निर्गमन 14 – HCV & CCB

Hindi Contemporary Version

निर्गमन 14:1-31

1याहवेह ने मोशेह से कहा, 2“इस्राएलियों को आदेश दो, कि वे मुड़ जाएं तथा पी-हाहीरोथ के पास, जो मिगदोल तथा सागर के बीच में है, अपना तंबू डालें. तंबू सागर तट पर बाल-जेफोन के विपरीत खड़े करना 3ताकि फ़रोह यह समझे कि इस्राएली देश के उलझन से मरुस्थल में भटक रहे हैं. 4तब मैं फ़रोह के मन को कठोर कर दूंगा और वह इस्राएलियों का पीछा करता हुआ आएगा. तब मैं फ़रोह तथा उसकी सेना के द्वारा मेरी महिमा कराऊंगा, जिससे मिस्रवासियों को यह मालूम हो जाएगा कि मैं ही याहवेह हूं.”

5जब मिस्र के राजा को यह मालूम पड़ा कि वे लोग भाग गए हैं, तब फ़रोह तथा उसके सेवकों का मन बदल गया. वे आपस में कहने लगे: “हमने यह क्या कर दिया; हमने इस्राएलियों को जाने दिया?” 6फ़रोह ने अपना रथ तैयार करवाया और अपनी सेना को अपने साथ लिया. 7फ़रोह ने छः सौ अच्छे रथ अपने साथ लिए तथा अपने अधिकारियों को कहा कि मिस्र देश के सभी रथ एवं उनके चालक भी साथ आएं. 8याहवेह ने मिस्र देश के राजा फ़रोह का मन कठोर बना दिया. इस्राएली निश्चिंत होकर चले जा रहे थे; फ़रोह ने उनका पीछा किया. 9पर मिस्री अपने सब घोड़ों, रथों, चालकों तथा सेना को साथ लेकर इस्राएलियों का पीछा करते हुए सागर तट पर उनके तंबू के पास जा पहुंचे, जो पी-हाहीरोथ में बाल-जेफोन के विपरीत था.

10जब फ़रोह उनके निकट पहुंचा तो इस्राएलियों ने देखा कि मिस्री उनका पीछा करते हुए आ रहे हैं, तब वे बहुत डर गए और याहवेह को पुकारने लगे. 11वे मोशेह से लड़ने लगे, और कहने लगे, “क्या मिस्र देश में कब्र नहीं थी, जो आप हमें यहां ले आए हैं, कि हमारी मृत्यु यहां मरुभूमि में हो जाए? आपने हमसे ऐसा क्यों किया—क्यों आप हमें मिस्र देश से निकाल लाए? 12क्या हमने मिस्र में आपसे नहीं कहा था, ‘हमें यहीं रहने दीजिए, कि हम मिस्रियों की सेवा करते रहें’? इस निर्जन प्रदेश में मरने से अच्छा था कि हम मिस्रियों की सेवा करते रहते!”

13मोशेह ने लोगों से कहा: “मत डरो! स्थिर खड़े रहो और याहवेह का अद्भुत काम देखो, जो वह तुम्हारे लिए करेंगे; क्योंकि तुम आज जिन मिस्रियों को देख रहे हो, इसके बाद उन्हें फिर कभी भी न देखोगे. 14तुम चुप रहो, याहवेह ही तुम्हारे लिए लड़ेंगे.”

15तब याहवेह ने मोशेह से कहा, “क्यों मेरी दोहाई दे रहे हो? इस्राएलियों से कहो कि वे आगे बढ़ें. 16तुम्हारे लिए मेरा आदेश है कि अपनी लाठी समुद्र के ऊपर बढ़ाओ और जल दो भाग हो जाएंगे, जिससे इस्राएली सूखी भूमि से होकर चले जाएंगे. 17मैं मिस्रियों के मन को कठोर बना दूंगा और वे उनका पीछा करते हुए आएंगे. तब मैं फ़रोह की सेना, उसके रथों एवं सवारियों के ज़रिये अपनी महिमा करवाऊंगा. 18जब फ़रोह की सेना, उसके रथों एवं सवारियों के ज़रिये मेरी महिमा होगी तब मिस्र के लोग समझ जायेंगे कि मैं ही याहवेह हूं.”

19फिर परमेश्वर का स्वर्गदूत, जो अब तक इस्राएलियों के आगे-आगे जा रहा था, उनके पीछे आ गया तथा बादल भी आगे से हटकर उनके पीछे आ गए. 20इस प्रकार स्वर्गदूत और बादल इस्राएलियों तथा मिस्रियों के बीच आ गए. बादल के कारण एक ओर तो अंधकार था, लेकिन रात में उन्हें रोशनी भी मिलती रही.

21मोशेह ने समुद्र के ऊपर अपना हाथ बढ़ाया और याहवेह ने रात भर तेज हवा बहाई और समुद्र को दो भाग करके जल को पीछे हटा दिया, जिससे बीच की ज़मीन सूखी हो गयी. 22इस्राएली सूखी ज़मीन पर चलकर दूसरी ओर आ गए, क्योंकि जल उनके दोनों ओर दीवार बनकर खड़ा हो गया था.

