ኤርምያስ 20 – NASV & HCV

New Amharic Standard Version

ኤርምያስ 20:1-18

ኤርምያስና ጳስኮር

1በእግዚአብሔር ቤተ መቅደስ ውስጥ አለቃ የነበረው፣ የኢሜር ልጅ ካህኑ ጳስኮር እነዚህን ነገሮች ኤርምያስ እንደ ተነበየ በሰማ ጊዜ፣ 2ነቢዩ ኤርምያስን መታው፤ በእግዚአብሔርም ቤተ መቅደስ በላይኛው የብንያም በር በእግር ግንድ ጠረቀው። 3በማግስቱም ጳስኮር ኤርምያስን ከተጠረቀበት ግንድ አወጣው፤ ኤርምያስም እንዲህ አለው፤ “እግዚአብሔር ከእንግዲህ ማጎርሚሳቢብ20፥3 ማጎርሚሳቢብ ማለት ዙሪያ-ገባው ሽብር ማለት ነው። ብሎ ይጠራሃል እንጂ ጳስኮር አይልህም፤ 4እግዚአብሔር እንዲህ ይላልና፤ ‘አንተንና ባልንጀሮችህን ሁሉ ለሽብር እዳርጋለሁ፤ የገዛ ዐይንህ እያየ በጠላቶቻቸው ሰይፍ ይወድቃሉ። ይሁዳን ሁሉ ለባቢሎን ንጉሥ አሳልፌ እሰጣለሁ፤ እርሱም ወደ ባቢሎን ያፈልሳቸዋል፤ በሰይፍም ይገድላቸዋል። 5የዚህችን ከተማ ሀብት ሁሉ፣ ጥሪቷን፣ የይሁዳን ነገሥታት ውድ ዕቃና ንብረት ሁሉ ለጠላቶቻቸው አሳልፌ እሰጣለሁ፤ እነርሱም ዘርፈው ወደ ባቢሎን ይዘውት ይሄዳሉ። 6ጳስኮር ሆይ፤ አንተና በቤትህ የሚኖሩት ሁሉ ወደ ባቢሎን ትጋዛላችሁ። አንተና በሐሰት ትንቢት የተነበይህላቸው ባልንጆሮችህ በዚያ ትሞታላችሁ፤ በዚያም ትቀበራላችሁ።’ ”

የኤርምያስ ማጕረምረም

7እግዚአብሔር ሆይ፤ አታለልኸኝ፤20፥7 ወይም ሐሳቤን አስለወጥኸኝ እኔም ተታለልሁ፤

አንተ ከእኔ እጅግ በረታህ፤ አሸነፍህም፤

ቀኑን ሙሉ ማላገጫ ሆንሁ፤

ሁሉም ተዘባበቱብኝ።

8በተናገርሁ ቍጥር እጮኻለሁ፤

“ሁከትና ጥፋት!” ብዬ ዐውጃለሁ፤

ስለዚህ የእግዚአብሔር ቃል፣

ቀኑን ሙሉ ስድብና ነቀፋ አስከተለብኝ።

9ነገር ግን፣ “ከእንግዲህ የእርሱን ስም አላነሣም፤

በስሙም አልናገርም” ብል፣

ቃሉ በልቤ እንደ እሳት፣

በዐጥንቴም ውስጥ እንደ ረመጥ ሆነብኝ፤

ዐፍኜ መያዝ አቃተኝ፤

ጨርሶ መቋቋም አልቻልሁም።

10“በየቦታው ሽብር አለ፤

አውግዙት፤ እናውግዘው፤”

