ዘፍጥረት 6 – NASV & HCV

New Amharic Standard Version

ዘፍጥረት 6:1-22

የጥፋት ውሃ

1ሰዎች በምድር ላይ እየበዙ ሲሄዱ ሴቶች ልጆች ተወለዱላቸው። 2የእግዚአብሔር (ኤሎሂም) ወንዶች ልጆች የሰዎችን ሴቶች ልጆች ውብ ሆነው አዩአቸው፤ ከመካከላቸውም የመረጧቸውን አገቡ። 3እግዚአብሔርም (ያህዌ)፣ “ሰው ሟች6፥3 ወይም በስባሽ ስለሆነ መንፈሴ እያዘነ6፥3 ወይም መንፈሴ አይኖርም ከእርሱ ጋር ለዘላለም አይኖርም፤ ዕድሜው 120 ዓመት ይሆናል” አለ።

4የእግዚአብሔር (ኤሎሂም) ልጆች የሰዎችን ሴቶች ልጆች ተገናኝተው ልጆች በወለዱ ጊዜም ሆነ ከዚያም በኋላ ኔፊሊም የተባሉ ሰዎች በምድር ላይ ነበሩ። እነርሱም በጥንቱ ዘመን በጀግንነታቸው ከፍ ያለ ዝና ያተረፉ ናቸው።

5እግዚአብሔር (ያህዌ) አምላክ የሰው ዐመፅ በምድር ላይ የበዛና የልቡም ሐሳብ ዘወትር ወደ ክፋት ብቻ ያዘነበለ መሆኑን ተመለከተ። 6እግዚአብሔር (ያህዌ) ሰውን በምድር ላይ በመፍጠሩ ተጸጸተ፤ ልቡም እጅግ ዐዘነ። 7ስለዚህም እግዚአብሔር (ያህዌ)፣ “የፈጠርሁትን የሰው ዘር ከምድረ ገጽ አጠፋለሁ፤ ከሰው እስከ እንስሳ በምድር ላይ ከሚሳቡ ፍጡራን እስከ ሰማይ ወፎች አጠፋለሁ፤ ስለ ፈጠርኋቸው ተጸጽቻለሁና” አለ። 8ኖኅ ግን በእግዚአብሔር (ያህዌ) ዘንድ ሞገስን አገኘ።

9የኖኅ ታሪክ እንደሚከተለው ነው፤ ኖኅ በዘመኑ ከነበሩት ሰዎች ሁሉ ይልቅ ጻድቅና ከበደል የራቀ ሰው ነበር፤ አካሄዱንም ከእግዚአብሔር (ኤሎሂም) ጋር አደረገ።

10ኖኅም ሴም፣ ካምና ያፌት የሚባሉ ሦስት ወንዶች ልጆች ነበሩት።

11ምድር በእግዚአብሔር (ኤሎሂም) ፊት በክፉ ሥራ ረከሰች፤ በዐመፅም ተሞላች። 12እግዚአብሔር (ኤሎሂም) ምድር ምን ያህል በክፉ ሥራ እንደ ረከሰች አየ። እነሆ፤ ሰው ሁሉ አካሄዱን አበላሽቶ ነበርና 13ስለዚህ እግዚአብሔር (ኤሎሂም) ኖኅን እንዲህ አለው፦ “ሰውን ሁሉ ላጠፋ ነው፤ ምድር በሰው ዐመፅ ስለ ተሞላች በርግጥ ሰውንም ምድርንም አጠፋለሁ። 14አንተ ግን በጎፈር6፥14 በዕብራይስጥ የዚህ ቃል ትርጕም አይታወቅም። ዕንጨት መርከብ ሥራ፤ ለመርከቧም ክፍሎች አብጅላት፤ ውስጧንና ውጭዋን በቅጥራን ለብጠው። 15እንዲህ አድርገህ ሥራት፦ ርዝመቷ 140 ሜትር፣ ወርዷ 23 ሜትር፣ ከፍታዋ 13.5 ሜትር ይሁን። 16ለመርከቧ ጣራ አብጅላት፣ ጣራና ግድግዳው በሚጋጠምበት ቦታ ግማሽ ሜትር ክፍተት ተው፤6፥16 ወይም ለብርሃን መግቢያ አድርገህ ሥራ ከጐኗ በር አውጣላት፤ ባለ ሦስት ፎቅ አድርገህ ሥራት። 17እኔም ከሰማይ በታች የሕይወት እስትንፋስ ያለባቸውን ሕያዋን ፍጡራን ሁሉ ለማጥፋት እነሆ፤ በምድር ላይ የጥፋት ውሃ አወርዳለሁ፤ በምድር ላይ ያለ ሁሉ ይጠፋል። 18ከአንተ ጋር ግን ቃል ኪዳን እመሠርታለሁ። አንተና ወንዶች ልጆችህ፣ ሚስትህና የልጆችህ ሚስቶች ከአንተ ጋር ወደ መርከቧ ትገባላችሁ። 19ከአንተ ጋር በሕይወት እንዲቈዩ ከሕያዋን ፍጡራን ሁሉ ተባዕትና እንስት እያደረግህ ሁለት ሁለቱን ወደ መርከቧ ታስገባለህ። 20ከእያንዳንዱ የወፍ ወገን፣ ከእያንዳንዱ የእንስሳ ወገን፣ በምድር ላይ ከሚሳቡ ፍጥረት ሁሉ በየወገናቸው በሕይወት ይቈዩ ዘንድ ሁለት ሁለት እየሆኑ ወደ አንተ ይመጣሉ። 21ለአንተና ለእነርሱ የሚያስፈልገውን ምግብ ሁሉ አከማች።”

