الْمَزْمُورُ الثَّانِي وَالتِّسْعُونَ
مَزْمُورٌ تَسْبِيحَةٌ لِيَوْمِ السَّبْتِ
1مَا أَحْسَنَ تَقْدِيمَ الشُّكْرِ لَكَ يَا رَبُّ وَالتَّرْنِيمَ لاسْمِكَ أَيُّهَا العَلِيُّ! 2مَا أَحْسَنَ أَنْ يُلْهَجَ بِرَحْمَتِكَ فِي الصَّبَاحِ، وَبِأَمَانَتِكَ فِي اللَّيَالِي، 3عَلَى أَنْغَامِ الآلاتِ الْمُوسِيقِيَّةِ الْوَتَرِيَّةِ، وَعَلَى الرَّبَابِ وَأَلْحَانِ الْعُودِ الْعَذْبَةِ! 4سَأُشِيدُ بِكُلِّ مَا عَمِلَتْهُ يَدَاكَ لأَنَّكَ يَا رَبُّ فَرَّحْتَنِي بِصَنِيعِكَ. 5يَا رَبُّ مَا أَعْظَمَ أَعْمَالَكَ! أَفْكَارُكَ عَمِيقَةٌ جِدّاً، 6لَا يَعْرِفُهَا الْغَبِيُّ وَلَا يَفْهَمُهَا الْجَاهِلُ. 7إِذَا زَهَا الأَشْرَارُ كَالْعُشْبِ، وَأَزْهَرَ جَمِيعُ فَاعِلِي الإِثْمِ فَإِنَّهُمْ كَالْعُشْبِ يُبَادُونَ إِلَى الأَبَدِ. 8أَمَّا أَنْتَ يَا رَبُّ فَمُتَعَالٍ إِلَى الأَبَدِ. 9فَيَا رَبُّ، هَا هُمْ أَعْدَاؤُكَ يَهْلِكُونَ إِلَى الدَّهْرِ، إذْ يَتَبَدَّدُ جَمِيعُ فَاعِلِي الإِثْمِ. 10أَمَّا أَنَا فَتَرْفَعُ شَأْنِي كَمَا يَرْتَفِعُ قَرْنُ الثَّوْرِ الْوَحْشِيِّ، وَأَنْتَعِشُ كَمَنْ تَدَهَّنَ بِزَيْتٍ جَدِيدٍ 11وَتَنْظُرُ عَيْنَايَ عِقَابَ أَعْدَائِي الْمُتَرَبِّصِينَ لِي، وَتَسْمَعُ أُذُنَايَ بِمَصِيرِ فَاعِلِي الشَّرِّ الثَّائِرِينَ عَلَيَّ.
12الصِّدِّيقُ يَزْهُو كَالنَّخْلَةِ وَيَنْمُو كَالأَرْزِ فِي لُبْنَانَ. 13لأَنَّ الْمَغْرُوسِينَ فِي بَيْتِ الرَّبِّ يَزْدَهِرُونَ فِي دِيَارِ بَيْتِ إِلَهِنَا 14يُثْمِرُونَ أَيْضاً فِي الشَّيْخُوخَةِ، وَيَظَلُّونَ مَوْفُورِي الْعَافِيَةِ وَالنُّضْرَةِ 15لِيَشْهَدُوا أَنَّ الرَّبَّ مُسْتَقِيمٌ. إِنَّهُ صَخْرَتِي وَلَيْسَ فِيهِ سُوءٌ.
स्तोत्र 92
एक स्तोत्र. एक गीत. शब्बाथ दिन के लिए निर्धारित.
1भला है याहवेह के प्रति धन्यवाद,
सर्वोच्च परमेश्वर, आपकी महिमा का गुणगान करना उपयुक्त है.
2-3दस तारों के आसोर, नेबेल
तथा किन्नोर92:2-3 आसोर, नेबेल तथा किन्नोर विभिन्न प्रकार के वाद्य यंत्र की संगत पर
प्रातःकाल ही आपके करुणा-प्रेम की उद्घोषणा करना
तथा रात्रि में आपकी सच्चाई का वर्णन करना अच्छा है.
4याहवेह, आपने मुझे अपने कार्यों के उल्लास से तृप्त कर दिया है;
आपके कार्यों के लिए मैं हर्षोल्लास के गीत गाता हूं.
5याहवेह, कैसे अद्भुत हैं, आपके द्वारा निष्पन्न कार्य!
गहन हैं आपके विचार!
6अज्ञानी के लिए असंभव है इनका अनुभव करना,
निर्बुद्धि के लिए ये बातें निरर्थक हैं.
7यद्यपि दुष्ट घास के समान अंकुरित तो होते हैं
और समस्त दुष्ट उन्नति भी करते हैं,
किंतु उनकी नियति अनंत विनाश ही है.
8किंतु, याहवेह, आप सदा-सर्वदा सर्वोच्च ही हैं.
9निश्चयतः आपके शत्रु, याहवेह,
आपके शत्रु नाश हो जाएंगे;
समस्त दुष्ट बिखरा दिए जाएंगे.
10किंतु मेरी शक्ति को आपने वन्य सांड़ समान ऊंचा कर दिया है;
आपने मुझ पर नया नया तेल उंडेल दिया है.
11स्वयं मैंने अपनी ही आंखों से अपने शत्रुओं का पतन देखा है;
स्वयं मैंने अपने कानों से अपने दुष्ट शत्रुओं के कोलाहल को सुना है.
12धर्मी खजूर वृक्ष समान फलते जाएंगे,
उनका विकास लबानोन के देवदार के समान होगा;
13याहवेह के आवास में लगाए
वे परमेश्वर के आंगन में समृद्ध होते जाएंगे!
14वृद्धावस्था में भी वे फलदार बने रहेंगे,
उनकी नवीनता और उनकी कान्ति वैसी ही बनी रहेगी,
15कि वे यह घोषणा कर सकें कि, “याहवेह सीधे हैं;
वह मेरे लिए चट्टान हैं, उनमें कहीं भी, किसी भी दुष्टता की छाया तक नहीं है.”