1 ዜና መዋዕል 16 – NASV & HCV

New Amharic Standard Version

1 ዜና መዋዕል 16:1-43

1ከዚያም የእግዚአብሔርን ታቦት አምጥተው ዳዊት በተከለለት ድንኳን ውስጥ አኖሩት፤ የሚቃጠል መሥዋዕትና የኅብረት መሥዋዕትም16፥1 በዚህና በቍጥር 2 ላይ በትውፊት የሰላም መሥዋዕት ይባላል። በእግዚአብሔር ፊት አቀረቡ። 2ዳዊት የሚቃጠለውን መሥዋዕትና የኅብረቱን መሥዋዕት ከሠዋ በኋላ፣ ሕዝቡን በእግዚአብሔር ስም ባረከ። 3ከዚያም ለእስራኤል ሁሉ ለወንዱም ለሴቱም አንዳንድ ሙልሙል ዳቦ፣ አንዳንድ ጥፍጥፍ ተምር፣ ሙዳ ሙዳ ሥጋና አንዳንድ ጥፍጥፍ ዘቢብ ሰጠ።

4በእግዚአብሔር ታቦት ፊት እንዲያገለግሉና ለእስራኤል አምላክ ለእግዚአብሔር ልመና፣ ምስጋናና ውዳሴ እንዲያቀርቡ ከሌዋውያን ሰዎች ሾመ፤ 5አለቃው አሳፍ ነበረ፤ ከእርሱ ቀጥሎ ዘካርያስ ሁለተኛ ሆኖ ተሾመ፤ ከዚያም ይዒኤል፣ ሰሚራሞት፣ ይሒኤል፣ መቲትያ፣ ኤልያብ፣ በናያስ፣ ዖቤድኤዶም፣ ይዒኤል ተሾሙ፤ እነርሱም በመሰንቆና በበገና ይዘምሩ ነበር፤ አሳፍ ደግሞ ጸናጽል የሚጸነጽል ሆኖ ተመደበ። 6እንዲሁም ካህናቱ በናያስና የሕዚኤል ዘወትር በእግዚአብሔር የኪዳኑ ታቦት ፊት መለከት እንዲነፉ ተመደቡ።

የዳዊት የምስጋና መዝሙር

16፥8-22 ተጓ ምብ – መዝ 105፥1-15

16፥23-33 ተጓ ምብ – መዝ 96፥1-13

16፥34-36 ተጓ ምብ – መዝ 106፥147-48

7በዚያም ቀን ዳዊት በመጀመሪያ ለአሳፍና ለሥራ ጓደኞቹ ይህን የእግዚአብሔር ምስጋና መዝሙር ሰጠ፤

8ለእግዚአብሔር ምስጋና አቅርቡ፤ ስሙንም ጥሩ፤

ለአሕዛብ ያደረገውን ሁሉ ንገሩ፤

9ዘምሩለት፤ ውዳሴም አቅርቡለት፤

ድንቅ ሥራውን ሁሉ ንገሩ፤

10በቅዱስ ስሙ ተጓደዱ፤

እግዚአብሔርን የሚፈልጉ ሁሉ፣ ልባቸው ሐሤት ያድርግ።

11ወደ እግዚአብሔርና ወደ ኀይሉ ተመልከቱ፤

ዘወትር ፊቱን ፈልጉ።

12ያደረጋቸውን ድንቅ ሥራዎች፣

ታምራቱንና የሰጠውንም ፍርድ አስታውሱ፤

13እናንተ የባሪያው የእስራኤል ዘሮች፣

እናንተ የተመረጣችሁ የያዕቆብ ልጆች።

14እርሱ እግዚአብሔር አምላካችን ነው፤

ፍርዱም በምድር ሁሉ ላይ ነው፤

15ኪዳኑን እስከ ዘላለም፣

ያዘዘውንም ቃል እስከ ሺሕ ትውልድ ያስባል።

16ከአብርሃም ጋር የገባውን ቃል ኪዳን፣

ለይስሐቅ የማለውን መሐላ።

17ይህንም ለያዕቆብ ሥርዐት አድርጎ አጸና፤

ለእስራኤልም የዘላለም ኪዳን አደረገ፤

18እንዲህ ሲል፣ “የምትወርሰው ርስት እንዲሆን፣

የከነዓንን ምድር ለአንተ እሰጣለሁ።”

19ቍጥራቸው ገና ጥቂት ሳለ፣

በርግጥ ጥቂትና መጻተኞች ሳሉ፣

20ከአንዱ ሕዝብ ወደ ሌላው ሕዝብ፣

ከአንዱም መንግሥት ወደ ሌላው መንግሥት ተንከራተቱ።

21ማንም እንዲጨቍናቸው አልፈቀደም፤

ስለ እነርሱም ነገሥታትን ገሠጸ፤

22እንዲህ ሲል፤ “የቀባኋቸውን አትንኩ፤

በነቢያቴ ላይ ክፉ አታድርጉ።”

