फिलेमोन 1 – NCA & NAV

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

फिलेमोन 1:1-25

1ए चिट्ठी पौलुस कोति ले, जऊन ह मसीह यीसू के एक कैदी ए अऊ हमर भाई तीमुथियुस कोति ले – हमर मयारू संगी अऊ सहकरमी फिलेमोन, 2अऊ ओ कलीसिया, जऊन ह ओकर घर म जुरथे, अऊ हमर बहिनी अपफिया, अऊ हमर संगी योद्धा अरखिप्पुस ला लिखे जावत हवय।

3हमर ददा परमेसर अऊ परभू यीसू कोति ले तुमन ला अनुग्रह अऊ सांति मिलत रहय।

धनबाद अऊ पराथना

4भाई फिलेमोन, जब मेंह अपन पराथना म तोला सुरता करथंव, त अपन परमेसर ला हमेसा धनबाद देथंव, 5काबरकि मेंह परभू यीसू ऊपर तोर बिसवास अऊ परमेसर के जम्मो मनखेमन बर तोर मया के बारे म सुनत रहिथंव। 6मेंह पराथना करत हंव कि तेंह अपन बिसवास के बारे म लगन से बताय कर ताकि मसीह खातिर जऊन भलई के काम हमन करथन, ओकर तोला पूरा समझ होवय। 7हे मोर भाई, तोर मया ह मोला अब्‍बड़ आनंद अऊ उत्साह दे हवय, काबरकि तेंह परमेसर के मनखेमन के हिरदय ला ताजा कर दे हवस।

उनेसिमुस बर पौलुस के बिनती

8एकरसेति, हालाकि मेंह मसीह के सेवक के रूप म, हिम्मत के संग तोला हुकूम दे सकत हंव कि तोला का करना चाही, 9पर मया के कारन, मेंह तोर ले बिनती करत हंव। में पौलुस, एक सियान मनखे अंव अऊ अब मसीह यीसू खातिर एक कैदी घलो अंव – 10मेंह तोर ले, मोर बेटा उनेसिमुस बर बिनती करत हंव, जऊन ह जेल म रहे के बखत, मोर सुनाय सुघर संदेस ऊपर बिसवास करिस अऊ मोर बेटा सहीं हो गीस। 11ओह पहिली तोर कुछू काम के नइं रिहिस, पर अब ओह तोर अऊ मोर दूनों बर बड़े काम के हो गे हवय।

12मेंह ओला, जऊन ह मोर हिरदय के एक टुकड़ा सहीं अय, तोर करा वापिस पठोवत हंव। 13मेंह ओला मोर संग रखे ला चाहत रहेंव, ताकि ओह तोर बदले म मोर मदद कर सकय, जब मेंह इहां सुघर संदेस के परचार करे के कारन जेल म हवंव। 14पर मेंह बिगर तोर सहमती के कुछू नइं करे चाहेंव, ताकि जऊन भलई तेंह करथस, ओह कोनो दबाव ले नइं, पर तोर खुद के ईछा ले होवय। 15उनेसिमुस ह थोरकन समय बर तोर ले अलग होय रिहिस, एकर कारन सायद ए हो सकथे कि ओह तोर संग हमेसा रहय। 16पर अब एक गुलाम के रूप म नइं, पर एक गुलाम ले घलो बड़के एक मयारू भाई के रूप म रहय। ओह मोर बहुंत मयारू ए, पर एक मनखे के रूप म अऊ संगे-संग परभू म एक भाई के रूप म, ओह तोर अऊ मयारू ए।

