ዘሌዋውያን 14 – NASV & HCV

New Amharic Standard Version

ዘሌዋውያን 14:1-57

ከተላላፊ የቈዳ በሽታ የመንጻት ሥርዐት

1እግዚአብሔር (ያህዌ) ሙሴን እንዲህ አለው፤ 2“የታመመው ሰው እንዲነጻ ወደ ካህኑ በሚወስዱት ጊዜ ሥርዐቱ እንዲህ ነው፦ 3ካህኑ ከሰፈር ወደ ውጭ ወጥቶ ይመርምረው፤ ሰውየው ከተላላፊ የቈዳ በሽታው14፥3 በትውፊት ለምጽ ይባላል። የዕብራይስጡ ቃል ከቈዳ ጋር ለተያያዘ በሽታ አንድ ቃል ነው፤ በዚህ ምዕራፍ በሌላ ስፍራም ይገኛል። ተፈውሶ ከሆነ፣ 4ካህኑ ስለሚነጻው ሰው፣ ለመብላት ከተፈቀደው የወፍ ዐይነት ሁለት ከነሕይወታቸው፣ የዝግባ ዕንጨት፣ ደመቅ ያለ ቀይ ድርና ሂሶጵ እንዲያመጣ ይዘዝ። 5ካህኑም ከወፎቹ አንዱን በሸክላ ዕቃ ውስጥ ባለ የምንጭ ውሃ ላይ እንዲታረድ ይዘዝ። 6በሕይወት ያለውንም ወፍ ከዝግባው ዕንጨት፣ ደመቅ ካለው ቀይ ድርና ከሂሶጵ ጋር በምንጩ ውሃ ላይ በታረደው ወፍ ደም ውስጥ ይንከር። 7ከተላላፊ በሽታ የሚነጻውንም ሰው ሰባት ጊዜ ይርጨው፤ መንጻቱንም ያስታውቅ፤ በሕይወት ያለውንም ወፍ ወደ ውጭ ይልቀቀው።

8“የሚነጻው ሰው ልብሱን ይጠብ፤ ጠጕሩን በሙሉ ይላጭ፤ ሰውነቱን በውሃ ይታጠብ፤ በሥርዐቱም መሠረት ንጹሕ ይሆናል። ከዚህም በኋላ ወደ ሰፈር መግባት ይችላል፤ ነገር ግን ሰባት ቀን ከድንኳኑ ውጭ ይቈይ። 9በሰባተኛውም ቀን ጠጕሩን በሙሉ ይላጭ፤ ራሱን፣ ጢሙን፣ ቅንድቡንና ሌላውንም ጠጕር ሁሉ ይላጭ። ልብሱን ይጠብ፤ ሰውነቱን በውሃ ይታጠብ፤ ንጹሕም ይሆናል።

10“በስምንተኛው ቀን ነውር የሌለባቸውን ሁለት ተባዕት የበግ ጠቦቶችና ነውር የሌለባትን አንዲት የአንድ ዓመት እንስት በግ ያቅርብ፤ እንዲሁም ለእህል ቍርባን የሚሆን በዘይት የተለወሰ የኢፍ ሦስት ዐሥረኛ14፥10 6.5 ሊትር ገደማ ይሆናል የላመ ዱቄት ያቅርብ፤ ደግሞ አንድ ሎግ14፥10 0.3 ሊትር ገደማ ይሆናል፤ እንዲሁም 12፡15፡21፡24 ይመ ዘይት ያምጣ። 11ሰውየው የነጻ መሆኑን የሚያስታውቀው ካህን የሚነጻውን ሰውና መሥዋዕቶቹን በመገናኛው ድንኳን ደጃፍ ላይ በእግዚአብሔር (ያህዌ) ፊት ያቅርብ።

