प्रशासक 1 – HCV & NAV

Hindi Contemporary Version

प्रशासक 1:1-36

येरूशलेम का अधीन किया जाना

1यहोशू की मृत्यु के बाद इस्राएलियों ने याहवेह से यह प्रश्न किया, “कनानियों से युद्ध करने सबसे पहले किसका जाना सही होगा?”

2याहवेह ने उत्तर दिया, “सबसे पहले यहूदाह जाएगा; यह याद रहे कि यह जगह मैंने उसके अधिकार में दे दी है.”

3यहूदाह वंशजों ने अपने भाई शिमओन वंशजों से कहा, “हमें दी गई जगह में आ जाओ, कि हम कनानियों से युद्ध करें तथा समय आने पर मैं तुम्हें दी गई जगह में आकर युद्ध करूंगा.” शिमओन वंशज इसके लिए राज़ी हो गये.

4यहूदाह वंशजों ने आक्रमण किया और याहवेह ने कनानी और परिज्ज़ी उनके अधीन कर दिए, बेज़ेक में उन्होंने दस हज़ार सैनिकों को मार गिराया. 5बेज़ेक में उन्होंने अदोनी-बेज़ेक से युद्ध किया और कनानियों तथा परिज्ज़ियों को मार दिया; 6मगर अदोनी-बेज़ेक भाग निकला, उन्होंने उसका पीछा किया, उसे पकड़ लिया और उसके हाथों और पैरों के अंगूठे काट दिए.

7अदोनी-बेज़ेक ने उनसे कहा, “सत्तर राजा, जिनके हाथ-पैर के अंगूठे काट दिए गए होते थे, मेरी मेज़ की चूर-चार इकट्ठा करते थे. परमेश्वर ने मेरे द्वारा किए गए काम का बदला मुझे दे दिया है.” वे उसे येरूशलेम ले आए, जहां उसकी मृत्यु हो गई.

8तब यहूदाह गोत्रजों ने येरूशलेम पर हमला किया, उसे अपने अधीन कर लिया, उसके निवासियों को तलवार से मार दिया और नगर में आग लगा दी.

9इसके बाद यहूदाह गोत्रज उन कनानियों से युद्ध करने निकल पड़े, जो नेगेव के पहाड़ी इलाकों में तथा तराई में रह रहे थे. 10सो यहूदाह ने उन कनानियों पर हमला कर दिया, जो हेब्रोन में रह रहे थे. हेब्रोन का पुराना नाम किरयथ-अरबा था. उन्होंने शेशाइ, अहीमान और तालमाई को हरा दिया. 11इसके बाद वे वहां से दबीर निवासियों की ओर बढ़े; दबीर का पुराना नाम किरयथ-सेफेर था.

12कालेब ने घोषणा की, “जो कोई किरयथ-सेफेर पर आक्रमण करके उसे अपने अधीन कर लेगा, मैं उसका विवाह अपनी पुत्री अक्सा से कर दूंगा.” 13कालेब के छोटे भाई केनज़ के पुत्र ओथनीएल ने किरयथ-सेफेर को अधीन कर लिया, तब कालेब ने उसे अपनी पुत्री अक्सा उसकी पत्नी होने के लिए दे दी.

14विवाह होने के बाद जब अक्सा अपने पति से बात कर रही थी, उसने उसे अपने पिता से एक खेत मांगने के लिए कहा. जब वह अपने गधे पर से उतर गई, तब कालेब ने उससे पूछा, “तुम्हें क्या चाहिए?”

15उसने उत्तर दिया, “मुझे आपके आशीर्वाद की ज़रूरत है! जैसे आप मुझे नेगेव क्षेत्र दे ही चुके हैं, और यदि हो सके तो वैसे मुझे जल के सोते भी दे दीजिए.” तब कालेब ने उसे ऊपर का सोता, नीचे का सोता दोनों दे दिया.

16मोशेह के ससुर के वंशज अर्थात् केनीवासी खजूर वृक्षों के नगर से यहूदिया के लोगों के साथ यहूदिया के निर्जन प्रदेश के इलाके में चले गए. यह जगह अराद के पास दक्षिण में है. वे वहां के निवासियों के साथ ही बस गए.