17एकरसेति, यदि तेंह मोला अपन सहभागी समझथस, त ओला अइसने गरहन कर, जइसने तेंह मोला गरहन करबे। 18कहूं ओह तोर कुछू नुकसान करे हवय या ओह तोर कुछू उधार लगथे, त ओला मोर नांव म लिख ले। 19में पौलुस ह अपन हांथ ले, ए लिखत हवंव कि मेंह तोला ओकर चुकता कर दूहूं, पर ए कहे के जरूरत नइं ए कि मोर जऊन कर्जा तोर ऊपर हवय, ओ कर्जा तेंह खुद अस। 20हे भाई, मेंह चाहत हंव कि परभू खातिर, तेंह मोर ऊपर ए भलई कर; मसीह म मोर हिरदय ला ताजा कर दे। 21मेंह पूरा भरोसा करके लिखत हंव कि तेंह मोर बात ला मानबे, अऊ मेंह जानत हंव कि जऊन कुछू भी मेंह तोला करे बर कहत हंव, तेंह ओकर ले घलो जादा करबे।

22अऊ हां, एक बात अऊ हवय: मोर ठहरे बर एक कमरा तियार रख, काबरकि मोला आसा हवय कि तुम्‍हर पराथना के जबाब म, परमेसर ह मोला तुम्‍हर करा लानही।

23इपफ्रास, जऊन ह मसीह यीसू म मोर संगी कैदी ए, तोला अपन जोहार कहथे। 24अऊ वइसने मोर सहकरमी मरकुस, अरिसतर्खुस, देमास अऊ लूका घलो तोला अपन जोहार कहथें।

25परभू यीसू मसीह के अनुग्रह तुम्‍हर संग रहय।

Ketab El Hayat

فليمون 1:1-25

1مِنْ بُولُسَ، السَّجِينِ لأَجْلِ الْمَسِيحِ يَسُوعَ، وَمِنْ الأَخِ تِيمُوثَاوُسَ، إِلَى فِلِيمُونَ الْحَبِيبِ شَرِيكِنَا فِي الْعَمَلِ، 2وَإِلَى الأُخْتِ أَبْفِيَّةَ، وَرَفِيقِنَا فِي التَّجَنُّدِ أَرْخِيبُّوسَ، وَإِلَى الْكَنِيسَةِ الَّتِي فِي بَيْتِكَ. 3لِتَكُنْ لَكُمُ النِّعْمَةُ وَالسَّلامُ مِنَ اللهِ أَبِينَا وَالرَّبِّ يَسُوعَ الْمَسِيحِ!

شكر ودعاء

4إِنِّي أَشْكُرُ إِلَهِي، إِذْ أَذْكُرُكَ دَائِماً فِي صَلَوَاتِي، 5وَقَدْ سَمِعْتُ بِمَا لَكَ مِنْ مَحَبَّةٍ وَأَمَانَةٍ مِنْ نَحْوِ الرَّبِّ يَسُوعَ، وَمِنْ نَحْوِ جَمِيعِ الْقِدِّيسِينَ، 6طَالِباً أَنْ يَكُونَ اشْتِرَاكُكَ مَعَنَا فِي الإِيمَانِ فَعَّالاً، فَتُدْرِكَ إِلَى التَّمَامِ مَا فِينَا مِنْ كُلِّ صَلاحٍ لأَجْلِ الْمَسِيحِ. 7فَقَدْ كَانَ لِي أَيُّهَا الأَخُ، سُرُورٌ عَظِيمٌ وَتَشْجِيعٌ، بِفَضْلِ مَحَبَّتِكَ، لأَنَّ عَوَاطِفَ الْقِدِّيسِينَ قَدِ انْتَعَشَتْ بِفَضْلِكَ!