12“ካህኑም ከተባዕቱ ጠቦቶች በመውሰድ ከሎግ ዘይቱ ጋር የበደል መሥዋዕት አድርጎ ያቅርብ፤ የሚወዘወዝ መሥዋዕት በማድረግም በእግዚአብሔር (ያህዌ) ፊት ይወዝውዛቸው። 13ጠቦቱንም፣ የኀጢአት መሥዋዕትና የሚቃጠል መሥዋዕት በሚታረድበት በተቀደሰው ስፍራ ይረደው፤ የኀጢአት መሥዋዕቱ ለካህኑ እንደሚሰጥ ሁሉ የበደል መሥዋዕቱም ለካህኑ ይሰጥ፤ ይህም እጅግ የተቀደሰ ነው። 14ካህኑ ከበደል መሥዋዕቱ ደም ወስዶ የሚነጻውን ሰው ቀኝ ጆሮ ታችኛውን ጫፍ፣ የቀኝ እጁን አውራ ጣትና የቀኝ እግሩን አውራ ጣት ያስነካ። 15ካህኑም ከሎግ ዘይት ወስዶ በራሱ ግራ እጅ መዳፍ ውስጥ ይጨምር፤ 16የቀኝ እጁንም ጣት በመዳፉ በያዘው ዘይት ውስጥ በመንከር በእግዚአብሔር (ያህዌ) ፊት ሰባት ጊዜ በጣቱ ይርጭ። 17ካህኑ በመዳፉ ውስጥ ከቀረው ዘይት ጥቂቱን ወስዶ የሚነጻውን ሰው ቀኝ ጆሮ ታችኛውን ጫፍ፣ የቀኝ እጁን አውራ ጣትና የቀኝ እግሩን አውራ ጣት በበደል መሥዋዕቱ ደም ላይ ደርቦ ይቅባ። 18በመዳፉ ላይ የቀረውንም ዘይት በሚነጻው ሰው ራስ ላይ ያድርግ፤ በእግዚአብሔርም (ያህዌ) ፊት ያስተስርይለት።

19“ካህኑም የኀጢአት መሥዋዕቱን ያቅርብ፤ ከርኩሰቱ ለሚነጻውም ሰው ያስተስርይለት፤ ከዚህ በኋላ የሚቃጠለውን መሥዋዕት ይረድ፤ 20ከእህል ቍርባኑም ጋር በመሠዊያው ላይ በማቅረብ ያስተስርይለት፤ ሰውየውም ንጹሕ ይሆናል።

21“ሰውየው ድኻ ከሆነና እነዚህን ለማቅረብ ዐቅሙ ካልፈቀደለት፣ ማስተስረያ እንዲሆነው የሚወዘወዝ አንድ ተባዕት የበግ ጠቦት ለበደል መሥዋዕት፣ በዘይት የተለወሰ የኢፍ አንድ ዐሥረኛ14፥21 2 ሊትር ገደማ ይሆናል የላመ ዱቄት ለእህል ቍርባን ያቅርብ፤ ደግሞም አንድ ሎግ ዘይት ያምጣ፤ 22እንዲሁም ሁለት ርግቦች ወይም ሁለት የዋኖስ ጫጩቶች ዐቅሙ የፈቀደውን አንዱን ለኀጢአት መሥዋዕት፣ ሌላውን ለሚቃጠል መሥዋዕት ያቅርብ።