17तब यहूदाह वंशजों ने अपने भाई शिमओन वंशजों के साथ जाकर सेफथ में निवास कर रहे कनानियों को मार दिया, और नगर का पूरा विनाश कर दिया. सो इस नगर का नाम होरमाह1:17 होरमाह अर्थात् विनाश पड़ गया. 18यहूदाह ने अज्जाह1:18 अज्जाह यानी गाज़ा, अश्कलोन तथा एक्रोन नगरों को इनकी सीमा सहित अपने अधीन कर लिया.

19याहवेह यहूदाह की ओर थे, उन्होंने पहाड़ी इलाके को अपने अधीन कर लिया; किंतु वे घाटी के रहनेवालों को निकाल न सके, क्योंकि उनके पास लोहे के रथ थे. 20उन्होंने कालेब को हेब्रोन दे दिया, जैसी मोशेह ने उनसे प्रतिज्ञा की थी. कालेब ने वहां से अनाक के तीन पुत्रों को खदेड़ दिया था. 21मगर बिन्यामिन के वंशजों ने येरूशलेम में रह रहे यबूसियों को वहां से नहीं निकाला. परिणामस्वरूप यबूसी आज तक बिन्यामिन के वंशजों के साथ येरूशलेम में ही रह रहे हैं.

22इसी तरह योसेफ़ के परिवार ने बेथेल पर हमला कर दिया. याहवेह उनकी ओर थे. 23योसेफ़ के परिवार ने बेथेल का भेद लिया. बेथेल नगर का पुराना नाम लूज़ था. 24भेद लेने गए जासूसों ने नगर से बाहर आ रहे एक व्यक्ति को देखा. उन्होंने उससे विनती की, “कृपया हमें नगर में जाने का रास्ता दिखाएं. हम तुम पर कृपा करेंगे.” 25सो उसने उन्हें नगर में जाने का रास्ता दिखा दिया. उन्होंने पूरे नगर को तलवार से मार दिया, मगर उस व्यक्ति और उसके परिवार को छोड़ दिया. 26वह व्यक्ति हित्तियों के देश में चला गया, जहां एक नगर बसाया गया, जिसका नाम उसने लूज़ रखा, जिसे आज तक इसी नाम से जाना जाता है.

27मगर मनश्शेह ने न तो बेथ-शान और इसके गांवों को अपने अधीन कर लिया और न ही तानख और इसके गांवों को, न दोर तथा इसके निवासियों और इसके गांवों को, न इब्लीम और इसके निवासियों और गांवों को, न मगिद्दो और इसके निवासियों और गांवों को. इस कारण कनानी निडर होकर उस देश में रहते रहे. 28तब वह समय भी आया, जब इस्राएली सामर्थ्यी हो गए. तब उन्होंने कनानियों को जबरन मजदूरी पर तो लगा दिया और उन्हें पूरी रीति से न निकाला. 29गेज़ेर में रह रहे कनानियों को एफ्राईम के वंशजों ने नहीं निकाला. इस कारण कनानी गेज़ेर में उन्हीं के बीच रहते रहे. 30ज़ेबुलून ने कितरोनवासियों को नहीं निकाला और न नहलोलवासियों को, इस कारण कनानी उनके बीच में रहते रहे और उन्हें जबरन मज़दूर बनना पड़ा. 31आशेर ने न तो अक्को के, न सीदोन के, न अहलाब के, न अकज़ीब के, न हेलबा के, न अफेक के, न रेहोब के निवासियों को निकाला. 32इस कारण अशेरी कनानियों के बीच में ही रहते रहे, जो इस क्षेत्र के मूल निवासी थे. उन्हें बाहर निकाला ही न गया था. 33नफताली ने बेथ-शेमेश के निवासियों को नहीं निकाला, और न ही बेथ-अनात के निवासियों को. वे कनानियों के बीच में ही रहते रहे, जो इस देश के मूल निवासी थे. बेथ-शेमेश तथा बेथ-अनात के निवासी उनके लिए जबरन मज़दूर होकर रह गए. 34इसके बाद अमोरियों ने दान के वंशजों को पहाड़ी इलाके में रहने के लिए मजबूर कर दिया, क्योंकि अमोरियों ने उन्हें घाटी में प्रवेश करने ही न दिया. 35अमोरी अय्जालोन तथा शआलबीम में हेरेस पर्वत पर जबरन रहते रहे, मगर जब योसेफ़ के वंशज सामर्थ्यी हो गए, तब इन्हें भी जबरन उनका मज़दूर हो जाना पड़ा. 36अमोरियों की सीमा अक्रब्बीम की चढ़ाई से शुरू होकर सेला होते हुए ऊपर की ओर बढ़ती है.

