撒母耳记上 7 – CCB & HCV

Chinese Contemporary Bible 2022 (Simplified)

撒母耳记上 7:1-17

1基列·耶琳人就下来把耶和华的约柜抬到山上,放在亚比拿达的家里,特派他的儿子以利亚撒看守耶和华的约柜。

撒母耳征服非利士人

2约柜在基列·耶琳停留了二十年。那时,全体以色列人都痛悔地寻求耶和华。 3撒母耳对他们说:“如果你们全心归向耶和华,就要除掉你们中间那些外族的神明和亚斯她录神像,一心归向耶和华,单单事奉祂,祂必从非利士人手中救你们。” 4于是,他们除掉了巴力亚斯她录神像,单单事奉耶和华。

5撒母耳又说:“你们全体以色列人到米斯巴来,我会为你们向耶和华祈求。” 6他们就在那里聚集,打水倒在耶和华面前,并在当天禁食。他们说:“我们得罪了耶和华。”于是,撒母耳米斯巴以色列人的士师。 7非利士人听说以色列人在米斯巴聚集,他们的首领就率领军队来攻打以色列人。以色列人听见消息后,非常害怕。 8他们对撒母耳说:“请你为我们不停地呼求我们的上帝耶和华,求祂从非利士人手中拯救我们。” 9撒母耳把一只还在吃奶的羊羔献给耶和华作全牲燔祭。他为以色列人呼求耶和华,耶和华垂听了他的祈求。 10撒母耳正在献燔祭的时候,非利士人前来攻打以色列人。那天,耶和华向非利士人发出雷霆之声,使他们陷入恐慌,败在了以色列人手下。 11以色列人从米斯巴一路追杀他们,直到伯·甲附近。

12撒母耳拿了一块石头放在米斯巴的中间,称之为以便以谢7:12 “以便以谢”意思是“援助之石”。,说:“耶和华到如今都帮助我们。”

13这样非利士人被征服了,没有再侵犯以色列边境。在撒母耳有生之年,耶和华一直出手对付非利士人。 14以色列人收复了从以革伦迦特之间被非利士人夺去的城邑,并夺回了这些城邑的周边地区。那时以色列人与亚摩利人和平共处。

15撒母耳一生做以色列人的士师。 16他每年都到伯特利吉甲米斯巴各地巡回,审理以色列人的案件。 17之后,他才回到拉玛自己的家中,也在那里审理以色列人的案件,并为耶和华筑了一座祭坛。

Hindi Contemporary Version

1 शमुएल 7:1-17

1तब किरयथ-यआरीम से कुछ लोग आए और याहवेह के संदूक को वहां से ले जाकर पर्वत पर बने अबीनादाब के घर में रख दिया. उन्होंने याहवेह के संदूक की देखरेख के लिए अबीनादाब के पुत्र एलिएज़र का अभिषेक किया. 2लंबे समय तक लगभग बीस वर्ष तक, संदूक किरयथ-यआरीम में ही रहा.

शमुएल इस्राएल के न्यायाध्यक्ष

अब सारे इस्राएल राष्ट्र को याहवेह की चाह होने लगी थी. 3शमुएल ने समस्त इस्राएली राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, “यदि तुम हृदय की गहराई से याहवेह की ओर फिर रहे हो, तो अपने बीच से सारे पराए देवताओं तथा अश्तोरेथ की प्रतिमाओं को हटाकर दूर कर दो. अपना हृदय याहवेह को समर्पित कर सिर्फ उन्हीं की वंदना करते रहो. तब याहवेह तुम्हें फिलिस्तीनियों के सताने से मुक्त करेंगे.” 4तब इस्राएलियों ने अपने मध्य से सारे पराए देवताओं और अश्तोरेथ की मूर्तियों का त्याग कर दिया तथा वे सिर्फ याहवेह ही की वंदना करने लगे.

