अय्योब 25 – HCV & NAV

Hindi Contemporary Version

अय्योब 25:1-6

परमेश्वर की सामर्थ्य का स्तवन

1तब बिलदद ने, जो शूही था, अपना मत देना प्रारंभ किया:

2“प्रभुत्व एवं अतिशय सम्मान के अधिकारी परमेश्वर ही हैं;

वही सर्वोच्च स्वर्ग में व्यवस्था की स्थापना करते हैं.

3क्या परमेश्वर की सेना गण्य है?

कौन है, जो उनके प्रकाश से अछूता रह सका है?

4तब क्या मनुष्य परमेश्वर के सामने युक्त प्रमाणित हो सकता है?

अथवा नारी से जन्मे किसी को भी शुद्ध कहा जा सकता है?

5यदि परमेश्वर के सामने चंद्रमा प्रकाशमान नहीं है

तथा तारों में कोई शुद्धता नहीं है,

6तब मनुष्य क्या है, जो मात्र एक कीड़ा है,

मानव प्राणी, जो मात्र एक केंचुआ ही है!”

New Arabic Version

أيوب 25:1-6

بلدد

1فَقَالَ بِلْدَدُ الشُّوحِيُّ: 2«لِلهِ السُّلْطَانُ وَالْهَيْبَةُ، يَصْنَعُ السَّلامَ فِي أَعَالِيهِ. 3هَلْ مِنْ إِحْصَاءٍ لأَجْنَادِهِ، وَعَلَى مَنْ لَا يُشْرِقُ نُورُهُ؟ 4فَكَيْفَ يَتَبَرَّرُ الإِنْسَانُ عِنْدَ اللهِ، وَكَيْفَ يَزْكُو مَوْلُودُ الْمَرْأَةِ؟ 5فَإِنْ كَانَ الْقَمَرُ لَا يُضِيءُ، وَالْكَوَاكِبُ غَيْرَ نَقِيَّةٍ فِي عَيْنَيْهِ، 6فَكَمْ بِالْحَرِيِّ الإِنْسَانُ الرِّمَّةُ وَابْنُ آدَمَ الدُّودُ؟»