23ምድር ሁሉ ለእግዚአብሔር ዘምሩ፤

ማዳኑንም ዕለት ዕለት ዐውጁ።

24ክብሩን ለአሕዛብ ተናገሩ፤

ድንቅ ሥራዎቹን ለሕዝቦች ሁሉ ንገሩ።

25እግዚአብሔር ታላቅ ነው፤ ምስጋናውም ብዙ ነው፤

ከአማልክትም ሁሉ በላይ ሊፈራ የሚገባው ነው።

26የአሕዛብ ሁሉ አማልክት ጣዖታት ናቸው፤

እግዚአብሔር ግን ሰማያትን ሠራ።

27በፊቱ ክብርና ሞገስ አለ፤

ብርታትና ደስታም በማደሪያው ስፍራ።

28የአሕዛብ ወገኖች ለእግዚአብሔር ስጡ፤

ክብርና ኀይልን ለእግዚአብሔር አምጡ።

29ለስሙ የሚገባውን ክብር ለእግዚአብሔር ስጡ፤

መባ ይዛችሁ በፊቱ ቅረቡ፤

በቅድስናውም ክብር ለእግዚአብሔር16፥29 ወይም፣ ከክብሩ ጋር ለእግዚአብሔር ስገዱ።

30ምድር ሁሉ በፊቱ ትንቀጥቀጥ፤

ዓለም በጽኑ ተመሥርታለች፤ አትናወጥምም።

31ሰማያት ደስ ይበላቸው፤ ምድር ሐሤት ታድርግ፤

በአሕዛብም መካከል፤ “እግዚአብሔር ነገሠ!” ይበሉ።

32ባሕርና በውስጧ ያለው ሁሉ ይናወጥ፤

ሜዳዎችና በእርሷ ላይ ያሉ ሁሉ ሐሤት ያድርጉ።

33ያን ጊዜ የዱር ዛፎች በእግዚአብሔር ፊት ደስ ይላቸዋል፤

በደስታ ይዘምራሉ፤

በምድረ በዳ ላይ ሊፈርድ ይመጣልና።

34ቸር ነውና እግዚአብሔርን አመስግኑ፤

ፍቅሩም ለዘላለም ጸንቶ ይኖራል።

35“አዳኛችን እግዚአብሔር ሆይ ታደገን፤

ለቅዱስ ስምህ ምስጋና እንድናቀርብ፣ በምስጋናህም እንድንከብር ሰብስበን፤

ከአሕዛብም መካከል ታደገን”

ብላችሁ ጩኹ።

36ከዘላለም እስከ ዘላለም፣

ለእስራኤል አምላክ ለእግዚአብሔር ምስጋና ይሁን።

ከዚያም ሕዝቡ ሁሉ፣ “አሜን፤ እግዚአብሔር ይመስገን” አሉ።

37ዳዊትም ለእያንዳንዱ ቀን በተመደበው መሠረት፣ ዘወትር እንዲያገለግሉ አሳፍንና የሥራ ባልደረቦቹን በዚያው በእግዚአብሔር ቃል ኪዳን ታቦት ፊት ተዋቸው። 38እንዲሁም ዖቤድኤዶምና ስድሳ ስምንቱ የሥራ ባልደረቦቹ አብረዋቸው እንዲያገለግሉ በዚያው ተዋቸው። የኤዶታም ልጅ ዖቤድኤዶምና ሖሳ የቅጥሩ በር ጠባቂዎች ሆኑ።

39ዳዊት ካህኑን ሳዶቅንና የሥራ ባልደረቦቹን ካህናት በገባዖን ከፍተኛ ቦታ ላይ በሚገኘው በእግዚአብሔር ድንኳን ተዋቸው፤ 40የተዋቸውም ለእስራኤል በተሰጠው ትእዛዝ መሠረት፣ በእግዚአብሔር ሕግ እንደ ተጻፈው ሁሉ፣ በመሠዊያው ላይ የሚቀርበውን የሚቃጠል መሥዋዕት ጧትና ማታ በየጊዜው እንዲያቀርቡ ነው። 41እንዲሁም “ፍቅሩ ለዘላለም ነውና” እያሉ ለእግዚአብሔር ምስጋና እንዲያቀርቡ ኤማንና ኤዶታም እንዲሁም ተመርጠውና ስማቸው ተመዝግቦ የተመደቡ ሌሎችም አብረዋቸው ነበሩ። 42ድምፀ መለከቱንና ጸናጽሉን ለማሰማት፣ ደግሞም መንፈሳዊ መዝሙር ሲዘመር ለሚጠቀሙባቸው ሌሎች መሣሪያዎች ኀላፊዎቹ ኤማንና ኤዶታም ነበሩ፤ የኤዶታምም ልጆች በሩን እንዲጠብቁ ተመድበው ነበር።

