एज़्रा 7 – HCV & CCBT

Hindi Contemporary Version

एज़्रा 7:1-28

एज़्रा की बाबेल से येरूशलेम यात्रा

1इन घटनाओं के बाद फारस के राजा अर्तहषस्ता के शासनकाल में एज़्रा बाबेल से लौट आए. एज़्रा सेराइयाह के पुत्र थे, सेराइयाह अज़रियाह का, अज़रियाह हिलकियाह का, हिलकियाह शल्लूम का, 2शल्लूम सादोक का, सादोक अहीतूब का, अहीतूब अमरियाह का, 3अमरियाह अज़रियाह का, अज़रियाह मेराइओथ का, 4मेराइओथ ज़ेराइयाह का, ज़ेराइयाह उज्जी का, उज्जी बुक्की का, 5बुक्की अबीशुआ का, अबीशुआ फिनिहास का, फिनिहास एलिएज़र का, एलिएज़र प्रमुख पुरोहित अहरोन का पुत्र था. 6एज़्रा बाबेल से लौट आए. वह मोशेह को याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर के द्वारा सौंपी गई व्यवस्था के विशेषज्ञ थे. याहवेह, उनके परमेश्वर का आशीर्वाद एज़्रा पर बना हुआ था, तब राजा ने उन्हें वह सब दिया, जिस जिस वस्तु का उन्होंने मांगा था. 7कुछ इस्राएली, कुछ पुरोहित, लेवी, गायक, द्वारपाल तथा भवन के कर्मचारी राजा अर्तहषस्ता के शासनकाल के सातवें वर्ष में येरूशलेम पहुंचे.

8स्वयं एज़्रा राजा के शासनकाल के सातवें वर्ष के पांचवें महीने में येरूशलेम पहुंचे. 9उन्होंने बाबेल से अपनी यात्रा पहले महीने के पहले दिन से शुरू की थी तथा वह पांचवें महीने के पहले दिन येरूशलेम पहुंच गए थे, क्योंकि उनके परमेश्वर की कृपादृष्टि उन पर बनी हुई थी. 10एज़्रा ने स्वयं को याहवेह की व्यवस्था के अध्ययन, स्वयं उसका पालन करने तथा इस्राएल राष्ट्र में याहवेह की विधियों और नियमों की शिक्षा देने के लिए समर्पित कर दिया था.

एज़्रा के पक्ष में राजा का आदेश

11पुरोहित, विधि-विशेषज्ञ, याहवेह द्वारा इस्राएल के लिए ठहराए गए उन आदेशों और विधियों में प्रशिक्षित एज़्रा को राजा अर्तहषस्ता ने जो राजा कि आज्ञा सौंपी थी उसकी नकल यह है:

12अर्तहषस्ता, राजा की,

ओर से एज़्रा को, जो पुरोहित और स्वर्ग के परमेश्वर की व्यवस्था के गुरु हैं,

नमस्कार.

13मैंने इसी समय एक राजा की आज्ञा दी है, कि मेरे राज्य में इस्राएल देश का कोई भी नागरिक, उनके पुरोहित और लेवी यदि चाहें तो आपके साथ येरूशलेम जाने के लिए स्वतंत्र हैं. 14क्योंकि आप राजा द्वारा आपके ही परमेश्वर की व्यवस्था के अनुसार, जो आपके ही पास है, यहूदिया प्रदेश तथा येरूशलेम के विषय में पूछताछ करने के उद्देश्य से राजा के सात मंत्रियों के साथ वहां भेजे जा रहे हैं, 15कि आप अपने साथ राजा और उनके मंत्रियों द्वारा इस्राएल के परमेश्वर को, जिनका निवास येरूशलेम में है, भेंट में चढ़ाया जानेवाला सोना और चांदी भी ले जाएं. 16आप वह सारा सोना और चांदी, जो आपको पूरे बाबेल राज्य में से मिलेगा और वे भेंटें, जो इस्राएली और उनके पुरोहित येरूशलेम में उनके परमेश्वर के भवन के और उनके पुरोहित येरूशलेम में उनके परमेश्वर के भवन के निमित्त देंगे, अपने साथ ले जाएंगे. 17तब इस धनराशि से आप बड़ी ही सावधानीपूर्वक बछड़े, मेढ़े तथा मेमने खरीदेंगे और उनकी अग्निबलियों तथा पेय बलियों को येरूशलेम में अपने परमेश्वर के भवन की वेदी पर चढ़ाएंगे.

