民数记 16 – CCB & HCV

Chinese Contemporary Bible 2022 (Simplified)

民数记 16:1-50

可拉之乱

1可拉利未的曾孙、哥辖的孙子、以斯哈的儿子。他跟吕便支派以利押的两个儿子大坍亚比兰,以及比勒的儿子2联合二百五十名在以色列会众中有声望的首领反叛摩西3一起攻击摩西亚伦,说:“你们太过分了!全体会众都是圣洁的,有耶和华住在他们当中,你们凭什么将自己置于耶和华的会众之上?” 4摩西听了这话,就俯伏在地, 5可拉一伙人说:“到了明天早上,耶和华必显明谁是属于祂的,谁是圣洁的。祂必让祂所拣选的人到祂面前。 6可拉啊,你们要这样做,你和你的同伙明天带香炉来, 7在耶和华面前点火添香。耶和华拣选谁,谁就是圣洁的。你们利未人太过分了!” 8摩西又对可拉说:“利未人啊,你们听我说! 9以色列的上帝把你们从以色列会众中分别出来,使你们可以到祂面前,在祂的圣幕里司职,替会众办事,你们还不满足吗? 10可拉啊,耶和华使你和其他利未人事奉祂,你们还要贪求祭司的职分吗? 11其实你和你的同伙合谋反叛的是耶和华。亚伦是何人,你们竟埋怨他?” 12摩西派人去召以利押的儿子大坍亚比兰,他们却说:“我们不去! 13你带我们离开奶蜜之乡,要让我们死在旷野,这还不够吗?你还想自立为王管辖我们吗? 14你并没有领我们到奶蜜之乡,也没有给我们田地和葡萄园作产业,你还想继续蒙骗我们吗?我们不去!”

15摩西非常愤怒,就对耶和华说:“求你不要接纳他们的祭物。我没有取过他们一头驴,也没有害过他们任何人。” 16摩西可拉说:“明天你和你的同伙要跟亚伦一起站在耶和华面前。 17每人要拿自己的香炉,放上香,带到耶和华面前,共二百五十个。你和亚伦也要各拿自己的香炉。” 18于是,他们都拿着香炉,盛着火和香,跟摩西亚伦一起站在会幕门口。 19可拉把全体会众招聚到会幕门口,要对付摩西亚伦。这时,耶和华的荣光向全体会众显现。

20耶和华对摩西亚伦说: 21“你们离开这些会众,我好在顷刻之间消灭他们。” 22摩西亚伦就伏在地上说:“上帝啊,赐人生命气息的上帝啊!一人犯罪,你就要向全体会众发怒吗?” 23耶和华对摩西说: 24“你叫会众离可拉大坍亚比兰的帐篷远一点。”

25于是,摩西起来去大坍亚比兰那里,以色列的长老也跟着他。 26他对会众说:“你们离这些恶人的帐篷远一点,不要碰他们的任何东西,免得你们因他们的罪而受牵连,同遭毁灭。” 27会众便离开可拉大坍亚比兰的帐篷。大坍亚比兰带着妻小出来,站在自己的帐篷门口。 28摩西对会众说:“你们很快就知道,我所做的事都是奉耶和华之命而行,并非出于私意。 29如果这些人像常人一样死去,遭遇跟世人无异,我就不是耶和华派来的。 30但如果耶和华做一件前所未有的事,使地裂开,吞下他们和属于他们的一切,使他们活生生地坠入阴间,你们就知道这些人藐视耶和华了。”

31摩西的话刚说完,这些人脚下的地就裂开, 32吞下了他们和他们的家眷,以及所有可拉一伙的人和财物。 33他们和属于他们的一切就这样活活地坠入阴间,地在他们上面合拢起来,他们就从会众中灭亡了。 34他们四围的以色列人听到他们的喊叫声,纷纷逃跑,生怕自己也被地吞下去。 35耶和华又降下烈火,烧死了那二百五十个献香的人。

36耶和华对摩西说: 37“你叫亚伦祭司的儿子以利亚撒去从火中把香炉捡起来,把炭火撒在远处,因为那些香炉是圣洁的。 38要把那些因犯罪而丧命之人的香炉打成薄片,用来包祭坛,因为那些香炉曾被献在耶和华面前,是圣洁的,并且可让以色列人引以为戒。” 39于是,以利亚撒祭司取来被烧死之人所献的铜香炉,叫人打成薄片用来包祭坛, 40以色列人引以为戒,使亚伦子孙以外的人不致到耶和华面前烧香,以免像可拉及其同伙一样灭亡。这是按照耶和华借摩西的吩咐做的。