22ኖኅም ሁሉን እግዚአብሔር (ኤሎሂም) እንዳዘዘው አደረገ።

Hindi Contemporary Version

उत्पत्ति 6:1-22

मानव का उत्तरोत्तर पतन

1फिर जब पृथ्वी पर मनुष्यों की संख्या बढ़ने लगी और उनके पुत्रियां पैदा हुई, 2तब परमेश्वर के पुत्रों ने मनुष्यों के पुत्रियों को देखा कि वे सुंदर हैं. और उन्होंने उन्हें अपनी इच्छा अनुसार अपनी-अपनी पत्नियां बना लिया. 3यह देखकर याहवेह ने निर्णय लिया, “मेरा आत्मा मनुष्य से हमेशा बहस करता न रहेगा क्योंकि मनुष्य केवल मांस मात्र है, वह 120 वर्ष ही जीवित रहेगा.”

4उन दिनों में पृथ्वी पर दानव रहते थे. जब परमेश्वर के पुत्रों और मनुष्यों की पुत्रियों के संतान हुए वे बहुत बलवान और शूरवीर थे.

5जब याहवेह ने मनुष्यों को देखा कि वे हमेशा बुराई ही करते हैं, कि उन्होंने जो कुछ भी सोचा था या कल्पना की थी वह लगातार और पूरी तरह से बुराई थी. 6तब याहवेह पृथ्वी पर आदम को बनाकर पछताए और मन में अति दुखित हुए. 7और याहवेह ने सोचा, “मैं पृथ्वी पर से मनुष्य को मिटा दूंगा—हर एक मनुष्य, पशु, रेंगते जंतु तथा आकाश के पक्षी, जिनको बनाकर मैं पछताता हूं.” 8लेकिन नोहा पर याहवेह का अनुग्रह था.

नोहा और जलप्रलय

9नोहा और उनके परिवार का अभिलेख इस प्रकार है:

नोहा एक धर्मी और निर्दोष व्यक्ति थे. वे परमेश्वर के साथ साथ चलते थे. 10उनके तीन पुत्र थे शेम, हाम तथा याफेत.

11परमेश्वर ने देखा कि पृथ्वी पर बहुत बुराई और उपद्रव बढ़ गया है. 12परमेश्वर ने पृथ्वी को देखा कि वह भ्रष्‍ट हो गई है; क्योंकि समस्त मानवों ने पृथ्वी पर अपना आचरण भ्रष्‍ट कर लिया था. 13इसलिये परमेश्वर ने नोहा से कहा, “मैं पूरी पृथ्वी के लोग और जो कुछ भी उसमें है सबको नाश कर दूंगा, क्योंकि उनके कारण पृथ्वी उपद्रव से भर गई है. 14इसलिये नोहा से याहवेह ने कहा कि तुम अपने लिए गोपेर पेड़ की लकड़ी का एक बड़ा जहाज़ बनाना; जहाज़ में कई अलग-अलग भाग बनाना, और भीतर बाहर उस पर राल लगाना. 15जहाज़ की लंबाई एक सौ पैंतीस मीटर, चौड़ाई तेईस मीटर तथा ऊंचाई चौदह मीटर रखना. 16इसके लिए एक छत बनाना. जहाज़ में एक खिड़की बनाना, जो ऊपर की ओर छत से आधा मीटर नीचे होगी, जहाज़ के एक तरफ दरवाजा रखना. जहाज़ में पहली, दूसरी तथा तीसरी मंजिलें बनाना. 17क्योंकि मैं पृथ्वी को जलप्रलय से नाश कर दूंगा और कोई न बचेगा; सबको जिनमें जीवन की आत्मा है, आकाश के नीचे से मैं नाश करनेवाला हूं. 18लेकिन मैं तुम्हारे साथ अपनी वाचा बांधूंगा—जहाज़ में तुम, तुम्हारे पुत्र, तुम्हारी पत्नी तथा तुम्हारी बहुओं सहित प्रवेश करना. 19और प्रत्येक जीवित प्राणी के दो-दो अर्थात् नर एवं मादा को जहाज़ में ले जाना, ताकि वे तुम्हारे साथ जीवित रह सकें. 20पक्षी भी अपनी-अपनी जाति के, पशु अपनी-अपनी जाति के, भूमि पर रेंगनेवाले जंतु अपनी-अपनी जाति के सभी जातियों के जोड़े जहाज़ में रखना, ताकि वे जीवित रह सकें. 21और खाने के लिए सब प्रकार का भोजन रखना, जो सबके लिए होगा.”

22नोहा ने वैसा ही किया, जैसा परमेश्वर ने उनसे कहा.