43ከዚያም ሕዝቡ ተነሣ፤ እያንዳንዱም ወደየቤቱ ሄደ። ዳዊትም ቤተ ሰቡን ለመባረክ ወደ ቤቱ ተመለሰ።

Hindi Contemporary Version

1 इतिहास 16:1-43

शिविर में मंजूषा की प्रतिष्ठा और उसके सामने आराधना

1उन्होंने परमेश्वर के संदूक को लाकर उस तंबू के भीतर, जिसे दावीद ने उसके लिए विशेष रूप से बनवाया था, उसके निर्धारित स्थान पर स्थापित कर दिया. इसके बाद दावीद ने याहवेह को अग्निबलि और मेल बलि चढ़ाई. 2जब दावीद अग्निबलि और मेल बलि चढ़ा चुके, उन्होंने प्रजा के लिए सेनाओं के याहवेह के नाम में आशीर्वाद दिए. 3उन्होंने इस्राएल के हर एक व्यक्ति को; स्त्री-पुरुष दोनों ही को, एक-एक रोटी, मांस का एक भाग और एक टिक्की किशमिश बंटवाई.

4दावीद ने विशेष लेवियों को याहवेह के संदूक के सामने सेवा के लिए ठहरा दिया कि वे याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर की दोहाई दें, उनका आभार माने और उनकी स्तुति करते रहें. 5इनमें आसफ प्रधान था इसके बाद दूसरे वर्ग में थे ज़करयाह, येइएल16:5 येइएल यानी यासिएल, शेमिरामोथ, येहिएल, मत्तिथिया, एलियाब, बेनाइयाह, ओबेद-एदोम और येइएल. इनका काम था तन्तु वाद्यों को बजाना. आसफ ऊंची आवाज में झांझ भी बजाता था. 6पुरोहित बेनाइयाह और याहाज़िएल की जवाबदारी थी परमेश्वर की वाचा के संदूक के सामने लगातार तुरही बजाते रहना.

7यह पहला मौका था, जब दावीद ने आसफ और उसके संबंधियों को चुना कि वे याहवेह के लिए धन्यवाद के गीत गाया करें:

8याहवेह के प्रति आभार व्यक्त करो, उनको पुकारो;

सभी राष्ट्रों के सामने उनके द्वारा किए कार्यों की घोषणा करो.

9उनकी प्रशंसा में गाओ, उनका गुणगान करो;

उनके सभी अद्भुत कार्यों का वर्णन करो.

10उनके पवित्र नाम पर गर्व करो;

उनके हृदय, जो याहवेह के खोजी हैं, उल्‍लसित हों.

11याहवेह और उनकी सामर्थ्य की खोज करो;

उनकी उपस्थिति के सतत खोजी बने रहो.

12उनके द्वारा किए अद्भुत कार्य स्मरण रखो

तथा उनके द्वारा हुईं अद्भुत बातें एवं निर्णय भी,

13उनके सेवक इस्राएल के वंश,

उनके द्वारा चुने हुए याकोब की संतान.

14वह याहवेह हैं, हमारे परमेश्वर;

समस्त पृथ्वी पर उनके द्वारा किया गया न्याय स्पष्ट है.

15उन्हें अपनी वाचा सदैव स्मरण रहती है,

वह आदेश जो उन्होंने हजार पीढ़ियों को दिया,

16वह वाचा, जो उन्होंने अब्राहाम के साथ स्थापित की,

प्रतिज्ञा की वह शपथ, जो उन्होंने यित्सहाक से खाई थी,

17जिसकी पुष्टि उन्होंने याकोब से अधिनियम स्वरूप की,

अर्थात् इस्राएल से स्थापित अमर यह वाचा:

18“कनान देश तुम्हें मैं प्रदान करूंगा.

यह वह भूखण्ड है, जो तुम निज भाग में प्राप्‍त करोगे.”

19जब परमेश्वर की प्रजा की संख्या अल्प ही थी, वे बहुत ही कम थे,

और वे उस देश में परदेशी थे,

20जब वे एक देश से दूसरे देश में भटकते फिर रहे थे,

वे एक राज्य में से होकर दूसरे में यात्रा कर रहे थे,

21परमेश्वर ने किसी भी राष्ट्र को उन्हें दुःखित न करने दिया;

उनकी ओर से स्वयं परमेश्वर उन राजाओं को डांटते रहे:

22“मेरे अभिषिक्तों को स्पर्श तक न करना;

मेरे भविष्यवक्ताओं को कोई हानि न पहुंचे.”