41第二天,以色列全体会众都埋怨摩西亚伦说:“你们害死了耶和华的子民。” 42会众聚集起来反对摩西亚伦,他们向会幕观看,忽然有云彩遮盖了会幕,耶和华的荣光显现。 43摩西亚伦来到会幕前, 44耶和华对摩西说: 45“你们离开这些会众,我好在顷刻之间消灭他们。”他们二人就俯伏在地。 46摩西亚伦说:“取香炉来,里面放些祭坛上的火,添上香,赶快带到会众那里为他们赎罪,因为耶和华发怒了,瘟疫已经开始。” 47亚伦就照着摩西的吩咐取来香炉,跑到会众当中。那时瘟疫已经在人群中蔓延起来。他就在炉中放上香为民众赎罪。 48他站在活人和死人之间,瘟疫就止住了。 49除了在可拉事件中死亡的人以外,有一万四千七百人死于瘟疫。 50瘟疫止住后,亚伦便回到在会幕门口的摩西那里。

Hindi Contemporary Version

गणना 16:1-50

कोराह, दाथान और अबीराम का विद्रोह

1इस समय कोराह, जिसका पिता इज़हार था, जिसका पिता कोहाथ था, जो लेवी का पुत्र था; तथा दाथान और अबीराम, जो एलियाब के पुत्र थे, तथा ओन, जो पेलेथ का पुत्र था, आज्ञा न माननेवाले हो गए. 2इन्होंने मोशेह के विरुद्ध अपनी आवाज उठाई. इनके साथ इस्राएल में से 250 व्यक्ति भी शामिल हो गए, जो सभा के चुने हुए तथा नामी प्रधान थे. 3ये सभी मोशेह एवं अहरोन के विरोध में एकजुट होकर उनसे कहने लगे, “आप लोग तो बहुत ऊंचे उड़ने लगे हैं! इस्राएली समाज में हममें से हर एक ही पवित्र व्यक्ति है तथा उन सभी के बीच परमेश्वर का वास है. फिर आप ही स्वयं को याहवेह की प्रजा में सबके ऊपर क्यों दिखाते हैं?”

4जब यह बातें मोशेह ने सुनी, वह मुंह के बल गिर पड़े. 5तथा उन्होंने कोराह एवं उसकी सारी मण्डली को संबोधित करते हुए कहा, “कल सुबह याहवेह यह स्पष्ट कर देंगे कि वह किसके पक्ष में हैं, कौन पवित्र है तथा वही उसे अपने निकट बुलाएंगे. याहवेह जिस किसी को चुनेंगे, उसे ही अपने निकट बुला लेंगे. 6तुम्हें यह करना होगा: तुम सभी कोराह के घराने के लोग धूपदान तैयार रखना, 7तुम कल याहवेह के सामने उनमें आग रख उस पर धूप डाल देना. जिस किसी को याहवेह चुनेंगे, वही होगा वह पवित्र व्यक्ति. ओ तुम लेवी के घराने, फूले जा रहे हो!”

8इसके बाद मोशेह ने यह कहा, “लेवी के घराने, अब यह सुन लो! 9क्या तुम्हारी समझ से यह कोई छोटा विषय है कि सारे इस्राएल के घराने में से इस्राएल के परमेश्वर ने तुम्हें अलग करना सही समझा है, कि वह तुम्हें अपने पास रखें, ताकि याहवेह के साक्षी तंबू संबंधी सेवा किया करें, तथा इस्राएल की सारी सभा के सामने उपस्थित होकर उनकी सेवा करें, 10तथा याहवेह ने तुम्हें और तुम्हारे सभी भाइयों को, जो लेवी के घराने के हैं, तुम्हारे साथ अपने पास रखा है? 11फिर तुम एवं तुम्हारे ये सारे साथी आज वस्तुतः स्वयं याहवेह के विरुद्ध खड़े हो गए हो. अहरोन है ही कौन, जो तुम उसके विरुद्ध बड़बड़ा रहे हो?”