23“እነዚህንም በስምንተኛው ቀን ስለ መንጻቱ ሥርዐት ወደ ካህኑ ወደ መገናኛው ድንኳን ደጃፍ በእግዚአብሔር (ያህዌ) ፊት ያቅርብ። 24ካህኑም ለበደል መሥዋዕት የሚሆነውን የበግ ጠቦትና አንድ ሎግ ዘይት ይቀበል፤ የሚወዘወዝ መሥዋዕት በማድረግም በእግዚአብሔር (ያህዌ) ፊት ይወዝውዛቸው። 25ለበደል መሥዋዕት የሚሆነውንም የበግ ጠቦት ይረድ፤ ከደሙም ጥቂት ወስዶ የሚነጻውን ሰው የቀኝ ጆሮ ታችኛ ጫፍ፣ የቀኝ እጁን አውራ ጣትና የቀኝ እግሩን አውራ ጣት ያስነካ፤ 26ከዘይቱም ጥቂቱን በግራ እጁ መዳፍ ውስጥ ያፍስስ፤ 27የቀኝ እጁንም ጣት በመዳፉ በያዘው ዘይት ውስጥ በመንከር በእግዚአብሔር (ያህዌ) ፊት ሰባት ጊዜ ይርጭ። 28በመዳፉ ከያዘው ዘይት ጥቂቱን ወስዶ የበደል መሥዋዕቱን ደም ባስነካበት ቦታ፣ ይኸውም የሚነጻውን ሰው ቀኝ ጆሮ ጫፍ፣ የቀኝ እጁን አውራ ጣትና የቀኝ እግሩን አውራ ጣት ያስነካ። 29ካህኑ በእግዚአብሔር (ያህዌ) ፊት ያስተሰርይለት ዘንድ በመዳፉ ከያዘው ዘይት የቀረውን በሚነጻው ሰው ራስ ላይ ያፍስስ፤ 30ካህኑም ርግቦቹን ወይም የዋኖሶቹን ጫጩቶች የሰውየው ዐቅም የፈቀደውን ይሠዋል፤ 31ከእነዚህም አንዱን14፥31 የሰብዓ ሊቃናትና የሱርሰት ትርጕሞች ከዚህ ጋር ይስማማሉ፤ ዕብራይስጡ 31 የሰውየው ዐቅም የፈቀደውን ያህል አንዱን ለኀጢአት ይላል ለኀጢአት መሥዋዕት፣ ሌላውን ለሚቃጠል መሥዋዕት አድርጎ ከእህሉ ቍርባን ጋር ያቅርብ፤ በዚህም ሁኔታ ካህኑ ለሚነጻው ሰው በእግዚአብሔር (ያህዌ) ፊት ያስተሰርይለታል።”

32ተላላፊ የቈዳ በሽታ ይዞት የሚነጻበትን መደበኛ መሥዋዕት ለማቅረብ ዐቅም ላነሰው ሰው ሕጉ ይህ ነው።

ልብስ ላይ ከሚታይ ተላላፊ በሽታ መንጻት

33እግዚአብሔር (ያህዌ) ሙሴንና አሮንን እንዲህ አላቸው፤ 34“ርስት አድርጌ ወደምሰጣቸው ወደ ከነዓን ምድር በገባችሁ ጊዜ፣ በዚያ አገር አንዱን ቤት በተላላፊ በሽታ የበከልሁ እንደ ሆነ፣ 35ባለቤቱ ወደ ካህኑ ሄዶ፣ ‘በቤቴ ውስጥ ተላላፊ በሽታ የሚመስል ነገር አይቻለሁ’ ብሎ ይንገረው። 36ካህኑ ወደዚያ ቤት በመግባት በሽታውን መርምሮ ርኩስ መሆኑን ከማስታወቁ በፊት፣ ቤቱን ባዶ እንዲያደርጉት ይዘዝ፤ ከዚህ በኋላ ካህኑ ወደ ቤቱ ገብቶ ይመርምር። 37በግድግዳው ላይ ያለውን ተላላፊ በሽታ በሚመረምርበት ጊዜ፣ መልኩ ወደ አረንጓዴነት ወይም ወደ ቀይነት የሚያደላ የተቦረቦረ ነገር በግድግዳው ቢታይ፣ 38ካህኑ ከቤቱ ወደ ደጅ ወጥቶ ቤቱን ሰባት ቀን ይዝጋው። 39ካህኑም በሰባተኛው ቀን ቤቱን ለመመርመር ይመለስ፤ ተላላፊው በሽታ በግድግዳው ተስፋፍቶ ቢገኝ፣ 40የተበከሉት ድንጋዮች ተሰርስረው እንዲወጡና ከከተማው ውጭ ባለው ርኩስ ስፍራ እንዲጣሉ ይዘዝ፤ 41የቤቱ ግድግዳ በሙሉ በውስጥ በኩል እንዲፋቅና ፍቅፋቂው ከከተማው ውጭ ባለው ርኩስ ስፍራ እንዲደፋ ያድርግ። 42በወጡትም ድንጋዮች ቦታ ሌሎች ድንጋዮች አምጥተው ይተኩ፤ ሌላም ጭቃ ወስደው ቤቱን ይምረጉ።