New Arabic Version

القضاة 1:1-36

إسرائيل تحارب باقي الكنعانيين

1بَعْدَ مَوْتِ يَشُوعَ سَأَلَ بَنُو إِسْرَائِيلَ الرَّبَّ: «مَنْ مِنَّا يَذْهَبُ أَوَّلاً لِمُحَارَبَةِ الْكَنْعَانِيِّينَ؟» 2فَأَجَابَ الرَّبُّ: «يَهُوذَا يَذْهَبُ، فَقَدْ أَسْلَمْتُ الْأَرْضَ إِلَى يَدِهِ». 3فَقَالَ رِجَالُ يَهُوذَا لإِخْوَتِهِمْ رِجَالِ شِمْعُونَ: «اخْرُجُوا مَعَنَا إِلَى الْمِنْطَقَةِ الَّتِي صَارَتْ قُرْعَةً لَنَا لِنُحَارِبَ الْكَنْعَانِيِّينَ مَعاً، ثُمَّ نَخْرُجُ نَحْنُ مَعَكُمْ فِي حَرْبِكُمْ لِتَسْتَوْلُوا عَلَى قُرْعَتِكُمْ». فَذَهَبَ رِجَالُ شِمْعُونَ مَعَهُمْ. 4فَانْطَلَقَ رِجَالُ يَهُوذَا لِخَوْضِ الْحَرْبِ، فَأَظْفَرَهُمُ الرَّبُّ بِالْكَنْعَانِيِّينَ وَالْفِرِزِّيِّينَ، فَقَتَلُوا مِنْهُمْ فِي بَازَقَ عَشْرَةَ آلافِ رَجُلٍ. 5وَالْتَقَوْا بِمَلِكِهِمْ أَدُونِي بَازَقَ عِنْدَ بَازَقَ، فَحَارَبُوهُ وَقَهَرُوا الْكَنْعَانِيِّينَ وَالْفِرِزِّيِّينَ. 6فَهَرَبَ أَدُونِي بَازَقَ، غَيْرَ أَنَّهُمْ تَعَقَّبُوهُ وَقَبَضُوا عَلَيْهِ وَقَطَعُوا أَبَاهِمَ يَدَيْهِ وَرِجْلَيْهِ. 7فَقَالَ أَدُونِي بَازَقَ: «لَقَدْ قَطَعْتُ أَبَاهِمَ أَيْدِي وَأَرْجُلِ سَبْعِينَ مَلِكاً كَانُوا يَلْتَقِطُونَ الْفُتَاتَ تَحْتَ مَائِدَتِي، فَهَا الرَّبُّ قَدْ جَازَانِي بِمِثْلِ مَا فَعَلْتُ». وَأَتَوْا بِهِ إِلَى أُورُشَلِيمَ حَيْثُ مَاتَ.