23सारी पृथ्वी याहवेह की स्तुति में गाए;

हर रोज़ उनके द्वारा दी गई छुड़ौती की घोषणा की जाए.

24देशों में उनके प्रताप की चर्चा की जाए,

और उनके अद्भुत कामों की घोषणा हर जगह!

25क्योंकि महान हैं याहवेह और सर्वाधिक योग्य हैं स्तुति के;

अनिवार्य है कि उनके ही प्रति सभी देवताओं से अधिक श्रद्धा रखी जाए.

26क्योंकि अन्य जनताओं के समस्त देवता मात्र प्रतिमाएं ही हैं,

किंतु स्वर्ग मंडल के बनानेवाले याहवेह हैं.

27वैभव और ऐश्वर्य उनके चारों ओर हैं,

सामर्थ्य और आनंद उनकी उपस्थिति में बसे हुए हैं.

28राष्ट्रों के समस्त गोत्रो, याहवेह को पहचानो,

याहवेह को पहचानकर उनके तेज और सामर्थ्य को देखो.

29याहवेह की प्रतिष्ठा के लिए उनका गुणगान करो;

उनकी उपस्थिति में भेंट लेकर जाओ.

याहवेह की वंदना पवित्रता के ऐश्वर्य में की जाए.

30उनकी उपस्थिति में सारी पृथ्वी में कंपकंपी दौड़ जाए!

यह एक सत्य है कि संसार दृढ़ रूप में स्थिर हो गया है; यह हिल ही नहीं सकता.

31स्वर्ग आनंदित हो और पृथ्वी मगन;

देश-देश में वह प्रचार कर दिया जाए, “यह याहवेह का शासन है.”

32सागर और सभी कुछ, जो कुछ उसमें है, ऊंची आवाज करे;

खेत और जो कुछ उसमें है सब कुछ आनंदित हो.

33तब बंजर भूमि के पेड़ों से याहवेह की

स्तुति में जय जयकार के गीत फूट पड़ेंगे.

क्योंकि वह पृथ्वी का न्याय करने आ रहे हैं.

34याहवेह का धन्यवाद करो-वे भले हैं;

उनकी करुणा सदा की है.

35तब यह दोहाई दी जाए, “हमारे उद्धार करनेवाले परमेश्वर, हमें छुड़ा लीजिए,

हमें इकट्ठा कर देशों से हमें छुड़ा लीजिए.

कि हम आपके पवित्र नाम का धन्यवाद करें

और आपकी स्तुति ही हमारा गौरव हो.”

36आदि से अनंत काल तक धन्य हैं.

याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर!

इस पर सारी प्रजा ने कहा, “आमेन” और “याहवेह की स्तुति हो!”

37तब दावीद ने हर दिन की आवश्यकता के अनुसार याहवेह के संदूक के सामने नियमित सेवा के लिए आसफ और उसके संबंधियों को जवाबदारी सौंप दी. 38इनके अलावा यही जवाबदारी ओबेद-एदोम और उसके अड़सठ रिश्तेदारों की भी थी. यदूथून का पुत्र ओबेद-एदोम भी होसाह के साथ वहां द्वारपाल था.

39दावीद ने गिबयोन के पवित्र स्थान पर पुरोहित सादोक और उसके संबंधी पुरोहितों को याहवेह के मिलनवाले तंबू की सेवा के लिए ठहरा दिया, 40कि वे वहां होमबलि वेदी पर सुबह और शाम नियमित रूप से याहवेह को बलि चढ़ाएं, ठीक जैसा याहवेह की व्यवस्था में कहा गया है, जिसका आदेश इस्राएल को दिया गया है. 41इनके साथ हेमान और यदूथून भी थे और शेष वे थे जो इसके लिए अलग किए गए थे, जिन्हें उनके नाम से चुना गया था कि वे याहवेह के प्रति उनके अपार प्रेम के लिए धन्यवाद करते रहें, “जो सदा के लिए है.” 42हेमान और यदूथून का एक और काम भी था; तुरहियों, झांझों और अन्य वाद्य-यंत्रों पर उस समय बजाना, जब परमेश्वर के लिए गीत गाए जा रहे होते थे. यदूथून के पुत्र द्वारपाल थे.

43तब सभी वहां से निकलकर अपने-अपने घर को लौट गए. दावीद भी अपने घर को चले गए, कि अपने परिवार के लोगों को आशीर्वाद दें.