43“ድንጋዮቹ ወጥተው፣ ቤቱ ከተፈቀፈቀና ከተመረገ በኋላ ተላላፊው በሽታ እንደ ገና በቤቱ ውስጥ ከታየ፣ 44ካህኑ ሄዶ ይመርምረው፤ ተላላፊው በሽታ በቤቱ ውስጥ ተስፋፍቶ ከተገኘ፣ አደገኛ በሽታ ነው፤ ቤቱም ርኩስ ነው። 45ስለዚህ ቤቱ ይፍረስ፤ ድንጋዩ፣ ዕንጨቱና ምርጊቱ በሙሉ ከከተማ ውጭ ባለው ርኩስ ስፍራ ይጣል።

46“ቤቱ ተዘግቶ ሳለ ማንኛውም ሰው ቢገባበት፣ ያ ሰው እስከ ማታ ድረስ ርኩስ ይሆናል። 47በዚያ ቤት ገብቶ የተኛ ወይም የበላ ማንኛውም ሰው ልብሶቹን ይጠብ።

48“ነገር ግን ቤቱ ከተመረገ በኋላ፣ ካህኑ ሊመረምረው በሚመጣበት ጊዜ ተላላፊው በሽታ ሳይስፋፋ ቢገኝ፣ በሽታው ስለ ለቀቀው ቤቱ ንጹሕ መሆኑን ያስታውቅ። 49ቤቱንም ለማንጻት ሁለት ወፎች፣ የዝግባ ዕንጨት፣ ደመቅ ያለ ቀይ ድርና ሂሶጵ ያቅርብ። 50ከወፎቹም አንዱን በሸክላ ዕቃ ውስጥ ባለ የምንጭ ውሃ ላይ ይረድ። 51የዝግባውን ዕንጨት፣ ሂሶጱን፣ ደመቅ ያለውን ቀይ ድርና በሕይወት ያለውን ወፍ ወስዶ በታረደው ወፍ ደምና በምንጩ ውሃ ውስጥ ይንከር፤ ቤቱንም ሰባት ጊዜ ይርጭ። 52ቤቱንም በወፉ ደም፣ በምንጩ ውሃ፣ በሕይወት ባለው ወፍ፣ በዝግባው ዕንጨት፣ በሂሶጱና ደመቅ ባለው ቀይ ድር ያንጻው። 53በሕይወት ያለውንም ወፍ ከከተማ ወደ ውጭ ይልቀቀው፤ በዚህ ሁኔታ ለቤቱ ያስተሰርይለታል፤ ቤቱም ንጹሕ ይሆናል።”

54ይህ ሕግ ለማንኛውም ተላላፊ የቈዳ በሽታ፣ ለሚያሳክክ ሕመም፣ 55በልብስና በቤት ላይ ለሚመጣ ተላላፊ በሽታ፣ 56ለዕብጠት፣ ለችፍታ ወይም ለቋቍቻ፣ 57አንድ ነገር ንጹሕ ወይም ርኩስ መሆኑ የሚታወቅበት ነው። ይህ ለተላላፊ የቈዳ በሽታ እንዲሁም በልብስና በቤት ላይ ለሚወጣ ተላላፊ በሽታ የሚያገለግል ሕግ ነው።

Hindi Contemporary Version

लेवी 14:1-57

कोढ़ी को शुद्ध ठहराने की विधि

1याहवेह ने मोशेह को यह आदेश दिया, 2“किसी कोढ़ी के शुद्ध हो जाने की पुष्टि की विधि यह है: जब उसे पुरोहित के सामने लाया जाए, 3पुरोहित छावनी के बाहर जाकर इसकी जांच करे और यदि उस कोढ़ी की व्याधि स्वस्थ हो गयी है, 4तब पुरोहित उस व्यक्ति के लिए, जिसको शुद्ध किया जाना है, दो जीवित शुद्ध पक्षी, देवदार की लकड़ी, जूफ़ा14:4 जूफ़ा लगभग 3 फीट ऊंचे होनेवाला एक पौधा. इसका उपयोग कूंचा की तरह हो सके और लाल डोरी लाने का आदेश दे. 5फिर पुरोहित बहते हुए जल पर मिट्टी के एक पात्र में एक पक्षी को बलि करने का आदेश भी दे. 6इसके बाद वह उस जीवित पक्षी को देवदार की लकड़ी, लाल डोरी और जूफ़ा के साथ लेकर उन्हें, तथा उस जीवित पक्षी को उस पक्षी के लहू में डूबा दे, जिसे बहते हुए जल पर बलि किया गया था. 7पुरोहित इसे सात बार उस व्यक्ति पर छिड़क दे, जिसे कोढ़ से शुद्ध किया जा रहा है. फिर पुरोहित उस व्यक्ति को शुद्ध घोषित कर दे और उस जीवित पक्षी को खुले मैदान में छोड़ दे.