8وَكَانَ أَبْنَاءُ يَهُوذَا قَدْ هَاجَمُوا أُورُشَلِيمَ وَاسْتَوْلَوْا عَلَيْهَا، وَقَتَلُوا أَهْلَهَا بِحَدِّ السَّيْفِ وَأَحْرَقُوهَا بِالنَّارِ. 9ثُمَّ انْحَدَرُوا لِمُحَارَبَةِ الْكَنْعَانِيِّينَ فِي الْمَنَاطِقِ الْجَبَلِيَّةِ وَالنَّقَبِ وَالسُّهُولِ الْغَرْبِيَّةِ. 10فَهَاجَمُوا الْكَنَعَانِيِّينَ الْمُقِيمِينَ فِي حَبْرُونَ الَّتِي كَانَتْ تُدْعَى قَبْلاً قَرْيَةَ أَرْبَعَ، وَقَضَوْا عَلَى شِيشَايَ وَأَخِيمَانَ وَتَلْمَايَ. 11وَتَوَجَّهُوا مِنْ هُنَاكَ وَانْقَضُّوا عَلَى أَهْلِ دَبِيرَ الَّتِي كَانَتْ تُدْعَى قَبْلاً قَرْيَةَ سَفَرٍ. 12فَقَالَ كَالَبُ: «الَّذِي يَقْهَرُ قَرْيَةَ سَفَرٍ وَيَسْتَوْلِي عَلَيْهَا، أُزَوِّجُهُ ابْنَتِي عَكْسَةَ». 13فَاسْتَوْلَى عَلَيْهَا عُثْنِيئِيلُ بْنُ قَنَازَ، أَخُو كَالَبَ الأَصْغَرُ مِنْهُ، فَزَوَّجَهُ ابْنَتَهُ عَكْسَةَ. 14وَعِنْدَمَا زُفَّتْ إِلَيْهِ حَثَّهَا عَلَى طَلَبِ حَقْلٍ مِنْ أَبِيهَا، فَتَرَجَّلَتْ عَنِ الْحِمَارِ، فَسَأَلَهَا كَالَبُ: «مَالَكِ؟» 15فَقَالَتْ لَهُ: «أَنْعِمْ عَلَيَّ بِهِبَةٍ، فَأَنْتَ قَدْ أَعْطَيْتَنِي أَرْضاً فِي النَّقَبِ، فَأَعْطِنِي أَيْضاً يَنَابِيعَ مَاءٍ». فَوَهَبَهَا كَالَبُ الْيَنَابِيعَ الْعُلْيَا وَالْيَنَابِيعَ السُّفْلَى.

16وَغَادَرَ أَبْنَاءُ الْقَيْنِيِّ حَمِي مُوسَى مَدِينَةَ النَّخْلِ (أَرِيحَا) وَذَهَبُوا مَعَ سِبْطِ يَهُوذَا إِلَى بَرِّيَّةِ يَهُوذَا الْوَاقِعَةِ فِي جَنُوبِيِّ عَرَادَ، وَسَكَنُوا مَعَ الشَّعْبِ. 17وَانْضَمَّ جَيْشُ يَهُوذَا إِلَى جَيْشِ شِمْعُونَ، وَحَارَبُوا الْكَنْعَانِيِّينَ أَهْلَ صَفَاةَ وَدَمَّرُوهَا وَدَعَوْا اسْمَ الْمَدِينَةِ حُرْمَةَ (بِمَعْنَى خَرَابٍ). 18وَاسْتَوْلَى رِجَالُ يَهُوذَا عَلَى غَزَّةَ وَتُخُومِهَا وَأَشْقَلُونَ وَتُخْومِهَا وَعَقْرُونَ وَتُخُومِهَا. 19وَكَانَ الرَّبُّ مَعَ أَبْنَاءِ يَهُوذَا فَتَمَلَّكُوا الْجَبَلَ، وَلَكِنَّهُمْ أَخْفَقُوا فِي طَرْدِ سُكَّانِ الْوَادِي لأَنَّهُمْ كَانُوا يَمْلِكُونَ مَرْكَبَاتٍ حَدِيدِيَّةً. 20وَأَعْطَوْا حَبْرُونَ لِكَالَبَ كَمَا أَوْصَى مُوسَى، فَطَرَدَ مِنْهَا بَنِي عَنَاقَ الثَّلاثَةَ. 21وَأَخْفَقَ أَبْنَاءُ بِنْيَامِينَ فِي طَرْدِ الْيَبُوسِيِّينَ سُكَّانِ أُورُشَلِيمَ، فَظَلَّ الْيَبُوسِيُّونَ يُقِيمُونَ بَيْنَ ذُرِّيَّةِ بِنْيَامِينَ فِي أُورُشَلِيمَ إِلَى هَذَا الْيَوْمِ.