ብለው ብዙ ሲያንሾካሽኩ ሰማሁ፤

መውደቄን በመጠባበቅ፣

ባልንጀሮቼ የነበሩ ሁሉ፣

“ይታለል ይሆናል፣

ከዚያም እናሸንፈዋለን፤

እንበቀለዋለንም” ይላሉ።

11ነገር ግን እግዚአብሔር እንደ ኀያል ተዋጊ ከእኔ ጋር ነው፤

ስለዚህ አሳዳጆቼ ይሰናከላሉ እንጂ አያሸንፉም፤

ክፉኛ ይዋረዳሉ እንጂ አይሳካላቸውም፤

ውርደታቸውም ከቶ አይረሳም።

12ጻድቁን የምትፈትን ልብንና አእምሮን የምትመረምር፣

የሰራዊት ጌታ እግዚአብሔር ሆይ፤

ጕዳዬን ለአንተ አሳልፌ ሰጥቻለሁና

ስትበቀላቸው ለማየት አብቃኝ።

13ለእግዚአብሔር ዘምሩ፤

ለእግዚአብሔር ምስጋናን አቅርቡ፤

የችግረኛውን ነፍስ፣

ከክፉዎች እጅ ታድጓልና።

14የተወለድሁባት ዕለት የተረገመች ትሁን፤

እናቴ እኔን የወለደችባት ቀን አትባረክ።

15“ወንድ ልጅ ተወልዶልሃል” ብሎ፣

ለአባቴ የምሥራች የነገረ፣

ደስ ያሰኘውም ሰው የተረገመ ይሁን።

16ያ ሰው እግዚአብሔር ሳይራራ፣

እንደ ገለበጣቸው ከተሞች ይሁን፤

በማለዳ ዋይታን፣

በቀትርም የጦርነትን ውካታ ይስማ፤

17እናቴ መቃብር ትሆነኝ ዘንድ፣

ማሕፀንም ሰፊ የዘላለም ማደሪያዬ እንዲሆን፣

ከማሕፀንም ሳልወጣ አልገደለኝምና።

18ችግርና ሐዘንን ለማየት፣

ዘመኔንም በውርደት ለመፈጸም፣

ለምን ከማሕፀን ወጣሁ?

Hindi Contemporary Version

येरेमियाह 20:1-18

पशहूर तथा येरेमियाह

1जब याहवेह के भवन के प्रमुख अधिकारी, इम्मर के पुत्र पुरोहित पशहूर ने येरेमियाह को इन विषयों पर भविष्यवाणी करते हुए सुना, 2तब उसने भविष्यद्वक्ता येरेमियाह को पिटवाया तथा ऊपरी बिन्यामिन द्वार में उन्हें काठ के बांक20:2 काठ के बांक पैरों को बांधने का पुराना उपकरण में जकड़ दिया, यह याहवेह के भवन के निकट ही था. 3अगले दिन, जब पशहूर ने उन्हें बांक से विमुक्त किया, येरेमियाह ने उससे कहा, “याहवेह द्वारा तुम्हें दिया गया नाम पशहूर नहीं, बल्कि मागोर-मिस्साबीब है. 4क्योंकि याहवेह का संदेश यह है: ‘तुम यह देखोगे कि मैं तुम्हें स्वयं के लिए तथा तुम्हारे सारे मित्रों के लिए आतंक बना देने पर हूं; तुम्हारे देखते-देखते वे अपने शत्रुओं की तलवार से वध किए जाएंगे. तब मैं सारे यहूदिया को बाबेल के राजा के हाथों में सौंप दूंगा, वह उन्हें बंदी बनाकर बाबेल ले जाएगा तथा तलवार से उनका संहार कर देगा. 5मैं इस नगर की सारी धन संपदा इसकी सारी उपज एवं इसकी सारी मूल्यवान सामग्री उसे सौंप दूंगा—यहां तक कि यहूदिया के राजाओं की सारी निधि मैं उनके शत्रुओं के हाथों में सौंप दूंगा. वे उन्हें लूट लेंगे, उन्हें बंदी बना लेंगे तथा उन्हें बाबेल ले जाएंगे. 6और तुम, पशहूर, तथा वे सभी जो तुम्हारे आवास में निवास कर रहे हैं, बंधुआई में ले जाए जाएंगे, तुम बाबेल में प्रवेश करोगे. और वहीं तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी वहीं तुम्हें गाड़ा जाएगा, तुम्हें तथा तुम्हारे उन सभी मित्रों को जिनके लिए तुमने झूठी भविष्यवाणी की थी.’ ”

येरेमियाह का मुकदमा

7याहवेह, आपने मुझे प्रलोभित किया, कि मैं प्रलोभित हो गया;

आपने मुझे गुमराह किया और आप मुझ पर प्रबल भी हो गए.