8“फिर वह व्यक्ति जिसे शुद्ध किया जा रहा है, अपने वस्त्रों को धो डाले, अपने सारे बाल मुंडवा ले और स्‍नान करके शुद्ध हो जाए. इसके बाद वह छावनी में तो प्रवेश कर सकता है किंतु सात दिन तक वह अपने घर से बाहर ही निवास करे. 9सातवें दिन वह अपने सिर के बाल, दाढ़ी तथा भौंहें, और हां, अपने समस्त बाल मुंडवा ले; अपने वस्त्रों को धो डाले और स्‍नान कर स्वच्छ हो जाए.

10“आठवें दिन वह एक वर्षीय दो निर्दोष नर मेमने, एक वर्षीय निर्दोष मादा भेड़, अन्‍नबलि के लिए तेल मिला हुआ पांच किलो14:10 मूल: एफाह का तीन दसवां भाग मैदा और एक तिहाई लीटर14:10 एक तिहाई लीटर मूल: एक लोग तेल ले; 11फिर जो पुरोहित उस व्यक्ति को शुद्ध घोषित कर रहा है, वह मिलनवाले तंबू के प्रवेश स्थल पर उस व्यक्ति और इन वस्तुओं को याहवेह के सामने भेंट करे.

12“फिर पुरोहित एक नर मेमने और एक तिहाई लीटर तेल को दोष बलि स्वरूप लेकर लहराने की बलि के रूप में याहवेह के सामने भेंट करे. 13इसके बाद पुरोहित उस नर मेमने का पवित्र स्थान के उस स्थान में वध करे, जहां पापबलि और होमबलि वध की जाती हैं; क्योंकि दोष बलि, पापबलि के समान पुरोहित का निर्धारित अंश है; यह परम पवित्र है. 14पुरोहित उस दोष बलि के रक्त का कुछ भाग लेकर उसे उस व्यक्ति के दाएं कान के सिरे पर, दाएं हाथ के अंगूठे और दाएं पांव के अंगूठे पर लगा दे, जिसको शुद्ध किया जा रहा है. 15इसके बाद पुरोहित उस एक तिहाई तेल में से कुछ भाग लेकर उसे अपने बायीं हथेली पर उंडेल दे; 16फिर पुरोहित अपनी बायीं हथेली में रखे बचे हुए तेल में अपने दाएं हाथ की उंगली डुबाकर याहवेह के सामने उस तेल में से कुछ तेल को सात बार छिड़क दे. 17अब जो तेल उसकी हथेली में बचा रह गया है, पुरोहित शुद्ध होनेवाले व्यक्ति के दाएं कान के सिरे पर, दाएं हाथ के अंगूठे और दाएं पांव के अंगूठे पर लगा दे, जिन पर दोष बलि का रक्त लगा हुआ है; 18जबकि पुरोहित की हथेली में रखे बचे हुए तेल को पुरोहित उस व्यक्ति के सिर पर भी लगा दे, जिसे शुद्ध किया जा रहा है. फिर पुरोहित उस व्यक्ति की ओर से याहवेह के सामने प्रायश्चित करे.

19“इसके बाद पुरोहित पापबलि भेंट करे, और उस व्यक्ति के लिए प्रायश्चित करे, जिसे उसकी अशुद्धता से परिशोधन किया जा रहा है. यह सब करने के बाद वह होमबलि पशु का वध कर दे. 20पुरोहित उस होमबलि एवं अन्‍नबलि को वेदी पर भेंट कर दे. इस प्रकार पुरोहित उस व्यक्ति के लिए प्रायश्चित करे, और वह व्यक्ति शुद्ध हो जाएगा.

