創世記 25 – CCBT & HCV

Chinese Contemporary Bible 2023 (Traditional)

創世記 25:1-34

亞伯拉罕的其他後代

1亞伯拉罕又娶了基土拉為妻。 2基土拉亞伯拉罕生了心蘭約珊米但米甸伊施巴書亞3約珊生了示巴底但底但的子孫是亞書利族、利都示族和利烏米族。 4米甸的兒子是以法以弗哈諾亞比大以勒大。這些都是基土拉的子孫。 5亞伯拉罕把所有的財產都給了以撒6他趁自己還在世的時候,把一些財物送給他的妾所生的兒子們,讓他們離開他的兒子以撒到東方去。

7亞伯拉罕活了一百七十五歲, 8享盡天年,壽終正寢,歸到他祖先那裡。 9他的兩個兒子以撒以實瑪利把他安葬在麥比拉洞,那山洞在幔利附近、瑣轄的兒子以弗崙的地裡。 10那塊地是亞伯拉罕人買的,他和妻子撒拉都葬在那裡。 11亞伯拉罕去世以後,上帝賜福給他的兒子以撒以撒住在庇耳·拉海·萊附近。

12以實瑪利亞伯拉罕撒拉的婢女埃及夏甲所生的兒子,以下是以實瑪利的後代。 13以實瑪利的兒子按出生的次序名字如下:長子尼拜約,然後是基達亞德別米比衫14米施瑪度瑪瑪撒15哈大提瑪伊突拿非施基底瑪16這些都是以實瑪利的兒子,他們按照其村莊和營寨分別作了十二個族的族長。 17以實瑪利活了一百三十七歲,壽終正寢,歸到他祖先那裡。 18他子孫居住的地方從哈腓拉一直延伸到埃及東面、通往亞述方向的書珥,他們與其他親屬作對25·18 「與其他親屬作對」或譯「住在其他親屬的東面」。

利百加生以掃和雅各

19以下是關於亞伯拉罕的兒子以撒的記載。

亞伯拉罕以撒20以撒四十歲娶利百加利百加巴旦·亞蘭的亞蘭人彼土利的女兒、拉班的妹妹。 21以撒因為利百加不生育,就為她祈求耶和華。耶和華應允了他的祈求,利百加就懷了孕。 22兩個胎兒在她腹中彼此相爭,她說:「怎麼會這樣?」於是,她去求問耶和華。 23耶和華對她說:

「你腹中有兩個國家,

兩族從你裡面分出,

一族要比另一族強大,

將來大的要服侍小的。」

24到了生產的時候,利百加果然生下雙胞胎。 25先出生的嬰兒身體通紅,渾身長毛,好像穿了皮衣,因此給他取名叫以掃25·25 「以掃」意思是「有毛」。26隨後出生的弟弟手抓著以掃的腳跟,因此給他取名叫雅各25·26 「雅各」意思是「抓住」。。那時以撒六十歲。

以掃出賣長子名分

27孩子們漸漸長大,以掃擅長狩獵,常在田野活動;雅各性情安靜,喜歡待在家裡。 28以撒疼愛以掃,因為他喜歡吃以掃打的野味,利百加卻疼愛雅各

29一天,雅各正在熬湯,以掃筋疲力盡地從田野回來。 30以掃雅各說:「我要累死了,給我一些紅湯喝吧!」因此,以掃又叫以東25·30 「以東」意思是「紅色」。31雅各回答說:「你今天把長子的名分賣給我吧!」 32以掃說:「我都快死了,長子的名分對我有什麼用呢?」 33雅各說:「你現在向我起誓保證吧!」於是,以掃就起誓把長子的名分賣給了雅各34雅各把餅和豆湯給以掃以掃吃完喝完便起身走了。以掃就這樣輕看自己長子的名分。

Hindi Contemporary Version

उत्पत्ति 25:1-34

अब्राहाम की मृत्यु

1अब्राहाम ने केतुराह नामक एक और स्त्री से विवाह कर लिया था. 2उससे अब्राहाम के जो पुत्र हुए, उनका नाम था ज़िमरान, योकशान, मेदान, मिदियान, इशबक और शुआह. 3योकशान शीबा तथा देदान के पिता थे. देदान के वंश में असशुरिम, लेतुशिम तथा लेउम्मिम लोगों का जन्म हुआ. 4मिदियान के पुत्र: एफाह, एफ़र, हनोख, अविदा तथा एलदाह थे. ये सब केतुराह से पैदा हुए थे.

5अब्राहाम ने अपनी पूरी संपत्ति यित्सहाक को सौंप दी थी. 6किंतु अब्राहाम ने अपनी रखैलों की संतानों को अपने जीवनकाल में ही उपहार देकर उन्हें अपने पुत्र यित्सहाक से दूर पूर्व के देश में भेज दिया था.

