撒迦利亚书 11 – CCB & HCV

Chinese Contemporary Bible 2022 (Simplified)

撒迦利亚书 11:1-17

羊群必遭杀戮

1黎巴嫩啊,打开你的门吧,

好让火焰吞噬你的香柏树。

2松树啊,哀号吧,

因为香柏树已经倒下,

挺拔的树木已被毁坏。

巴珊的橡树啊,哀号吧,

因为茂密的树林已被砍倒。

3听啊,牧人在哀号,

因为他们肥美的草场已被毁坏。

听啊,狮子在吼叫,

因为约旦河畔的丛林已被毁坏。

4我的上帝耶和华说:“你去牧养这群待宰的羊。 5买羊的宰羊却不受惩罚,卖羊的说,‘耶和华当受称颂!我发财了。’它们的牧人毫不怜悯它们。 6我不再怜悯这地方的居民,我要使他们落在邻人及其君王手中,任这地方被摧毁,必不从敌人手中拯救他们。这是耶和华说的。”

7于是,我牧养这群最困苦的待宰之羊。我拿了两根杖,一根叫“恩惠”,一根叫“联合”,开始牧养这群羊。 8我在一个月之内除掉了三个牧人。

我厌烦羊群,他们也厌恶我。 9于是我说:“我不再牧养你们了。要死的就死吧,要亡的就亡吧,让剩下的互相吞吃吧。” 10然后,我拿起那根叫“恩惠”的杖,把它折断,以废除我与万民所立的约。 11约就在当天废除了,那些注视着我的困苦羊便知道这是上帝的话。

12我对他们说:“你们若认为好,就给我工钱,不然就算了。”于是,他们给了我三十块银子作工钱。 13耶和华对我说:“把这一大笔钱丢给窑户吧,这就是我在他们眼中的价值!”我便把三十块银子丢给圣殿中的窑户。 14我又把那根叫“联合”的杖折断,以断开犹大以色列之间的手足之情。

15耶和华又对我说:“你再拿起愚昧牧人的器具, 16因为我要使一位牧人在地上兴起,他不照顾丧亡的,不寻找失散的,不医治受伤的,不牧养健壮的,反而吃肥羊的肉,撕掉它们的蹄子。

17“丢弃羊群的无用牧人有祸了!

愿刀砍在他的臂膀和右眼上!

愿他的臂膀彻底枯槁,

他的右眼完全失明!”

Hindi Contemporary Version

ज़करयाह 11:1-17

1हे लबानोन, अपने दरवाजों को खोलो,

कि आग तुम्हारे देवदार के पेड़ों को भस्म कर दे!

2हे सनोवर के पेड़, तुम विलाप करो, क्योंकि देवदार का पेड़ गिर गया है;

भव्य पेड़ नष्ट हो गये हैं!

हे बाशान के बलूत पेड़, विलाप करो;

क्योंकि घने जंगल काट डाले गये हैं!

3चरवाहों के विलाप को सुनो;

उनके अच्छे चरागाह नष्ट हो गये हैं!

सिंहों के गर्जन को सुनो;

क्योंकि यरदन नदी की रसदार झाड़ियां नष्ट हो गयी हैं!

दो चरवाहे

4याहवेह, मेरे परमेश्वर का यह कहना है: “वध के लिए चिन्हित पशुओं के झुंड की रखवाली करो. 5उनके खरीददार उनका वध करते हैं, और उन्हें कोई दंड नहीं मिलता. जो उन्हें बेचते हैं वे कहते हैं, ‘याहवेह की स्तुति हो, मैं धनी हो गया हूं!’ उनके खुद के चरवाहे उन पर दया नहीं करते. 6मैं अब इस देश के लोगों पर कोई दया नहीं करूंगा,” याहवेह की यह घोषणा है. “मैं हर एक को उनके पड़ोसी और उनके राजा के अधीन कर दूंगा, हर एक व्यक्ति राजा के अधीन हो जाएगा. वे उस देश को नाश कर देंगे, और मैं किसी को उनके हाथ से नहीं बचाऊंगा.”

7अतः मैंने वध के लिये चिन्हित पशुओं के झुंड की रखवाली की, विशेष रूप से झुंड के उन पशुओं की जिनके ऊपर अत्याचार किया जा रहा था. तब मैंने दो लाठियां लीं, और उनमें से एक नाम अनुग्रह और दूसरे का नाम एकता रखा, और मैं ही झुंड की देखभाल करने लगा. 8उसके बाद मैंने एक माह के भीतर ही तीन चरवाहों को काम से अलग कर दिया.

वह झुंड मुझसे बहुत घृणा करने लगे, और मैं उनसे ऊब गया 9और कहा, “मैं अब तुम्हारी देखभाल नहीं करूंगा. जो मर रहा है वह मरे, और जो नाश हो रहा है वह नाश हो, और जो बच जाते हैं वे एक दूसरे का मांस खाएं.”

10तब वह वाचा जिसे मैंने सब जाति के लोगों के साथ बांधी थी, उसे तोड़ते हुए मैंने अपने अनुग्रह नाम की लाठी को लिया और उसे तोड़ दिया. 11वह वाचा उसी दिन तोड़ दी गयी, और झुंड के पीड़ित पशु जो मेरी ओर ताक रहे थे, वे जान गये कि यह याहवेह का वचन है.

12तब मैंने उनसे कहा, “यदि तुमको यह अच्छा लगे, तो तुम मुझे मेरी मजदूरी दे दो; पर यदि नहीं देना चाहते, तो कोई बात नहीं.” तब उन्होंने मेरी मजदूरी के तीस चांदी के टुकड़े मुझे दिये.

13तब याहवेह ने मुझसे कहा, “इस राशि को कुम्हार के आगे फेंक दो”—यह अच्छा मूल्य है जिसे उन्होंने मेरा ठहराया है! अतः मैंने चांदी के उन तीस टुकड़ों को लेकर याहवेह के भवन में कुम्हार के आगे फेंक दिया.

14तब मैंने यहूदिया और इस्राएल के बीच पारिवारिक संबंध को तोड़ते हुए, मैंने एकता नाम के अपनी दूसरी लाठी को तोड़ा.

15तब याहवेह ने मुझसे कहा, “एक मूर्ख चरवाहा के साज-सामान को फिर से लो. 16क्योंकि मैं इस देश में एक ऐसा चरवाहा ठहरानेवाला हूं, जो खोये हुओं की चिंता नहीं करेगा, न जवानों को ढूंढ़ेगा, न घायलों को चंगा करेगा, न ही तंदुरुस्तों को खिलायेगा, पर वह अच्छे भेड़ के मांस को खायेगा, और उनके खुरों को फाड़ डालेगा.

17“उस निकम्मे चरवाहे पर हाय,

जो पशुओं के झुंड को छोड़कर भाग जाता है!

ऐसा हो कि उसकी भुजा और दायीं आंख पर तलवार चले!

उसकी भुजा पूरी तरह सूख जाए,

और वह अपनी दायीं आंख से पूरी तरह अंधा हो जाए!”