12मोशेह ने आज्ञा दी कि एलियाब के पुत्र दाथान तथा अबीराम उनके सामने लाए जाएं. उन्होंने उत्तर दिया, “हम नहीं आएंगे! 13क्या यह कोई छोटा विषय है कि आप हमें एक ऐसे देश से, जिसमें दूध और मधु का भण्ड़ार है, निकालकर यहां निर्जन प्रदेश में मरने के लिए ले आए हैं, कि आप स्वयं को हम पर शासक बना बैठें? 14इसके अलावा, आप हमें ऐसे किसी देश में नहीं ले आए हैं, जहां दूध और मधु का भण्ड़ार है, और न ही आपने हमें ऐसी मीरास दी है, जहां खेत तथा अंगूरों के बगीचे हैं. क्या मतलब है आपका, आप इनकी आंखें निकालना चाह रहे हैं? हम वहां नहीं आएंगे!”

15मोशेह बहुत ही क्रोधित हो गए. उन्होंने याहवेह से कहा, “उनकी भेंट स्वीकार न कीजिए. मैंने न तो उनसे एक गधा भी लिया है, न मैंने उनमें से एक की भी कोई हानि की है.”

16मोशेह ने कोराह को आज्ञा दी, “कल तुम तथा तुम्हारे सभी साथी याहवेह के सामने उपस्थित होंगे—तुम तथा तुम्हारे साथी एवं अहरोन. 17तुममें से हर एक अपने-अपने धूपदान में धूप रखे और हर एक अपना अपना धूपदान याहवेह के सामने ले आए, ये सब 250 धूपदान होंगे, तुम्हारे और अहरोन के धूपदान भी होंगे.” 18तब इनमें से हर एक ने अपना अपना धूपदान लिया, उसमें आग रखी तथा आग पर धूप. तब वे सभी मोशेह एवं अहरोन के साथ मिलनवाले तंबू के सामने खड़े हो गए. 19कोराह ने मिलनवाले तंबू के सामने सारे इस्राएल के घराने को इकट्ठा कर लिया. तब याहवेह का प्रताप सारी इस्राएली सभा पर प्रकाशमान हुआ. 20याहवेह ने मोशेह तथा अहरोन को संबोधित किया, 21“तुम दोनों स्वयं को इस समूह से अलग कर लो कि मैं इन्हें पलक झपकते ही भस्म कर दूं.”

22यह सुन वे दोनों मुंह के बल गिर पड़े. उन्होंने याहवेह से विनती की, “परमेश्वर, आप, जो सभी मनुष्यों की आत्माओं के परमेश्वर हैं, क्या आप इस व्यक्ति के पाप का दंड पूरे समाज को दे देंगे?”

23याहवेह ने मोशेह को उत्तर दिया, 24“सारी इस्राएली सभा को आज्ञा दो, ‘वे कोराह, दाथान तथा अबीराम के तंबुओं से दूर चले जाएं.’ ”

25फिर मोशेह दाथान एवं अबीराम की ओर बढ़े और इस्राएल के पुरनिये उनके पीछे-पीछे चलने लगे. 26मोशेह ने इस्राएली सभा को आज्ञा दी, “कृपा कर इन दुष्ट व्यक्तियों के शिविरों से दूर हो जाओ तथा उनकी किसी भी वस्तु को नहीं छूना, नहीं तो तुम भी उनके सारे पापों के साथ समेट लिए जाओगे.” 27तब वे कोराह, दाथान तथा अबीराम के तंबुओं से दूर हट गए. दाथान तथा अबीराम बाहर आकर अपनी-अपनी पत्नियों तथा बच्चों के साथ शिविर के द्वार पर खड़े हो गए.

28मोशेह ने घोषणा की, “अब तुम्हें यह अहसास हो जाएगा, कि ये सारे काम करने की जवाबदारी मुझे स्वयं याहवेह द्वारा सौंपी गई है, यह मेरी बनाई योजना नहीं हैं. 29यदि इन व्यक्तियों का निधन अन्य मनुष्यों के समान स्वाभाविक रीति से हो जाए या इनकी नियति सारी मानव जाति के समान हो, तब समझ लेना कि मैं याहवेह का भेजा हुआ नहीं हूं. 30किंतु यदि याहवेह आज कुछ असाधारण काम कर दिखाते हैं, यदि आज भूमि अपना मुख खोल इन्हें, इनकी सारी संपत्ति को निगल लेती है, कि वे जीवित ही भूमि में समा जाएं, तब तुम्हें यह निश्चय हो जाएगा, कि इन लोगों ने याहवेह को तुच्छ समझा है.”