التشفع لأونسيمُوس

8لِذَلِكَ، فَمَعَ أَنَّ لِي كَامِلَ الْحَقِّ فِي الْمَسِيحِ أَنْ آمُرَكَ بِالْوَاجِبِ، 9إِلّا أَنِّي، إِكْرَاماً لِلْمَحَبَّةِ، اخْتَرْتُ أَنْ أُقَدِّمَ إِلَيْكَ الْتِمَاساً، بِصِفَتِي بُولُسَ الْعَجُوزَ وَالسَّجِينَ حَالِيًّا لأَجْلِ الْمَسِيحِ يَسُوعَ. 10فَأَلْتَمِسُ مِنْكَ لأَجْلِ وَلَدِي الَّذِي وَلَدْتُهُ وَأَنَا مُكَبَّلٌ بِالْقُيُودِ، أُونِسِيمُوسَ، 11الَّذِي كَانَ فِي الْمَاضِي غَيْرَ نَافِعٍ لَكَ، وَلَكِنَّهُ الآنَ نَافِعٌ لَكَ وَلِي. 12فَإِيَّاهُ أَرُدُّ إِلَيْكَ، فَاقْبَلْهُ كَأَنَّهُ فِلْذَةٌ مِنْ كَبِدِي! 13وَكُنْتُ رَاغِباً فِي الاحْتِفَاظِ بِهِ لِنَفْسِي، لِكَيْ يَخْدِمَنِي نِيَابَةً عَنْكَ فِي قُيُودِ الإِنْجِيلِ. 14وَلكِنِّي لَمْ أُرِدْ أَنْ أَفْعَلَ شَيْئاً مِنْ دُونِ رَأْيِكَ، لِيَكُونَ مَعْرُوفُكَ لَا كَأَنَّهُ عَنِ اضْطِرَارٍ بَلْ عَنِ اخْتِيَارٍ. 15فَرُبَّمَا لِهَذَا السَّبَبِ قَدْ أُبْعِدَ إِلَى حِينٍ: كَيْ تَمْتَلِكَهُ إِلَى الأَبَدِ، 16لَا كَعَبْدٍ فِيمَا بَعْدُ، بَلْ أَفْضَلَ مِنْ عَبْدٍ، أَخاً حَبِيباً، إِلَيَّ بِخَاصَّةٍ، فَكَمْ بِالأَحْرَى إِلَيْكَ، فِي الْجَسَدِ وَفِي الرَّبِّ مَعاً؟

17فَإِنْ كُنْتَ تَعْتَبِرُنِي شَرِيكَكَ، فَاقْبَلْهُ كَأَنَّهُ أَنَا. 18وَإِنْ كَانَ قَدْ أَسَاءَ إِلَيْكَ فِي شَيْءٍ، أَوْ كَانَ مَدْيُوناً لَكَ بِشَيْءٍ، فَاحْسِبْ ذَلِكَ دَيْناً عَلَيَّ. 19وَهَا أَنَا بُولُسَ قَدْ كَتَبْتُ هَذَا بِخَطِّ يَدِي: أَنَا أُوفِي، وَلَسْتُ أُذَكِّرُكَ هُنَا أَنَّكَ مَدْيُونٌ لِي بِنَفْسِكَ أَيْضاً. 20نَعَمْ، أَيُّهَا الأَخُ، أَطْلُبُ مِنْكَ أَنْ تَنْفَعَنِي، فِي الرَّبِّ، بِهَذَا الْمَعْرُوفِ: أَنْعِشْ عَوَاطِفِي فِي الْمَسِيحِ 21لَمَّا كُنْتُ وَاثِقاً بِإِطَاعَتِكَ، كَتَبْتُ هَذِهِ الرِّسَالَةَ إِلَيْكَ، عَالِماً أَنَّكَ سَتَفْعَلُ أَيْضاً فَوْقَ مَا أَطْلُبُ.

22وَفَضْلاً عَنْ هَذَا، أَعِدَّ لِي عِنْدَكَ مَكَاناً لِلإِقَامَةِ، لأَنِّي أَرْجُو أَنْ أُوهَبَ لَكُمْ إِجَابَةً لِصَلَوَاتِكُمْ.

23يُسَلِّمُ عَلَيْكَ أَبَفْرَاسُ، رَفِيقُ سِجْنِي فِي الْمَسِيحِ يَسُوعَ، 24وَكَذَلِكَ مَرْقُسُ، وَأَرِسْتَرْخُسُ، وَدِيمَاسُ، وَلُوقَا زُمَلائِي فِي الْعَمَلِ.

25وَلْتَكُنْ نِعْمَةُ رَبِّنَا يَسُوعَ الْمَسِيحِ مَعَ رُوحِكُمْ!