18बचे हुए चांदी और सोने का उपयोग कैसे किया जाए, यह आप अपने परमेश्वर की इच्छा के अनुसार और अपने भाइयों की सहमति के अनुसार कर सकते हैं. 19इसके अलावा वे बर्तन, जो आपको आपके परमेश्वर के भवन में इस्तेमाल के लिए सौंपे गए हैं, आप उन सभी बर्तनों को येरूशलेम के परमेश्वर को सौंप देंगे. 20तब आपके परमेश्वर के भवन के लिए, जो बाकी ज़रूरतें हैं, जिनको पूरा करना आपकी जवाबदारी है, उसको आप राजकीय खजाने से पूरा कर सकते हैं.

21“मैं, हां मैं, राजा अर्तहषस्ता, सभी कोषाध्यक्षों के लिए, जो नदी के पार के प्रदेश के लिए चुने गए हैं, यह राज आज्ञा दे रहा हूं: स्वर्ग के परमेश्वर की व्यवस्था के विशेषज्ञ, पुरोहित एज़्रा की चाहे कोई भी ज़रूरत हो, उसको सावधानी के साथ पूरा किया जाए 22यहां तक, यदि वह एक सौ तालन्त चांदी, एक सौ कोर गेहूं, एक सौ बाथ दाखरस, एक सौ बाथ तेल, तथा नमक आवश्यकतानुसार. 23स्वर्ग के परमेश्वर द्वारा, जो कुछ भी आदेश दिया गया है, वह सब स्वर्ग के भवन के लिए बड़े उत्साह के साथ पूरा किया जाए, कि किसी भी रूप से राजा और उसके पुत्रों के साम्राज्य के विरोध में परमेश्वर का क्रोध न भड़कने पाए. 24हम आपको यह भी बताना चाहते हैं, कि आप लोगों को पुरोहितों, लेवियों, गायकों, द्वारपालों, भवन के कर्मचारियों तथा परमेश्वर के इस भवन के दासों से न तो कर लेने की, न भेंटे ग्रहण करने की और न चुंगी लेने की अनुमति है.

25“एज़्रा, आप, परमेश्वर के द्वारा मिली हुई अपनी बुद्धि के अनुसार न्यायी और दण्डाधिकारी चुन लीजिए, कि वे नदी के पार के प्रदेश में प्रजा के विवादों का न्याय करें-उनका भी, जो आपके परमेश्वर की व्यवस्था को जानते हैं. वे, जो व्यवस्था और विधियों को नहीं जानते हैं, आप उन्हें इनकी शिक्षा दे सकते हैं. 26जो कोई आपके परमेश्वर की व्यवस्था और राजा के नियमों को न माने, उसे कठोरता पूर्वक दंड दिया जाए, चाहे यह मृत्यु दंड हो, देश निकाला हो, संपत्ति ज़ब्त करना हो या कैद.”

27स्तुति के योग्य हैं याहवेह, हमारे पुरखों के परमेश्वर, जिन्होंने महाराज के हृदय में इस विषय का विचार दिया, कि येरूशलेम में याहवेह का भवन संवारा जाए, 28धन्य हैं याहवेह, जिन्होंने मुझे महाराज तथा उनके मंत्रियों तथा उनके बड़े-बड़े हाकिमों की दृष्टि में अपनी कृपा से भर दिया है. इसलिये याहवेह, मेरे परमेश्वर की कृपादृष्टि मुझ पर होने के कारण मुझे बल मिल गया. तब मैंने इस्राएलियों में से ऐसे व्यक्ति चुन लिए, जो मेरे साथ हाथ बंटाने के लिए येरूशलेम लौट सकें.