22وَهَاجَمَ أَبْنَاءُ سِبْطِ يُوسُفَ بَيْتَ إِيلَ، فَكَانَ الرَّبُّ مَعَهُمْ (وَنَصَرَهُمْ). 23وَبَيْنَمَا كَانَ فَرِيقُ الاسْتِكْشَافِ يُرَاقِبُ بَيْتَ إِيلَ، الَّتِي كَانَتْ تُدْعَى قَبْلاً لُوزَ، 24شَاهَدُوا رَجُلاً خَارِجاً مِنَ الْمَدِينَةِ وَقَالُوا لَهُ: «أَرْشِدْنَا إِلَى مَدْخَلِ الْمَدِينَةِ فَنَصْنَعَ مَعَكَ مَعْرُوفاً». 25فَأَرْشَدَهُمْ إِلَى مَدْخَلِ الْمَدِينَةِ، فَاقْتَحَمُوهَا وَقَضَوْا عَلَى أَهْلِهَا بِحَدِّ السَّيْفِ، أَمَّا الرَّجُلُ وَسَائِرُ عَشِيرَتِهِ فَأَطْلَقُوهُمْ. 26فَمَضَى الرَّجُلُ إِلَى دِيَارِ الْحِثِّيِّينَ وَبَنَى مَدِينَةً دَعَاهَا لُوزَ، وَهَذَا هُوَ اسْمُهَا حَتَّى الْآنَ.

27وَأَخْفَقَ أَبْنَاءُ سِبْطِ مَنَسَّى فِي طَرْدِ أَهْلِ بَيْتِ شَانَ وَقُرَاهَا، وَأَهْلِ تَعْنَكَ وَقُرَاهَا، وَسُكَّانِ دُورٍ وَقُرَاهَا، وَسُكَّانِ يِبْلَعَامَ وَقُرَاهَا، وَسُكَّانِ مَجِدُّو وَقُرَاهَا. فَاسْتَمَرَّ الْكَنْعَانِيُّونَ يَسْكُنُونَ فِيهَا. 28وَلَمَّا قَوِيَتْ شَوْكَةُ الإِسْرَائِيلِيِّينَ وَضَعُوا الْكَنْعَانِيِّينَ تَحْتَ الْجِزْيَةِ، وَلَمْ يَطْرُدُوهُمْ قَطُّ. 29وَكَذَلِكَ فَشَلَ سِبْطُ أَفْرَايِمَ فِي طَرْدِ الْكَنْعَانِيِّينَ السَّاكِنِينَ فِي جَازَرَ، فَسَكَنَ الْكَنْعَانِيُّونَ مَعَهُمْ.

30وَلَمْ يَطْرُدْ أَبْنَاءُ زَبُولُونَ الْكَنْعَانِيِّينَ الْمُسْتَوْطِنِينَ فِي قِطْرُونَ وَنَهْلُولَ، فَأَقَامَ الْكَنْعَانِيُّونَ بَيْنَهُمْ، وَفَرَضُوا عَلَيْهِمِ الْجِزْيَةَ. 31وَأَيْضاً لَمْ يَطْرُدْ أَبْنَاءُ سِبْطِ أَشِيرَ سُكَّانَ عَكُّو وَلا سُكَّانَ صِيدُونَ وَأَحْلَبَ وَأَكْزِيبَ وَحَلْبَةَ وَأَفِيقَ وَرَحُوبَ. 32فَسَكَنَ الأَشِيرِيُّونَ فِي وَسَطِ الْكَنْعَانِيِّينَ أَهْلِ الأَرْضِ لأَنَّهُمْ لَمْ يَطْرُدُوهُمْ. 33وَلَمْ يَطْرُدْ أَبْنَاءُ سِبْطِ نَفْتَالِي سُكَّانَ بَيْتِ شَمْسٍ وَبَيْتِ عَنَاةَ بَلْ أَقَامُوا فِي وَسَطِ الْكَنْعَانِيِّينَ أَهْلِ الأَرْضِ، وَفَرَضُوا عَلَيْهِمِ الْجِزْيَةَ. 34وَحَصَرَ الأَمُورِيُّونَ أَبْنَاءَ دَانٍ فِي الْجَبَلِ وَلَمْ يَسْمَحُوا لَهُمْ بِالنُّزُولِ إِلَى الْوَادِي. 35وَعَزَمَ الأَمُورِيُّونَ عَلَى الإِقَامَةِ فِي جَبَلِ حَارَسَ وَفِي أَيَّلُونَ وَفِي شَعَلُبِّيمَ. وَلَكِنْ عِنْدَمَا قَوِيَتْ شَوْكَةُ سِبْطِ يُوسُفَ فَرَضُوا عَلَيْهِمِ الْجِزْيَةَ. 36وَكَانَتْ حُدُودُ الأَمُورِيِّينَ تَمْتَدُّ مِنْ عَقَبَةِ عَقْرَبِّيمَ مِنْ سَالَعَ إِلَى مَا وَرَاءَهَا.