सारे दिन मैं उपहास का बर्तन बना रहता हूं;

सभी मेरा उपहास करते रहते हैं.

8जब भी मैं कुछ कहना चाहता हूं, मैं उच्च स्वर में रोने लगता हूं;

मेरी वाणी के विषय रह गए हैं हिंसा एवं विध्वंस.

क्योंकि मेरे संदर्भ में याहवेह के संदेश का परिणाम हुआ है

सतत निंदा एवं फटकार.

9किंतु यदि मैं यह निश्चय करूं, “अब मैं याहवेह का उल्लेख ही नहीं करूंगा

अथवा अब मैं उनकी ओर से कोई भी संदेश भेजा न करूंगा,”

तब आपका संदेश मेरे हृदय में प्रज्वलित अग्नि का रूप ले लेता है,

वह प्रज्वलित अग्नि जो मेरी अस्थियों में बंद है.

अब यह मेरे लिए असह्य हो रही है;

इसे दूर रखते-रखते मैं व्यर्थ हो चुका हूं.

10मैंने अनेकों को दबे स्वर में यह कहते सुना है,

“चारों ओर आतंक व्याप्‍त हो चुका है!

फटकार करो उनकी! निःसंदेह हमें उनकी फटकार करनी ही होगी!”

ये मेरे विश्वास्य मित्रों के शब्द हैं

जिन्हें मेरे पतन में रुचि है. वे विचार कर रहे हैं,

“संभव है वह फंदे में फंस जाए;

और हम उसे अपने वश में कर लें

तथा उससे अपना बदला ले लें.”

11किंतु याहवेह मेरे साथ शक्तिवान योद्धा के सदृश हैं जिसका आतंक चारों ओर व्याप्‍त है;

इसलिये मेरे उत्पीड़क मुझ पर प्रबल न होंगे बल्कि लड़खड़ा जाएंगे.

अपनी विफलता पर उन्हें घोर लज्जा का सामना करना पड़ेगा यह ऐसी चिरस्थायी लज्जा होगी;

जिसे भूलना पसंद करना संभव न होगा.

12फिर भी सेनाओं के याहवेह, आप तो सद्‍वृत्त की विवेचना करते रहते हैं,

आपकी दृष्टि मन एवं हृदय का आंकलन करती रहती है,

कुछ ऐसा कीजिए कि मैं आपके द्वारा उनसे लिए गए बदले का प्रत्यक्षदर्शी हो जाऊं,

क्योंकि अपना मुकदमा मैंने आपको ही सौंप रखा है.

13याहवेह के लिए गायन हो!

याहवेह का स्तवन हो!

क्योंकि उन्होंने निस्सहाय के प्राणों को

बुरे बंधन से उद्धार प्रदान किया है.

14शापित हो वह दिन जिसमें मैंने जन्म लिया!

जिस दिन मेरी माता ने मुझे जन्म दिया, उसे धन्य न कहा जाए!

15शापित हो वह व्यक्ति जिसने मेरे पिता को अत्यंत हर्षित कर दिया,

जब उसने उन्हें यह संदेश दिया,

“आपका एक पुत्र पैदा हुआ है!”

16उस संदेशवाहक की नियति वही हो जो उन नगरों की हुई थी,

जिन्हें याहवेह ने निर्ममता से नष्ट कर दिया था.

उसे प्रातःकाल से ही पीड़ा की कराहट सुनाई देने लगी,

तथा दोपहर में युद्ध की चेतावनी की वाणी.

17क्योंकि मेरे जन्म के पूर्व ही मेरी जीवन लीला उसने समाप्‍त नहीं कर दी,

कि मेरी माता ही मेरी कब्र हो जाती,

और मेरी माता स्थायी रूप से गर्भवती रह जाती.

18मैं गर्भ से बाहर ही क्यों आ गया

कि संकट और शोक देखूं,

कि मेरे जीवन के दिन लज्जा में जिए जाएं?