहा, “बाहर निकल जा इसमें से!” 26उस व्यक्ति को मरोड़ते हुए वह दुष्टात्मा ऊंचे शब्द में चिल्लाता हुआ उसमें से बाहर निकल गया.

27सभी हैरान रह गए. वे आपस में विचार करने लगे, “यह सब क्या हो रहा है? यह अधिकारपूर्वक शिक्षा देते हैं और अशुद्ध आत्मा तक को आज्ञा देते है और वे उनका पालन भी करती हैं!” 28तेजी से उनकी ख्याति गलील प्रदेश के आस-पास सब जगह फैल गई.

पेतरॉस की सास को स्वास्थ्यदान

29यहूदी सभागृह से निकलकर वे सीधे याकोब और योहन के साथ शिमओन तथा आन्द्रेयास के घर पर गए. 30वहां शिमओन की सास बुखार में पड़ी हुई थी. उन्होंने बिना देर किए मसीह येशु को इसके विषय में बताया. 31मसीह येशु उनके पास आए, उनका हाथ पकड़ उन्हें उठाया और उनका बुखार जाता रहा तथा वह उनकी सेवा टहल में जुट गईं.

32संध्या समय सूर्यास्त के बाद1:32 सूर्यास्त के बाद वह शब्बाथ का दिन था जब कोई भी शारीरिक कार्य करना निषिद्ध था. सूर्यास्त होने पर शब्बाथ समाप्‍त होता है. लोगों को इसका इंतजार करना पड़ता था लोग अस्वस्थ तथा जिनमें दुष्टात्माऐं थी उन लोगों को येशु के पास लाने लगे. 33सारा नगर ही द्वार पर इकट्ठा हो गया 34मसीह येशु ने विभिन्‍न रोगों से पीड़ित अनेकों को स्वस्थ किया और अनेक दुष्टात्माओं को भी निकाला. वह दुष्टात्माओं को बोलने नहीं देते थे क्योंकि वे उन्हें पहचानती थी.

समग्र गलील प्रदेश में मसीह येशु द्वारा प्रचार तथा स्वास्थ्यदान सेवा

35भोर होने पर, जब अंधकार ही था, मसीह येशु उठे और एक सुनसान जगह को गए. वहां वह प्रार्थना करने लगे. 36शिमओन तथा उनके अन्य साथी उन्हें खोज रहे थे. 37उन्हें पाकर वे कहने लगे, “सभी आपको खोज रहे हैं.”

38किंतु मसीह येशु ने उनसे कहा, “चलो, कहीं और चलें—यहां पास के नगरों में—जिससे कि मैं वहां भी प्रचार कर सकूं क्योंकि मेरे यहां आने का उद्देश्य यही है.” 39वह सारे गलील प्रदेश में घूमते हुए यहूदी सभागृहों में जा-जाकर प्रचार करते रहे तथा लोगों में से दुष्टात्माओं को निकालते गए.

कोढ़ रोगी की शुद्धि

40एक कोढ़ रोगी उनके पास आया. उसने मसीह येशु के सामने घुटने टेक उनसे विनती की, “आप चाहें तो मुझे शुद्ध कर सकते हैं.”

41तरस खाकर मसीह येशु ने हाथ बढ़ाकर उसे स्पर्श किया और कहा, “मैं चाहता हूं. तुम शुद्ध हो जाओ!” 42उसी समय उसका कोढ़ रोग जाता रहा और वह शुद्ध हो गया.

43मसीह येशु ने उसे उसी समय इस चेतावनी के साथ विदा किया, 44“सुनो! इस विषय में किसी से कुछ न कहना. हां, जाकर स्वयं को पुरोहित के सामने प्रस्तुत करो तथा अपनी शुद्धि के प्रमाण के लिए मोशेह द्वारा निर्धारित विधि के अनुसार शुद्धि संबंधी भेंट चढ़ाओ.1:44 लेवी 14:2-32 देखें45किंतु उस व्यक्ति ने जाकर खुलेआम इसकी घोषणा की तथा यह समाचार इतना फैला दिया कि मसीह येशु इसके बाद खुल्लम-खुल्ला किसी नगर में न जा सके और उन्हें नगर के बाहर सुनसान स्थानों में रहना पड़ा. फिर भी सब स्थानों से लोग उनके पास आते रहे.