5तब शमुएल ने उन्हें आदेश दिया, “सारा इस्राएल मिज़पाह नामक स्थान पर एकत्र हो, कि मैं तुम्हारे लिए याहवेह से प्रार्थना करूं.” 6वे सभी मिज़पाह में इकट्ठा हो गए और उन्होंने जल निकाला और याहवेह के सामने उंडेल दिया. उस दिन उन्होंने उपवास किया और यह स्वीकार किया, “हमने याहवेह के विरुद्ध पाप किया है.” मिज़पाह ही वह स्थान था, जहां से शमुएल ने इस्राएल राष्ट्र के न्यायाध्यक्ष के पद पर काम करना शुरू किया.

7जब फिलिस्तीनियों को यह समाचार प्राप्‍त हुआ कि इस्राएली मिज़पाह क्षेत्र में एकत्र हो गए हैं, फिलिस्तीनी प्रधानों ने इस्राएल के विरुद्ध मोर्चा बांधा. जब इस्राएलियों को इसके विषय में सूचना प्राप्‍त हुई, वे फिलिस्तीनियों से डरने लगे. 8उन्होंने शमुएल से आग्रह किया, “हमारी ओर से याहवेह हमारे परमेश्वर से प्रार्थना करना बंद न कीजिए, कि हमें फिलिस्तीनियों से सुरक्षा प्राप्‍त होती रहे.” 9इस पर शमुएल ने एक दूध पीता मेमना लेकर उसे याहवेह के सामने अग्निबलि के रूप में अर्पण किया. तब शमुएल ने इस्राएल की ओर से याहवेह की दोहाई दी, और याहवेह ने उन्हें इसका प्रत्युत्तर दिया.

10जब शमुएल यह अग्निबलि अर्पित कर ही रहे थे, फिलिस्तीनी इस्राएल पर हमला करने के लक्ष्य से निकट आ गए. मगर उस दिन याहवेह फिलिस्तीनियों पर बादल द्वारा ऐसे गरजे कि फिलिस्तीनी आतंक के कारण सम्भ्रमित हो गए. तब इस्राएलियों ने उन्हें वहीं हरा दिया. 11फिर इस्राएली मिज़पाह से बाहर निकल आए फिलिस्तीनियों को खदेड़ते हुए, उनका संहार करते हुए, बेथ-कार नामक स्थान के नीचे तक चले गए.

12मिज़पाह तथा शेन नामक स्थानों के मध्य शमुएल ने इस घटना की स्मारक स्वरूप, एक शिला लेकर वहां प्रतिष्ठित कर उसे एबेन-एज़र7:12 एबेन-एज़र अर्थात् सहायता की चट्टान नाम दिया; क्योंकि उन्होंने यह गवाह दिया, “अब तक याहवेह ने हमारी सहायता की है.”

13इस प्रकार फिलिस्तीनी हरा दिए गए. इसके बाद उन्होंने इस्राएल की सीमा पर हमला दोबारा नहीं किया. शमुएल के संपूर्ण जीवनकाल में फिलिस्तीनियों पर याहवेह का गुस्सा बना रहा. 14एक्रोन से लेकर गाथ तक, वे नगर, जो फिलिस्तीनियों ने इस्राएल से छीन लिए थे, इस्राएल को लौटा दिए गए. स्वयं इस्राएल ने फिलिस्तीनियों द्वारा अधिकृत किए गए अपने क्षेत्र उनसे मुक्त करवा लिए. इस्राएल तथा अमोरियों के बीच भी शान्तिपूर्ण संबंधों की स्थापना हो गई.

15शमुएल आजीवन इस्राएल के प्रशासक-न्यायध्यक्ष रहे. 16वर्ष-प्रतिवर्ष वह भ्रमण करते हुए बेथेल, गिलगाल तथा मिज़पाह ये तीन मुख्यालयों पर जाकर इस्राएल का न्याय करते थे. 17फिर वह रामाह नगर को लौट जाते थे, क्योंकि उनका घर-परिवार यहीं था. वह इस्राएल का न्याय और शासन यहां से भी करते थे, साथ ही उन्होंने यहां याहवेह के लिए एक वेदी भी बनाई थी.