23तब मिस्रियों ने इस्राएलियों का पीछा किया और फ़रोह के सभी घोड़े, उसके रथ तथा उनके चालक उनका पीछा करते हुए समुद्र के बीच आ गये. 24सुबह के समय याहवेह ने आग तथा बादल में से होकर मिस्री सेना को देखा. 25और उनके रथों के पहिये फंसा दिये ताकि वे आगे बढ़ नहीं पायें. मिस्री आपस में कहने लगे, “चलो, हम इस्राएलियों का पीछा करना छोड़कर भाग चलें—क्योंकि स्वयं याहवेह उनकी ओर से हमारे विरुद्ध लड़ रहे हैं.”

26फिर याहवेह ने मोशेह से कहा, “समुद्र के ऊपर अपना हाथ बढ़ा दो कि जल मिस्रियों, उनके रथों और उनके घुड़सवारों के ऊपर लौट आये.” 27मोशेह ने समुद्र पर अपना हाथ बढ़ाया और सुबह होने पर समुद्र पहले जैसा बहने लगा. तब तक मिस्री जल के बीच में आ गये थे. वे जब भाग रहें थे, तब याहवेह ने उन्हें समुद्र के बीच में ही डुबो दिया. 28समुद्र के बहाव ने रथों, चालकों तथा फ़रोह की पूरी सेना को डुबो दिया, जो इस्राएलियों का पीछा करते हुए समुद्र में पहुंची थी. उनमें से एक भी व्यक्ति जीवित न रहा.

29किंतु इस्राएली समुद्र के बीच में से सूखी भूमि पर चलते हुए पार हो गए. 30याहवेह ने उस दिन इस्राएल को मिस्रियों से बचाया. इस्राएलियों ने समुद्र में मिस्रियों के शव देखे. 31जब इस्राएलियों ने उस ताकतवर काम पर ध्यान दिया, जो याहवेह ने मिस्रियों से किया, वे याहवेह के प्रति श्रद्धापूर्ण डर से भर गए और उन्होंने याहवेह तथा उनके दास मोशेह पर विश्वास किया.

Chinese Contemporary Bible 2022 (Simplified)

出埃及记 14:1-31

过红海

1耶和华对摩西说: 2“你吩咐以色列人改变方向,在比·哈希录附近的海边扎营,在红海和密夺之间,对面是巴力·洗分3法老必定以为以色列人走迷了路,被困在旷野。 4我要使法老的心刚硬,使他派兵追赶他们。我要在法老和埃及军兵身上得荣耀,好叫埃及人知道我是耶和华。”于是,以色列人遵命而行。

5有人向埃及王报信,说以色列百姓逃走了。法老和他的臣仆便改变主意,说:“我们怎么可以让以色列人就这样离开我们,不再服侍我们呢?” 6法老便吩咐人预备战车,他亲自领军, 7率领埃及所有的战车,包括六百辆最精锐的战车,每辆车上都有战车长。 8耶和华使埃及王法老的心刚硬,法老就追赶毫无惧色地离开埃及以色列人。 9埃及大军的战车骑兵倾巢而出,在巴力·洗分对面、比·哈希录附近的海边追上了安营的以色列人。

10法老渐渐逼近,以色列人抬头看见埃及人追了上来,非常害怕,便呼求耶和华。 11他们对摩西说:“难道埃及没有坟地,要你带我们出来死在旷野吗?为什么要带我们出埃及呢? 12我们在埃及岂不是对你说过,别管我们,就让我们服侍埃及人吗?服侍埃及人总比死在旷野好啊!” 13摩西对百姓说:“你们不要害怕,站稳了,看耶和华今天怎样解救你们。你们再也看不到你们今天看到的埃及人了。 14耶和华必为你们争战,你们要保持安静。” 15耶和华对摩西说:“为什么向我呼求呢?吩咐以色列人往前走吧。 16你举手向海伸出手杖,把海水分开,以色列人可以从中间的干地走过去。 17我要使埃及人的心刚硬,他们会尾随你们下到海中。我要在法老及其大军、战车和骑兵身上得荣耀。 18当我在法老及其战车和骑兵身上得到荣耀时,埃及人就知道我是耶和华。”

19这时,在以色列队伍前面领路的上帝的天使,转到百姓后面,云柱也随着移到后面立住。 20云柱停在埃及队伍和以色列队伍的中间,埃及人这边一片黑暗,以色列人那边却有光,彼此整夜都无法接近对方。

21摩西向海伸出手,耶和华便整夜用强劲的东风吹退海水,将海底变成干地。海水分开后, 22以色列人踏着干地走入海中,海水在他们左右形成水墙。 23法老的军兵车马紧追不舍,都跟着下到海中。 24到了破晓时分,耶和华从云柱火柱中俯视埃及军队,使他们陷入混乱。 25祂使他们战车的轮子脱落,难以前行。于是,埃及人说:“我们逃命吧,因为耶和华在帮助以色列人攻击我们!”

26耶和华对摩西说:“你向海伸出手,使海水回流,淹没埃及人及其战车和马兵。” 27天刚亮的时候,摩西向海伸出手,海水便恢复原状。埃及人纷纷向岸上逃命,耶和华却使大水把他们卷回海中。 28海水回流,法老的战车和人马都淹没在大海之中,全军覆没。 29以色列人却在干地上走过红海,海水在他们左右形成水墙。 30那天,耶和华就这样从埃及人手中拯救了以色列人。以色列人看见埃及人的尸体横在海边。 31以色列百姓亲眼看见耶和华怎样以大能对付埃及人,他们就敬畏耶和华,又信服祂和祂的仆人摩西