तीतुस 2 – NCA & NAV

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

तीतुस 2:1-15

सही सिकछा

1पर तेंह अइसने बातमन ला सिखोय कर, जऊन ह जिनगी बर सही अय। 2सियानमन ला संयमी, आदर के लइक अऊ समझदार होय के सिकछा दे अऊ ओमन बिसवास, मया अऊ धीरज म पक्‍का होवंय।

3इही किसम ले सियानीन मन ला ए सिखोय कर कि अपन चाल-चलन म पबितर मनखे सहीं रहंय; ओमन दोस लगइया अऊ पियक्‍कड़ झन होवंय, पर सही बात के सिखोइया होवंय; 4ताकि ओमन जवान माईलोगनमन ला ए सिखोय सकंय कि ओमन अपन-अपन घरवाला अऊ लइकामन ला मया करंय, 5अऊ ओमन समझदार, पतिबरता, घर के काम-काज करइया, दयालु अऊ अपन-अपन घरवाला के बस म रहइया होवंय, ताकि परमेसर के बचन के निन्दा झन होवय।

6अइसनेच जवान मनखेमन ला घलो चेताय कर कि ओमन संयमी होवंय। 7जम्मो बात म सही काम करे के दुवारा, अपन-आप ला ओमन के आघू म एक नमूना बना। तोर उपदेस म ईमानदारी, गंभीरता 8अऊ अइसने बने बात रहय कि कोनो ओला खराप नइं कह सकय, ताकि बिरोध करइयामन हमर ऊपर कोनो दोस नइं पाके लज्‍जित होवंय।

9गुलामी करइयामन ला समझा कि ओमन अपन-अपन मालिक के अधीन रहंय, अऊ जम्मो बात म ओमन ला खुस रखंय, अऊ उलटके जबाब झन देवंय, 10अऊ ओमन चोरी-चलाकी झन करंय, पर अपन-आप ला पूरा बिसवास के लइक साबित करंय। अइसने करे के दुवारा ओमन जम्मो बात म हमर उद्धार करइया परमेसर के उपदेस के सोभा बढ़ाहीं।

11काबरकि परमेसर के अनुग्रह जम्मो मनखेमन ऊपर परगट होईस कि ओमन के उद्धार होवय। 12अऊ एह हमन ला सिखोथे कि हमन अभक्ति अऊ संसारिक लालसा ला छोंड़के, ए संसार म संयम अऊ ईमानदारी अऊ भक्ति म जिनगी बितावन, 13अऊ हमन धइन आसा के याने हमर महान परमेसर अऊ उद्धार करइया यीसू मसीह के महिमा के परगट होए के बाट जोहत रहन। 14यीसू ह अपन परान ला हमर खातिर दे दीस कि हमन ला जम्मो किसम के अधरम ले छुड़ा लेवय अऊ अपन बर अइसने सुध मनखे बनावय, जऊन मन भलई के काम करे बर उत्सुक रहंय।

15तेंह ए बातमन ला सिखोय कर अऊ पूरा अधिकार के संग मनखेमन ला समझा अऊ डांट। कोनो तोला तुछ झन समझंय।

Ketab El Hayat

تيطس 2:1-15

فعل الصلاح لأجل الإنجيل

1أَمَّا أَنْتَ، فَعَلِّمْ بِمَا يُوَافِقُ التَّعْلِيمَ الصَّحِيحَ: 2أَنْ يَكُونَ الشُّيُوخُ ذَوِي رَزَانَةٍ وَوَقَارٍ، مُتَعَقِّلِينَ، صَحِيحِي الإِيمَانِ وَالْمَحَبَّةِ وَالصَّبْرِ. 3وَكَذَلِكَ أَنْ تَكُونَ الْعَجَائِزُ ذَوَاتِ سِيرَةٍ مُوَافِقَةٍ لِلْقَدَاسَةِ، غَيْرَ نَمَّامَاتٍ وَلا مُدْمِنَاتٍ لِلْخَمْرِ، بَلْ مُعَلِّمَاتٍ لِمَا هُوَ صَالِحٌ، 4لِكَيْ يُدَرِّبْنَ الشَّابَّاتِ عَلَى أَنْ يَكُنَّ مُحِبَّاتٍ لأَزْوَاجِهِنَّ وَلأَوْلادِهِنَّ، 5مُتَعَقِّلاتٍ، عَفِيفَاتٍ، مُهْتَمَّاتٍ بِشُؤُونِ بُيُوتِهِنَّ صَالِحَاتٍ، خَاضِعَاتٍ لأَزْوَاجِهِنَّ، حَتَّى لَا يَتَكَلَّمَ أَحَدٌ بِالسُّوءِ عَلَى كَلِمَةِ اللهِ. 6كَذَلِكَ عِظِ الشُّبَّانَ أَنْ يَكُونُوا مُتَعَقِّلِينَ، 7جَاعِلاً مِنْ نَفْسِكَ فِي كُلِّ شَيْءٍ قُدْوَةً لِلأَعْمَالِ الصَّالِحَةِ، مُظْهِراً فِي تَعْلِيمِكَ النَّقَاوَةَ وَالْوَقَارَ 8وَالْكَلِمَةَ الصَّحِيحَةَ الَّتِي لَا تُلامُ، لِكَيْ يَخْجَلَ الْمُقَاوِمُ حِينَ لَا يَجِدُ أَمْراً سَيِّئاً يَقُولُهُ فِينَا. 9وَعَلِّمِ الْعَبِيدَ أَنْ يَكُونُوا خَاضِعِينَ لِسَادَتِهِمْ، مُرْضِينَ لَهُمْ فِي كُلِّ شَيْءٍ؛ غَيْرَ مُعَانِدِينَ؛ 10وَلا سَارِقِينَ، بَلْ مُظْهِرِينَ أَمَانَةً كُلِّيَّةً صَالِحَةً، لِكَيْ يُزَيِّنُوا فِي كُلِّ شَيْءٍ تَعْلِيمَ مُخَلِّصِنَا اللهِ. 11فَإِنَّ نِعْمَةَ اللهِ الَّتِي تَحْمِلُ مَعَهَا الْخَلاصَ لِجَمِيعِ النَّاسِ، قَدْ ظَهَرَتْ. 12وَهِي تُعَلِّمُنَا أَنْ نَقْطَعَ عَلاقَتَنَا بِالإِبَاحِيَّةِ وَالشَّهَوَاتِ الْعَالَمِيَّةِ، وَأَنْ نَحْيَا فِي الْعَصْرِ الْحَاضِرِ حَيَاةَ التَّعَقُّلِ وَالْبِرِّ وَالتَّقْوَى، 13فِيمَا نَنْتَظِرُ تَحْقِيقَ رَجَائِنَا السَّعِيدِ، ثُمَّ الظُّهُورَ العَلَنِيَّ لِمَجْدِ إِلَهِنَا وَمُخَلِّصِنَا الْعَظِيمِ يَسُوعَ الْمَسِيحِ، 14الَّذِي بَذَلَ نَفْسَهُ لأَجْلِنَا لِكَيْ يَفْتَدِيَنَا مِنْ كُلِّ إِثْمٍ وَيُطَهِّرَنَا لِنَفْسِهِ شَعْباً خَاصّاً يَجْتَهِدُ بِحَمَاسَةٍ فِي الأَعْمَالِ الصَّالِحَةِ. 15بِهَذِهِ الأُمُورِ تَكَلَّمْ، وَعِظْ، وَوَبِّخْ بِكُلِّ سُلْطَانٍ، وَلا تَدَعْ أَحَداً يَسْتَخِفُّ بِكَ!