21“किंतु यदि वह व्यक्ति दरिद्र और लाने के लायक न हो, तो वह अपने लिए प्रायश्चित के लिए, हिलाने की बलि के रूप में भेंट दोष बलि के लिए एक नर मेमना और अन्‍नबलि के लिए तेल मिला हुआ डेढ़ किलो मैदा और एक तिहाई लीटर तेल, 22दो कबूतर अथवा दो कबूतर के बच्‍चे; एक पापबलि के लिए तथा एक होमबलि के लिए, इनमें से वह जो कुछ भी देने में समर्थ हो, ले लें.

23“आठवें दिन अपने शुद्ध होने के लिए वह इन्हें मिलनवाले तंबू के द्वार पर याहवेह के सामने पुरोहित के पास लेकर आए. 24पुरोहित दोष बलि के इस मेमने और एक तिहाई लीटर तेल को ले और याहवेह के सामने लहराने की बलि के रूप में भेंट करे. 25फिर पुरोहित दोष बलि के इस मेमने का वध करे; पुरोहित इस दोष बलि के लहू में से कुछ लहू को लेकर उस व्यक्ति के दाएं कान के सिरे पर, दाएं हाथ के अंगूठे और दाएं पांव के अंगूठे पर लगा दे, जिसको शुद्ध किया जाना है. 26पुरोहित अपनी बायीं हथेली में कुछ तेल उण्डेले; 27और अपनी दाएं हाथ की उंगली से अपनी बायीं हथेली में रखे तेल में से कुछ तेल को सात बार याहवेह के सामने छिड़के. 28अब पुरोहित जो तेल उसकी हथेली में बचा रह गया है, उससे कुछ तेल जिस व्यक्ति को शुद्ध किया जा रहा है उसके दाएं कान के सिरे पर लगाएगा, कुछ तेल व्यक्ति के दाएं हाथ के अंगूठे और उसके दाएं पैर के अंगूठे पर लगाएगा. दोष बलि के खून लगे स्थान पर ही पुरोहित तेल लगाएगा. 29पुरोहित की हथेली में रखे बचे हुए तेल को पुरोहित उस व्यक्ति के सिर पर लगा दे, जिसको शुद्ध किया जा रहा है कि पुरोहित उस व्यक्ति की ओर से याहवेह के सामने प्रायश्चित करे. 30इसके बाद पुरोहित एक कबूतर अथवा एक युवा कबूतर, जो भी वह व्यक्ति देने में समर्थ हो, भेंट करे; 31अन्‍नबलि के साथ, पापबलि के लिए एक तथा होमबलि के लिए एक. फिर पुरोहित उस व्यक्ति की ओर से याहवेह के सामने प्रायश्चित करे, जिसको शुद्ध किया जाना है.

32“यह उस व्यक्ति के लिए एक विधि है, जिसमें कोढ़ रोग का संक्रमण है और जिसके अपने शुद्ध होने की आवश्यकताओं के लिए साधन सीमित हैं.”