31जैसे ही मोशेह का यह कहना समाप्‍त हुआ, उनके नीचे भूमि फटकर खुल गई; 32पृथ्वी ने, मानो अपना मुंह खोल, उन्हें निगल लिया; उनके घर-परिवारों को, कोराह के सभी संबंधियों को उन सब की संपत्ति सहित. 33तब वे तथा उनकी सारी संपदा जीवित ही भूमि के गर्भ में समा गए और भूमि उनके ऊपर अपनी पहले की सी स्थिति में आ गई, वे इस्राएल की सभा के बीच से मिट गए. 34उनके आस-पास के सारे इस्राएली उनकी चिल्लाहट सुनकर वहां से भाग गए, इस भय से, “कहीं भूमि हमें भी अपना कौर न बना ले!”

35तब याहवेह की ओर से भेजी गई आग ने उन ढाई सौ व्यक्तियों को भस्म कर दिया, जो धूप भेंट कर रहे थे.

36याहवेह ने मोशेह को आज्ञा दी, 37“पुरोहित अहरोन के पुत्र एलिएज़र को आज्ञा दो, कि वह इस जलती हुई आग के बीच में से धूपदानों को इकट्ठा कर ले, क्योंकि वे पवित्र वस्तुएं हैं. उनमें के जलते हुए अंगारों को इधर-उधर बिखरा दो. 38उन व्यक्तियों ने अपने प्राणों के मूल्य पर यह पाप किया है, उनके धूपदानों को इकट्ठा कर उन्हें पीट-पीटकर पत्रक बना लो ताकि वे वेदी पर मढ़ने के लिए इस्तेमाल किए जाएं. वे पवित्र वस्तुएं हैं, क्योंकि उन्होंने इन्हें याहवेह को भेंट किया था. यह इस्राएल के घराने के सामने एक चिन्ह हो जाएगा.”

39तब उन व्यक्तियों के द्वारा भेंट धूपदानों को, जो इस आग में नाश हो चुके थे, एलिएज़र ने इकट्ठा किया और उन्होंने इन्हें पीट-पीटकर वेदी पर मढ़ने का पत्रक बना डाला. 40यह सारे इस्राएल के सामने एक चेतावनी थी, कि कोई भी व्यक्ति, जो अहरोन के वंश का नहीं है, वह याहवेह के सामने आकर धूप न चढ़ाए, कि उसकी दशा वह न हो जो कोराह एवं उसके साथियों की हुई, ठीक जैसी पूर्वघोषणा मोशेह के द्वारा याहवेह ने की थी.

41किंतु दूसरे ही दिन सारा इस्राएल का घराना मोशेह एवं अहरोन के विरोध में इस प्रकार बड़बड़ाने लगा. “तुम दोनों ही के कारण याहवेह के इन चुने हुओं की मृत्यु हुई है.”

42किंतु उसी समय हुआ यह, कि जब सारी सभा मोशेह एवं अहरोन के विरोध में खड़ी हो चुकी थी, वे मिलनवाले तंबू की दिशा में आगे बढ़ रहे थे, यह सामने देखा गया कि मिलनवाले तंबू पर वह बादल छा गया तथा वहां याहवेह का प्रताप प्रकट हो गया. 43फिर मोशेह एवं अहरोन मिलनवाले तंबू के सामने जा खड़े हुए. 44याहवेह ने मोशेह को संबोधित कर कहा, 45“इस सभा से दूर चले जाओ कि मैं इन्हें इसी क्षण भस्म कर दूं.” वे यह सुन मुंह के बल गिर पड़े.

46मोशेह ने अहरोन को आज्ञा दी, “अपने धूपदान में वेदी की आग डालकर उस पर धूप डाल दो और बिना देर किए इसे सभा के निकट लाकर उनके लिए प्रायश्चित करो, क्योंकि याहवेह का क्रोध उन पर भड़क चुका है, महामारी शुरू हो चुकी है.” 47अहरोन ने ठीक यही किया. वह दौड़ता हुआ सभा के बीच जा पहुंचा, क्योंकि यह दिख रहा था कि लोगों के बीच में महामारी शुरू हो चुकी थी. फिर अहरोन ने धूप जलाकर लोगों के लिए प्रायश्चित किया. 48वह मरे हुओं और जीवितों के बीच में खड़ा हो गया, जिससे महामारी शांत हो गई. 49किंतु फिर भी, जिनकी मृत्यु इस महामारी से हुई थी उनकी संख्या 14,700 हो चुकी थी. यह उनके अलावा थी, जो कोराह के कारण हो चुकी थी. 50फिर अहरोन मोशेह के पास लौट गया, जो इस समय मिलनवाले तंबू के द्वार पर खड़े हुए थे, क्योंकि अब महामारी शांत हो चुकी थी.