7अब्राहाम की उम्र एक सौ पचहत्तर साल की थी. 8तब अब्राहाम ने अपनी पूरी वृद्धावस्था में आखिरी सांस ली, एक वृद्ध व्यक्ति के रूप में उनकी पूरी आयु में मृत्यु हुई; और वे अपने लोगों में जा मिले. 9उनके पुत्र यित्सहाक और इशमाएल ने उन्हें ममरे के पास माखपेलाह के गुफा में मिट्टी दी, जो हित्ती ज़ोहार के पुत्र एफ्रोन के खेत में थी, 10यह वही खेत था, जिसे अब्राहाम ने हित्तियों से खरीदा था. वहां उनकी पत्नी साराह के पास अब्राहाम दफनाया गया. 11अब्राहाम की मृत्यु के बाद, परमेश्वर ने उनके पुत्र यित्सहाक को आशीष दी, जो उस समय बएर-लहाई-रोई में रहता था.

इशमाएल के वंशज

12अब्राहाम के पुत्र इशमाएल, जो साराह के मिस्र की दासी हागार से पैदा हुआ था, उसकी वंशावली इस प्रकार है.

13जन्म के अनुसार इशमाएल के बेटों का नाम इस प्रकार है:

इशमाएल का बड़ा बेटा नेबाइयोथ,

फिर केदार, अदबील, मिबसाम,

14मिशमा, दूमाह, मास्सा,

15हदद, तेमा, येतुर,

नाफिश और केदेमाह.

16ये इशमाएल के पुत्र थे, और ये उन बारह जाति के प्रधानों के नाम हैं जो उनके बंदोबस्त और छावनियों के अनुसार रखे गये.

17इशमाएल एक सौ सैंतीस वर्ष तक जीवित रहा. तब उसकी मृत्यु हो गई, और वह अपने लोगों में जा मिला. 18उसके वंशज मिस्र देश के पूर्वी सीमा के नजदीक अश्शूर की दिशा में हाविलाह से लेकर शूर तक के क्षेत्र में बस गए और वे उनसे संबंधित सभी गोत्रों से बैर रखते थे.

याकोब और एसाव

19अब्राहाम के पुत्र यित्सहाक की वंशावली इस प्रकार है:

अब्राहाम से यित्सहाक का जन्म हुआ. 20पद्दन-अरामवासी अरामी बेथुएल की पुत्री और अरामी लाबान की बहन रेबेकाह से विवाह करते समय यित्सहाक की आयु चालीस वर्ष थी.

21यित्सहाक ने अपनी पत्नी की ओर से याहवेह से प्रार्थना की, क्योंकि वह बांझ थी. याहवेह ने उसकी प्रार्थना सुन ली और उसकी पत्नी रेबेकाह गर्भवती हुई. 22बच्‍चे उसके गर्भ में एक दूसरे को धक्का देते रहते थे. तब रेबेकाह ने कहा, “यह क्या हो रहा है मेरे साथ?” और वह याहवेह से पूछने गई.

23याहवेह ने उससे कहा,

“तुम्हारे गर्भ में दो जातियां हैं,

तुममें से दो जनता के लोग निकलकर अलग होंगे;

एक समूह के लोग दूसरे से अधिक बलवान होंगे,

और बड़ा छोटे की सेवा करेगा.”

24जब उसके प्रसव का समय आया. उसके गर्भ में जुड़वां बच्‍चे थे. 25जो पहला बेटा हुआ वह लाल था, और उसका पूरा शरीर बालों से भरा था; इस कारण उसका नाम एसाव25:25 एसाव अर्थात्बालदार रखा गया. 26इसके बाद, उसके भाई का जन्म हुआ, जो अपने हाथ से अपने भाई एसाव की एड़ी पकड़े हुए था; तब उसका नाम याकोब रखा गया. जब रेबेकाह ने बच्चों को जन्म दिया, तब यित्सहाक की उम्र साठ वर्ष थी.

27दोनों बच्‍चे बड़े होते गये, और एसाव खुले मैदान का एक कुशल शिकारी बन गया, जबकि याकोब घर में तंबुओं के बीच रहकर संतुष्ट रहता था. 28एसाव यित्सहाक का प्रिय था क्योंकि यित्सहाक को आखेट का मांस बहुत अच्छा लगता था, पर याकोब रेबेकाह का प्रिय था.

29एक बार जब याकोब धीमी आंच में कुछ पका रहा था, तब एसाव बाहर मैदान से आया और वह बहुत भूखा था. 30उसने याकोब से कहा, “मुझे बहुत भूख लगी है; तुम जो पका रहे हो, जल्दी करके उसमें से मुझे कुछ खाने को दो.” (यही कारण है कि उसे एदोम भी कहा गया.)

31किंतु याकोब ने उससे कहा, “पहले आप अपने पहलौठे का अधिकार मुझे दे दो.”

32एसाव ने कहा, “देख, भूख से मेरे प्राण निकल रहे हैं; पहलौठे के अधिकार से मुझे क्या फायदा है?”

33पर याकोब ने कहा, “तो पहले आप मुझसे शपथ खाईये.” तब एसाव ने शपथ खाकर अपने पहलौठे का अधिकार याकोब के हाथ बेच दिया.

34तब याकोब ने एसाव को कुछ रोटी और पकाई हुई दाल दी. एसाव ने खाया पिया, और उठकर चला गया.

इस प्रकार एसाव ने अपने पहलौठे के अधिकार को तुच्छ समझा.