फफूंदी से शुद्धीकरण

33फिर याहवेह ने मोशेह और अहरोन को यह आदेश दिया 34“जब तुम कनान देश में प्रवेश करो, जिसका अधिकारी मैंने तुम्हें बनाया है, तुम्हारे आधिपत्य देश के एक आवास में कोढ़ रोग की फफूंदी मैं लगा दूंगा, 35तब वह गृहस्वामी पुरोहित के पास आकर यह सूचना देगा, ‘मुझे अपने घर में कोढ़ रोग के समान एक चिन्ह दिखाई दिया है.’ 36इससे पहले कि पुरोहित उस घर में जाकर उस चिन्ह की जांच करे, वह यह आदेश दे कि वे उस घर को खाली कर दें, ऐसा न हो कि उस आवास में मौजूद सारी वस्तुएं अशुद्ध हो जाएं. उसके बाद पुरोहित उस आवास में प्रवेश कर उसकी जांच करे. 37वह उस चिन्ह की जांच करे और यदि घर की दीवारों पर यह चिन्ह हरी अथवा लाल सतह से नीचे दबी हुई प्रतीत हो, 38तो पुरोहित उस घर से बाहर निकलकर प्रवेश द्वार पर आकर उस घर को सात दिन के लिए उसे बंद कर दे. 39सातवें दिन पुरोहित उसको दोबारा जांचे. यदि वास्तव में वह चिन्ह घर की दीवारों में फैल गया है, 40तो पुरोहित उन्हें यह आदेश दे कि वे उन चिन्हयुक्त पत्थरों को निकालकर नगर से बाहर कूड़े के ढेर पर फेंक दें. 41इसके बाद पुरोहित उस संपूर्ण घर को भीतर से खुरचवा दे और वे उस खुरचन को नगर के बाहर अशुद्ध स्थान पर फेंक दें. 42फिर वे दूसरे पत्थर लेकर उन्हें निकाले गए पत्थरों के स्थान पर लगा दें और गारा लेकर उस आवास की पुनः लीपाई-पोताई कर दें.

43“किंतु यदि उसके द्वारा पत्थरों को निकालवाए जाने, घर को खुरचे जाने तथा पुनः पलस्तर लीपे पोते जाने के बाद उस घर में वह फफूंदी फूट पड़ती है, 44तो पुरोहित उसमें प्रवेश कर उसकी जांच करे. यदि उसे यह प्रतीत होता है कि वास्तव में वह चिन्ह आवास में फैल गया है, तो यह उस आवास में एक असाध्य रोग है; यह अशुद्ध है. 45इसलिये उस आवास को ढाह दिया जाए, वह उसके पत्थर, लकड़ी और संपूर्ण पलस्तर को नगर के बाहर अशुद्ध स्थान पर ले जाए.

46“इसके अतिरिक्त, यदि कोई व्यक्ति उस समय में उस घर में प्रवेश कर ले, जिसे पुरोहित ने बंद कर दिया था, तो वह व्यक्ति शाम तक अशुद्ध रहेगा. 47इसी प्रकार जो कोई व्यक्ति उस घर में विश्राम करता है, या भोजन कर लेता है, वह भी अपने वस्त्रों को शुद्ध करे.

48“यदि इसके विपरीत, पुरोहित उस आवास में प्रवेश कर निरीक्षण करे, और यह पाए कि उस घर की पुनः पलस्तर करने के बाद वह फफूंदी वास्तव में नहीं फैली है, तो पुरोहित उस आवास को शुद्ध घोषित कर दे, क्योंकि यह रोग उसमें पुनः प्रकट नहीं हुआ है. 49तब पुरोहित उस आवास को शुद्ध करने के लिए दो पक्षी, देवदार की लकड़ी, जूफ़ा और लाल डोरी लेकर, 50एक पक्षी को बहते हुए जल पर मिट्टी के एक पात्र में बलि करे. 51इसके बाद वह उस जीवित पक्षी के साथ देवदार की लकड़ी, जूफ़ा और लाल डोरी को उस बलि किए हुए पक्षी के रक्त तथा बहते हुए जल में डुबाकर उस घर पर सात बार छिड़के. 52इस प्रकार वह उस घर का शुद्धीकरण उस पक्षी के लहू तथा बहते हुए जल के साथ साथ देवदार की लकड़ी, जूफ़ा तथा लाल डोरी के साथ करे. 53फिर वह उस जीवित पक्षी को नगर के बाहर खुले मैदान में छोड़ दे. इस प्रकार वह उस घर के लिए प्रायश्चित पूरा करे और वह आवास शुद्ध हो जाएगा.”

54किसी भी प्रकार के कोढ़ के रोग के लिए यही विधि है; सेहुंआ के लिए, 55कोढ़ से संक्रमित वस्त्र अथवा घर के लिए, 56सूजन के लिए, पपड़ी के लिए अथवा किसी भी प्रकार के चमकदार धब्बे के लिए; 57उन पर यह प्रकट हो जाए कि क्या अशुद्ध है अथवा क्या शुद्ध.

कोढ़ रोग के लिए यही विधि है.