Chinese Contemporary Bible 2023 (Traditional)

以斯拉記 7:1-28

以斯拉到達耶路撒冷

1這些事以後,波斯亞達薛西年間,以斯拉巴比倫上到耶路撒冷以斯拉西萊雅的兒子,西萊雅亞撒利雅的兒子,亞撒利雅希勒迦的兒子, 2希勒迦沙龍的兒子,沙龍撒督的兒子,撒督亞希突的兒子, 3亞希突亞瑪利雅的兒子,亞瑪利雅亞撒利雅的兒子,亞撒利雅米拉約的兒子, 4米拉約西拉希雅的兒子,西拉希雅烏西的兒子,烏西布基的兒子, 5布基亞比書的兒子,亞比書非尼哈的兒子,非尼哈以利亞撒的兒子,以利亞撒是大祭司亞倫的兒子。 6以斯拉是位從巴比倫上來的律法教師,精通以色列的上帝耶和華賜下的摩西律法。他的上帝耶和華出手幫助他,使王批准他的一切要求。

7亞達薛西王第七年,一些以色列人、祭司、利未人、歌樂手、殿門守衛和殿役來到耶路撒冷8-9這年一月一日,以斯拉巴比倫啟程去耶路撒冷,五月一日就到達那裡,因為他的上帝施恩幫助他。 10以斯拉專心研讀、遵行耶和華的律法,並在以色列教導律例和典章。

亞達薛西王給以斯拉的諭旨

11以斯拉是祭司和律法教師,精通耶和華賜給以色列的誡命和律例。亞達薛西王降旨給以斯拉,內容如下:

12「王中之王亞達薛西降旨給精通天上上帝律法的教師以斯拉祭司,願你平安!

13「我現在降旨,我國中的以色列人、祭司和利未人,凡願意上耶路撒冷的都可以與你同去。 14我和七位謀士派你去按照你手中上帝的律法察看猶大耶路撒冷的情況, 15並帶去我和謀士們自願獻的金銀,獻給住在耶路撒冷以色列的上帝, 16還要帶去你在巴比倫省得到的金銀,以及民眾和祭司為耶路撒冷的上帝之殿自願奉獻的祭物。 17你一定要用這些金銀購買公牛、公綿羊和綿羊羔,以及素祭和奠祭用品,把這一切獻在耶路撒冷你們上帝殿的祭壇上。 18至於餘下的金銀,你和你的弟兄可以按你們上帝的心意妥善使用。 19那些交托給你、用來在你上帝的殿裡敬拜的器皿,你要帶到耶路撒冷的上帝面前。 20如果你們上帝的殿還需要你供應什麼,你可以從國庫支取費用。

21「我亞達薛西王降旨給河西所有的財政大臣,精通天上上帝律法的律法教師以斯拉祭司無論向你們要什麼,都要速速辦理, 22可以給他六萬八千兩銀子、兩萬兩千升麥子、兩千二百升酒、兩千二百升油,鹽可以隨意取用。 23不論天上的上帝為祂的殿有何要求,都要認真辦理,以免祂的烈怒臨到王及眾王子的國。 24我們也通知你們不可向這座上帝殿的祭司、利未人、歌樂手、殿門守衛、殿役或其他工人徵收賦稅。

25「你以斯拉要運用上帝賜給你的智慧委派官員和審判官,讓他們治理河西省的人民,就是所有明白你上帝律法的人。你要教導那些不明白你上帝律法的人。 26凡不遵行你上帝的律法和王法的,要對他嚴加治罪,或處死,或發配,或抄家,或監禁。」

以斯拉讚美上帝

27以斯拉說:

「我們祖先的上帝耶和華當受讚美!因為祂使王有這樣的心意尊崇耶路撒冷耶和華的殿。 28祂又在王及其謀士和所有權貴面前施恩於我。因為我的上帝耶和華出手幫助我,我便有勇氣召集以色列的首領與我一同上去。」