约拿书 4 – CCB & HCV

Chinese Contemporary Bible 2022 (Simplified)

约拿书 4:1-11

1这事令约拿十分不悦,非常恼怒。 2他向耶和华祷告说:“耶和华啊,我在家乡的时候岂不早就说过你会这样做吗?我知道你是一位有恩典、好怜悯的上帝,不轻易发怒,充满慈爱,不忍心降灾,所以我才急速逃往他施3耶和华啊,求你收回我的性命吧,我死了比活着还好!” 4耶和华对他说:“你这样大发脾气合理吗?”

5约拿出城,在城东为自己搭了一个棚,坐在棚下荫凉处,要看看尼尼微城究竟会怎样。 6耶和华上帝安排了一棵蓖麻迅速地长起来,为约拿遮荫,使他的头免受日晒。约拿因有这棵蓖麻而非常欢喜。 7第二天黎明的时候,上帝却安排了一条虫来咬这棵蓖麻,蓖麻就枯萎了。 8太阳出来的时候,上帝刮起燥热的东风,烈日把约拿晒得发昏,他就再次求死说:“我死了比活着还好!”

9上帝对约拿说:“你为这棵蓖麻大发脾气合理吗?”约拿回答说:“我就是气死了也合理。” 10耶和华说:“这棵蓖麻不是你种的,也不是你栽培的,它在一夜之间长成,又在一夜之间死去,你尚且如此爱惜, 11我怎能不爱惜这尼尼微大城呢?城中单是连左右手都分不清的人就有十二万多,还有许多的牲畜。”

Hindi Contemporary Version

योनाह 4:1-11

याहवेह की करुणा पर योनाह का क्रोध

1परंतु योनाह को परमेश्वर का यह निर्णय गलत लगा, और वह क्रोधित हुआ. 2उसने याहवेह से यह प्रार्थना की, “हे याहवेह, क्या मैंने यह नहीं कहा था, जब मैं अपने घर में था? इसलिये तरशीश को भागने के द्वारा मैंने अनुमान लगाने की कोशिश की. मैं जानता था कि आप अनुग्रहकारी और कृपालु परमेश्वर हैं; आप क्रोध करने में धीमा और प्रेम से भरे हुए हैं; आप ऐसे परमेश्वर हैं जो विपत्ति भेजने से अपने आपको रोकते हैं. 3तब हे याहवेह, मेरे प्राण ले लें, क्योंकि मेरे लिये जीवित रहने से मर जाना भला है.”

4परंतु याहवेह ने उत्तर दिया, “क्या तुम्हारा क्रोधित होना उचित है?”

5तब योनाह बाहर जाकर शहर के पूर्व की ओर एक जगह में बैठ गया. वहां उसने अपने लिये एक छत बनायी और उसकी छाया में बैठकर इंतजार करने लगा कि अब शहर का क्या होगा. 6तब याहवेह परमेश्वर ने एक पत्तीवाले पौधे को उगाया और उसे योनाह के ऊपर बढ़ाया ताकि योनाह के सिर पर छाया हो और उसे असुविधा न हो; योनाह उस पौधे के कारण बहुत खुश था. 7पर अगले दिन बड़े सबेरे परमेश्वर ने एक कीड़े को भेजा, जिसने उस पौधे को कुतर डाला, जिससे वह पौधा मुरझा गया. 8जब सूरज निकला, तब परमेश्वर ने एक झुलसाती पूर्वी हवा चलाई, और योनाह के सिर पर सूर्य की गर्मी पड़ने लगी, जिससे वह मूर्छित होने लगा. वह मरना चाहता था, और उसने कहा, “मेरे लिये जीवित रहने से मर जाना भला है.”

9परंतु परमेश्वर ने योनाह से कहा, “क्या इस पौधे के बारे में तुम्हारा गुस्सा होना उचित है?”

योनाह ने उत्तर दिया, “बिलकुल उचित है. मैं इतने गुस्से में हूं कि मेरी इच्छा है कि मैं मर जाऊं.”

10परंतु याहवेह ने कहा, “तुम इस पौधे के लिए चिंतित हो, जिसकी तुमने न तो कोई देखभाल की और न ही तुमने उसे बढ़ाया. यह रातों-रात निकला और रातों-रात यह मर भी गया. 11तो फिर क्या मैं इस बड़े शहर नीनवेह की चिंता न करूं? जिसमें एक लाख बीस हजार से अधिक मनुष्य रहते हैं, जो अपने दाएं तथा बाएं हाथ के भेद को भी नहीं जानते—और इस शहर में अनेक पशु भी हैं.”